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रविवार, 24 फ़रवरी 2019

लेखक की कलम से- गुलशन नंदा

  ब्लॉग पर एक नया स्तम्भ आरम्भ किया है। जिसके अंतर्गत लेखकों के लेखकिय प्रकाशित किये जायेंगे। इस स्तंभ का आरम्भ गुलशन नंदा के एक लेखकिय से कर रहे हैं। जिसमें गुलशन नंदा ने नकली उपन्यास और स्वयं के उपन्यासों में लगे अश्लीलता के आरोपों पर लिखा है।

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प्रिय पाठक बंधु,
       यह मेरा सौभाग्य है कि आप सबके सहयोग एवं विश्वास के कारण मेरा नाम आज भारत के एक छोर से दूसरे छोर तक, बल्कि निदेशक में बसने वाले हिन्दी पाठकों में भी प्रिय है। यह भी आपके सहयोग एवं स्नेह का फल है कि मेरी रचनाओं को आज हिन्दी उपन्यासों में सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकें होने का गर्व प्राप्त हुआ है। मुझे आशा है कि मेरी प्रत्येक रचना को आप अपनी आशाओं के अनुकूल ही पायेंगे।
           किन्तु अधिक लोकप्रियता कभी-कभी परेशानी का कारण भी बन जाती है। तीन-चार वर्षों तक मेरे नाम से प्रकाशित जाली उपन्यासों ने मेरे मन को अशांत बनाये रखा। केन्द्रीय गुप्तचर विभाग, पाठकों एवं विक्रेताओं के अमूल्य सहयोग ने अब मुझे जाकर इस अशांति से मुक्ति दिलाई।
               अब एक नया लांझन इस लोकप्रियता के कारण मुझ पर लगाया जा रहा है। मेरे उपन्यासों के बारे में कुछ तथाकथित आलोचक तथा लेखक यह भ्रम फैला रहे हैं कि मेरी लोकप्रियता अश्लील एवं सैक्स से भरपूर उपन्यास लिखने हुई है।  यह एक अजीब बात है कि मेरे उन उपन्यासों में भी, जिनमें रोमांस न के बराबर है साहित्यकारों को अश्लीलता दिखाई देती है। संभव है, मेरी कुछ प्रारम्भिक रचनाओं में, जो मैंने विद्यार्थी जीवन में लिखी थी, रोमांस का कुछ अंश अधिक हो, किंतु बाद में‌ लिखे ग ए मेरे अधिकतर उपन्यासों के संबंध में इस प्रकार का आरोप उचित नहीं । ऐसा प्रतित होता है है, जैसे उन्होंने मेरे उपन्यास पढे बिना इस प्रकार के छींटे कसे हैं।
                    जब तक मुझे अपने पाठकों का स्नेह एव विश्वास प्राप्त है, इस प्रकार के लांछन मुझे निरुत्साह नहीं कर सकते। फिर भी मेरे आलोचकों से मेरा निवेदन है कि यदि वे मेरे उपन्यास पढकर स्वस्थ आलोचना करें तो मेरे लिए वह पथ-प्रदर्शक हो सकती है। लोकप्रियता के कारण यह अनुमान लगा लेना कि उपन्यास अश्लील होगा- सरासर अन्याय है, जिसके बारे में मैं इतना कह सकता हूँ कि कोई भी पुस्तक लाखों की संख्या  में तभी बिक सकती है यदि वह हर घर में खुलेआम पढी जा सके। अश्व पुस्तक न माँ बेटी के सामने पढ सकती है, न पिता पुत्र के सामने। मुझे संतोष और प्रसन्नता है कि मेरी रचनाएँ परिवार के सभी सदस्य एक -दूसरे से छुपाए बिना पढ सकते हैं।
                       मैं पाठकों से अनुरोध करूंगा कि वे मेरे इन उपन्यासों को पढकर सदा की तरह मुझे अपने विचार लिखें। साथ ही मैं उ‌नके भरपूर स्नेह के लिए आभार प्रदर्शित करता हूँ।

7, शीश महल 5-A, पाली हिल्ज,
बांद्रा, मुम्बई-400050
                                                                आपका
                                                             गुलशन नंदा

(सन् 1985)

दिगम्बर जोशी

दिगंबर जोशी

दिगंबर जोशी नामक एक उपन्यासकार के विषय में कुछ सूचना प्राप्त हुयी है।

   यह सूचना उनके एक उपन्यास के पृष्ठ से प्राप्त हुयी है।

दिगंबर जोशी के उपन्यास

1. खूनी आवाजें

2. जहर हूँ मत छूओ (सामाजिक उपन्यास)

उक्त उपन्यास 'रुपम पॉकेट बुक्स दिल्ली' से प्रकाशित हैं।

उक्त जानकारी हमें नेपाल से बिजय अग्रवाल जी ने भेजी है।

प्रेम प्रकाश

नाम-  प्रेम प्रकाश

    इब्ने सफी के उर्दू उपन्यासों का हिंदी में अनुवाद प्रेमप्रकाश ही‌ किया करते थे। बाद में अनुवाद के साथ प्रेमप्रकाश ने लेखन भी आरम्भ कर दिया था।
उपन्यासकार प्रेम प्रकाश उस दौर के लेखक हैं जब उपन्यास पत्रिका के रूप में प्रकाशित होते थे।

इनके एक उपन्यास से इनके विषय में कुछ जानकारी प्राप्त हुयी है। इनका उपन्यास 'सोने की राख' जो की सन् 1966 में 'रहस्य' नामक मासिक पत्रिका के अंक 87 में प्रकाशित हुआ था। 

प्रेम प्रकाश के उपन्यास

1. सोने की राख-  1966
2. खूनी टक्कर  -   1966
3. घर का दुश्मन -  30.11.1966
3. सरहदी तूफान -1976

  प्रेम प्रकाश जी से संबंधित अगर आपके पास कोई जानकारी है तो अवश्य शेयर करें।

धन्यवाद

- sahityadesh@gmail.com

 
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एम. एल.पण्डया

एम. एल. पण्डया

हिन्दी जासूसी साहित्य के आरम्भिक दौर की जब चर्चा चलती है तो देवकीनन्दन खत्री के पश्चात जिन लेखकों का नाम आता है उनमें एक हैं एम.एल. पण्डया।
बहुत कोशिशों के पश्चात एम. एल. पण्डया जी के विषय में विशेष जानकारी तो एकत्र न हो सकी लेकिन जितनी जानकारी एकत्र हुयी वह यहाँ उपस्थित है।

एम. एल. पण्डया के उपन्यास
1. तिलस्म वैचित्र्य
उक्त उपन्यास 'तिलिस्मी जासूस' पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। यह पत्रिका इलाहाबाद से प्रकाशित होती थी।
इलाहाबाद से प्रकाशित मधुप जासूस पत्रिका में भी इनके उपन्यास प्रकाशित होते रहे हैं।

एम. एल. पण्डया के विषय किसी भी पाठक के पास कोई भी जानकारी हो तो हमसे शेयर करें।
धन्यवाद।




गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

लोकप्रिय साहित्य बनाम गंभीर साहित्य

लोकप्रिय साहित्य बनाम गंभीर साहित्य- योगेश मित्तल

            साहित्य शब्द का प्रयोग तो सभी लिखाड़ी और पढ़ाकू करते आये हैं, पर हमारे ‘पॉकेट बुक्स’ वर्ग के लेखकों को बड़े रचनाकार कहलानेवाले और साहित्यकार कहलाने वाले लेखकों ने कभी न तो साहित्यकार माना, ना ही उनके लेखन को साहित्य में दर्ज किये जाने योग्य।

      पॉकेट बुक्स लेखन को यदि साहित्य शब्द से विभूषित भी किया गया तो उसे सदैव ‘सस्ता साहित्य’ कहा गया।

           फिर भी एक वक्त ऐसा आया, जब बड़े-बड़े साहित्यकार पॉकेट बुक्स के सस्ते लेखन में उतर आये, लेकिन उन 'कथित साहित्यकारों' ने पॉकेट बुक्स लेखन में अपना वास्तविक नाम देना उचित न समझा, कुछ अपवाद हैं - शिवानी, कृष्णचन्दर, राम कुमार भ्रमर आदि।

        ‌कृष्णचन्दर को तो हिन्द पॉकेट बुक्स वालों ने बाल पॉकेट बुक्स की धूम के समय 'हांगकांग की गुड़िया' से विशेष रूप से प्रचारित किया था ! पुराने पाठकों को शायद वह विज्ञापन याद भी हो - 'न ताला टूटा - न सेंध लगी - हांगकांग की गुड़िया गायब हो गयी।

         अधिकाँश साहित्यिक लेखकों ने स्टार, हिन्द, रूपम, नकहत, नफीस, साधना और मनोज पॉकेट बुक्स में चक्कर अवश्य लगाए और कुछ एक छपे भी, लेकिन ज्यादातर साहित्यिक लेखक पॉकेट बुक्स प्रकाशकों को भी प्रभावित नहीं कर पाए ! उनके कथानक बेहद स्लो और एक्शनलेस थे।

       उन उपन्यासों में घटनाएं सीमित होती थीं और डायलॉगबाजी में रोचकता का सर्वथा अभाव था, जैसा की आप वेद प्रकाश काम्बोज के विजय की रघुनाथ और अशरफ से नोंक-झोंक और झकझकियों में पाते रहे हैं या सुरेंद्र मोहन पाठक के सुनील और रमाकांत और प्रभुदयाल के बीच पाते रहे हैं ! विनोद हमीद और कासिम की बातों में लुत्फ़ उठाते रहे हैं ! राज भारती के सागर के रोमांस और अग्निपुत्र के भूतकाल के वर्णन में पाते रहे हैं ! ओम प्रकाश शर्मा के राजेश-जयंत-जगत-जगन-बगारोफ़-गोपाली आदि में पाते रहे हैं।

          रूपम पॉकेट बुक्स तो जल्दी ही बंद होने का कारण भी यही रहा कि अच्छे साहित्यिक लेखकों के अच्छे उपन्यास छापने के बावजूद ‘पॉकेट बुक्स पाठकों’ में साहित्यिक लेखक अपनी पैठ नहीं बना पाए।

         अब मेरा आपसे सवाल यह है कि आप साहित्य किसे मानते हैं। उन पुराने व बड़े लेखकों की कृतियों को, जिन्हें सिर्फ 'स्टेटस सिम्बल' के लिए लोग पढ़ने का दावा तो करते हैं, लेकिन चार पेज लगातार पढ़ नहीं पाते और पूछने पर उस कृति की कमियां-खूबियां तक बताने के लिए इंटरनेट में मैटर तलाश करते हैं ! या आपकी नज़र में साहित्य वह है - जो आपकी स्मृतियों को झकझोर दें, झिंझोड़ दें।

या आपकी निगाह में साहित्य की कोई और कसौटी है !

आप अपने विचारों को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत करें, क्योंकि आज भी बहुत से 'बड़े कहलाने वाले लेखक' जासूसी व सामाजिक लेखकों को हेय दृष्टि से देखते हैं।

            मज़े की बात है - विदेशों में आर्थर कानन डायल, अगाथा क्रिस्टी, जेम्स हेडली चेज, सिडनी शेल्डन, इर्विंग वैलेस आदि ने जो शोहरत और प्रतिष्ठा  हासिल की।  भारत में पॉकेट बुक्स लेखक आज भी उस प्रतिष्ठा से वंचित है।

           सबसे बड़ी और हास्यास्पद बात यह है कि बड़े नाम वाले लेखकों ने कई बेहद वाहियात उपन्यास लिखे हैं, लेकिन बड़े नाम के लेखक होने का पुरूस्कार यह है कि उन्हें कोर्स में भी पढ़ाया जा रहा है। अक्सर हमारे शिक्षा विभाग में बड़ी-बड़ी डिग्री वाले ऐसे नालायक लोगों की भरमार रही है - कहानी तथा उपन्यास की समझ तो दूर,  उन्हें पढ़ने का भी शौक रहा हो, इसमें भी मुझे संदेह है।

        आप लोगों ने भी बहुत से बड़े-बड़े लेखकों की साहित्यिक कृतियों को पढ़ा होगा।   आपको कोई कृति बेहद बकवास भी लगी होगी।  मैं चाहता हूँ - आप निःसंकोच उसके बारे में लिखें, जिससे हमारी भावी पीढ़ी को साहित्य के नाम पर वाहियात और सड़े हुए विषयों की गंदगी न पढ़ाई जाए।

और हाँ, मैं तो आपको इस बारे में बताऊंगा ही।

लेखक- योगेश मित्तल

बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

सुमन शर्मा

 सुमन शर्मा नामक एक लेखक के विषय में कुछ जानकारी प्राप्त हुयी है।

     परशुराम शर्मा ने जो 'बाजीगर सीरिज' लिखी थी उसी सीरिज पर सुमन शर्मा ने भी कुछ उपन्यास लिखे थे।


सुमन शर्मा के बाजीगर सीरिज के उपन्यास

1. बलिदान

2. बगावत

3. बाॅक्सर

4. बारूद

 उक्त लेखक के विषय में आपके पास कोई भी जानकारी हो तो वह अवश्य शेयर करें


लाट साहब

लाट साहब नामक उपन्यासकार के विषय में हमें नेपाल के पाठक मित्र श्री बिजय अग्रवाल जी के माध्यम से प्राप्त हुयी।
     लाटसाहब का एक उपन्यास सूरत (गुजरात) से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका 'अमेरिकन जासूस' में प्रकाशित हुआ।
       लाटसाहब का वास्तविक नाम जेठा लाल सोमैया है और इनके उपन्यासों का नायक एडवोकेट संदीप सेन होता है।

लाट साहब के उपन्यास
1. एक खून, एक लाश ( अक्टूबर,1969)
2. मृगनयनी
3. एक रूपा एक रीटा
4. विषलता
5. इन्द्रजाल
6. कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना
7. स्पाई इन बोम्बे
8. काँच की आँख

उक्त लेखक के विषय में कोई भी जानकारी उपलब्ध हो तो हमें भेजें।
धन्यवाद।



उपन्यास साहित्य का रोचक संसार-19,20

आइये, आपकी पुरानी किताबी दुनिया से पहचान करायें - 19
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ज्ञान ने मुझे देखते ही कुछ तेज़ आवाज़ में कहा था -"बेईमान, धोखेबाज, गद्दार !"
और मैं एकदम सन्नाटे में डूब गया था ! 
ऐसा क्या कर दिया मैंने ? मन ही मन मैंने सोचा था !

पर ज्ञान की आवाज़ की एक विशेषता यह थी कि वह गुस्से में भी बोलता तो आवाज़ में कड़कपन या कठोरता नहीं महसूस होती थी ! 
पता नहीं क्यों...उस दिन मुझे ज्ञान के शब्दों से आघात-सा अवश्य लगा, पर तुरंत ही शब्द होठों से निकले -"क्या हुआ ? इतने गर्म क्यों हो रहे हो ?"

अक्सर ज्ञान के होठों से गालियों के फूल भी बरसते थे ! गुस्से में ही नहीं सामान्य सी बात-चीत में भी ! मेरे सवाल का जवाब उसने मुंह से एक भद्दी गाली निकालने के बाद दिया -"तू भरोसे के काबिल ही नहीं है ! क्या प्रॉमिस किया था तूने ? दरीबे में कदम तब रखेगा, जब मेरे लिए स्क्रिप्ट लेकर आएगा ?"     
"तो यह क्या है ?" मैंने बाल पॉकेट बुक्स की स्क्रिप्ट ज्ञान के सामने रख दी -"तुम्हारे लिए स्क्रिप्ट लेकर ही आया हूँ !"
"बहुत एहसान कर दिया ! हमें नहीं चाहिए तेरी स्क्रिप्ट ! ले जा, यह भी उन्हीं को दे आ, जो तेरे सगे हैं !" ज्ञान स्क्रिप्ट उठाकर पीछे रखते हुए बोला !

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार- 17,18

आइये, आपकी पुरानी किताबी दुनिया से पहचान करायें - 17,18
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उन दिनों मैं आज जैसा चतुर-चालाक-हाज़िरजवाब कुछ भी नहीं था !

जब ज्ञानेन्द्र प्रताप गर्ग ने मुझसे कहा -"ओए छोटू ! हमने तेरा नाम छाप दिया, ये क्या कम है ? ओए तू तो सारे हिन्दुस्तान में मशहूर हो गया ! हिन्दुस्तान के कोने-कोने में जाती है गोलगप्पा !"

तो एक बार तो मुझे कुछ भी नहीं सूझा कि क्या कहूँ ! फिर भी धीरे से बोला -"सब लोग तो कहानी छापने के पैसे देते हैं !"
सच कहूँ तो मैं उस समय बोल नहीं रहा था, घिघिया रहा था !

पर जो लोग ज्ञानेन्द्र प्रताप गर्ग को जानते रहे हैं, कभी न कभी उससे मिले हैं – वे अच्छी तरह समझ सकते हैं कमसिन उम्र में मेरा उस आदमी से बात करना कितना कठिन था ! मैं उसके सामने खड़ा था, यही बहुत था !  

"कहाँ-कहाँ छपी है तेरी कहानी ? किस-किस ने दिए हैं पैसे ?" ज्ञानेन्द्र प्रताप गर्ग ने पूछा !
बच्चों की पत्रिकाओं में तो मैंने गोलगप्पा के अलावा कहीं कोई कहानी भेजी नहीं थी ! अतः ज्ञानेन्द्र के सवाल तो और कोई जवाब तो सूझा नहीं, मैंने कह दिया -"मनोज वाले भी देते हैं !"
"ये कबाड़िये..!" मेरे मुंह से मनोज नाम सुनते ही ज्ञानेन्द्र ने सिर को दायीं ओर झटका दिया और बोला था ! 

तब मैं नहीं समझ सका था कि ज्ञानेन्द्र ने मनोज वालों के लिए "कबाड़िये" क्यों कहा ! पर बाद में घनिष्ठता हो जाने पर जाना कि वह पीठ पीछे हमेशा उन्हें इसी तरह सम्बोधित करता था, लेकिन जब भी राजकुमार गुप्ता या गौरीशंकर गुप्ता सामने पड़ते "भाई साहब-भाई साहब” करके बिछ जाता ! और बाद में मैंने यह भी जाना कि मनोज वालों ने किस तरह कड़ी मेहनत करके, कबाड़ के धंधे से, प्रकाशन व्यवसाय में बुलंदी हासिल की ! 

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार-15,16

आइये, आपकी पुरानी किताबी दुनिया से पहचान करायें - 15
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बिमल चटर्जी को मैंने अरुण के साथ मनोज पाॅकेट बुक्स जाने का किस्सा सच-सच बता दिया, वह सचमुच नाराज हुए।
"योगेश जी, मैंने आपसे कहा भी था कि हम मनोज पाॅकेट बुक्स चलेंगे ! फिर अरुण के साथ जाने की क्या जरूरत थी ?" बिमल बोले ! 
मैं चुप रहा ! मैंने पहले ही उन्हें बता दिया था कि मुझे बिना बताये - फिल्म के बहाने ले जाया गया था !

बिमल का गुस्सा थोड़ी ही देर का रहा ! 

कुछ देर बाद बोले -"चलो, कोई बात नहीं ! गौरी भाई साहब से सब्र नहीं हो रहा होगा, तभी अरुण को बोला होगा ! दरअसल मैंने उन्हें बताया था कि योगेश मित्तल एक छोटा बच्चा है, जो मेरे लिए कहानियाँ लिख रहा है ! तो उन्हें छोटे बच्चे को देखने की धुन सवार हो गई थी ! मुझसे भी कई बार कहा था - यह योगेश मित्तल कौन है ? इसे लेकर आ ! मेरी ही गलती है, जो अब तक आपको साथ लेकर नहीं गया !"

उसके बाद दिनचर्या में बदलाव यह आया कि मेरा बिमल चटर्जी के लिए लिखना बन्द हो गया, लेकिन हमारे सुबह-शाम अब भी साथ बीतते थे ! अक्सर हम साथ बैठकर भी लिखते थे !  


उपन्यास साहित्य का रोचक संसार-13,14

आइये, आपकी पुरानी किताबी दुनिया से पहचान करायें - 13
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कुछ दिन यूँ ही बीत गये ! फिर आया शुक्रवार का दिन !

बिमल चटर्जी बोले - "आओ योगेश जी, आज फिल्म देखने चलते हैं !"

"फिल्म ! कौन-सी फिल्म ?"मैंने पूछा !
"जवानी दीवानी !"

अखबार पढ़ना बचपन से मेरी आदत रही थी ! कलकत्ता में घर में अंग्रेजी का स्टेट्समैन रोज आता था, किन्तु रविवार के दिन अंग्रेजी का अमृत बाजार पत्रिका तथा हिन्दी के सन्मार्ग और दैनिक विश्वमित्र भी आते थे ! पर फिल्मों वाला पन्ना सिर्फ़ फिल्मों के नाम देखने तक सीमित था ! शुक्रवार को कौन सी नई फिल्म लगी है, इस पर ध्यान जाता था, पर कहाँ लगी है ? इस पर कभी ध्यान नहीं देता था, क्योंकि फिल्म देखने के प्रति मन में कोई इच्छा या उत्साह नहीं होता था !


इसलिए उस दिन मुझे यह मालूम था कि फिल्म आज ही लगी है ! अत: बोला -"फिल्म आज ही लगी है ! टिकट नहीं मिलेगा !"

"सब मिल जायेगा, पर आपने यहाँ किसी से कहना नहीं है कि हम फिल्म देखने जा रहे हैं और बाद में भी....कि हम फिल्म देखकर आये हैं !"
"ऐसा क्यों ?" तब मैंने नहीं पूछा, लेकिन बाद में बिमल के बिना बताये पता चल गया !

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

विनोद यादव 'मनोरम नंदन'

 विनोद यादव उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। इनके दो उपन्यास बाजार में आये थे, ये उपन्यास चन्द्रकांता उपन्यास की तरह तिलस्मी आधारित उपन्यास थे। इस प्रकार के उपन्यास प्रचलित जासूसी उपन्यासों से अलग तरह के उपन्यास होते हैं।

      

विनोद यादव के उपन्यास 'दुर्गा पॉकेट बुक्स मेरठ' प्रकाशित उपन्यास

  1.  जालांशा (प्रथम भाग)
  2. न्मजात योद्धा (द्वितीय भाग)

लेखक संपर्क

- विनोद यादव 'मनोरमा नंदन'

पुत्र श्री रतिराम यादव

ग्राम -धरमपुर, पोस्ट- बरईपार

थाना- मछली शहर, 

जनपद- जौनपुर, उत्तर प्रदेश- 222144

संपर्क- 9616864656, 9918864656

राकेश मोहन

नाम- राकेश मोहन
राकेश मोहन जी जो कभी 'धरम राकेश' के द्वय नाम से चर्चित लेखक जोड़ी के एक अंग थे। धरम बारिया जी और राकेश मोहन जी कभी दोनों संयुक्त नाम 'धरम राकेश' नाम से लेखन करते थे।
          उपन्यास जगत में आयी मंदी से उपन्यास जगत बंद होने की कगार पर आ गया तो 'धरम-राकेश' जी भी अलग -अलग हो गये। जहाँ धरम जी उपन्यास साहित्य से दूर होकर सामान्य किताब लेखन जारी रखा तो वहीं राकेश मोहन जी कुछ समय बाद उपन्यास क्षेत्र में सक्रिय दिखाई दिये।
        उनके कुछ उपन्यास बाद में माया पॉकेट बुक्स से प्रकाशित होते रहे। 
राकेश मोहन
 राकेश मोहन
राकेश मोहन जी के माया पॉकेट बुक्स से प्रकाशित उपन्यास
1. सिगरेट का आखिरी कश
2. मुर्दे को फांसी दो
3. खून को बदल दूंगा (विजय-हिना सीरीज-03)
4. तेरह करोड़ की बोतल
5. चैक करेगा नोट पर वार
संपर्क
राकेश मोहन
7656, गली नंबर-09, अमर मौहल्ला
रघुवरपुरा, नई दिल्ली-110031
संपर्क-
राकेश मोहन
61A, ज्वाला नगर
स्ट्रीट नंबर -02, मेरठ, उत्तरपदेश
धरम राकेश जी के संयुक्त उपन्यास यहाँ देखें।
धरम राकेश उपन्यास सूची

रेखा बरनवाल

रेखा जी के विषय में हमें पर्याप

 जानकारी उपलब्ध नहीं है।

संपर्क-
डाॅ. रेखा बरनवाल
स्टेशन रोड़, भदौही, UP-221401
Email- designgview@sify.com

डाॅ. रेखा बरनवाल के उपन्यास


1. भंवर (साहित्य सम्मान)
2. परछाई उत्कृष्ट रचना सम्मान)
3. दर्द का रिश्ता
4. सुलगती चांदनी (स्क्रीन प्ले)
5. अधूरे सपने
6. काजल से काला कौन
7. शक
8. गुनाहों‌ की मण्डी
9. सोने का पिंजरा
10. अग्नि परीक्षा
11. क्यों चांद लगे मैला
12. तुमको न भूल पायेंगे
13.

रेखा पब्लिकेशन
राज श्रीअपार्टमेंट,
ब्लॉक-01, फ्लैट नंबर -102,
सिद्धगिरी बाग, वाराणसी।

अयोध्या नाथ जोशी

‌अयोध्या नाथ जोशी जी के विषय में जो जानकारी उपलब्ध है वह इनके एक उपन्यास से प्राप्त हुयी है।
    इनके उपन्यास डायमंड पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुए थे।
संपर्क
अयोध्या नाथ जोशी
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
कैलारस, मुरैना (मध्य प्रदेश)
अयोध्या नाथ जोशी के उपन्यास
1. कलंक की किलकारी
2. माँ का लाल

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019

कमल कुमार आनंद

कमल कुमार आनंद के एकमात्र उपन्यास की जानकारी उपलब्ध हुयी है।
  उक्त लेखक विषय में और कॊई भी जानकारी उपलब्ध नहीं ।

कमल कुमार के उपन्यास
1. रिवेंज....एक‌ अनोखा बदला

शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

उपन्यासकार सूची

साहित्य देश ब्लॉग पर उपलब्ध उपन्यासकारों की सूची।


अकरम इलाहाबादी
अजय सिंह
अजिंक्य शर्मा/ ब्रजेश शर्मा
अनिता
अनिल मोहन
अनिल राज
अनिल सक्सेना
अनिल सलूजा
अनुराधा
अभिमन्यु पण्डित
अमित खान
अमित श्रीवास्तव
अमिताभ
अम्बरीश कश्यप
अरुण अंबानी
अरुण आनंद
अरुण कुमार
अरुण कुमार शर्मा
अर्जुन पण्डित
अंशुल
अशोक कुमार शर्मा
अशोक दत्त
अशीत चटर्जी
अश्विन कुमार
अयोध्या नाथ जोशी

आदिल रसीद
आबिद रिजवी
आरिफ माहरवी
आशीर्वाद
आशीर्वाद पण्डित

इंस्पेक्टर गिरीश

ए. हमीद
एडवोकेट विकास गुप्ता
एन. सफी
एम. इकराम फरीदी
एम. एल.पण्डया
एम. के. शर्मा
एस. एन. कंवल
एस. एम. मेहन्दी
एस. कुमार


ओमप्रकाश शर्मा
ओमप्रकाश शर्मा जनप्रिय लेखक


कर्नल सुरेश
कबीर कोहली
कमल शुक्ल
कमाण्डर देव
कर्नल बलवीर
कर्नल रंजीत
करिश्मा दवा
किशोरी लाल गोस्वामी
कुमार कश्यप
कुमार मनेष
कुँवर नरेन्द्र सिंह
कुशवाहा कांत
कुसुम गुप्ता
कृष्ण चंदर
केवल पण्डित
केशव पण्डित
केशव शर्मा
केसर पण्डित
कैप्टन विक्रांत
कैप्टन सुभाष
कौशल पण्डित



गजाला, गजाला करीम
गीतारानी कुशवाहा
गुप्तदूत
गुलशन नंदा
गोपाल शर्मा
गोविन्द सिंह
गौरी पण्डित


घनश्याम मालाकार


चंदर
चन्द्रहास
चेतना


जयंत कुशवाहा
जयपाल सिंह बजाड़
जे. के. सागर


टाइगर

डार्लिंग
ड़ाॅ फखरेआलम खान


तरूण इंजिनियर
तीर्थ राम फिरोजपुरी

प्रकाश भारती
प्रकाश पण्डित
प्रदीप भारती
प्रकाश प्रियदर्शी
प्रेम प्रकाश
प्रेम वाजपेयी
प्रोफेसर दिवाकर


बसंत
बसंत कश्यप
बादल
बी. पाल भारती
बृजेश्वर चौधरी
ब्रह्म प्रकाश

भारत
भूपेन्द्र चौधरी
भोपाल सिंह


मदन शर्मा
मयंक
मल्लिका जोशी
महेश
माया मैमसाब
मिस्टर
मीना सरकार
मीनू वालिया
मीरा
मेजर बलवंत
मोना चौधरी
मोना डार्लिंग
मोहन चौधरी

यशपाल वालिया
योगेश मित्तल


रजत राजवंशी
रमन कुमार चौधरी
रमन कुमार
रवि
रवि माथुर
रवि शर्मा 'मयंक'
राकेश
राकेश अग्रवाल
राकेश पाठक
राकेश मोहन
राज
राज भारती
राजवंश
राजहंस
रानू
रामचन्द्र
राम रहीम
राहुल
रितुराज
रिशी
रुनझुन सक्सेना
रेखा बरनवाल
रेणू
रोमा चौधरी


लता तेजेश्वर
लाट साहब / जेठा लाल सोमैया
लोकदर्शी


वासुदेव
विकास
विजय मल्होत्रा
विजेता पण्डित
विनय प्रभाकर
विनोद यादव 'मनोरमा यादव'
विमल
विमल चटर्जी
विमल शर्मा
विशाल
विश्व मोहन विराग
वीरेन्द्र कौशिक
वेदप्रकाश
वेदप्रकाश कांबोज
वेदप्रकाश वर्मा
वेदप्रकाश शर्मा




शंकर सुल्तानपुरी
शगुन शर्मा
श्याम तिवारी / शैैैैैलेन्द्र तिवारी
शहंशाह
शिवा पण्डित
शुभानंद
शेखर
शैलेन्द्र तिवारी
श्रीकांत पाटेकर


सजल कुशवाहा
संतोष पाठक
सत्यपाल
सत्यपुष्प
सरला रानू
सावन
सीमा कपूर
सुदर्शन बाली
सुनील पण्डित
सुनील मोहन पाठक
सुनील शर्मा
सुभाष शर्मा
सुमन शर्मा
सुरेन्द्र मोहन पाठक
सुरेश
सुरेश मोदी
सुरेश साहिल
सुरेश श्रीवास्तव
सुशील जैन
सोनू पण्डित
सोफिया
सोमनाथ अकेला


हरीश पाठक

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निहाल वर्मा

लेखक निहाल वर्मा के विषय में जो भी प्राप्त जानकारी है उसका एकमात्र स्त्रोत उनके उपन्यास का एक आवरण चित्र है।
    इनके उपन्यास 'सोने का महल' के आवरण पर ‌लिखा गया है - 'मौलिक, तिलस्मी एवं ऐयारी उपन्यास' जिससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है की यह उपन्यास देवकीनंदन खत्री जी की परम्परा का रहा होगा। यह उपन्यास 'हिन्दी प्रचारक पुस्तकालय- वाराणसी-01' से प्रकाशित हुआ है।

निहाल वर्मा के उपन्यास
1. सोने का महल

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शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

नये उपन्यास-फरवरी 2019

फरवरी 2019 में प्रकाशित होने वाले उपन्यास

        उपन्यास पाठकों के लिए फरवरी माह बहुत जबरदस्त रहने वाला है। इस माह एक से बढकर एक उपन्यास पाठकों को मिलने वाले हैं।
     जनवरी माह में वेदप्रकाश कांबोज जी के दो उपन्यास 'दांव-खेल' और 'पासे पलट गये' का रिप्रिंट 'दांव खेल, पासे पलट गये' नाम से और राम पुजारी के दो उपन्यास भी रिप्रिंट हुये 'अधूरा इंसाफ... एक और दामिनी' तथा 'लव जिहाद...एक चिड़िया' दोनों गुल्लीबाबा प्रकाशन से दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में 06.01.2019 को प्रकाशित हुयी।
        अब फरवरी माह में अच्छी, रोचक और पठनीय उपन्यास आ रहे हैं।
        'रवि पॉकेट बुक्स से पांच उपन्यास 20 फरवरी को आ रहे हैं।

       1. समप्रीत- एक. इकराम फरीदी
                         एम. इकराम फरीदी का यह उपन्यास 'समलैंगिक' संबंधों पर आधारित उपन्यास है। फरीदी जी के उपन्यासों में हर बार एक नया कथानक होता है। वही इस उपन्यास में भी है।
                        
       2.  जिप्सी- कंवल शर्मा
                        तेज रफ्तार और कसावट वाले कथानक के लिए जाने जाने वाले लेखक कंवल शर्मा का उपन्यास जिप्सी भी उम्मीद है उनके पहले उपन्यासों जैसा अच्छा मनोरंजन करेगा।
                       
        3. लोमड़ी- शिवा पण्डित
                       - शिवा पण्डित द्वारा लिखित यह उपन्यास 'अर्जुन त्यागी' सीरिज का एक थ्रिलर उपन्यास है।
                      
        4. सुपाड़ी- रीमा भारती
                     'माँ भारती की लाडली और उदण्ड बेटी' स्लोगन वाली रीमा भारती का यह उपन्यास उनके पाठकों के लिए एक अच्छा तोहफा होगा।
                    
       5. टक्कर का आदमी- अनिल मोहन
                     अनिल मोहन जी का यह रिप्रिंट उपन्यास भी एक अच्छा व जबरदस्त उपन्यास है।‌


सूरज पॉकेट बुक्स के भी इस माह उपन्यास प्रकाशित हो रहे हैं।

6. खूब बरसेगा-  परशुराम शर्मा
              हाॅरर के पाठकों के लिए एक दिल थर्रा देने वाला यह उपन्यास सूरज पॉकेट बुक्स से इस माह प्रकाशित हो रहा है। परशुराम शर्मा जी हाॅरर लेखन में अच्छा लिखते हैं।
 
7. सूरमा- अनिल मोहन
                अनिल मोहन जी के पाठकों के लिए यह एक अच्छी खबर है की उनके उपन्यास उन्नत लगातार रिप्के माध्यम से पढने को मिल रहे हैं।
                  रवि पॉकेट बुक्स यहाँ उनका उपन्यास 'टक्कर का आदमी' रिप्रिंट कर रहा है वहीं सूरज पॉकेट बुक्स  देवराज चौहान सीरिज का 'सूरमा' ला रहा है।
                             
8. अस्तित्व- चन्द्रप्रकाश पाण्डेय
                   एक नये जेनर पर आधारित यह उपन्यास स्वयं में एक नये कथानक पर आधारित है।
                    'अस्तित्व- काल का रहस्य' एक रहस्य में डूबा हुआ रोचक उपन्यास है।
                   
9. ड्राप डेड- रुनझुन सक्सेना, शुभानंद
                 पाठकों को लंबे समय से इंतजार था कब रुनझुन सक्सेना और शुभानंद का संयुक्त रूप से उपन्यास आये। जिन्होंने रुनझुन सक्सेना का उपन्यास 'चालीसा का रहस्य' पढा है, वह पाठक तो इस किताब का बेताबी से इंतजार कर रहा है।

10. आप्रेशन AAA- मोहन मौर्य
                    लंबे समय पश्चात मोहन मौर्य जी का उपन्यास आ रहा है। यह एक थ्रिलर उपन्यास है। उम्मीद है पाठको का भरपूर मनोरंजन करेगा।
                   
12. दस जून की रात- संतोष पाठक     
                     सुरेन्द्र मोहन पाठक जी की शैली में लेखन करने वाले संतोष पाठक जी का उपन्यास 'दस जून की रात' फरवरी माह में प्रकाशित होगा। यह उपन्यास एक मर्डर मिस्ट्री है।    
                    

Book Cafe  की प्रस्तुति

13. तेरी मेरी कहानियाँ- अमित खान
                  अमित खान के स्वयं के प्रकाशन संस्था Book Cafe के तहत उनकी कहानियाँ का संग्रह 'तेरी मेरी कहानियाँ' शीर्षक से आ रहा है जिसमें एक लघु उपन्यास भी शामिल है।
                 
15. सर्जिकल स्ट्राइक- अमित खान
                  मेरे विचार से इस विषय में आजतक कोई भी जासूसी उपन्यास नहीं लिखा गया।  यह 'कमाण्डर करण सक्सेना' सीरिज का उपन्यास है जो सर्जिकल स्ट्राइक जैसे विषय पर आधारित है।
                 

एक नये पब्लिकेशन FlyDreams Publication का शायद यह दूसरा सेट है। इस सेट के अंतर्गत विविध विषयों पर रोचक उपन्यास प्रकाशित हो रहे हैं।
        प्रिटिंग के क्षेत्र में fly dreams कि एक अलग और सार्थक पहचान है।

16. अलबेला- अरविन्द सिह नेगी
             उपन्यास के आवरण पृष्ठ से आभास होता है यह उपन्यास पाठकों को एक मनोरंजन दुनियां में ले जाने में सक्षम है।
                  
17. खौफ-     देवेन्द्र प्रसाद
                 फरवरी माह हाॅरर पाठकों के लिए जबरदस्त रहने वाला है। देवेन्द्र प्रसाद का उपन्यास 'खौफ...कदमों की आहट' पाठकों के दिल पर दस्तक देने आ रहा है।
                      

18.  रिश्तों की छतरी - मनमोहन भाटिया
               शीर्षक से जैसे आभास होता है यह एक सामाजिक विषयों पर आधारित है।

19.  तिलिस्मी खजाना- नृपेन्द्र शर्मा
              तिलस्मी विषय पर एक लंबे समय पश्चात एक अच्छा उपन्यास शायद पाठकों को पढने को मिलेगा।

      Fly Dreams के उपन्यासों का लिंक
Fly Dreams

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साहित्य देश ब्लॉग
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सोनु पण्डित

सोनु पण्डित एक घोस्ट लेखिका है। सोनु पण्डित के उपन्यास वेदप्रकाश शर्मा जी के प्रकाशन तुलसी पैपरबुक्स से प्रकाशित हुये थे।
    ‌‌‌       सोनु पण्डित के उपन्यास
1. शंगुफा (यह उपन्यास योगेश मित्तल जी द्वारा लिखा गया है)

बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

केसर पण्डित

केशर पण्डित एक घोस्ट लेखन का कमाल है। केशर पण्डित के उपन्यास शिवा पॉकेट बुक्स- मेरठ से प्रकाशित होते थे।

केेसर पण्डित के उपन्यास क्रम
1. खुले आम, कत्ले आम
2. आखिरी हथियार
3. नई पहेली
4. कातिल की दूसरी शादी
5. केशव पण्डित मौत के चक्रव्यूह में
6. केशव पण्डित और वहशी दरिंदा
7. केशव पण्डित और सिहंगी का बेटा
8. केशव पण्डित और सबसे बड़ा खिलाड़ी
9. केशव पण्डित और महाप्रलय
10. केशव पण्डित ललकारे शैतान को
11. केशव पण्डित और बिजली का बेटा
12. केशव पण्डित और वतन का प्रतिशोध
13.
14.
15.


मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार-11,12

आइये, आपकी पुरानी किताबी दुनिया से पहचान करायें - 11
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गुप्ता जी ने जब यह कहा कि उन्होंने स्क्रिप्ट पढ़ी है तो तत्काल ही मैंने पूछा - "कैसी लगी ?"
"ठीक है...!" गुप्ता जी ने ढीले-ढाले अन्दाज़ में कहा !
तभी वहाँ भारती साहब भी आ गये।  पर आज वह अकेले थे !
उन्होंने भी मुझसे हाथ मिलाया। भारती साहब से उस समय हाथ मिलाकर मैंने स्वयं को कितना गर्वित महसूस किया, बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
मैंने लकड़ी की कुर्सी भारती साहब के लिए छोड़ दी और खुद एक फोल्डिंग चेयर बिछाकर उस पर बैठ गया।

"अभी आया है ?" भारती साहब ने मेरी ओर देखते हुए पूछा !
"हाँ, बस कुछ ही देर हुई है।" -मैंने कहा।
"सुस्त लग रहा है ?"
"नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं।"
"चाय पी ?" भारती साहब ने मुझसे पूछा !
जवाब गुप्ता जी ने दिया -"मैं अभी मंगाने वाला था !"
"मंगाने वाला था, क्या होता है, आर्डर कर !" 
"पंडित जी !" गुप्ता जी ने आवाज़ दी !

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार-09,10

योगेश मित्तल जी के संस्मरण
आइये, आपकी पुरानी किताबी दुनिया से पहचान करायें - 9
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आज सोचता हूँ - मेरी वो खिंचाई अस्वाभाविक नहीं थी ! मेरे सामने कोई अजूबा आ जाये तो उसकी हकीकत जानने के लिए मैं भी कुछ तो शगूफे छेड़ूँगा ही !

"माशूका नहीं समझे ! माशूका उर्दू का शब्द है, इसका मतलब है प्रेमिका !” जब वालिया साहब ने मुझसे कहा और हठात ही मेरे मुंह से निकल गया था - "मालूम है !”

तब इससे पहले की कोई और कोई भी प्रतिक्रिया देता, शुरु से खामोश बैठे गुप्ता जी (लालाराम गुप्ता) ने अब पहली बार मुँह खोला, बोले -"योगेश जी को सब पता है, इन्हें आप सब बच्चा मत समझिये !" और इसी के साथ उन्होंने दराज में रखी "जगत की अरब यात्रा" की मेरी स्क्रिप्ट निकालकर राज भारती जी की ओर बढ़ा दी !

अब सोचता हूँ तो लगता है कि उस समय गुप्ता जी को अवश्य ही मुझ पर तरस आ गया होगा !

गुप्ता जी ने स्क्रिप्ट क्या बढ़ाई, माहौल में एकदम सन्नाटा छा गया ! सबकी नज़रें मेरी स्क्रिप्ट पर ठहर गई थीं !
तभी कहीं कोई कुण्डी खड़की थी ! 

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार-07,08

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार- भाग- 07

           इंसान जिद्द पर आ जाए तो क्या नहीं कर सकता ! पर जिद्द अच्छी बातों के लिए हो तो ठीक ही रहती हैं ! और तब तो एक आदत के अलावा मुझ में कोई बुरी आदत थी ही नहीं ! 

हाँ, बाद में बुरी आदतें भी सीखीं, पर बहुत धीरे-धीरे ! उनका जिक्र भी समय आने पर करूंगा ! 
अगर आप नौजवान या किशोर ना कहें तो सीधे-सीधे शब्दों में कह सकते हैं कि उन दिनों मैं बहुत आदर्शवादी बच्चा था, बस एक बुरी आदत थी मुझ में ! तब मैं बहुत गुस्सैल था ! आज जो लोग मुझे जानते हैं, यकीन ही नहीं करते कि कभी मुझे गुस्सा भी आता रहा होगा !  

जब गुप्ता जी ने कहा -  “उपन्यास दस दिन में पूरा करना होगा, लेकिन कम्पलीट करने से पहले आप अगले संडे को यहां आइये, तब तक जितना भी मैटर लिखा हो साथ ले आइयेगा !" 

 तब मैंने सोचा – ‘अब उठने का वक्त हो गया है !’ 
वैसे भी मेरी नज़र में अब कोई बात बाकी रह ही नहीं गयी थी ! मैं उठ खड़ा हुआ ! 
गुप्ता जी ने फ़ौरन टोक दिया -"अरे-अरे, आप तो एकदम खड़े हो गए ! अभी हमने आपको जाने की इज़ाज़त कहाँ दी है !" 

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मेरठ उपन्यास यात्रा-01

 लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...