मेरी कोशिश है कि मैं पाठकों के लिये मौलिक और बेहतरीन लिखूं -अजिंक्य शर्मा
साक्षात्कार शृंखला-04
साहित्य देश ब्लॉग के साक्षात्कार स्तम्भ के अन्तर्गत लोकप्रिय जासूसी साहित्य की श्रेणी में छतीसगढ के युवा उपन्यासकार अजिक्य शर्मा जी का साक्षात्कार प्रस्तुत है।
अजिंक्य शर्मा जी का मूल नाम ब्रजेश शर्मा है और इनके अब तक तीन उपन्यास क्रमशः 'मौत अब दूर नहीं', 'पार्टी स्टार्टेड नाओ' और 'काला साया' किंडल पर प्रकाशित हो चुके हैं। इनके उपन्यास शीघ्र ही हाॅर्डकाॅपी के रूप में पाठकों को उपलब्ध होंगे।
अपने तीन उपन्यासों के दम पर इन्होंने पाठकवर्ग में एक विशेष स्थान प्राप्त कर लिया है।
1. सबसे पहले आप अपना परिचय दीजिएगा।
- मेरा नाम ब्रजेश कुमार शर्मा है। वर्तमान में मैंने अजिंक्य शर्मा के पैन नेम से उपन्यास लिखना आरम्भ किया है और मुझे कहते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है कि मेरे इस प्रयास को पाठकों की भरपूर सराहना भी मिल रही है। मैं छतीसगढ़ के महासमुन्द नामक एक छोटे से नगर में रहता हूं और वर्तमान में यहां के एक प्रतिष्ठित साप्ताहिक समाचार पत्र में कार्यरत हूं। उपन्यास लेखन मैंने एक शौक के रूप में आरम्भ किया लेकिन मुझे अंदाजा नहीं था कि पाठकों का इतना प्यार और विश्वास मिलेगा। पाठकों के इसी प्यार और विश्वास से प्रेरित होकर मैं आगे भी और भी अच्छा लिखने का प्रयास करूंगा।
2. आपने अपने वास्तविक नाम 'ब्रजेश शर्मा' के स्थान पर पैन नेम 'अजिंक्य शर्मा' के नाम से क्यों लिखना पसन्द किया?
- ये प्रश्न मुझसे मेरे सभी मित्र एवं पाठकगण पूछते हैं। दरअसल पैन नेम के रूप में दूसरे नाम से लिखने का कारण ये है कि मेरी दिलचस्पी विभिन्न विधाओं में लिखने की है। जासूसी थ्रिलर तो लिख ही रहा हूँ लेकिन साइंस फिक्शन में भी मेरी गहन रुचि है। हिन्दी में साइंस फिक्शन उतने लोकप्रिय भी नहीं हैं तो सम्भवतः इंग्लिश में लिखूं। इसी विचार से मैंने 'अजिंक्य शर्मा' के पैन नेम से लिखना शुरू किया। साइंस फिक्शन ब्रजेश कुमार शर्मा के नाम से ही आएगा लेकिन उसमें अभी काफी समय है। वैसे भी पाठकों की ही राय के अनुसार मेरा पैन नेम ही काफी पसन्द किया जा रहा है। इस स्नेह के लिये मैं सभी पाठकों का तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं।
3. उपन्यास लेखक की तरफ झुकाव कैसे हुआ?
- इस बारे में मैंने अपने पहले उपन्यास 'मौत अब दूर नहीं' के लेखकीय में थोड़ी चर्चा की थी। दरअसल मैं बचपन से ही उपन्यास पढ़ने में मेरी काफी रुचि रही है और इस रुचि के कारण ही मैं कब लेखन की ओर आकृष्ट हो गया, इसका पता ही नहीं चला। अब माँ सरस्वती की कृपा से हिंदी लोकप्रिय साहित्य की सेवा करने का अवसर मिला है तो मैं अपनी पूरी क्षमता से इस कार्य में जुट गया हूं। पाठकों का भरपूर प्यार और प्रोत्साहन तो मिल ही रहा है। एक लेखक को और क्या चाहिये?
4. आपके अब तक तीन उपन्यास आये हैं और सभी में साइको पात्र हैं, इसकी कोई वजह?
साहित्य देश ब्लॉग के साक्षात्कार स्तम्भ के अन्तर्गत लोकप्रिय जासूसी साहित्य की श्रेणी में छतीसगढ के युवा उपन्यासकार अजिक्य शर्मा जी का साक्षात्कार प्रस्तुत है।
अजिंक्य शर्मा जी का मूल नाम ब्रजेश शर्मा है और इनके अब तक तीन उपन्यास क्रमशः 'मौत अब दूर नहीं', 'पार्टी स्टार्टेड नाओ' और 'काला साया' किंडल पर प्रकाशित हो चुके हैं। इनके उपन्यास शीघ्र ही हाॅर्डकाॅपी के रूप में पाठकों को उपलब्ध होंगे।
अपने तीन उपन्यासों के दम पर इन्होंने पाठकवर्ग में एक विशेष स्थान प्राप्त कर लिया है।
अजिंक्य शर्मा |
- मेरा नाम ब्रजेश कुमार शर्मा है। वर्तमान में मैंने अजिंक्य शर्मा के पैन नेम से उपन्यास लिखना आरम्भ किया है और मुझे कहते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है कि मेरे इस प्रयास को पाठकों की भरपूर सराहना भी मिल रही है। मैं छतीसगढ़ के महासमुन्द नामक एक छोटे से नगर में रहता हूं और वर्तमान में यहां के एक प्रतिष्ठित साप्ताहिक समाचार पत्र में कार्यरत हूं। उपन्यास लेखन मैंने एक शौक के रूप में आरम्भ किया लेकिन मुझे अंदाजा नहीं था कि पाठकों का इतना प्यार और विश्वास मिलेगा। पाठकों के इसी प्यार और विश्वास से प्रेरित होकर मैं आगे भी और भी अच्छा लिखने का प्रयास करूंगा।
2. आपने अपने वास्तविक नाम 'ब्रजेश शर्मा' के स्थान पर पैन नेम 'अजिंक्य शर्मा' के नाम से क्यों लिखना पसन्द किया?
- ये प्रश्न मुझसे मेरे सभी मित्र एवं पाठकगण पूछते हैं। दरअसल पैन नेम के रूप में दूसरे नाम से लिखने का कारण ये है कि मेरी दिलचस्पी विभिन्न विधाओं में लिखने की है। जासूसी थ्रिलर तो लिख ही रहा हूँ लेकिन साइंस फिक्शन में भी मेरी गहन रुचि है। हिन्दी में साइंस फिक्शन उतने लोकप्रिय भी नहीं हैं तो सम्भवतः इंग्लिश में लिखूं। इसी विचार से मैंने 'अजिंक्य शर्मा' के पैन नेम से लिखना शुरू किया। साइंस फिक्शन ब्रजेश कुमार शर्मा के नाम से ही आएगा लेकिन उसमें अभी काफी समय है। वैसे भी पाठकों की ही राय के अनुसार मेरा पैन नेम ही काफी पसन्द किया जा रहा है। इस स्नेह के लिये मैं सभी पाठकों का तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं।
3. उपन्यास लेखक की तरफ झुकाव कैसे हुआ?
- इस बारे में मैंने अपने पहले उपन्यास 'मौत अब दूर नहीं' के लेखकीय में थोड़ी चर्चा की थी। दरअसल मैं बचपन से ही उपन्यास पढ़ने में मेरी काफी रुचि रही है और इस रुचि के कारण ही मैं कब लेखन की ओर आकृष्ट हो गया, इसका पता ही नहीं चला। अब माँ सरस्वती की कृपा से हिंदी लोकप्रिय साहित्य की सेवा करने का अवसर मिला है तो मैं अपनी पूरी क्षमता से इस कार्य में जुट गया हूं। पाठकों का भरपूर प्यार और प्रोत्साहन तो मिल ही रहा है। एक लेखक को और क्या चाहिये?
4. आपके अब तक तीन उपन्यास आये हैं और सभी में साइको पात्र हैं, इसकी कोई वजह?