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गुरुवार, 24 अगस्त 2023

खाली आंचल- सुरेश चौधरी, उपन्यास समीक्षा

उपन्यास - खाली आँचल
लेखक -   सुरेश चौधरी, 
उपन्यास समीक्षा- सूरज शुक्ला

हा विधाता! क्यों दिए कोमल हृदय, 
हर जरा सी बात पर होता सदय, 
सह न जाता, यह कठिनतम ताप है!
सच कहूँ, संवेदना अभिशाप है। 
- सूरज 
पर...वह जरा सी बात न थी... 
आकाश को आकाश भर दुख मिले, धोखे मिले, दर्द मिला, और यह सब उन्होंने दिया जो उसके अपने लगते थे, जिनके लिए उसने अपने सुख, अपनी खुशियां , अपनी सारी कामनायें त्याग दी। 
कहते हैं, प्यार में आदमी अंधा हो जाता है, आकाश भी हुआ पर उसके अंतर्मन में वह अंतर्दृष्टि मौजूद थी, जिससे वह सही-गलत का आकलन कर सकता था, उसने किया भी और हमेशा करता रहा और यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुई।


एक बार‘विम्मी’ दी ने मुझसे कहा था, ‘भाई, कोई सही या गलत नहीं होता है, सब परिस्थितियों का खेल है, जो आज सही है, वह कल गलत लगेगा और जो आज गलत है वह कल सही लगेगा’ और सच कहूँ तो लगभग यही आकाश के साथ हुआ। 

गुरुवार, 10 अगस्त 2023

क्राइम एक्सपर्ट- राकेश पाठक, उपन्यास अंश

साहित्य देश के उपन्यास अंश में इस बार पढें लोकप्रिय साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार राकेश पाठक जी के चर्चित उपन्यास 'क्राइम एक्सपर्ट' उपन्यास का एक अंश।
फोन की घण्टी बजने पर स्टाफ के साथ जश्न मना रहे इन्सपेक्टर मुकेश तिवारी ने रिसीवर उठाया तथा कान से लगाकर बोला- “हैलो, कौन ?"
"कांग्रेचुलेशन, मिस्टर तिवारी ।" दूसरी तरफ से मानो कोई गहरे कुंयें से बोल रहा था-"तुमने बहुत बड़ा कारनामा कर दिखलाया है।"
“हां, कारनामा तो किया ही है मैंने।”- मुकेश तिवारी सीने पर लगे सोने के तमगे को सहला कर बोला, "रिंगो को खत्म कर दिया है मैंने। वो साला कानून और पुलिस डिपार्टमैंट के लिये सिरदर्द और चैलेंज बना हुआ था। तभी तो सरकार ने उस पर पूरे एक करोड़ रुपये का इनाम रखा था। लेकिन तुम कौन हो ?"


“रिंगो।"
“क्या बकते हो ? पुलिस वाले से ही मजाक ? रिंगो को तो मैंने मार दिया।"
"रिंगो के पंच तत्वों से बने शरीर को ही ना, उसकी आत्मा को तो नहीं ना ?” - मानो कोई जख्मी नाग ही फुफंकारा हो, “थोड़ा-सा चूक गया मैं और तेरी गोलियों का शिकार हो गया। वरना तेरे जैसे पुलिस वाले मेरी जेबों में पड़े रहते थे। ओवर कॉन्फीडेन्स का शिकार हो गया था मैं। खरगोश और कछुवे वाली बात ही हो गई। खरगोश ने सोचा कि कछुआ तो शाम तक भी विनिंग स्पॉट पर नहीं पहुंच पायेगा, और वो सो गया। जब नींद टूटी तो कछुआ रेस जीत चुका था। मैं आत्मा हूँ 'रिंगो की आत्मा' ।"

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