उपन्यास - खाली आँचल
लेखक - सुरेश चौधरी,
लेखक - सुरेश चौधरी,
उपन्यास समीक्षा- सूरज शुक्ला
हा विधाता! क्यों दिए कोमल हृदय,
हर जरा सी बात पर होता सदय,
सह न जाता, यह कठिनतम ताप है!
सच कहूँ, संवेदना अभिशाप है।
- सूरज
पर...वह जरा सी बात न थी...
आकाश को आकाश भर दुख मिले, धोखे मिले, दर्द मिला, और यह सब उन्होंने दिया जो उसके अपने लगते थे, जिनके लिए उसने अपने सुख, अपनी खुशियां , अपनी सारी कामनायें त्याग दी।
कहते हैं, प्यार में आदमी अंधा हो जाता है, आकाश भी हुआ पर उसके अंतर्मन में वह अंतर्दृष्टि मौजूद थी, जिससे वह सही-गलत का आकलन कर सकता था, उसने किया भी और हमेशा करता रहा और यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुई।
एक बार‘विम्मी’ दी ने मुझसे कहा था, ‘भाई, कोई सही या गलत नहीं होता है, सब परिस्थितियों का खेल है, जो आज सही है, वह कल गलत लगेगा और जो आज गलत है वह कल सही लगेगा’ और सच कहूँ तो लगभग यही आकाश के साथ हुआ।