अर्जुन पण्डित मनोज पॉकेट बुक्स के लेखक थे।
1. केशव पण्डित की सुपारी
2. एक और केशव पण्डित
3. मर गया केशव पण्डित
4. केशव पण्डित और शैतान का बाप
5. केशव पण्डित और कफन तेरे बेटे का
6. केशव का इंसाफ
7. कानून का जाल
8. आज का शैतान
10.
राकेश पाठक
अपनी कलम से सनसनी लिखने वाले राकेश पाठक जी का उपन्यास जगत में एक अलग ही मुकाम था। इनके उपन्यासों में रहस्य और रोमांच का अद्भुत संगम होता था।
'अब क्या होगा', 'क्राइम स्कूल' जैसे अद्भुत उपन्यास राकेश पाठन जी की प्रतिभा का ही चमत्कार है। हालांकि बाद के उपन्यास इनके हिंसा से भरे होते थे। लेकिन पात्रों के संवाद हाहाकारी लिखने में पाठक जी का कोई सानी न था।
हिंसक उपन्यास का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है की पाठक जी के एक पात्र अमरकांत का नाम ही 'कत्ल की मशीन' था।
राकेश पाठक जी के आरम्भिक उपन्यासों के बाद सभी उपन्यास गौरी पॉकेट बुक्स मेरठ से ही प्रकाशित होते थे।
राकेश पाठक जी के उपन्यास (गौरी पॉकेट बुक्स से प्रकाशित)
संपर्क-
राकेश पाठक
544, गणेशपुरी, खतौली,
जिला. -मुज्जफरनगर
उत्तर प्रदेश- 2512001
वेदप्रकाश कंबोज जी के उपन्यास
।।।।।।।।।।।
A.
1. आतंक के बीज
2. अपराध की छाया
3. आखिरी बाजी
4. आखिरी मुजरिम
5. अंधे कातिल
6. अपराधों का बादशाह
7. आग की दीवार
8. अज्ञात अपराधी
9. असली युवराज
10. असली दुशमन
11. अंधेरे की चोट
12. आत्मा की आहट
13. अत्याचार के अँधेरे (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
B.
1. बौना बदमाश
2. भयानक बदला
3.भय के क्षण
4. भयानक चीखें
5.
6.
7.
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
C.
1. दहशत की घाटी
2
D.
1. धङकन मौत की (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
2
1. फाॅरेस्ट आॅफिसर
G.
1. गद्दार
2. गुमशुदा जासूस (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
H.
1. हीरों की खोज
2. हत्यारे की खोज
3. हत्या के हथकण्डे (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
4. हिंसा की ज्वाला (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
I.
1. इंसाफ का जनाजा
J.
1. जुर्म की हुकूमत (शिवा पॉकेट बुक्स)
2. जासूसों का जाल
3. जुर्म की जुबान
4. झूलती मौत
1. खून खराबा
2. कानून मेरी ठोकर में
3. खूनी जंग
4. काला तूफान
5. कातिल
6. खून से लिखा खत
7
1. लहरों पर लिखा विनाश
M.
1. मदभरी हत्या
2. मौत की आत्मकथा
3. मूर्ति की चीख
4. मौत का साम्राज्य
5.
N.
1. निर्जीव अट्हास
2. नाइट ड्रेगन (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
O.
1. और दिलदार मर गया
P.
1. पासे पलट गये
2. रात का कातिल
R.
1. रेलगाङी का भूत
2. रहस्यमयी आवाज (भाग-1,2)
3. रेत की कबरें
4. रात के कातिल
5
S.
1. सिहंगी की वापसी
2. सिहंगी का प्रतिशोध
3. सिंगलैण्ड की खोज
4. सिहंगी का अंत (भाग-1,2,3)
5. सारगोशा की सनसनी
6. संघर्ष के क्षण
7. शैतान संपोले
8. सागर का बेटा
9. साहस के कदम
10. शिकारगाह का रहस्य
11. शस्त्रों के सौदागर
12. षड्यंत्र की गंध. (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
13. शिकारी कुत्ते (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
14. सिहंगी का जाल
15. सागर में सोना (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
16. सात सितारे मौत के (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
17. शैतानी त्रिगुट के दुश्मन (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
18.
19.
20.
T.
1. तोरा नागा
U.
1. उलझनों का शिकार
V.
1. विद्रोह की आग
2. विध्वंस के उपासक (डायमण्ड पॉकेट बुक्स)
W.
X.
Y.
Z.
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धन्यवाद
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वेदप्रकाश कंबोज के उपन्यास
1. और दिलदार मर गया
2. गुमशुदा जासूस
3. धङकन मौत की
4. सारगोसा की सनसनी
5. नकली हीरे जाली नोट
6. जहर के पुलते
7. हिंसा की ज्वाला
8. कदम-कदम पर धोखा
9. फाॅरेस्ट ऑफिसर
10. शिकारी कुत्ते
11.
12.
14.
14.
15.
अमित खान के उपन्यास
कमाण्डर करन सक्सेना सीरीज
1. तिलक रोङ का भूत(प्रथम उपन्यास)
2. दो डकैत
3. जान खतरे में
4. मौत की कुर्सी
5. खतरनाक आदमी
6. मुट्ठी में बदं मौत
7. गैंडास्वामी का आतंक
8. एक चिट्ठी खून भरी
9. मिस्टर जीरो
10. चौकी नंबर तीन
11. गोली करेगी फैसला
12. आगे खतरा, पीछे मौत
13. हत्यारे का चैलेंज
14. लाल कफन
15. गन मास्टर
16. भेदिया
17. कत्ल होगा सरेआम
18. चक्रा का चक्रव्यूह
19. जलता शहर
20. हाहाकार
21. कैदी
22. डण्डा परेड
23. एक डकैती ऐसी भी
24. एक नंबर का जल्लाद
25. हमलावर
26. सात दिन का अभियान
27. गद्दार
28. कमाण्डर
29. दोहरी चाल
30. मुर्दाघर
31. बम काण्ड
32. मेरे हाथ, मेरे हथियार
33. बारूद का बेटा
34. दस टन सोना
35. मौत के मुँह में
36. आखिरी गोली
37. हिटलर का खजाना
38. आतंकवादी
39. हेराफेरी
40. सात तालों में बंद मौत
41. एक वैज्ञानिक की तलाश
42. कौन जीता, कौन हारा
43. एक गोली, एक निशान
44. पासे पलट गये
45. रॉयल पैलेस
46. सांप-सीढी का खेल
47. नाकाब के पीछे
48. बाज बिग्रेड
49. एक चोट लौहार की
50. झांसेबाज
51. प्लानर
52. मरियम का बेटा
53. वन मैन आर्मी
54. सांप का बिल
55. नौ इंच का आदमी
56. एक अजनबी लङकी
57. रावणलीला
58. प्राइम मिनिस्टर का मर्डर (धीरज पॉकेट बुक्स)
59. किस्मत का सुल्तान
60.
शीतल राजपूत सीरीज
61. घायल शेरनी
62. निशाना निगाहों का
63. परकटा पंक्षी
64. मौत का जहाज
65. पुरानी बीवी नया प्यार
थ्रिलर
66. चकमें पर चकमा
67. बिच्छू का खेल
68. बाॅस
69. हादसे की रात
70. फंस जाओ मेरे लिए
71. तुम मरोगी मेरे हांथों
72. गरम छुरी
73. नाइट क्लब
74. मैडम नताशा का प्रेमी
75. साथ जियेंगे, साथ मरेंगे
76. करिश्मा हाथों का
77. औरत मेरी दुश्मन
78. तीन मुकदमें
79. मोहब्बत एक गुनाह
80. मेरा प्रेमी कातिल नहीं
81. जुआरी
82.
83.
84.
85.
लेखक संपर्क
अमित खान
D-603, स्काई पार्क
अजीत ग्लास गार्डन के नजदीक,
आॅफ एस. वी. रोङ, गोरेगाँव(वेस्ट)
मुंबई-40040
Mob- 9821163955(only Sunday)
Email- for am it khan I gmail.com
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वेद प्रकाश कांबोज की रहस्य रोमांच से भरी दुनिया :
जासूसी नावलों का अद्भुत संसार (भाग-1)
दिनाक -09.5.18
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वेद प्रकाश काम्बोज जी का नाम रोमांचक जासूसी उपन्यासों की दुनिया मे परिचय का मुहताज नहीं है एक समय था कि मार्केट मे इब्ने सफ़ी सूरज की तरह से प्रतिष्ठित लेखक थे।
उनके उपन्यास 1950 से 60 के दशक मे इतने पापुलर थे कि हर छोटा या बड़ा दुकानदार, बस का या रेल का यात्री, काम वाली ग्रहणी इनके हाथ मे, जासूसी दुनिया नॉवेल, धर्मयुग, या मनोहर कहानियाँ, जैसी कोई ना कोई पत्रिका को देखा जा सकता था । गर्मी की दोपहर हो या रात, मकान की छत पर भोजन के बाद जलते लालटेन या पेट्रोमेक्स के उजाले मे बजते रेडियो के साथ लोग इन्हीं मेगज़ीन या नोवेल्स मे समय गुजारते देखे जाते थे।
तभी अचानक जैसे सूरज पर बदली छा जाए, सफ़ी साहब काफी ज्यादा बीमार हो गए, और उसके बाद वो लगभग दो साल बाद मार्केट मे वापस अपनी उपस्थिती दर्ज करवा पाये, तब तक उनके किरदारों पर लिखने वाले नए लेखकों का पदार्पण मार्केट मे होना शुरू हो चुका था, विनोद हमीद का एडिक्शन इतना जबर्दस्त था कि पाठक उन नए लेखकों को भी पढ़ने लगे।
सन् 1958 से 16-17 वर्ष की अल्प आयु मे काम्बोज साहब ने अपने शुरुआती लेखन मे सेल्फ नरेटिंग स्टाइल मे कुछ उपन्यास लिखे, फिर इनहोने जो विजय रघुनाथ सीरीज लिखी, तो क्या आदमी क्या औरतें सभी इनकी कलम के दीवाने बन गए, धीरे धीरे कुछ 4 नोवेल्स के बाद शोहरत ने इनका दामन मजबूती से जो थामा है तो फिर उन्हें मुड़ कर ....पीछे देखने की जरूरत नहीं पड़ी, हिंदुस्तान के पाठकों मे सफ़ी साहब के पापुलर किरदार थे कर्नल विनोद और कैप्टेन हमीद ,मगर पड़ोसी देश और उर्दू के पढ़ने वालों मे ज्यादा मशहूर हुआ चरित्र इमरान था, यहाँ भारत मे भी उसे राजेश के रूप मे पसंद किया गया मगर डिमांड विनोद -हमीद की ज्यादा थी और इन पात्रों ने उर्दू लेखक एन. सफ़ी और एच॰ इकबाल और जनाब आबिद रिजवी साहब को भी काफी जगह दिलवा दी और भी कई नये लेखक आए ऊनका
जिक्र मैं एक अलग ब्लॉग मे करूंगा। उन दिनों देश के प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी भी, सफ़ी साहब के जबर्दस्त फ़ैन थे उन्होने भी डेढ़ मतवाले (हिन्दी नाम हम्बग दी ग्रेट )जो इब्ने सफ़ी जी ने Schizophrenia नामक बीमारी से ठीक होने के बाद लिखा था को मँगवा कर पढ़ा था। कहते हैं कि, रिलीज वाले दिन लोगों ने कतार मे लग कर नॉवेल लिया था जिसकी shortage हो जाने से वो दोबारा प्रकाशित हुआ था।
हिन्दी जासूसी दुनिया मे अनुवादक प्रेम प्रकाश ने सफ़ी साहब के किरदारों के नए नाम रख दिये थे , इमरान हो गए राजेश। राजेश से प्रेरित हो कर काम्बोज जी ने अपने चरित्र का नाम रखा था, विजय । लेकिन दोनों मे काफी अंतर था जो कालांतर मे बढ़ता ही चला गया, पुलिस का कप्तान फ़ैयाज़ जो हिन्दी जासूसी दुनिया मे कैप्टेन मलखान कहलाया, वो काम्बोज साहब के उपन्यासों मे सुपर रघुनाथ हो गया, पढ़ने वाले बाखूबी जानते हैं कि मानस पुत्र पर पूरी छाप उसके रचयिता की होती है, ये भी फ़ैयाज़ या मलखान से काफी जुदा चरित्र स्थापित हुआ, सीक्रेट सर्विस के चीफ विजय जो अपनी हकीकत छुपाये रखते थे और खुद को मूर्ख पोज करके दूसरों को मूर्ख बना कर अपना मकसद हल कर लेते थे, इस तरह का चरित्र कई लेखकों ने अड़ोप्ट किया मगर मकबूलियत कांबोज साहब को ही मिली, उन्होने इस चरित्र को कमाल का तराशा।
कांबोज साहब ने विजय के सहायक का नाम ब्लैक ब्वाय रखा था जो बाकी सब सदस्यों के सामने काला नकाब डाल कर आता था और सीक्रेट सर्विस के चीफ का रोल प्ले करता था, वैसे ही जैसे उर्दू जासूसी दुनिया मे सफ़ी साहब का स्मार्ट मगर खुद को बेवकूफ दिखा कर बड़ी अय्यारी से काम करने वाला इमरान हकीकत मे सीक्रेट सर्विस का नकाबपोश चीफ एक्स टू होता था जिसे अनुवादक प्रेम प्रकाश द्वारा पवन का नाम दे दिया गया था राजेश की गैर मौजूदगी मे पवन का रोल उसका कभी भी सामने ना आने वाला सहायक फाइव टू करता था।
..... सिलसिला जारी रहेगा कड़ी 2- मे कृपया इंतेजार कीजिये और अपनी जानकारी कमेंट्स के जरिये शेयर करिए ।। बा कलम
लेखक- Balwinder Singh
विश्व मोहन विराग झारखण्ड के निवासी हैं और साहित्य क्षेत्र में सक्रिय हैं। वर्तमान में विराग साहब फिल्म निर्माण और लेखन में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
उपन्यास क्षेत्र में ज्यादा समय सक्रिय नहीं रहे। प्राप्त जानकारी के अनुसार इनके उपन्यास रजत पॉकेट बुक्स- मेरठ से प्रकाशित हुये थे।
विश्व मोहन विराग के उपन्यास
1. मरघट
2. सौ करोङ डाॅलर के हीरे
3. आये नहीं सजना(अप्रकाशित)
संपर्क
विश्व मोहन विराग
(लेखक, निर्देशक,गीतकार)
विद्यापुरी,
झुमरीतिलैया(कोडरमा)
झारखण्ड
नाम- अजय कुमार
माता- दुर्गा देवी
पिता नाम- बिरेन्द्र सिंह( birendra Singh
शिक्षा- MSC in applied mathematics
जन्म दिनांक- 29.07.1982
संपर्क नंबर- 98551916207
इमेल- 27@gmail.com (o alphabet)
प्रथम उपन्यास/किताब- कौओं का हमला
कुल किताबों की लिस्ट-
वर्तमान कार्यक्षेत्र- टीवी क्षेत्र में धारावाहिक लेखन।
- CID, आहट, क्राइम पेट्रोल, अगले जन्म मोहे बिटिया हि कीजो ्
लगभग दस वर्ष की खामोशी के पश्चात गजाला अपने उपन्यास के साथ लौट रही है।
उपन्यास नाम- iam Back
प्रकाशन- 3 मई 2018
फाॅरमेट- इ बुक
प्रकाशक- प्राची डिजीटल पब्लिकेशन- मेरठ
बुक्स प्राप्ति के लिए यहाँ क्लिक करें- iam Back- playstor
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...