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गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

नये उपन्यास 2020

अंबर राजु

 नाम- अम्बर राजु

मूल नाम- हादी हसन

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में Ghost लेखन और उपनाम नाम का भी एक दौर रहा है।

  इस दौर में कुछ प्रतिभावान लेखक भी हुये जिन्हें स्वयं के नाम से कभी प्रकाशित होने का मौका न मिला लेकिन अन्य नाम और अपनी तस्वीर के साथ अवश्य प्रकाशित हुये। 

ऐसा ही एक नाम है अम्बर राजु। अम्बर राजु जी का वास्तविक नाम हादी हसन है लेकिन कभी इनका कोई उपन्यास वास्तविक नाम से प्रकाशित न हुआ। हां कुछ उपन्यासों पर इनकी तस्वीर अवश्य आयी पर लेखक की जगह कोई अन्य नाम प्रयुक्त हुआ। यां यू कहें की हादी हसन जी द्वितीय नाम अम्बर राजु जी के नाम से लेखन करते रहे।

अम्बर राजु के उपन्यास

1. सौतन बनी सुहागन (गंगा पॉकेट बुक्स)


शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

मेरे लेखन की शुरुआत- अनुराग कुमार जीनियस

मेरे लेखन जीवन की शुरुआत- अनुराग कुमार जीनियस
   साहित्य देश ब्लॉग हमेशा कुछ नया करने का प्रयास करता है। इसी क्रम में हमने लेखकों के प्रथम उपन्यास के संदर्भ में उनके रोचक वर्णन यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं। 
   इस स्तंभ के प्रथम चरण में पढें लोकप्रिय साहित्य के सितारे अनुराग कुमार जीनियस के अनुभव।


मुझे बचपन से ही पढ़ने का बेहद शौक रहा। घर पर उस समय खूब किताबें आती थी। किताबों का एक जमाना था। बच्चों की कहानियों की किताबों के साथ साथ उपन्यास भी खूब आते थे। चंपक, नंदन, बालहंस, मोगली की कहानी और ढेर सारी कॉमिक्स जिनमें लाल बुझक्कड़, नागराज, चाचा चौधरी आदि की संख्या ज्यादा होती थी। पत्रिकाओं में सरस सलिल, सरिता, हंस, इंडिया टूडे आदि पत्रिकाएं भी बहुत आती थी। उस समय मैंने बहुत सारे उपन्यासकारों को पढ़ा जिनमें प्रमुख थे वेद प्रकाश शर्मा जी, सुरेंद्र मोहन पाठक जी, रानू, अनिल मोहन जी, मनोज, रीमा भारती, दिनेश ठाकुर, परशुराम शर्मा जी, प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु, कमलेश्वर स्वयं प्रकाश आदि। वेद प्रकाश शर्मा सुरेंद्र मोहन पाठक अनिल मोहन जी से मैं बहुत ज्यादा प्रभावित रहा।
पढ़ने का सिलसिला यूं ही चलता रहा।
    कक्षा 9 में आते ही मुझे लगा कि मुझे भी कुछ लिखना चाहिए। क्योंकि उस समय नाॅवल ज्यादा पढ़ता था नॉवल से ही शुरुआत की। एक नाॅवल पढा, नॉवेल का नाम था बदला। पर शीघ्र ही मन उचट गया। कई बार कोशिश की पर उसे कभी पूरा नहीं कर पाया। कुछ दिनों बाद फिर से दिल में तरंग उठी लिखने की तो इस बार कहानी पर हाथ आजमाया और उसे पूरा भी किया। इसके बाद कई छोटी-बड़ी कहानियां लिखी। इंटर के बाद फिर से उपन्यास लिखने का ख्याल आया। इस बार मैंने पहले से ही तय कर लिया था कि नॉवेल पूरा जरूर करूंगा। और इस बार मैंने जो नॉवेल शुरू किया उसका नाम था अनोखा कातिल जिसे मैंने पूरा भी किया। फिर मन में एक विश्वास आ गया कि मैं नाॅवल पूरा लिख सकता हूँ। इसीलिए फिर मैं नॉवेल लिखने लगा और उसे पूरा भी करता था। 

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