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सोमवार, 9 नवंबर 2020

कर्नल सुधाकर

 नाम- कर्नल सुधाकर

एक और कर्नल नामक लेखक की जानकारी प्राप्त हुयी है। इनके उपन्यास साधना पॉकेट बुक्स, दिल्ली से प्रकाशित होते थे।


कर्नल सुधाकर के उपन्यास

1. ढाका विजय के चौदह दिन

महेन्द्र सिंह 'निर्मल'

 नाम - महेन्द्र सिंह निर्मल


मुझे लोकप्रिय साहित्य में लेखकों को खोजना बहुत रुचिकर लगता है। यह मेरी रुचि है और....और क्या कहूँ।

एक लेखक महोदय की जानकारी मिली वह है जिनका नाम है महेन्द्र सिंह 'निर्मल'

हालांकि उनके विषय में कोई विशेष जानकारी प्राप्त नहीं हुयी है।
महेन्द्र सिंह निर्मल के उपन्यास
1. नंगी हत्यायें (राजू पब्लिकेशन, कोलकाता)


कर्नल राणा

 नाम- कर्नल राणा

लोकप्रिय साहित्य में समय-समय पर कोई न कोई ट्रेड चलता रहता है। एक समय था जब उपन्यास साहित्य में कर्नल, कैप्टन, इंस्पेक्टर आदि नाम से लेखक बाजार में आये थे। जैसे कर्नल रंजीत, इंस्पेक्टर गिरीश, मेजर बलवंत आदि।
   इसी शृंखला में एक और नाम शामिल होता है वह है कर्नल राणा।
पुष्पी पॉकेट बुक्स इलाहाबाद की यह प्रस्तुति थी।

कर्नल राणा के उपन्यास
1. खूनी पत्र



मदन मोहन

 नाम- मदन मोहन

लोकप्रिय साहित्य की खोज में 

नित नये नाम मिल रहे हैं। इसी दौरान एक लेखक महोदय 'मदन मोहन' का नाम भी देखने को मिला है।
  मदन मोहन जी के विषय में वैसे तो कोई जानकारी नहीं प्राप्त हुयी जो भी जानकारी मिली उसका माध्यम उनका एक उपन्यास है।
मदन मोहन जी के उपन्यास
1. विश्व सम्राज्ञी फ्रैटांसिया (मंजरी प्रकाशन, मेरठ

शनिवार, 7 नवंबर 2020

डाॅ. रमेश चन्द्रा

नाम- डॉक्टर रमेश चन्द्रा
जन्म-
पता- ग्राम/पोस्ट- फतेहपुर तालरतोय
        मधुबन, जनपद-मऊ, उत्तर प्रदेश


लोकप्रिय उपन्यास साहित्य की सामाजिक उपन्यास धारा के अन्तर्गत एक लेखक का नाम शामिल होता है वह है डॉक्टर रमेश चन्द्रा। 


रमेश चन्द्रा के उपन्यास
1. मासूम कली (प्रथम उपन्यास)
2. अधूरा प्यार
प्रकाशक- शुभम पॉकेट बुक्स, मधुबन, उत्तर प्रदेश

रविवार, 1 नवंबर 2020

सुरेन्द्र मोहन पाठक बनाम मिर्जापुर -2

  वेब सीरीज मिर्जापुर-2 रिलीज के साथ एक विवाद में उलझ गयी। वह विवाद था आदरणीय सुरेन्द्र मोहन पाठक जी के उपन्यास 'धब्बा' के एक संवाद पर। 

   SMP बनाम मिर्जापुर-2 पर पढें #सहर जी का यह आर्टिकल

मिर्ज़ापुर 2 के स्क्रीनप्ले में ऐसी दसियों बाते हैं जो आपत्तिजनक हैं, ससुर बहु का हौलनाक रिश्ता, बिना मतलब की गालियां, लचर फिलर्स, धीमा होता कथानक या बेहद बचकाना क्लाइमेक्स; ऐसे कई पॉइंट्स हैं जिसको टेक्निकल समझ न रखने वाले भी ये ज़रूर कह सकते हैं कि ‘नहीं यार, मज़ा नहीं आया’
     इन सबसे इतर, एक आपत्ति ऐसी उठी है जो किताबों से दूरी रखने वाला न समझ पायेगा लेकिन वो ख़ामी इन सारे टेक्निकल लापरवाहियों पर भारी है।
Series के तीसरे एपिसोड में एक सीन है कि जब कुलभूषण खरबंदा नॉवेल पढ़ रहे हैं, voice-over चल रहा है “बलराज को अपनी चचेरी बहन अच्छी लगती थी... जब वो स्नान करने के लिए निवस्त्र हुई..“ ठीक इसी वक़्त रसिका दुग्गल उनके हाथ से नॉवेल छीन लेती हैं। इस नॉवेल का नाम धब्बा है और ये सुरेंद्र मोहन पाठक साहब के चर्चित पात्र सुनील series का नॉवेल है। तो इसमें आपत्ति क्या है? आपत्ति ये है कि voice-over में सुनाई कथा बिलकुल बेतुकी है, उस नॉवेल में ऐसा कुछ है ही नहीं।    
मिर्जापुर-2 का विवादास्पद  voice-over दृश्य
  

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