इलाहाबाद के मित्र प्रकाशन से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका मनोहर कहानियाँ अपने समय सर्वाधिक रोमांचक पत्रिका रही है।
सत्य और काल्पनिक कहानियों के संगम वाली इस पत्रिका को हर वर्ग के पाठकों ने चाहा, सराहा और पढा है।
इलाहाबाद के मुट्ठीगंज के 'मित्र प्रकाशन' से मनोहर कहानियाँ, सत्यकथा, माया जैसे चर्चित पत्रिकाएं प्रकाशित होती थी। इसके संस्थापक स्वर्गीय श्री क्षितिज मोहन मित्र थे।
मनोहर कहानियाँ पत्रिका का आरम्भ सन 1944 में हुआ था, तब इस पत्रिका में मात्र रहस्य-रोमांच कथाएं ही प्रकाशित होती थी। मित्र प्रकाशन ने सन् 1972 में 'सत्यकथा' नामक पत्रिका की शुरुआत की जिसमें सिर्फ सत्यकथाएं ही प्रकाशित होती थी। पाठकवर्ग ने सत्यकथा के साथ-साथ रहस्य-रोमांच को ज्यादा महत्व दिया। मित्र प्रकाशन ने सन् 1973 में मनोहर कहानियाँ पत्रिका में रहस्य- रोमांच के साथ-साथ सत्यकथाएं छापनी शुरु की।
सन् 2000 तक यह पत्रिका नियमित प्रकाशित होती रही लेकिन मित्र प्रकाशन की आंतरिक स्थितियां कुछ बदल गयी और मित्र प्रकाशन बंद हो गया।
बाद में 'डायमंड प्रकाशन दिल्ली' से इस पत्रिका का प्रकाशन हुआ, लेकिन वर्तमान में यह पत्रिका अपने तृतीय प्रकाशन 'दिल्ली प्रेस' के अंतर्गत प्रकाशित हो रही है।
अब इस पत्रिका में वह 'स्वाद' नहीं रहा, जिसके कारण इसे पाठकों को अत्यंत प्रयास मिल रहा है।
जिन पाठकों ने 90 के दशक में इसे पढा है उन्हें प्रमेन्द्र मित्र, कुमार मित्र, पुष्पक पुष्प, इंस्पेक्टर अहमद यार खान, इंस्पेक्टर नवाज खान, सुरजीत के अनुवाद, पुलिस की डायरी जैसे किस्से याद ही होंगे।
अब यह पत्रिका और इसकी यादें ही शेष हैं।
मनोहर कहानियाँ, मई 1999, आवरण पृष्ठ |