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सोमवार, 31 दिसंबर 2018
रविवार, 30 दिसंबर 2018
कुँवर नरेन्द्र सिंह
इनके उपन्यास भगवती पॉकेट बुक्स- आगरा से प्रकाशित होते रहे हैं।
1. खप्पर
2. अघोर पुत्र
3. डायन
4. रक्तकुण्ड
5. भैरवी
अरुण कुमार शर्मा
भारत में अगर हिंदी जासूसी साहित्य में 'तंत्र-मंत्र' विषय पर उपन्यास लेखक नाम मात्र के मिलेंगे।
तांत्रिक बहल, शैलेन्द्र तिवारी, कुँवर नरेन्द्र सिंह जैसे कुछ नाम ही सुनाई देते हैं। हालांकि वेदप्रकाश शर्मा, परशुराम शर्मा जैसे नामवर लेखकों ने 'तंत्र-मंत्र मिश्रित हाॅरर' उपन्यास लिखे हैं।
वाराणसी के एक लेखक है अरुण कुमार शर्मा जिन्होंने तंत्र-मंत्र विषय पर मनोरंजन उपन्यास लिखे हैं।
संपर्क -
आगम निगम सहवास
बी.-5/23, हरिश्चंद्र रोड़
वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
अरुण कुमार शर्मा के उपन्यास
1. नरबलि (भगवती पॉकेट बुक्स- आगरा)
इस विषय पर आपके विचारों का स्वागत है।
शनिवार, 29 दिसंबर 2018
जे. के. सागर
जे.के. सागर नामक उपन्यासकार का मूल नाम या इनके विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं ।
इनके उपन्यास स्टार पॉकेट बुक्स दिल्ली से प्रकाशित हुये थे।
जे.के. सागर के उपन्यास
1. आरजू
2. उजाला
तीर्थराम फिरोजपुरी
तीर्थराम फिरोजपुरी जासूसी उपन्यासकार थे।
इनके विषय में अभी तक कोई उल्लेखनीय जानकारी उपलब्ध नहीं।
1. तीन बजकर बीस मिनट
2. तहखाने का राज (अशोक पॉकेट बुक्स)
3. मौत के घेरे में (अशोक पॉकेट बुक्स)
4. शैतान पुजारी
5. क्रांतिकारी रमणी
6. नहले पर दहला
7. खजाने की तलाश
8. मौत के घेरे में
अनुराधा
अनुराधा के उपन्यास
1. ठोकर
2. अंधेरे- उजाले
3. जूही
शेखर
शेखर के उपन्यास
1. प्यासी आंखें
2. तलाश
3. अपराधी
4. पहला प्रेमी
5. जन्म कैद के बाद
6. प्यार एक पहेली
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कमाण्डर देव
कमाण्डर देव वास्तविक लेखक थे या Ghost writer यह तो कहना संभव नहीं, क्योंकि इनके विषय में अभी तक कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं।
कमाण्डर देव के उपन्यास 'आनंद पैपरबैक्स' से प्रकाशित होते थे।
कमाण्डर देव के उपन्यास
1. कैबरे डांसर की हत्या
2. फिल्मी हीरो की हत्या
3. क्रिकेट खिलाड़ी की हत्या
4. धमकी
प्रो. दिवाकर
विज्ञान जैसे कठिन विषय पर लिखना तो स्वयं में एक चुनौती है। विज्ञान विषय पर डाॅ. रमन और प्रो. दिवाकर के नाम से कुछ उपन्यास उपलब्ध होते हैं।
प्रो. दिवाकर के उपन्यास
1. अंतरिक्ष का हत्यारा
2. उड़न तश्तरी
3. दिमागों का अपहरण
4. समय के स्वामी
5. आकाश का लूटेरा
6. शुक्र ग्रह पर धावा
इस विषय पर किसी पाठक के पास कोई भी जानकारी हो तो अवश्य शेयर करें।
वीरेन्द्र कौशिक
वीरेन्द्र कौशिक एक सामाजिक उपन्यासकार थे।
वीरेन्द्र कौशिक के उपन्यास
1. प्यार का कर्ज
2. आग और सुहाग
मयंक
इनके विषय में अभी तक कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं। यह वास्तविक लेखक थे या Ghost writer यह अभी तक कन्फर्म नहीं।
मयंक के उपन्यास
1. राजन की तौबा
www.sahityadesh.blogspot.in |
मंगलवार, 25 दिसंबर 2018
कौशल पण्डित
कौशल पण्डित के उपन्यास
1. केशव पण्डित की प्रेतात्मा
2. केशव पण्डित का जलजला
3. केशव पण्डित का आतंक
4. केशव पण्डित की अदालत
5. गवाह के हत्यारे
रविवार, 16 दिसंबर 2018
जासूसी उपन्यासों के रोचक शीर्षक
नाम किसी भी प्राणी, वस्तु और स्थान के लिए आवश्यक है। नाम से ही पहचान होती है। कहने को कोई कहे की नाम महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन नाम के बिना पहचान भी मुश्किल हो जाती है।
नाम/ टाइटल या शीर्षक कुछ भी कह लो। जब अपने बात करते हैं जासूसी उपन्यास साहित्य की तो इस क्षेत्र में उपन्यासों के जो शीर्षक दिये गये वह बहुत रोचक रहे हैं। हालांकि हिंदी का गंभीर साहित्य भी इस क्षेत्र में पीछे नहीं है, लेकिन जासूसी उपन्यास साहित्य तो अपने रोचक और नये अजीबोगरीब शीर्षक के लिए प्रसिद्ध रहा है।
हिंदी गंभीर साहित्य में 'मुर्दों का टीला', 'बंद गली का आखिरी मकान', 'पहाड़ पर लालटेन' जैसे कुछ शीर्षक मिलेंगे।
जासूसी उपन्यास साहित्य में भी ऐसे असंख्य शीर्षक हैं जो काफी रोचक और दिलचस्प हैं। जैसे- अधूरा सुहाग, कुंवारी सुहागिन, मुर्दे की जान खतरे में, विधवा का पति, देखो और मार दो' जैसे अनेक अजब-गजब शीर्षक देखने को मिल जाते हैं।
इस विषय पर आबिद रिजवी जी कहते हैं- जासूसी उपन्यासों में शीर्षक की भी अपनी महती भूमिका हैं । छोटे शीर्षक कैरेक्टर से सम्बन्धित और बड़े व अटपटे शीर्षक कथानक की उत्सुकता साथ लिए होते हैं ।
कर्नल रंजीत के उपन्यासों की कहानियां जितनी रोचक होती थी वैसे रोचक उनके नाम भी होते थे। 'उङती मौत', 'खामोश! मौत आती है।'
कर्नल रंजीत का एक पात्र था मेजर बलवंत। कुछ समय बाद मेजर बलवंत के नाम से भी उपन्यास बाजार में आये। 'थाने में डकैती', 'लाश का प्रतिशोध' जैसे रोचक शीर्षक उनके कुछ उपन्यासों के देखने को मिलते हैं।
यह चर्चा वेदप्रकाश शर्मा जी के बिना तो अधूरी है, क्योंकि वेद जी अपने उपन्यासों के शीर्षक बहुत सोच समझकर रखते थे। क्योंकि सबसे पहले शीर्षक ही पाठक को प्रभावित करता है।
वेदप्रकाश शर्मा जी अपने उपन्यासों का शीर्षक बहुत गजब देते थे। उनका उपन्यास 'लल्लू' जब बाजार में आया तो शीर्षक कुछ अजीब सा लगा लेकिन इस उपन्यास की लोकप्रियता के बाद वेद जी ने कुछ ऐसे और शीर्षक से उपन्यास लिखे। जैसे 'पंगा', 'पैंतरा', 'शाकाहारी खंजर'। एक बहुत ही गजब शीर्षक था 'क्योंकि वो बीवियां बदलते थे'। जिस भी पाठक ने यह शीर्षक पढा उसकी एक बार इच्छा तो अवश्य हुयी होगी की यह उपन्यास पढे। सच भी है जितना रोचक यह शीर्षक था उतना रोचक यह उपन्यास भी था। अगर वेद जी 'क्योंकि वो बीवियां बदलते थे' लिखते हैं तो विनय प्रभाकर भी कम नहीं, वो 'चार बीवियों का पति' लिखते हैं।
'मर्डर मिस्ट्री' लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक जी ने अपने एक उपन्यास में लिखा है की वे किसी उपन्यास का शीर्षक देने में सक्षम नहीं है। लेकिन ऐसी बात नहीं है, उनके कुछ उपन्यासों के नाम इतने रोचक हैं की पाठक उनकी तरफ आकृष्ट होता है। 'छह सिर वाला रावण', 'छह करोड का मुर्दा' जैसे शीर्षक स्वयं में आकर्षक का केन्द्र हैं।
यह करोड़ो का खेल यही खत्म नहीं होता। सामाजिक उपन्यासकार सुरेश साहिल लिखते हैं- 'एक करोड़ की दुल्हन' तो धरम राकेश जी 'तीन करोड़ का आदमी' पेश करते हैं।
'तीन करोड़ का आदमी' ही क्यों, विनय प्रभाकर तो 'दस करोड़ की विधवा' और 'पाँच करोड़ का कैदी 'नब्बे करोड़ की लाश' और 'सात करोड़ का मुर्गा' जैसे उपन्यास ले आये थे।
अब पता नहीं विनय प्रभाकर को लाश और करोड़ो की सख्या से इतना प्रेम क्यों था। इसलिए तो ये 'दस करोड़ की हत्या' भी करवा देते हैं। इतनी महंगी हत्या कौन करेगा भाई, तो तुंरत उत्तर मिला वेद प्रकाश वर्मा जी की ओर से 'कत्ल करेगा कानून'। अब कातिल को भी तो ढूंढना है तब सुनील प्रभाकर बोले 'घूंघट में छिपा है कातिल' तो केशव पण्डित ने कहा -'कातिल मिलेगा माचिस में'।
विनय प्रभाकर के कुछ और रोचक शीर्षक देखें- 'चूहा लड़ेगा शेर से', 'कानून का बाप'।
विनय प्रभाकर 'कानून का बाप' लिखते हैं तो केशव पण्डित इसका जबरदस्त उत्तर देते नजर आते हैं। केशव पण्डित लिखते हैं 'कानून किसी का बाप नहीं'। तो फिर बाप कौन है, आप भी गौर कीजिएगा- 'मेरा बेटा सबका बाप' है।(वेदप्रकाश शर्मा)
अगर सबसे रोचक नाम की बात करें तो मेरे विचार से वे केशव पण्डित सीरीज के उपन्यासों के होते थे। केशव पण्डित के कुछ रोचक शीर्षक थे जैसे- 'कानून किसी का बाप नहीं, सोलह साल का हिटलर, टुकड़े कर दो कानून के, चींटी लड़ेगी हाथी से, अंधा वकील गूंगा गवाह, डकैती एक रूपये की, श्मशान में लूंगी सात फेरे, हड्डियों से बनेगा ताजमहल'।
इतने रोचक शीर्षक पाठक को जबरदस्त अपनी तरफ खीच लेते हैं। कहानी चाहे इनमें कैसी भी हो लेकिन शीर्षक एक दम नया होता था।
शीर्षक 'डकैती एक रूपये की' (केशव पण्डित) देखकर पाठक एक बार अवश्य सोचेगा की आखिरी एक रुपये की डकैती क्यों?
ऐसे ही मिलते-जुलते शीर्षक 'एक रुपये की डकैती' से अनिल मोहन जी का भी उपन्यास आया था। तो अमित खान को भी कहना पड़ा 'एक डकैती ऐसी भी'।
यहाँ तो अनिल मोहन जी के राज में 'एक दिन का हिटलर', भी मिलता है जो कहता है 'आग लगे दौलत को', और 'आ बैल मुझे मार'।
वेदप्रकाश शर्मा जी के नाम से एक नकली उपन्यास मनोज पॉकेट से आया था जिसका नाम 'नाम का हिटलर' था। वेद जी ने 'आग लगे दौलत को' और 'आ बैल मुझे मार' शीर्षक से भी लिखा। इनका एक और उपन्यास था 'लाश कहां छुपाऊं'।
आखिर लाश छुपाने की जरुरत क्यों पड़ गयी। क्योंकि एक बार सुनील प्रभाकर ने बता दिया की 'मुर्दे भी बोलते हैं'। जब इंस्पेक्टर गिरीश को इस बात का पता चला की 'बोलती हुयी लाशें' भी पायी जाती हैं तो वो भी लाश के पास जा पहुंचे जिसे देखकर राज भी चिल्लाये की 'लाश बोल उठी'। इसी लाश के चक्कर में तो उलझकर नवोदित लेखक अनुराग कुमार जीनियस 'एक लाश का चक्कर' लिख गये।
नये लेखक कंवल शर्मा तो इसी लिये जाने जाते हैं की उनके उपन्यासों के शीर्षक में एक अंक अवश्य होता हैं। वन शाॅट, सैकण्ड चांस, टेक थ्री, कैच फाॅर आदि।
इस मामले में राकेश पाठक भी अग्रणी रहे। इनके शीर्षक इतने गजब होते थे कसम से उपन्यास छोड़ कर बंदा शीर्षक ही पढता रहे। आप भी वाह! वाह करे बिना न रहेंगे। 'थाना देगा दहेज, चूहा लङेगा शेर से, मुर्दा कत्ल करेगा, कौन है मेरा कातिल, इच्छाधारी नेता'। सब एक से बढकर एक नाम हैं।
राजा पॉकेट बुक्स के लेखक हरियाणा निवासी J.K. शर्मा जिन्होंने टाइगर के छद्म नाम से उपन्यास लिखे उनका उपन्यास था 'इच्छाधारी अम्मा'। वेदप्रकाश शर्मा के दो और गजब शीर्षक है। 'वो साला खद्दर वाला', 'अपने कत्ल की सुपारी'।
गौरी पण्डित कहती है 'पगली मांगे पाकिस्तान', अब पाकिस्तान तो मांगने से मिलेगा नहीं तो केशव पण्डित 'बारात जायेगी पाकिस्तान' ले चले। अब ऐसी बारात में जायेगा कौन तो सुरेन्द्र मोहन पाठक बोले यह तो 'चोरों की बारात' होगी लेकिन इसमें 'एक थप्पड़ हिंदुस्तानी'(VPS) भी होगा।
रवि पॉकेट बुक्स से गौरी पण्डित के उपन्यासों के शीर्षक भी गजब थे- मुर्दा बोले कफन फाड़ के सब साले चोर हैं, आओ सजना खेले खुन-खून, गोली मारो आशिक को।
यह गोली सिर्फ आशिक तक सीमित नहीं रहती प्रेम कुमार शर्मा तो कहते हैं 'देखो और मार दो'।
सुरेश साहिल 'किराये का पति' का पति पेश करते हैं, जिसे रेणू 'दो टके का सिंदूर' कहती है, आखिर यह किराये का पति कितने दिन चलेगा। इसका उत्तर गोपाल शर्मा 'सात दिन का पति' में देते हैं। यहाँ पति ही सात दिन का नहीं बल्कि 'तीन दिन की दुल्हन'(विनय प्रभाकर) भी उपस्थिति है।
कोई तो चिल्ला -चिल्ला कर कह रहा है- 'मैं विधवा हूँ'(विनय प्रभाकर) तो सुनील प्रभाकर और भी जबरदस्त बात कहते हैं, वे तो इसे 'बिन ब्याही विधवा' कहते हैं, इनका साथ धरम राकेश 'अनब्याही विधवा' कहकर देते हैं। रानू कहते हैं यह तो 'कुंवारी विधवा' है। लेकिन इसका प्रतिवाद सत्यपाल 'कुंवारी दुल्हन' कह कर करते हैं। राजहंस तो इसे 'अधूरी सुहागिन' कह कर पीछे हट जाते हैं, किसी ने पूछा 'अधूरी सुहागिन' कैसे तो अशोक दत्त ने 'दुल्हन एक रात की' कहकर उत्तर दिया। लेकिन मनोज इसे 'दो सौ साल की सुहागिन' कह कर मान बढाते हैं।
यह आवश्यक नहीं की ये शीर्षक सभी को आकृष्ट करें। पाठक विकास नैनवाल जी कहते हैं- अतरंगी शीर्षक ध्यान आकृष्ट करने में सफल होते हैं लेकिन ये एक वजह भी है जिससे हिन्दी अपराध साहित्य को हेेय दृष्टि से देखा जाता है। हो सकता है 90 के दशक में ये चलन रहा हो लेकिन मेरा मानना रहा है कि शीर्षक कहानी के अनुरूप होना चाहिए। अब शॉक वैल्यू का जमाना गया। मैंने अनुभव किया है कि कई मर्तबा लोग इन शीर्षकों के वजह से ही ये धारणा मन में बना लेते हैं कि किताब का स्तर कम होगा।
अरे यार अभी एक नाम तो रह ही गया। सबसे अलग, सबसे जुदा, सबसे रोचक और सबसे हास्य अगर शीर्षक हैं तो वह है माया पॉकेट बुक्स की लेखिका 'माया मैम साब' के उपन्यासों के।
इनके उपन्यासों के शीर्षक जैसे शायद ही किसी और लेखक ने दिये हों। 'बिल्ली बोली म्याऊँ, मैं मौत बन जाऊं', 'मुर्गा बोला कुक्कडू कूं, मुर्दा जी उठा क्यूं', और 'कौआ बोला काऊं-काऊं, मैं करोड़पति बन जाऊं'।
क्यों जनाब अब तो आप मानते हैं ना हिंदी जासूसी साहित्य के उपन्यासों के शीर्षक कितने रोचक और दिलचस्प रहे हैं।
अगर आपको कुछ ऐसे ही रोचक शीर्षकों की जानकारी है तो देर किसी बात की कमेंट बाॅक्स आपके लिए ही है। आप भी लिख दीजिएगा कुछ रोचक उपन्यासों के शीर्षक।
आया कुछ समझ में, अगर समझ में नहीं आया तो 'अभिमन्यु पण्डित' से आशीर्वाद लीजिए और बोलिए 'रावण शरणम् गच्छामि'।
--- विज्ञापनचंदर
चंदर जासूसी उपन्यास जगत का एक प्रसिद्ध नाम हैं। इनके उपन्यास जासूसी होते थे।
चंदर के नाम से जो उपन्यास प्रकाशित होते थे, वे संयुक्त लेखन था। श्री आनंदप्रकाश जैन और उनकी धर्मपत्नी चंद्रकांता दोनों संयुक्त रूप से लेखन करते थे। इनके उपन्यास 'चंदर' नाम से प्रकाशित होते रहे हैं।
चंदर जी 'भोला शंकर सीरीज' से उपन्यास लिखते थे।
चंदर के उपन्यास
(कुछ उपन्यासों कर लिंक दिये हैं, संबंधित नाम पर क्लिक करें।)
चंदर चंदर का परिचय
1. गरम गोश्त के सौदागर
2. नीले फीते का जहर
3. तरंगों के प्रेत
4. पीकिंग की पतंग
5. चीनी षड्यंत्र
6. चीनी सुंदरी
7. मौत की घाटी में
8. डबल सीक्रेट एजेंट 001/2
9. प्यार का तूफान
10. बिजली के बेटे 001/2
11. प्लास्टिक की औरत
12. रह जा री हरजाई
13. तोप के गोले
क्रम संख्या 01-13 तक के सभी उपन्यास अप्रेल 1971 ई. तक प्रकाशित हो चुके थे।
14. मौत के चेहरे
15. अदृश्य मानव
16. शह और मात
17. प्रेत की परछाई
18. जहरीले पंजे ( भोलाशंकर सीरिज)
19. जहर की बुझी
20. किराये के हत्यारे (किराये के हत्यारे -समीक्षा)
21. रूस की रसभरी (प्रथम भाग)
22. हथकड़ियों की आँखें (द्वितीय भाग)
-----
1. डबल सिक्रेट एजेंट 001/2
2. बिजली के बेटे 001/2
3. तोप के गोले 001/2
4. आफत के परकाले 001/2
5. एटम बम 001/2
6. प्लास्टिक की औरत
7. प्यार का तूफान
8. ढोल की पोल (संपादित)
9. रह जा री हरजाई
10. जाली टकसाल
11. ब्लैक दिसंबर
12. बुत का खून
13. चंदर की चक्कलस (चुटकुले)
14. भटके हुए
15. शह और मात
16. जहरीले पंजे
17. शनी की आँखे
18. मौत के पंजे
19. जमाई लाल
20. नवेली
21. रुपघर की रुपसी
22. मौतघर
23. चलते पुर्जे 001/2
24. रसीली
क्रम 01-24 तक के उपन्यास 'चंदर पॉकेट बुक्स' से प्रकाशित है।
25. नीले फीते का जहर
26. फरार
27. तरंगों के प्रेत
28. पीकिंग की पतंग
29. चीनी षड्यंत्र
30. चीनी सुंदरी
31. मौत की घाटी में
32. प्रेत की परछाई
33. मौत के चेहरे
34. गरम गोश्त के सौदागर. सुबोध पॉकेट बुक्स
35. खून के खिलाड़ी सुबोध पॉकेट बुक्स
36. किराये के हत्यारे - सुबोध पॉकेट बुक्स
उपन्यास शृंखला
वैज्ञानिक जासूस गोपालशंकर की बेहतरीन शृंखला
- चांद की मल्का
- मकड़ सम्राट
- पांच पुतले
- खून पीने वाले
- काला रत्न
- अंतरिक्ष के हत्यारे
भूखे भेड़ियेखजाने का सांप
बुधवार, 12 दिसंबर 2018
अनिल सलूजा
कुमार मनेष
कुमार मनेष 'तूफान- विक्रांत' सीरीज के उपन्यास लिखते थे।
मनेष जैन |
1. पहला हैवान
2. दूसरा हैवान
3. तीसरा हैवान
4. हैवानों का शहंशाह
5. सौदा मौत का
6. शिकार शिकारी का
मंगलवार, 11 दिसंबर 2018
अमित
अमित के उपन्यास
1. इंसाफ
2. टूटे सपने
3. रास्ते का पत्थर
4. छोटे ठाकुर
5. बुझते चिराग
6. सगा भाई
7. बदनाम सीता
8. खूनी गुलाब
उक्त लेखक के विषय में अगर कोई किसी भी प्रकार की जानकारी हो तो अवश्य शेयर करें।
- sahityadesh@gmail.com
धन्यवाद।
मंगलवार, 4 दिसंबर 2018
अभिमन्यु पण्डित
अभिमन्यु पण्डित 'केशव पण्डित' सीरिज लिखते थे। ये रवि पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हैं।
अभिमन्यु पण्डित के उपन्यास
1. अभिमन्यु का चक्रव्यूह (प्रथम उपन्यास)
2. तू बंदर मैं लंगूर. (द्वितीय उपन्यास)
3.रावण शरणम् गच्छामि
4. केशव पुराण
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मेरठ उपन्यास यात्रा-01
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...
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केशव पण्डित हिन्दी उपन्यासकार केशव पण्डित गौरी पॉकेट बुक्स के Ghost Writer थे। गौरी पॉकेट बुक्स बंद हो जाने के बाद इसका टाइटल 'तु...
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वेदप्रकाश शर्मा ' सस्पेंश के बादशाह ' के नाम से विख्यात वेदप्रकाश शर्मा लोकप्रिय जासूसी उपन्यास जगत के वह लेखक थे जिन्होंन...
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नाम- राज भारती लोकप्रिय साहित्य के सितारे राज भारती मूलत पंजाबी परिवार से संबंधित थे। इनका मूल नाम ....था। दिल्ली के निवासी राज भारती जी ने...
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कर्नल रंजीत एक जासूसी उपन्यासकार थे। मखमूर जालंधरी का असल नाम गुरबख्श सिंह था और वे कर्नल रंजीत के नाम से उपन्यास रचना करते थे।(हंस- मार्च,...
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रानू हिंदी के बहुचर्चित उपन्यासकार थे। अपने समय के प्रसिद्ध लेखक रानू के पाठकों का एक विशेष वर्ग था। रानू के उपन्यास जितने चाव से अपने समय...