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सोमवार, 21 अगस्त 2017

सुरेन्द्र मोहन पाठक

सुरेन्द्र मोहन पाठक को हिंदी का सर्वश्रेष्ठ मिस्ट्री राइटर माना जाता है।
सुरेन्द्र मोहन पाठक की प्रथम कहानी सन् 1959 'सतावन साल पुराना आदमी' मनोहर कहानियाँ में प्रकाशित हुयी। उसके बाद  विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कहानियाँ प्रकाशित हुयी।
1963 में इनका प्रथम उपन्यास 'पुराने गुनाह, नये गुनहगार' प्रकाशित हुआ। उसके पश्चात इनके एक से एक बढकर उपन्यास आये।
संपर्क-
smpmystrywriter@gmail.com

सुरेन्द्र मोहन पाठक के समस्त उपन्यास सूची
सुनील सीरीज के उपन्यास
1.पुराने गुनाह नये गुनाहगार- अक्टूबर - 1963
2.समुद्र में खून (धरती का स्वर्ग)- मई - 1964
3. होटल में खून -  नवम्बर - 1965
4. बदसूरत चेहरे- दिसम्बर - 1965
5. ब्लेकमेलर की हत्या (एक तीर दो शिकार)फरवरी - 1966
6. हांगकांग में हंगामा (देश द्रोही)- मार्च - 1966
7. मूर्ति की चोरी- मार्च - 1966

सोमवार, 14 अगस्त 2017

नरेन्द्र नागपाल

नाम- नरेन्द्र नागपाल
दिल्ली निवासी
नरेन्द्र नागपाल के उपन्यास
  1. बाईस दिसंबर        (थ्रिलर)
  2. जुर्म का आशिक     (थ्रिलर)
  3. पांच लुटेरे             (थ्रिलर)
  4. मैडम एक्स           (थ्रिलर)
  5. दिल्ली का दरिंदा    (थ्रिलर)
  6. केशव पण्डित की हत्या (केशव कालका सीरीज)
  7. नौ करोड़ की हूर          (उरजा मस्तान सीरीज)
  8. पी. एम. की सुपारी       (केशव कालका सीरीज)
  9. मुजरिम मजनू               (थ्रिलर)
  10. हर्रामी नंबर एक            (केशव पण्डित सीरीज)
  11. सात साल का पति         (केशव पण्डित सीरीज)
  12. मैं यमराज हूँ                 (काली महाजन सीरीज)
  13. सात खून माफ              (केशव कालका सीरीज)
  14. मारा गया गुलफाम         (काली महाजन सीरीज)
  15. काली 
  16. नैना
  17. चीलबाज
  18. टाटा बाय टाटा
  19. किडनी--
नरेन्द्र नागपाल के समस्त उपन्यास तिथि अनुसार
01. 22 दिसम्बर -     1991|11|25
02. जुर्म का आशिक - 1991|09|28
03. पांच लुटेरे -          1991|12|11
04. मैडम एक्स -         1992|07|07
05. दिल्ली का दरिन्दा - 1996|11|06
06. केशव पंडित की हत्या- 1997|02|22
07. नौ करोड की हूर        1997|06|21
08. मुजरीम मजनू           1998|07|10
09. हरामी नम्बर वन       1998|09|09
10. सात साल का पति    1998|11|14
11. मै यमराज हूँ             1999|02|03
12. सात खून माफ          1999|01|23 
 

रविवार, 13 अगस्त 2017

विमल चटर्जी

नाम- विमल चटर्जी
      विमल चटर्जी मूलतः दिल्ली के निवासी थे। इनका प्रसिद्ध पात्र फोमांचू था। विमल चटर्जी के छोटे भाई अशीत चटर्जी भी उपन्यासकार थे।
अपने समय के प्रसिद्ध उपन्यासकार विमल चटर्जी के विषय में अभी तक कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। पर कुछ पुराने पाठक इनका नाम आज भी सम्मान से लेते हैं।
विमल चटर्जी के उपन्यास
1. दुश्मनों के दुश्मन
1. एक सरकार की मौत
2. भेड़िये का इंतकाम (नीलम पॉकेट बुक्स)
3. प्रलय का जलजला (संगीता पॉकेट--
4. फोमांचू की तबाही
5. खून से मत खेलो
उक्त लेखक के विषय में अगर किसी पाठक को कोई भी जानकारी हो तो अवश्य शेयर करें।
- 9509583944
Email- sahityadesh@gmail.com

लता तेजेश्वर

समीक्षा : हवेली

प्रेम के विदरूप सच को उजागर करती :हवेली

'हवेली' लता तेजेश्वर का पहला उपन्यास है। छब्बीस अनुच्छेदों से विभक्त उपन्यास का तानाबाना एक पुरानी हवेली के इर्द-गिर्द बुना गया है जहां घटित होनेवाली अनेक घटनाओं के कारण रहस्य व रोमांच की स्थिति उत्पन्न होती है। 
उपन्यास का आरंभ अजनीश के माध्यम से होता है जो अपने इमार पिता, माँ और कॉलेज में पढ़ रहे छोटे भाई को गाँव में छोड़ कर जीवनयापन के लिए अपना रुख मुम्बई की ओर करता है। यहाँ आते ही वह ठगी का शिकार होता है लेकिन एक अजनबी उसकी मदद कर इंसानियत का परिचय देता है। ऑफिस में नौकरी पाने के बाद समुद्र तट पर एक बार फिर उसकी मुलाकात उस अजनबी से होती है जो मेयर चंद्र शेखर होते हैं। उनके परिवार में पत्नी अवनि के अलावा बेटी अन्वेशा व बेटा राहुल है। कॉलेज में पढ़ने वाली अन्वेशा को यदा कदा डरावने सपने आते रहते हैं। अन्वेशा व राहुल में आपसी बाल सुलभ नोंक झोंक चलती है। अन्वेशा को अपने कुत्ते पलटु से गहरा लगाव है। पानी में तैरने के बाद अन्वेशा की तबियत बिगड़ती है तब उनके चिकित्सक डॉ रमेश शर्मा उसके लिए किसी मनोचिकित्सक से सलाह लेने की सोचते हैं। दूसरे ओर पेशे से अध्यापिका मेहंदी मुम्बई के भीड़ भाड़ वाले इलाके में अपनी माँ गौतमी और छोटी बहिन स्वागता के साथ दो बैडरूम वाले फ्लैट में रहती है। गौतमी पहले नर्स के रूप में काम करती थी लेकिन बाद में ह्रदय रोग से पीड़ित होने पर उसे नौकरी छोड़ कर घर बैठना पड़ता है। गौतमी का पति उसे छोड़ कर चला जाता है इसलिए उसका विश्वास घात मेहंदी हर पुरुष में देखती है। स्वागता अन्वेशा के साथ ही कॉलेज में पढ़ती है। 
कॉलेज के पिकनिक के जाते समय किसी कारण कुछ बच्चे बस से उतर जाते है और जंगल में खो जाते हैं। अन्वेशा के खो की खबर पा कर चंद्र शेखर अजनीश को भेजते हैं तो स्वागत की खोज में मेहंदी चल पड़ती है। रास्ते में नोंक झोंक के बीच दोनों की मुलाकात होती है फिर वह हवेली पहुँच वहीँ रहने लगते हैं। 
हवेली में रहते हुए एक रात अन्वेशा रहस्यमय ढंग से उसके तहखाने में बेहोश मिलती है फिर ऐसे ही घटना मेहंदी के साथ भी घटित होती है। यहीं अजनीश व मेहंदी की निकटता भी बढ़ने लगती है। वहीँ अंकिता हवेली में ही आत्महत्या की प्रयास करते मेहंदी उसे बचाती है।  दोनों तरह की स्थितियों को लता ने सामने रखा है। 
मेहंदी व अजनीश के प्रेम प्रसंग के साथ ही मेयर चंद्र शेखर, उनकी पत्नी अवनि, अन्वेशा, राहुल, मेहंदी की माँ गौतमी, स्वागत के सहपाठी निखिल, सुहाना नीरज, संजय, नीलिमा, अभिषेक, जुई, प्रो.सुनील, अमृता, फातिमा, वृद्धा जैसे पात्रों के सहारे उपन्यास की कथा आगे बढ़ती है। वाचमैन, रघुकाका, पूर्णिमा, डॉ रमेश , महेश के माध्यम से उपन्यास अपने चरम तक पहुँचता है। उपन्यास में जुई एक शरारती छात्र के रूप में सामने आती है। 
उपन्यास की भाषा सरल है। और शैली में रोचकता ऐसी कि एक बार पढ़ना शुरू करते हैं तो कौतूहलवश पढ़ते ही जाते हैं। उपन्यास का आवरण अच्छा है लेकिन मुद्रण का कुछेक कमियाँ जरूर खटकती है। उपन्यास की भूमिका में प्रशिद्ध कथाकार संतोष श्रीवास्तव ने इसे विभिन्न घटनाओं से गुजरती हवेली का सच कहा है। मेरी नज़र में यही सच उसे रोचक व पठनीय बनाता है।
प्रकृति व व्यक्ति का चित्रण अनेक स्थान पर लता ने बड़े ही प्रभावी ढ़ंग से किया है -
" पत्थरों को काटते हुए नदी सरगम गया रही थी, दूर पहाड़ से गिरते हुए जल प्रपात सूर्य की झिलमिलाती हुई रंगीन किरणे उस जल प्रपात में घुल कर और भी सोभियमान दिख रही थी। सूर्य कि रश्मि जल की तरंगों में प्रतिविम्बित हो कर दूर हवेली में अपनी सुंदरता को निहार रही थी। (पृष्ठ-72)
प्रकृति से मनुष्य के सम्बन्ध व उसके प्रति गहरे अनुराग को लता भी गहनता से महसूसती है।
" प्रदूषण भरी हवा, गाड़ियों का शोर शराबा, एक दूसरे से आगे बढ़ जाने की अधीरता हमें इस सुंदर प्रकृति से दूर ले जाती है।"(पृष्ठ-74)
भले ही लता तेजेश्वर ने 'हवेली' को पूरी तरह काल्पनिक उपन्यास बनाया है और पात्रों का सच्चाई के साथ वे कोई सम्बन्ध नहीं बताती लेकिन सही मायने में देखें तो रहस्य व रोमांच के बहाने 'हवेली' प्रेम के चरम व उत्कर्ष, उसकी सफलता-विफलता विदृप सच को हमारे सामने लाने का सार्थक प्रयास है।
समीक्षक : महावीर रवांलटा
संभावना - महरगाँव
पत्रलय:मोल्टाड़ी, पुरोला
उत्तरकाशी (उत्तराखंड)

कनरल सुरेश

एक समय था जब कर्नल नाम से कई लेखक उपन्यास क्षेत्र में आये।
इसी समय एक नया नाम आया वह कर्नल न होकर कनरल था, जी हां कनरल सुरेश।
हालांकि इस लेखक के विषय में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पायी।
ये राम, रहीम, लव, कुश, काला बादशाह और होगहू सीरिज से उपन्यास लिखते थे।

कनरल सुरेश के उपन्यास
1. धुंध की हत्या

परिवर्तन चौहान

नकल के बाजार में केशव पण्डित नाम से जो लहर चली उसमें कई प्रकाशन संस्थानों ने लाभ कमाया और अपने अपने छदम लेखक पैदा कर लिये।
परिवर्तन, परिवर्तन पण्डित और परिवर्तन चौहान। अगर और कोई परिवर्तन नाम से लेखक मिल जाये तो आश्चर्य नहीं।
 काफी समय पश्चात जाकर 'परिवर्तन चौहान' के विषय में कुछ और जानकारी प्राप्त हुयी। परिवर्तन चौहान Ghost Writer राजा पॉकेट बुक्स की देन था। राजा पॉकेट बुक्स की एक Ghost writing होती है 'भारत' के नाम से, इसी भारत के दो उपन्यास 'परिवर्तन चौहान' के नाम से प्रकाशित हुए। अर्थात् भारत का नाम बदल कर परिवर्तन चौहान कर दिया गया। यह क्यों हुआ इसकट कारण तो खैर पता नहीं। भारत के उपन्यास 'ईमान तिरंगा है' के लेखकीय में नाम परिवर्तन का वर्णन मिलता है।
मुझे कुछ पाठकों के पत्र प्राप्त हुए, जिनमें उनकी यह शिकायत थी कि आप अपना नाम 'भारत' से बदलकर 'परिवर्तन चौहान' क्यों कर दिया। उनकी शिकायत को ध्यान में रखते हुए अपने सभी पाठकों को मैं एक बात विशेष रूप से बताना चाहूंगा कि प्रस्तुत उपन्यास से पहले मेरे दो उपन्यास 'तिरंगा फहराएंगे पाकिस्तान में' व 'फंस गया परिवर्तन पाकिस्तान में' परिवर्तन चौहान के नाम से प्रकाशित हुए हैं। इनसे पहले मेरे सभी उपन्यास 'भारत' के नाम से प्रकाशित हुए थे और आगे भी मेरे सभी उपन्यास 'भारत' के नाम से ही प्रकाशित होंगे।
(उपन्यास 'ईमान तिरंगा है' के लेखकीय से।)
      उक्त कथन से स्पष्ट होता है की भारत द्वारा परिवर्तन चौहान के नाम से मात्र दो उपन्यास प्रकाशित हुए हैं, हालांकि भारत द्वारा परिवर्तन चौहान सीरिज के काफी उपन्यास लिखे गये हैं।
    भारत द्वारा लिखित उपन्यास यहाँ देखें- भारत के उपन्यास


परिवर्तन चौहान के उपन्यास
1. तिरंगा फहराएंगे पाकिस्तान में
2. फंस गया 
परिवर्तन पाकिस्तान में।

उपन्यास 'ईमान तिरंगा है' का लेखकीय पृष्ठ

गौरी पण्डित

हिंदी लोकप्रिय उपन्यास जगत में केशव पण्डित की लोकप्रियता को जितना भुनाया गया है उतना तो शायद विश्व इतिहास में भी किसी को न भुनाया गया होगा।
    वेदप्रकाश शर्मा के एक पात्र केशव पण्डित की नकल पर असंख्य केशव पण्डित नाम के लेखक पैदा हो गये और फिर तो नकल की नकल और फिर आगे भी नकल और नकल के साथ पैदा हुये पात्रों की भी नकल।
हद से आगे की Ghost Writing  करवायी इन प्रकाशन संस्थानों ने। अपने लाभ के लिए उपन्यास के बाजार को ही खत्म कर दिया।
   ऐसी ही एक Ghost writer है गौरी पण्डित। यह 'रवि पॉकेट बुक्स'की देन थी, पर थी शुद्ध छदम लेखिका। ये भी केशव पण्डित सीरिज लिखती थी।

गौरी पण्डित के उपन्यास गौरी पण्डित- रवि पॉकेट बुक्स
1. चाणक्य का बेटा
2. मुर्दा बोले कफन फाड़ के
3. 36 इंच का शैतान
4. बिना सूंड का हाथी
5. पगली मांगे पाकिस्तान
6. सब साले चोर हैं
7. अदालत लगेगी सरहद पर
 8. चैलेंज माँ के दूध का
 9. केंचुआ बनेगा नाग
10. सांप के मुँह में छछूंदर
11. आओ सजना खेले खुन-खून
12. हर गोली मौत की सहेली
13. गोली मारो आशिक को
14. चंगेज खाँ
15. पगली मांगे पाकिस्तान
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मोना डार्लिंग

हिंदी लोकप्रिय उपन्यास जगत में Ghost Writing खूब हुयी। और एक बङी बात ये भी है की महिला उपन्यासकार के नाम से भी खूब उपन्यास आये और अधिकतर में Ghost Writing हुयी थी।
इसी प्रकार की एक छदम लेखिका थी मोना डार्लिंग।
मोना डार्लिंग नाम से बाजार में खूब उपन्यास आये थे और ये पाठक की पठन क्षमता और रुपये का दोहन भी था‌।

मोना डार्लिंग के उपन्यास
1. अंगूर का दाना

राकेश अग्रवाल

राकेश अग्रवाल के विषय में अभी तक  कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पायी।
इनकी उपन्यास का एक कवर चित्र मिला है, जिसके आधार पर कहा जा सकता है की ये विक्रांत, विवेक सीरिज के उपन्यास लिखते थे।

राकेश अग्रवाल के उपन्यास
1. मृत्यु चक्र

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उक्त लेखक के विषय में  कोई भी जानकारी हो तो हमें भेजिए- 9509583944

शनिवार, 12 अगस्त 2017

गोपाल शर्मा

उपन्यासकार गोपल शर्मा के बारे में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है।

गोपाल शर्मा के उपन्यास
1. कानून कोई खिलौना नहीं ।
2. वर्दी का नशा
3. वसीयत के हत्यारे
4. आसमान से आया फरिश्ता

5. पत्थर का आदमी

6. महाराजा

7. कलयुग की दुर्गा

8. दुल्हन का कफन

9. इंसानियत का हत्यारा

10. लालच

11.  बहू का इंसाफ

12. कानून का देवता

13.विश्वासघात

14. सुहागिन बनी नागिन

15. लाल कोठी की दुल्हन

16. हत्या इंसाफ की

17. हर खेल है दौलत का

18. कानून सबूत मांगता है।

19. नकली चेहरा

20. आत्मा का प्रतिशोध

21. खूनी महल

22. इंतकाम के शोले

23. कलयुग का अर्जुन

24. इंसाफ की देवी

25. सुहागिन का कर्ज

26. कानून के खिलाड़ी

27. शैतान का बेटा

28. सात दिन का पति

29.

30.

- गोपाल शर्मा के उपन्यास पवन पॉकेट बुक्स, 4537, दाईवाङा, नई सङक, दिल्ली-06 से प्रकाशित होते थे।

 लेखक के विषय में अगर आपके पास कोई जानकारी हो तो अवश्य शेयर करें।

9509583944
Email- sahityadesh@gmail.com

गुरुवार, 3 अगस्त 2017

संतोष पाठक







लेखक-परिचय


नाम- संतोष पाठक
जन्म- 19 जुलाई 1978
माता- श्री मति उर्मिला पाठक
पिता- श्री ओमप्रकाश पाठक
दादा-  श्री ऋषि मुनि पाठक






लेखक संतोष पाठक का जन्म 19 जुलाई 1978 को, उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में बेटाबर खूर्द गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। आपके दादा जी स्व. श्री ऋषि मुनी पाठक, बेहद नामचीन शख्सियत थे। जिन्होंने सेना में अपनी अधिकारिक नौकरी के दौरान ढेरों मैडल हासिल किए थे। लेखक ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव से पूरी की जिसके बाद वर्ष 1987 में आप अपने पिता श्री ओमप्रकाश पाठक और माता श्रीमति उर्मिला पाठक के साथ दिल्ली चले गये। जहां से आपने उच्च शिक्षा हासिल की। आपकी पहली रचना वर्ष 1998 में मशहूर हिन्दी अखबार नवभारत टाईम्स में प्रकाशित हुई, जिसके बाद आपने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2004 में आपको हिन्दी अकादमी द्वारा उत्कृष्ट लेखन के लिए पुरस्कृत किया गया। आपने सच्चे किस्से, सस्पेंस कहानियां, मनोरम कहानियां इत्यादि पत्रिकाओं तथा शैक्षिक किताबों का सालों तक सम्पादन किया है। आपने हिन्दी अखबारों के लिए न्यूज रिपोर्टिंग करने के अलावा सैकड़ों की तादाद में सत्यकथाएं, फिक्शन, कहानी संग्रह तथा उपन्यास लिखे हैं।

मनोहर कहानियां, सस्पेंश कहानियाँ जैसी पत्रिकाओं के संपादक रहे संतोष पाठक ने उपन्यास क्षेत्र में भी हाथ आजमाया था।
इनके उपन्यास जासूसी, सस्पेंश व रोमांच से भरपूर हैं।
संतोष पाठक के उपन्यास
1. अनदेखा खतरा
2. आखिरी शिकार
3. कत्ल की पहेली
4. दस जून की रात
संपर्क
Email- skpathaknovel@gmail.com
Mob No.- 8800501416

गजल- सरला रानू

गजल- सरला रानू

मुझे जिंदगी का सबब यह मिला है,
न उन्हें कुछ गिला था न हमें कुछ गिला है।
हम रास्ते के कांटें वो गुंचे बहारों के,
सोचती हूँ शायद यही प्यार का सिला है।

दिल जिनके लिए भंवर में फंसा है,
क्या उनका दिल मेरे लिए धङकता नहीं।
वह मुझको गैर समझें या भूल भी जाएं,
मैं कैसे कहूं, दिल उनके लिए तङफता नहीं।।

             - सरला रानू
C-56, 3 floor
वेस्ट नगर नगर
नई दिल्ली-08

सरला रानू

प्रसिद्ध सामाजिक उपन्यासकार रानू की धर्मपत्नी सरला रानू ने भी  उपन्यास लेखन किया था।
सरला रानू के उपन्यास

सरला रानू

सरला रानू के उपन्यास

1. आकाश गंगा
2. झूमर पायल
3. अंधेरा उजाला -1979 (हिंद पॉकेट)
4. अधूरा मिलन
5. पतझड़ के फूल
6. अंतिम चिंता
7. खामोशी का जहर-1980
8. साँझ की दुल्हन
9. कदमों के चिराग
10. सिसकते किनारे
11. प्यासी घटा
12. बर्फ की देवी
13. पापी पुजारी
14. ठण्डी आग-1982
15. कुंवारी मेहंदी

अशोक कुमार शर्मा


राजस्थान निवासी अशोक कुमार शर्मा पेशे से अध्यापक हैं। बचपन से ही कहानियाँ पढने के शौकिन अशोक जी छोटी उम्र में ही लिखने लगे थे।
                इनका प्रथम 'वतन के आंसू' उपन्यास राजा पॉकेट बुक्स में लगभग 1996 ई. में Ghost लेखन के अंतर्गत 'धीरज' नाम से प्रकाशित हुआ।
             कुछ समय पश्चात मेरठ से राधा पॉकेट बुक्स ने अशोक कुमार शर्मा को स्वयं के नाम से प्रकाशित किया। अशोक कुमार शर्मा 'जगतार सिंह जग्गा' सीरिज के उपन्यास लिखते थे। इन्होंने कुल पांच उपन्यास लिखे हैं। कुछ व्यस्तता के चलते अशोक जी लेखन जगत से दूर हो गये।
अशोक कुमार शर्मा का स्वयं के नाम से प्रकाशित होने वाला प्रथम उपन्यास '36 करोड़ का हार' 
वर्तमान में राजस्थान के सीकर जिले में अध्यापन कार्य में व्यस्त हैं।

1. 36 करोड़ का हार (प्रथम उपन्यास)
2. मैं बेटा बंदूक का
3. फांसी मांगे बेटा कानून का
4. दिमाग का जादूगर
5. जग्गा का कानून (अंतिम उपन्यास)
6. 100 घण्टे मौत के (अप्रकाशित)




संपर्क-
अशोक कुमार शर्मा पुत्र श्री मदन लाल शर्मा
मु.पो.- रूपगढ
वाया- कौछोर
जिला- सीकर
राजस्थान- 332406
राधा पॉकेट बुक्स- मेरठ




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 लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...