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शुक्रवार, 31 मई 2019

पुतली - राजवंश

 पुतली-  राजवंश,
 उपन्यास अंश 

खन खन खन खन।
 प्याली फर्श पर गिरकर खनखनाती हुई नौकरानी के पैरों तक आई और टुकड़े-टुकड़े हो गई। नौकरानी के बदन में कंप-कंपी जारी हो गई। उसने भयभीत नजरों से प्याली के टुकड़ों को देखा ओर फिर उस धार को देखा जो चाय गिरने से उसके पैरों के पास से बिस्तर तक बनती चली गई थी। फिर उसकी भयभीत निगाहें आशा के चेहरे पर रुक गईं। आशा का चेहरा गुस्से से सुर्ख हो रहा था। आँखें उबली पड़ रही थीं। वह कुछ क्षण तक होंठ भींचे नौकरानी को घूरती रही, फिर एकदम फूट पड़ी- ‘ईडियट...किस गंवार ने बनाई है यह चाय...?’
  ‘ज...ज...जी...म...मैंने मालकिन!’ नौकरानी भय-भीत लहजे में हकलाई।
           ‘जाहिल गंवार है तू। यह चाय है या जुशांदा-पानी की तरह ठण्डी और शर्बत की तरह मीठी। इससे पहले भी तूने किसी बड़े घराने में नौकरी की है? किस गधे ने नौकर रखा है तुझे?’
  ‘ज...ज...जी...ब...बड़े मालिक ने।' नौकरानी हकलाई।

पम्मी दीवानी

'सीक्रेट सर्विस कार्यालय-मेरठ' से प्रकाशित होने वाली 'पम्मी दीवानी' रोमांटिक उपन्यास लेखिका थी।

पम्मी दीवानी के उपन्यास
1. जा भी जा बेवफा
2. तड़फती जवानी
3. प्यार का मौसम
4. तन सोया मन जागा
5. सावन बहका बाहों में
6. प्यार भरे दिल
7. शोख अदायें सूनी राहें
8. सारी रात लूटती रही
9. सनम उठा लो बाहों में
10. मदहोश जवानी
11. जवानी की आग
12. बलखाई जवानी
13. नंगे रिश्ते नंगे लोग
14. हुस्न के सौदागर
15. यौवन की प्यास
16


निरंजन चौधरी

नाम- निरंजन चौधरी
निरंजन चौधरी सत्तर के दशक के चर्चित जासूसी उपन्यासकार रहे हैं।
      इनके पात्र जासूस सम्राट नागपाल, एस.पी. होमीसाईड निरंजन सिंह ठाकुर, कैप्टन दिलीप और सिगार उसमानी आदि होते थे।
           इनके उपन्यासों का कथानक रोचक और दिलचस्प था। इ‌नके उपन्यास 'चंदर पॉकेट बुक्स, सूरत, गुजरात' और 'गुप्तचर' मासिक पत्रिका 'नीता प्रकाशन- इलाहाबाद'  से प्रकाशित होते रहे हैं।

निरंजन चौधरी के उपन्यास

  1.  तलाश हत्यारे की
  2. अंधेरे का तीर            
  3. आखिरी हत्या
  4. बाहरवीं गली का मकान - दिसंबर 1969
  5. मैं हत्यारा हूँ
  6. पीले गुलाब
  7. काली रोशनी।
  8. यादें, धुआँ और परछाईयां
  9. मुर्दे की वापसी
  10. जानवरों का हंगामा
  11. दोहरा आदमी
  12. उल्लू का निशान
  13. विचित्र पक्षी
  14. अँधेरे टापू का सम्राट
  15. जिंदा चट्टाने
  16. मौत का साया           
  17. जहाँ मौत रोती है
  18. निशान के पुजारी
  19. खूनी परछाईयां
  20. मौत का भेद
  21. काली रोशनी। समीक्षा
  22. और वह भाग गयी। समीक्षा
  23. भगतराम मर्डर केस (Feb. 1964)
  24. यमराज की बेटी - प्रथम भाग
  25. रोशनी, फीता और बिल्ली - द्वितीय भाग
  26.  अँधेरे के अपराध
  27. काइमा का सफर

मंगलवार, 28 मई 2019

कुमार प्रिय

कुमार प्रिय अपने समय चर्चित रोमांस लेखक रहे हैं
 इनके उपन्यासों में प्रेम का एक अलग ही रंग मिलता था, इसलिए इन्हें 'दूसरा गुलशन नंदा' भी कहा जाता था।
   उपन्यास चाहे छोटे थे लेकिन कथा में संवेदना का फलक विस्तृत था।

कुमार प्रिय के 'रंगभूमि पॉकेट बुक्स दिल्ली' से प्रकाशित उपन्यास

  1. प्यासा दरिया
  2. ठण्डी आग
  3. गुड़िया
  4. राजा और रखैल
  5. पत्थर का देवता
  6. बेगाना
  7. दीदार
  8. अधूरा सुहाग
  9. पिंजरे की मैना
  10. मेरे अरमान तेरे सपने
  11. थाम लो आँचल
  12. छलिया
  13. बाबुल की गलियाँ (जनवरी, 1973)
  14. हमराही
  15. आह
  16. भंवरा
  17. थाम लो आँचल
  18. प्रतिशोध
  19. अधूरा सुहाग
  20. मर्यादा
  21. गौरी
  22. राख की दुल्हन
  23. खामोश चिता
  24. बदनसीब
  25. छलिया
  26. तमन्ना
  27. बेवफा
  28. सौगात
  29. हमराही
  30. इंतजार (क्रम 20- 30 तक भारती पॉकेट बुक्स , दिल्ली से प्रकाशित)

शनिवार, 25 मई 2019

आबिद रिजवी जी- तब और अब

एक नया स्तंभ है 'तब और अब', जिसमें कोशिश रहेगी लेखकगण के नये और पुराने चित्रों को दर्शाने की।
    इस स्तंभ का आरम्भ आबिद जी के चित्र के साथ कर रहे हैं।

समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। समय आदमी के चेहरे को बदल देता है।
     अब प्रिय आबिद जी की तस्वीरें ही देख लीजिएगा समय के साथ बहुत बदल गये, बस नहीं बदली तो उनकी मूँछें
    मूँछें कल भी शान थी, आज भी शान हैं।
    मूँछें आबिद जी की विशेष पहचान हैं।

                          


सोमवार, 20 मई 2019

जोरावर सिंह वर्मा

हिन्दी जासूसी उपन्यास जगत में एक चर्चित नाम रहा है जोरावर सिंह वर्मा का। जोरावर सिंह वर्मा एक जासूसी उपन्यासकार हैं।
     इनके उपन्यासों का नायक 'ओ हिन्द' नामक एक जासूस है और उसके तीन साथी हैं जान,मान और शान।

जोरावर सिंह वर्मा के सुबोध पॉकेट बुक्स से प्रकाशित उपन्यास

  1. खूनी हस्पताल
  2. पुलिस के कारनामें
  3. मैं जासूस नहीं हूँ
  4. मैं तेरी दीवानी
  5. रेशमी रात
  6. मोहिनी की माया
  7. चीखरे अंधेरे
  8. ठण्डी चिंगारी
  9. गहरे घाव
  10. फैलती परछाई
  11. काली आँधी
  12. सभ्यता के चोर
  13. मौत की नींद
  14. पाप की गठरी
  15. हवस और हत्यायें
  16. हर मोड़ पर हत्या


रविवार, 12 मई 2019

शौकत खान

शौकत खान के उपन्यास 'शौकत पॉकेट बुक्स-कैमूर, बिहार' से प्रकाशित होते थे। संभवतः यह इन्हीं का ही प्रकाशन संस्थान था। लेखक के विषय में ज्यादा जानकारी तो नहीं मिली, जो प्राप्त हुयी वह आपके समक्ष प्रस्तुत है।


संपर्क-
C.I.S.F.
यूनिट एम. पी. टी. -गोवा
पिन कोड- 403804

प्रकाशन संस्थान
ग्राम/पोस्ट- पतेरी,
जिला- भभुआ(कैमूर)
बिहार


शौकत खान के उपन्यास
1. सिसकती आवाज
2. मेरे भैया
3. जुर्म पैदा करने वाला



वेद प्रताप शर्मा

वेद प्रताप शर्मा के विषय में एक उपन्यास में प्रकाशित विज्ञापन से जानकारी प्राप्त हुयी है। ये वास्तविक लेखक थे या Ghost writer यह कहना संभव नहीं ।  इनके उपन्यास अनिल पॉकेट बुक्स से प्रकाशित होते रहे हैं।
   इनके उपन्यास विजय-विकास, विराज, वतन, रैना,रघुनाथ, सिंगही और अलफांसे जैसे पात्रों पर आधारित होते थे।

वेद प्रताप शर्मा के उपन्यास
1. वतन के दरिंदे
2. लिख दो नाम शहीदों में
3. सरहद

कुमार कदम

लेखक 'कुमार कदम' का एक उपन्यास 'इंकलाब' उपलब्ध हुआ है। जो की बाॅबी पॉकेट बुक्स- मेरठ से प्रकाशित हुआ है।
कुमार कदम 'विक्रांत, बटलर, जगत, बागरोफ, शेर अफगान' आदि पात्रों के उपन्यास लिखते थे।
उक्त लेखक के विषय किसी पाठक के पास कोई और जानकारी हो तो अवश्य शेयर करें।
धन्यवाद

कुमार कदम के उपन्यास
- इंकलाब


बुधवार, 1 मई 2019

अमित श्रीवास्तव जी के उपन्यास का लेखकीय

फरेब उपन्यास के लेखकीय से...

नमस्कार दोस्तों,
         आपके समक्ष अपना पहला उपन्यास प्रस्तुत करते हुए मुझे बहुत खुशी और गर्व का अनुभव हो रहा है। यह उपन्यास कई लोगो की मेहनत का नतीजा है। सर्वप्रथम मैं धन्यवाद अदा करता हूं अपने माता पिता और मेरी धर्मपत्नी शालिनी का जिन्होनें कदम-कदम पर मेरा साथ दिया। और मेरे हर निर्णय का समर्थन किया। यदि शुभानंद जी और सूरज पाकेट बुक्स ने मुझ पर विश्वास नहीं दिखाया होता तो यह बुक आप के सामने नही आ पाती। यह बुक जो इतनी अच्छी बनी उसमे सूरज पाकेट बुक्स की क्रिएटिव टीम का बहुत बड़ा हाथ है। मैं शुक्रिया अदा करना चाहता हूं मिथिलेश गुप्ता जी, देवेन पांडे जी, एडिटर डॉ प्रदीप शर्मा जी, शाहनवाज भाई और निशांत मौर्य जी का जिन्होंने इसके कवर और डिजाईन पर मेहनत की, खास कर शाहनवाज भाई जी की मेहनत तो कबिले तारीफ थी, क्योंकि उन्होंने विभिन्न विचारों को ध्यान में रखकर कवर बनाया। विशेष आभार प्रकट करना चाहूँगा रमाकान्त मिश्र जी और आदित्य वत्स जी का जिन्होनें कदम-कदम पर मेरा हौसला बढ़ाया, साथ ही शुभानंद जी का, जिनसे एक नया लेखक इस मुकाम पर पहुँचा। अंत मे आभार प्रकट करता हूं उन समस्त पाठकों का जिन्होने अपना बहुमूल्य समय देकर इस उपन्यास को पढ़ने की इच्छा जाहिर की। मैं उम्मीद करता हूं यह उपन्यास आप सब की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा।

                       दिसम्बर 2012 में जब मैं पहली बार फेसबुक की दुनिया में शामिल हुआ तब लोगों में हिन्दी नावेल के प्रति जागरूकता नही थी। आज वक्त बदल चुका है। नये लेखकों को अच्छे मंच मिल चुके है। पुराने लेखकों ने फिर से कलम उठा ली है। उदाहरण परशुराम सर, एस सी बेदी सर, अमित खान सर हैं। यह बदलते वक्त की निशानी है। यह सब ऐसे ही नही बदला इसको बदलने में फेसबुक और वाट्सअप पर बन रहे अनेक ग्रुप का अभूतपूर्व योगदान भी रहा है। जिन्होने इस विधा में जान डाल दी। सर्वप्रथम मेरा जुड़ाव हुआ सुरेन्द्र मोहन पाठक ग्रुप और अनिल मोहन लिजेंड ग्रुप से, जहाँ मैने बहुत सी जानकारी प्राप्त की, अनील मोहन लिजेंड ग्रुप में मेरी मुलाकात हुई आदित्य वत्स जी से जिन्होने मेरे जीवन की दिशा बदल दी। नौ सितम्बर 2016 मेरे जन्मदिन के दिन मुझे ऐसा गिफ्ट मिला जिसे मैं भूल नही सकता। आदित्य जी ने इस दिन एक ग्रुप बनाया "दिवाने दे क्रेजी" और इस का एडमीन मुझे बना दिया यहाँ से मुझे फरेब लिखने की प्ररेणा मिली और यहाँ से सूरज पॉकेट बुक्स और उनके लेखकों से मेरी जान-पहचान हुई जिनके कारण फरेब अपने मुकाम पर पहुँचा।


            ‌‌18 फरवरी 2017 की सुबह जब मैं सो कर उठा तो एक अशुभ समाचार मेरा इंतजार कर रहा था। लोगो के दिलो पर राज करने वाले स्व.वेद प्रकाश शर्मा जी नही रहे। यह घटना मुझे बहुत आहत करने वाली थी। मैं समझ नही पा रहा था इस घटना को कैसे सहन करूँ। उस समय फरेब अपने अन्तिम स्टेज पर था। यू तो मैने अपने जीवन में अनेक लेखको को पढ़ा पर अन्त में तीन लेखको को ही पढ़ता था जिन में सुरेन्द्र मोहन पाठक, अनील मोहन, ओर स्व. वेद प्रकाश जी थे। सब अपनी विशेषताओं के कारण पंसद थे पर वेद जी का स्थान अलग था। मेरे उपन्यास की शुरुवात वेद जी से ही हुई। आज भी उनके नाम के साथ कई उपन्यास जहन में आते हैं जिनमे रामबाण, कठपुतली, डमरुवाला, बीवी का नशा, दहेज में रिवॉल्वर, देवकांता सन्तति, असली खिलाड़ी, शिखंडी, बहू मांगे इंसाफ, जिगर का टुकड़ा, प्रमुख हैं। उनकी यादें सदा इस दिल में रहेगी। फरेब समर्पित है स्व. वेद प्रकाश शर्मा जी को जिनके कारण यह छोटा कलमकार कुछ लिख पाया।
        फरेब की यह कहानी सुमित अवस्थी के मर्डर केस से प्रारंभ होती है। पुलिस लाख कोशिश के बाद भी कातिल को नही पकड़ पाती जब इस केस की जड़ें चंद्रेश मल्हौत्रा के केस से जुड़ती हैं। जिसकी बीवी कुछ दिनो से लापता है। तो कइयों की जिन्दगी में तूफान आते हैं। फरेब की ऐसी दास्तान सामने आती है जो आप के होश उड़ा देगी। सुमित अवस्थी के कातिल को जान कर आप हैरान हो जायेंगे। इस बुक के प्रति अपनी निष्पक्ष राय मुझे फेसबुक या मेल आईडी पर दें। आपके सुझावो के इंतजार में-


आपका
अमित श्रीवास्तव
लेखक- अमित श्रीवास्तव जी



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 लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...