दूसरा चेहरा- अंजिक्य शर्मा
उपन्यास 'दूसरा चेहरा' का एक अंश-
इंस्पेक्टर सुबीर पाल ने होटल जश्न की छठवीं मंजिल पर स्थित कमरा नम्बर 303 में कदम रखा।
वो उस तरह के शानदार होटलों में मिलने वाले सुइट्स की तरह ही एक शानदार सुइट था, जिसमें कुल तीन रूम थे। एक बाहर वाला हॉलनुमा रूम, उसे पार करके अंदर एक छोटा रूम और आखिर में तीसरा व आखिरी कमरा।
लाश सबसे बाहर वाले कमरे में ही पड़ी थी।
इंस्पेक्टर ने गौर से लाश का मुआयना किया। वो कोई 30-32 वर्ष का सेहतमंद ऊंची कद-काठी वाला युवक था। उसके गले के पास खून का छोटा-सा तालाब जैसा बन कर सूख भी चुका था। गले पर धारदार हथियार से काटे जाने का निशान था।
कुछ देर उस कमरे में रूकने के पश्चात इंस्पैक्टर पाल अगले कमरे को पार करते हुए सबसे अंदर वाले कमरे-बैडरूम में पहुंचा। वहां सब इंस्पैक्टर दिनेश रावत और पुलिस का डॉक्टर वी.के. खुराना पहले ही मौजूद थे।
उपन्यास 'दूसरा चेहरा' का एक अंश-
इंस्पेक्टर सुबीर पाल ने होटल जश्न की छठवीं मंजिल पर स्थित कमरा नम्बर 303 में कदम रखा।
वो उस तरह के शानदार होटलों में मिलने वाले सुइट्स की तरह ही एक शानदार सुइट था, जिसमें कुल तीन रूम थे। एक बाहर वाला हॉलनुमा रूम, उसे पार करके अंदर एक छोटा रूम और आखिर में तीसरा व आखिरी कमरा।
लाश सबसे बाहर वाले कमरे में ही पड़ी थी।
इंस्पेक्टर ने गौर से लाश का मुआयना किया। वो कोई 30-32 वर्ष का सेहतमंद ऊंची कद-काठी वाला युवक था। उसके गले के पास खून का छोटा-सा तालाब जैसा बन कर सूख भी चुका था। गले पर धारदार हथियार से काटे जाने का निशान था।
कुछ देर उस कमरे में रूकने के पश्चात इंस्पैक्टर पाल अगले कमरे को पार करते हुए सबसे अंदर वाले कमरे-बैडरूम में पहुंचा। वहां सब इंस्पैक्टर दिनेश रावत और पुलिस का डॉक्टर वी.के. खुराना पहले ही मौजूद थे।