सन 1865 (संवत 1922 माघकृष्ण अमावस्या) काशी मे किशोरीलाल गोस्वामी का जन्म हुआ था, आपने उपन्यास, कहानी, नाटक, संपादन आदि अनेक विधाओं पर हाथ आजमाया और सभी मे सफल रहे. आपके उपन्यासों की सूचि मे “त्रिवेणी वा सौभाग्य श्रेणी, प्रणयिनी-परिणय, हृदयहारिणी वा आदर्श रमणी, लवंगलता वा आदर्श बाला (हृदयहारिणी उपन्यास का उपसंहार), सुल्ताना रज़िया बेगम वा रंगमहल में हलाहल, मालती माधव, मदनमोहिनी, गुलबहार, हीराबाई वा बेहयाई का बोरका (ऐतिहासिक उपन्यास), लावण्यमयी (बंगभाषा के आश्रय से), सुख शर्वरी (बंगभाषा के आश्रय से), प्रेममयी (बंगभाषा के आश्रय से), इंदुमती वा वनविहंगिनी (ऐतिहासिक उपन्यास), गुलबहार वा आदर्श भ्रातृस्नेह, तारा वा क्षात्र-कुल-कमलिनी (ऐतिहासिक उपन्यास), तरुण तपस्विनी वा कुटीर वासिनी, चंद्रावली वा कुलटा कुतूहल, जिंदे की लाश (जासूसी उपन्यास), माधवी-माधव वा मदन-मोहिनी (दो भागों में), लीलावती वा आदर्श सती, तारा वा क्षात्र कुल कमलिनी, राजकुमारी, चपला वा नव्य समाज चित्र, कनक कुसुम वा मस्तानी, मल्लिका देवी वा बंग सरोजिनी, पुनर्जन्म वा सौतिया डाह, सोना और सुगंध वा पन्नाबाई, लखनऊ की कब्र वा शाही महल सरा, अँगूठी का नगीना, लाल कुँवर वा शाही रंगमहल, गुप्त गोदना” प्रमुख है किशोरी सतसई नाम से एक कविता संग्रह है ‘चौपट-चपेट, मयंक मंजरी” नाम के दो नाटक है उपन्यास (मासिक पत्रिका) का आपने सफल सम्पादन किया. सन 1932 में आपका देहावसान हुआ.
1890 में प्रकाशित 'लवंगलता वा आदर्शबाला' तथा 'हृदयहारिणी वा आदर्शरमणी' के संदर्भ में जो विज्ञप्ति निकाली उस की एक झलक:
-''...जिन उपन्यास-प्रेमियों को इस ''मासिक पुस्तक का ग्राहक होना हो, वे शीघ्र ही दो रुपये भेज कर ग्राहक बन जाएँ। और जो नमूना देखना चाहें, वे चार आने का टिकट भेजें। हाँ इतना ध्यान रहेगा कि जो महाशय चार आने भेज कर नमूना मँगावेंगे वे यदि पीछे ग्राहक हो जाएँगे, तो उनसे चार आने मुजरे देकर पौने दो रुपये ही लिए जाएँगे। वी.पी. का खर्च एक आना ग्राहकों को ही देना होगा। हाँ, डाक महसूल कुछ नहीं लगेगा। इस विषय की चिट्ठी-पत्री आदि नीचे लिखे ठिकाने से भेजना चाहिए।
श्री किशोरीलाल गोस्वामी
संपादक ''उपन्यास मासिक-पुस्तक
श्री सुदर्शन प्रेस'' वृंदावन (मथुरा) यू.पी.''
इसी किताब के एक पेज की नक़ल से अंदाज़ा हो जायेगा कि उस समय की भाषा शैली कैसी थी।
----
प्रस्तुति- प्रवीण जैन