02. मौत की बाँहों में
03. सूनी घाटी का कत्ल
04. साँपों की प्रेमिका
05. सर कटी लाश
06. मौत के दावेदार
07. शह और मात
08. सुनहला कीड़ा
09. शैतान की मौत
10. खूनी प्यास
- मेरा जन्म मेरठ जिले के मलियाना ग्राम में हुआ था। जो
मेरठ सिटी रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर की दूरी पर है। मेरे पिता श्री किरन सिंह
मेरठ जिले की सरधना तहसील के हबड़िया गांव के एक छोटे किसान परिवार से थे। और मेरठ
नगर महापालिका में सरकारी ओहदे पर थे।
मेरी शिक्षा ग्रेजुएट तक रही। किसी
कारणवश मुझे पोस्ट ग्रेजुऐशन की पढाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। पूर्व संस्कार ही
रहे होंगे की कक्षा पांच तक पहुंचते -पहुंचते मेरे अंदर का लेखक जागृत हो चुका
था। यह बचपन का वह दौर था, जब क्लासरूम
में बच्चों के झुण्ड के बीच फिल्मी गानों पर परोडी बनाकर सुनाता था। और ताज्जुब इस
बात का रहा कि दस फिट दूर बैठे सख्त मिजाज अध्यापक को मेरी आवाज सुनाई नहीं देती
थी। उस वक्त के मेरे ही ग्रुप का एक बच्चा (जिसका नाम शायद चतर सिंह था) कहीं से
दो अजीब सी लैंग्वेज सीख कर आया था। और मैं एकमात्र स्टुडेंट था जो हफ्ते भर में
उससे धाराप्रवाह उस लैंग्वेज में बातें करने लगा था। वह दोनों भाषायें में आज भी
धाराप्रवाह बोलना जानता हूँ। मुझे नहीं लगता लिखने में और बोलने में संस्कृत जैसी
प्रतीत होती दोनों भाषायें कहीं बोली भी जाती रही होंगी या अब भी कहीं बोली जाती
होंगी।
बहरहाल, दोनों भाषाओं का इतिहास कुछ भी हो, मगर अब यह भाषायें उन दो देशों की राष्ट्रीय भाषायें बन चुकी हैं, जो मेरे आने वाले उपन्यास के दो काल्पनिक देश हैं।
उपन्यासकार आनंद चौधरी |
लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...