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रविवार, 24 दिसंबर 2023

मनोहर कहानियां, मई 1999

  इलाहाबाद के मित्र प्रकाशन से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका मनोहर कहानियाँ अपने समय सर्वाधिक रोमांचक पत्रिका रही है।

   सत्य और काल्पनिक कहानियों के संगम वाली इस पत्रिका को हर वर्ग के पाठकों ने चाहा, सराहा और पढा है।
  इलाहाबाद के मुट्ठीगंज के 'मित्र प्रकाशन' से मनोहर कहानियाँ, सत्यकथा, माया जैसे चर्चित पत्रिकाएं प्रकाशित होती थी। इसके संस्थापक स्वर्गीय श्री क्षितिज मोहन मित्र थे।
मनोहर कहानियाँ पत्रिका का आरम्भ सन 1944 में हुआ था, तब इस पत्रिका में मात्र रहस्य-रोमांच कथाएं ही प्रकाशित होती थी।  मित्र प्रकाशन ने सन् 1972 में 'सत्यकथा' नामक पत्रिका की शुरुआत की जिसमें सिर्फ सत्यकथाएं ही प्रकाशित होती थी। पाठकवर्ग ने सत्यकथा के साथ-साथ रहस्य-रोमांच को ज्यादा महत्व दिया। मित्र प्रकाशन ने सन् 1973 में मनोहर कहानियाँ पत्रिका में रहस्य- रोमांच के साथ-साथ सत्यकथाएं छापनी शुरु की।
सन् 2000 तक यह पत्रिका नियमित प्रकाशित होती रही लेकिन मित्र प्रकाशन की आंतरिक स्थितियां कुछ बदल गयी और मित्र प्रकाशन बंद हो गया।
  बाद में 'डायमंड प्रकाशन दिल्ली' से इस पत्रिका का प्रकाशन हुआ, लेकिन वर्तमान में यह पत्रिका अपने तृतीय प्रकाशन 'दिल्ली प्रेस' के अंतर्गत प्रकाशित हो रही है।
  अब इस पत्रिका में वह 'स्वाद' नहीं रहा, जिसके कारण इसे पाठकों को अत्यंत प्रयास मिल रहा है।
जिन पाठकों ने 90 के दशक में इसे पढा है उन्हें प्रमेन्द्र मित्र, कुमार मित्र, पुष्पक पुष्प, इंस्पेक्टर अहमद यार खान, इंस्पेक्टर नवाज खान,  सुरजीत के अनुवाद, पुलिस की डायरी जैसे किस्से याद ही होंगे।
   अब यह पत्रिका और इसकी यादें ही शेष हैं।

मनोहर कहानियाँ, मई 1999, आवरण पृष्ठ

यहाँ हम मनोहर कहानियाँ may 1999 के अंक के कुछ महत्वपूर्ण पृष्ठ प्रस्तुत कर रहे हैं, जो इस पत्रिका के विषय में बहुत कुछ कहने में सक्षम हैं।

रविवार, 17 दिसंबर 2023

उपन्यास की दुनिया के बेताज बादशाह वेद प्रकाश शर्मा

उपन्यास की दुनिया के बेताज बादशाह वेद प्रकाश शर्मा

वेद प्रकाश शर्मा मेरठ  की  शान हैं. उपन्यास साहित्य है या नहीं, यह साहित्य की मुख्य धारा से जुड़ी हस्तियों के बीच बहस का विषय हो सकता है लेकिन एक सफल उपन्यासकार इसकी परवाह न करते हुए अपने पाठकों से मिलने वाले प्यार को ही सबसे बड़ा ईनाम मानता है और उसकी नजर में यही है उसकी सफलता-असफलता का असली पैमाना। इस बहस से इतर एक उपन्यासकार उपन्यास की विधा को ही अपना सब कुछ मानता है। यही वह विधा है जो अपने पाठकों को तिलिस्म और फंतासी की दुनिया की सैर कराता है। इसके बावजूद समाज में मां-बाप बच्चों को आज भी उपन्यास पढ़ने से क्यों रोकते हैं? उपन्यास क्या है? इसे समाज अथवा साहित्य किस रूप में लेता है? इन बातों को लेकर उपन्यास की दुनिया के बेताज बादशाह वेद प्रकाश शर्मा से की गई चर्चा से अपने पाठकों को रूबरू करा रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार  संतराम पाण्डेय। 
        एक मुलाकात में श्री वेद प्रकाश शर्मा खुद ही बताना शुरू करते हैं। जब मैं हाई स्कूल में पढ़ रहा था तो स्कूल की मैग्जीन में मुझे भी कुछ लिखने का मौका मिला। मैंने जो कहानी लिखी उसका शीर्षक था ‘पैनों की जेल’। मेरी कहानी पढ़कर मेरे

शनिवार, 7 अक्तूबर 2023

कर्नल अजीत

नाम- कर्नल अजीत
उपन्यास साहित्य में कर्नल रंजीत के पश्चात जो कर्नल, कैप्ट
इंस्पेक्टर नाम के लेखकों की आंधी चली उसमें एक और नाम हम शामिल करते हैं। वह नाम है कर्नल अजीत। 
कर्नल अजीत के विषय में हमारे जानकारी संक्षिप्त है, किसी मित्र को किसी प्रकार की कोई जानकारी हो तो हमसे अवश्य संपर्क करें।

कर्नल अजीत के उपन्यास
1. कांपती मौत


 

शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2023

एस. सी. बेदी उपन्यास सेट सूची

 नमस्ते,
हमारा यहाँ एक प्रयास है एस. सी. बेदी के उपन्यासों के सेट की सूचना देने का।
हालांकि यह अत्यंत क्लिष्ट कार्य है, क्योंकि राजा पॉकेट बुक्स के अतिरिक्त अन्य संस्थानों से प्रकाशित एस. सी. बेदी जी के उपन्यासों की 'सेट' अनुसार सूचना एकत्र करना मुश्किल है।
  यहाँ हम कुछ जानकारी प्रकाशित कर रहे हैं, जिन्हे समय-समय पर अपडट करते रहेंगे।
आपके सहयोग का इंतजार रहेगा।

1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12,13,14,15,16,17,18,19,20,21,22,23,24,25,26,27,28,29,30

07. राजा पॉकेट बुक्स एस.सी. बेदी के 07वें सैट के उपन्यास
  1. प्रेतनी का आतंक
  2. महाशक्ति
  3. लुटेरिन
  4. लुटेरिन का अंत
  5. आत्मा की चट्टान 
  6. चट्टान का रहस्य
  7. जहरीली गैसें
  8. मूछों की हत्या
  9. कंकालों की करामात
08. राजा पॉकेट बुक्स एस.सी. बेदी के 08वें सैट के उपन्यास
  1. रोशनी का आदमी
  2. अरब बौनों‌ की दुनिया
  3. कफन
  4. लटकी हुयी लाशें
  5. गुफा का दैत्य
  6. जासूस लड़की
  7. दानवी ताकक
  8. भयानक चेतावनी
  9. मौत खरीदने वाले

13. राजा पॉकेट बुक्स के 13 वें सेट के उपन्यास
  1. मौत का निशान 
  2. मुर्दों की रेल
  3. कंकाल की उंगलियां 
  4. भूतों की दुनिया
  5. आवाज की तबाही
  6. खौफनाक आवाज
  7. खूनी भेड़िया
  8. खतरनाक जासूस
  9. कब्रिस्तान का शहजादा (साहसिक रोमांचक कथा)
14. राजा पॉकेट बुक्स के 14 वें सेट के उपन्यास
  1. मौत का भय 
  2. मौत बांटने वाले
  3. खौफनाक धमाका
  4. खूनी सागर
  5. गलता मांस 
  6. खूनी सुरंग
  7. खतरनाक दुनिया
  8. लाश के टुकड़े 
  9. खौफनाक प्रेत (साहसिक रोमांचक कथा)
24. राजा पॉकेट बुक्स 24 वें सैट के बाल उपन्यास

  1. खूबसूरत जासूस (राजन- इकबाल सीरीज)
  2. खूनी खेल
  3. कत्ल की साजिश
  4. लकड़ी का रहस्य
  5. जहाज का रहस्य
  6. रहस्य खुल गया
  7. अंधे की आंखें 
  8. हत्या का रहस्य
  9. नकाब नोचने वाले (साहसिक रोमांचक कथा)

26. राजा पॉकेट बुक्स में  एस. सी. बेदी 26 वें सैट के उपन्यास
  1. खौफनाक जाल
  2. सुन्दरता की ब्लैकमेलिंग
  3. लड़कियों का हंगामा
  4. रहस्यमयी सुन्दरी 
  5. अनोखी दुनिया 
  6. खौफनाक रोशनी 
  7. मांसभक्षी प्रेत
  8. स्वर्गभवन का रहस्य
  9. जाल के टुकड़े

27. राजा पॉकेट बुक्स 27वें सैट के उपन्यास
  1. मायावी संसार - (समस्त राजन इकबाल सीरीज)
  2. हंगामों की रात
  3. देश बेचने वाले
  4. खूबसूरत हंगामा
  5. हंगामों की मौत 
  6. जंगल का रहस्य
  7. रहस्य खुल गया
  8. जिन्दा मुर्दा
  9. रहस्यमय झील (साहसिक रोमांचक कथा)
28. राजा पॉकेट बुक्स का 28 वां बाल उपन्यास सेट 
  1. आसमानी ताकत 
  2. लाश उड़ गई
  3. खौफनाक साजिश
  4. राक्षसी जानवर
  5. रहस्यमय देश
  6. घाटी की चिंगारियां
  7. चिंगारियों की तबाही
  8. भय लुटेरों का
  9. आग के पक्षी
29. राजा पॉकेट बुक्स का 29 वां बाल उपन्यास सेट 
  1. कब्र को खोज
  2. कांपती घाटी
  3. बीस करोड़ का सोना
  4. एक और लाश
  5. दुश्मन का खजाना
  6. युद्ध
  7. सब कत्ल होंगे 
  8. डरावनी लाश
  9. जादुई सुन्दरीसाहसिक रोमांचक
प्रत्येक का मूल्य आठ रुपए। पूरे सेट का मूल्य 72/-

तुलसी पॉकेट बुक्स में एस. सी. बेदी के इस सेट में प्रकाशित 
  1. अजगर - (राजन इकबाल सीरीज) 30-8.1993
  2. अजगर का रहस्य
  3. लाशों का जंगल
  4. फूल का रहस्य
  5. देवी की मौत
  6. खौफनाक वैज्ञानिक 
  7. उल्लू का आतंक
  8. उल्लू आ गया 
  9. आग के शैतान - (साहसिक रोमांचक कथा)
तुलसी पॉकेट बुक्स के आगामी सेट में एस.सी०. बेदी के नये बाल उपन्यास
  1. खूबसूरत नागिन - (राजन इकबाल सीरीज)
  2. नागिन का नाच
  3. खौफनाक आंख
  4. आंख का तमाचा 
  5. हार का हंगामा
  6. विनाश लीला
  7. लाल ग्रह की रानी 
  8. ग्रहों की जंग
  9. घाटी की मौत (साहसिक रोमांचक कथा)
हरीश पॉकेट बुक्स के 09 वें सेट के नौ नये बाल उपन्यास
  1. लाश का हंगामा लेखक एस. सी. बेदी
  2. रेस की कब्रें
  3. जहरीली रोशनी
  4. फिगही की दुनिया
  5. मुर्दों की बस्ती 
  6. खून की प्यास
  7. जंगल के भूत
  8. जहरीली अगूठी लेखक हरीश
  9. इकलाब के पुजारी लेखक हरीश

हरीश पॉकेट बुक्स के 11वें सेट के नौ नये बाल उपन्यास

  1. समुद्री दानव
  2. खून की आवाज इन दोनों उपन्यासों के लेखक हरीश हैं।
  3. कत्ल का कत्ल क्रमांक 3-9 तक लेखक एस सी. बेदी हैं।
  4. प्रलय की मूर्ति
  5. देश के दुश्मन
  6. चीनी शैतान
  7. सिरकटी लाशें
  8. भटकती आत्मा
  9. काला सूरज
          पूरे सेट का मूल्य पन्द्रह रुपये


हरीश पॉकेट बुक्स के 21 वें सेट के उपन्यास
  1. बर्फ की लाशें
  2. खौफनाक आवाज
  3. बोलता पर्वत 
  4. लाल घाटी
  5. खूनी बादल
  6. सुनहरी चिंगारियां 
  7. रोशनी का जंगल
  8. हरा खून  
  9. अनोखा देश अंतिम दोनों उपन्यास लेखक हरीश के हैं।
नूतन पॉकेट बुक्स में एस. सी. बेदी का एक सेट 
  1. हीरा और पत्थर
  2. कसम ईमान की
  3. मौत का तूफान
  4. नकली चेहरा
  5. भूत बंगला
  6. दिन दहाड़े के हत्यारे
  7. तिहाड़ का कैदी
  8. जालसाजों का बादशाह
  9. सड़क की लाश
  10. सफेद आत्मा
  11. राजन के दुश्मन
  12. हत्यारा खिलाड़ी

रविवार, 24 सितंबर 2023

कैप्टन राजेश

लेखक - कैप्टन राजेश
प्रकाशक - कुसुम प्रकाशन, इलाहाबाद

01. काला मकान
02. मौत की बाँहों में
03. सूनी घाटी का कत्ल
04. साँपों की प्रेमिका
05. सर कटी लाश 
06. मौत के दावेदार
07. शह और मात
08. सुनहला कीड़ा
09. शैतान की मौत
10. खूनी प्यास 
11. औरत का जहर
12. रहस्य की आवाज
13. शिकारी पक्षी
14. साया और मौत
15. विदेशी राक्षस
16. खून के धब्बे
17.  जहरीला आदमी

शनिवार, 23 सितंबर 2023

 समकालीन और उसपर भी प्रतिस्पर्धी लेखकों से सराहना पाना दुर्लभ है। यह सराहना यदि लेखक के लेखकीय जीवन काल में मिले तो यह दुर्लभतम कही जानी चाहिए।
यह एक ऐसी जिंस है जिसके लिए इसके लिए न सिर्फ अच्छा लेखक होना बल्कि उम्दा इंसान होना भी मूलभूत गुण है। 
जनप्रिय ओम प्रकाश शर्मा दोनों ही थे। बकौल "आबिद रिजवी" दोपहर में जनप्रिय के घर के सामने से  गुजरते घोस्ट राइटर या संघर्षरत लेखकों में से कोई ऐसा नहीं होता था,जो उनकी नजर में आ जाए और बिना खाना खाए गुजर जाए।"
दरअसल,तब मेरठ पॉकेट बुक्स के प्रकाशकों का बड़ा बाजार था (मेरी समझ से यह भी जनप्रिय की ही देन थी,  उन्होंने दिल्ली छोड़ कर मेरठ को अपने लेखन का शहर बनाने के प्रयास में व्यवसायियों को प्रकाशन की राह दिखाई।बाकी सब इतिहास है)
तब के प्रयत्नशील और संघर्षरत लेखक, मैनपुरी,इटावा, बरेली,हापुड़ जैसे शहरों से अपनी पांडुलिपि जमा करने प्रकाशकों के पास आते और पहुंचते न पहुंचते दोपहर तक भूखे रह जाते।  जनप्रिय यह पीड़ा समझते थे। कोई लेखक यदि उनकी आंखों के आगे पद जाता तो वह  साधिकार उन्हें घर ले आते। 
जनप्रिय ने लेखकों की पांडुलिपि  देखने की कोशिश नही की। कारण यह था कि वह जानते थे कि 90 फीसद लेखक  उनके ही पात्रों पर रची पांडुलिपि लेकर आए हैं।जिन्हे बाद में प्रकाशक "ओम प्रकाश शर्मा" के जाली नाम से ही चिपका कर प्रकाशित कर देगा।वह युवा और संघर्षरत लेखकों को इसलिए दोषी भी नहीं मानते थे। द ट्रिब्यून(संभवतः) को दिए अपने साक्षात्कार में उन्होंने कहा था वह जानते थे कि यह युवा लेखकों की रोजी रोटी का मसला है। असली दोषी तो प्रकाशक हैं। वह ट्रेड नामों के खिलाफ लामबंद होने के लिए स्थापित लेखकों से आग्रह करते रहे। मगर हासिल वह स्वयं भी जानते ही थे।
बहरहाल साथ लगी कतरन और कवर सामाजिक लेखक साधना प्रतापी की 1970 में प्रकाशित उपन्यास "अंधेरी रात के हमसफर से है" जहां उन्होंने ओम प्रकाश शर्मा की प्रतिष्ठा की बाबत जिक्र किया है। गौरतलब यह कि साधना प्रतापी, सत्तर के दशक में स्वयं ही एक अच्छे लेखक थे।उनकी दो एक किताबों का फिल्मीकरण भी हुआ है। 
किताब के नाम और कवर पर न  जाएं। यह भ्रामक ही हुआ करती थीं । कहानी एक संघर्षरत लेखक की है, जो अपना उपन्यास प्रकाशित करवाना चाहता है।
आलेख- सत्य व्यास


सोमवार, 11 सितंबर 2023

विनोद प्रभाकर- साक्षात्कार

 21 वर्ष की उम्र में मैं एक सफल उपन्यासकार और प्रकाशक बन चुका था- विनोद प्रभाकर

साक्षात्कार की इस शृंखला में इस बार प्रस्तुत है लोकप्रिय साहित्य के सितारे विनोद प्रभाकर उर्फ सुरेश साहिल जी का प्रथम साक्षात्कार। मेरठ निवासी विनोद प्रभाकर जी ने यहां अपने वास्तविक नाम से जासूसी लेखन किया वहीं सुरेश साहिल के नाम से लौट आओ सिमरन जैसी चर्चित कृति का सर्जन भी किया।
वर्तमान में मेरठ के मलियाना में निवासरत सुरेश जी निजी शिक्षण संस्थान का संचालन करते है और दीर्घ समय पश्चात अपनी रचना लेखन में व्यस्त हैं।

01. लोकप्रिय साहित्य में विनोद प्रभाकर या सुरेश साहिल का नाम काफी चर्चित रहा है। लेकिन हम एक बार अपने पाठकों के लिये आपका जीवन परिचय जानना चाहेंगे।

- मेरा जन्म मेरठ जिले के मलियाना ग्राम में हुआ था। जो मेरठ सिटी रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर की दूरी पर है। मेरे पिता श्री किरन सिंह मेरठ जिले की सरधना तहसील के हबड़िया गांव के एक छोटे किसान परिवार से थे। और मेरठ नगर महापालिका में सरकारी ओहदे पर थे।

               मेरी शिक्षा ग्रेजुएट तक रही। किसी कारणवश मुझे पोस्ट ग्रेजुऐशन की पढाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। पूर्व संस्कार ही रहे होंगे की कक्षा पांच तक पहुंचते -पहुंचते मेरे अंदर का लेखक जागृत हो चुका था।  यह बचपन का वह दौर था, जब क्लासरूम में बच्चों के झुण्ड के बीच फिल्मी गानों पर परोडी बनाकर सुनाता था। और ताज्जुब इस बात का रहा कि दस फिट दूर बैठे सख्त मिजाज अध्यापक को मेरी आवाज सुनाई नहीं देती थी। उस वक्त के मेरे ही ग्रुप का एक बच्चा (जिसका नाम शायद चतर सिंह था) कहीं से दो अजीब सी लैंग्वेज सीख कर आया था। और मैं एकमात्र स्टुडेंट था जो हफ्ते भर में उससे धाराप्रवाह उस लैंग्वेज में बातें करने लगा था। वह दोनों भाषायें में आज भी धाराप्रवाह बोलना जानता हूँ। मुझे नहीं लगता लिखने में और बोलने में संस्कृत जैसी प्रतीत होती दोनों भाषायें कहीं बोली भी जाती रही होंगी या अब भी कहीं बोली जाती होंगी।

 बहरहाल, दोनों भाषाओं का इतिहास कुछ भी हो, मगर अब यह भाषायें उन दो देशों की राष्ट्रीय भाषायें बन चुकी हैं, जो मेरे आने वाले उपन्यास के दो काल्पनिक देश हैं।

रविवार, 3 सितंबर 2023

होशियार सिंह

नाम-होशियार सिंह
लोकप्रिय साहित्य में एक नाम और सामने आया है, वह नाम है। होशियार सिंह। हालांकि होशियार सिंह जी का एक ही उपन्यास अभी तक हमारी जानकारी में आया है। यहाँ प्रस्तुत जानकारी उसी उपन्यास पर आधारित है। 
होशियार सिंह के उपन्यास
1. जंजीर और हथकडियां (नूतन पॉकेट बुक्स, मेरठ)
2. कसमें वायदे
संपर्क-
होशियार सिंह /
13/8, शाहगंज दरवाजा
कच्ची सडक- मथुरा
पिन-281001
उक्त समस्त जानकारी हमें छत्तीसगढ़ निवासी नवीन जी ने प्रेषित की है। नवीन जी का हार्दिक धन्यवाद |
लेखक होशियार सिंह जी के विषय में अन्य कोई जानकारी
किसी पाठक के पास हो तो हमसे संपर्क करें।

आनंद चौधरी, परिचय

नाम- आनंद चौधरी
जन्म - 10-05-1981
माता- श्रीमती उर्मिला देवी
पिता- श्री विजय चौधरी
शिक्षा- स्नातक 
वर्तमान कार्य- उपन्यास लेखन, contractor (machenical steel construction) founder of our construction company "omkar engineering".
संपर्क- 8578853325, 9472621470.
Email- omkarengineering.1525@gmail.com 
Add.- ग्राम- नुरपुर, पोस्ट- फुलाड़ी, थाना-अजीमाबाद, 
जिला- भोजपुर (आरा), बिहार- 802164
उपन्यासकार आनंद चौधरी
उपन्यासकार आनंद चौधरी

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उपन्यास सूची- 

1. साजन मेरे शातिर- [ क्राइम -थ्रिलर ] नवम्बर 2009 
दुर्गा पॉकेट बुक्स 
2. हैरीटेज होस्टल हत्याकांड- [ मर्डर मिस्ट्री ] 10- 05- 2022 - अजय पॉकेट बुक्स
3.आयुष्मान- [ साइंस फिक्शन ] 1 जनवरी 2023 अजय पॉकेट बुक्स
4. मौत मेरे पीछे - [ मर्डर मिस्ट्री ] - प्रकाशकाधीन

आनंद चौधरी के उपन्यासों की समीक्षा यहाँ पढें

गुरुवार, 24 अगस्त 2023

खाली आंचल- सुरेश चौधरी, उपन्यास समीक्षा

उपन्यास - खाली आँचल
लेखक -   सुरेश चौधरी, 
उपन्यास समीक्षा- सूरज शुक्ला

हा विधाता! क्यों दिए कोमल हृदय, 
हर जरा सी बात पर होता सदय, 
सह न जाता, यह कठिनतम ताप है!
सच कहूँ, संवेदना अभिशाप है। 
- सूरज 
पर...वह जरा सी बात न थी... 
आकाश को आकाश भर दुख मिले, धोखे मिले, दर्द मिला, और यह सब उन्होंने दिया जो उसके अपने लगते थे, जिनके लिए उसने अपने सुख, अपनी खुशियां , अपनी सारी कामनायें त्याग दी। 
कहते हैं, प्यार में आदमी अंधा हो जाता है, आकाश भी हुआ पर उसके अंतर्मन में वह अंतर्दृष्टि मौजूद थी, जिससे वह सही-गलत का आकलन कर सकता था, उसने किया भी और हमेशा करता रहा और यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी साबित हुई।


एक बार‘विम्मी’ दी ने मुझसे कहा था, ‘भाई, कोई सही या गलत नहीं होता है, सब परिस्थितियों का खेल है, जो आज सही है, वह कल गलत लगेगा और जो आज गलत है वह कल सही लगेगा’ और सच कहूँ तो लगभग यही आकाश के साथ हुआ। 

गुरुवार, 10 अगस्त 2023

क्राइम एक्सपर्ट- राकेश पाठक, उपन्यास अंश

साहित्य देश के उपन्यास अंश में इस बार पढें लोकप्रिय साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार राकेश पाठक जी के चर्चित उपन्यास 'क्राइम एक्सपर्ट' उपन्यास का एक अंश।
फोन की घण्टी बजने पर स्टाफ के साथ जश्न मना रहे इन्सपेक्टर मुकेश तिवारी ने रिसीवर उठाया तथा कान से लगाकर बोला- “हैलो, कौन ?"
"कांग्रेचुलेशन, मिस्टर तिवारी ।" दूसरी तरफ से मानो कोई गहरे कुंयें से बोल रहा था-"तुमने बहुत बड़ा कारनामा कर दिखलाया है।"
“हां, कारनामा तो किया ही है मैंने।”- मुकेश तिवारी सीने पर लगे सोने के तमगे को सहला कर बोला, "रिंगो को खत्म कर दिया है मैंने। वो साला कानून और पुलिस डिपार्टमैंट के लिये सिरदर्द और चैलेंज बना हुआ था। तभी तो सरकार ने उस पर पूरे एक करोड़ रुपये का इनाम रखा था। लेकिन तुम कौन हो ?"


“रिंगो।"
“क्या बकते हो ? पुलिस वाले से ही मजाक ? रिंगो को तो मैंने मार दिया।"
"रिंगो के पंच तत्वों से बने शरीर को ही ना, उसकी आत्मा को तो नहीं ना ?” - मानो कोई जख्मी नाग ही फुफंकारा हो, “थोड़ा-सा चूक गया मैं और तेरी गोलियों का शिकार हो गया। वरना तेरे जैसे पुलिस वाले मेरी जेबों में पड़े रहते थे। ओवर कॉन्फीडेन्स का शिकार हो गया था मैं। खरगोश और कछुवे वाली बात ही हो गई। खरगोश ने सोचा कि कछुआ तो शाम तक भी विनिंग स्पॉट पर नहीं पहुंच पायेगा, और वो सो गया। जब नींद टूटी तो कछुआ रेस जीत चुका था। मैं आत्मा हूँ 'रिंगो की आत्मा' ।"

बुधवार, 26 जुलाई 2023

मिलते - जुलते शीर्षक

साहित्य देश के स्तम्भ 'शीर्षक' के इस पोस्ट में हम 'मिलते- जुलते शीर्षक' शामिल कर रहे हैं। 
समय- समय पर यह पोस्ट अपडेट होती रहेगी।

...............

सबसे बडा डाॅन - ओमप्रकाश शर्मा (द्वितीय)

सबसे बडा शैतान - राज

सबसे बडा रुपया - राजहस

वो कौन था- अनिल मोहन

वो कौन थी- सुरेन्द्र मोहन पाठक

वह कौन था- कर्नल रंजीत

डायल 100- सुरेन्द्र मोहन पाठक

डायल 101- रजत राजवंशी


सोमवार, 10 जुलाई 2023

राकेश

लेखक - राकेश

लेखक राकेश का एक उपन्यास उपलब्ध है 'चीनी षड्यंत्र' जो की मेरठ से प्रकाशित है।
प्राप्त उपन्यास में प्रकाशक 'सीक्रेट सर्विस कार्यालय-मेरठ' और वितरक 'प्रभात पॉकेट बुक्स-मेरठ' लिखा है।
  अल्प जानकारी अनुसार 'राकेश' एक एक्शन लेखक थे।

राकेश के उपन्यास


1. चीनी षड्यंत्र

उक्त लेखक के  विषय में‌ अन्य कोई जानकारी हो तो अवश्य शेयर करें।
धन्यवाद
Email- Sahityadesh@gmail.com
विशेष- धीरज पॉकेट बुक्स के एक लेखक 'राकेश' भी थे, जिनके उपन्यास सामाजिक श्रेणी के थे।

sahityadesh

राकेश - धीरज पॉकेट बुक्स


 नाम- अशोक तरुण

दिल्ली के निवासी अशोक तरुण जी, प्राप्त संक्षिप्त जानकारी कर अनुसार एक एक्शन उपन्यासकार के रूप में सामने आते हैं। 

हालांकि उनके विषय में उनके उपन्यासों से ही जानकारी प्राप्त होती है जो अप्राप्य है।

अशोक तरुण के उपन्यास
  1. विकास और खूनी षड्यंत्र
  2. विकास और चीनी दरिंदे
लेखक अशोक तरुण के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध हो तो हमसे अवश्य संपर्क करें।
Email- Sahityadesh@gmail.com

लेखक का एड्रेस
अशोक तरुण
2466, बाजार सीताराम
दिल्ली-6
Ashok sahityadesh


शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

मजेदार समोसे- रोचक किस्सा

साहित्य देश के हास्य रस स्तम्भ में प्रस्तुत है प्रसिद्ध उपन्यासकार कर्नल रंजीत के उपन्यास 'वह कौन था' का एक हास्यपूर्ण किस्सा।

"बाबा, तुम समोसे क्या बनाते हो, गजब ढाते हो !" मेजर कहा ।
   ठाकुर हिम्मत सिंह मेजर की इस प्रशंसा पर प्रसन्न हुए। उन्होंने ऊंची आवाज में कहा - "बाबा नन्दू, इधर आओ और इनको बताओ कि तुम हमारे घर में नौकर कैसे हुए थे !"
"सरकार, मैं यह कहानी इतनी बार मेहमानों को सुना चुका हूं कि अब उसे दुहराते हुए शर्म आती है।" नन्दू बाबा ने निकट आकर कहा – “मगर मालिक का हुक्म कौन टाल सकता है, साहब ? मैं बावर्ची की नौकरी की खोज में था। बड़े ठाकुर साहब यानी मालिक के दादाजी ने मुझे देखा तो उनको विश्वास न आया कि मैं बावर्ची भी हो सकता हूं। खैर उन्होंने मुझे आजमाने की ठान ली। हुक्म हुआ कि मैं रसोईघर में जाकर दोपहर का खाना तैयार करूं, सबसे पहले वे खाकर देखेंगे। सो हुजूर, खाना बन गया।
       ठाकुर साहब खाने के लिए बैठे। मैंने नौकरानी के हाथ पाली परोसकर भिजवाई। थाली में केवल दाल की कटोरी थी और परांठे थे। में धड़कते दिल के साथ रसोई में इन्तजार कर रहा था । वही हुआ जिसकी मुझे उम्मीद थी। बड़े ठाकुर साहब ने बार-बार दाल मंगवाई, यहां तक कि उनका पेट भर गया। फिर वे रसोई में आकर बोले- 'मैं तो सिर्फ दाल ही खाता रहा, बाकी जो चीजें तुमने पकाई होंगी, वे तो पड़ी रह गई...!" मैंने केवल एक बरतन उनके आगे रख दिया जिसमें दाल थी और कहा- 'मैंने और कुछ नहीं बनाया था, सरकार ! बस दाल ही बनाई थी और इस विश्वास के साथ बनाई थी कि आप इसके सिवा और कोई चीज मांग ही नहीं सकेंगे ।' बड़े ठाकुर साहब ने मेरी पीठ बनवाई और उसी दिन से मैं इस घर का सेवक चला आ रहा हूं।" नन्दु बाबा ने हाथ हिलाकर कहा मेजर की नजरें उसके हाथों पर पड़ी तो वह आश्चर्य से उसके मैले हाथों की ओर देखने लगा ।
   नन्दू बाबा ने मेजर की निगाहें अपने हाथों पर जमी देखी तो उसने तुरन्त अपने हाथ अपनी पीठ के पीछे छिपा लिए।

उपन्यास-  वह कौन था
लेखक -    कर्नल रंजीत

बुधवार, 28 जून 2023

तथास्तु- वेदप्रकाश शर्मा, उपन्यास अंश

साहित्य देश के स्तम्भ 'उपन्यास अंश' में इस बार प्रस्तुत है प्रसिद्ध उपन्यासकार वेदप्रकाश शर्मा जी के पुत्र शगुन शर्मा जी के उपन्यास 'तथास्तु' का एक रोचक अंश।
तथास्तु - शगुन शर्मा

अपने आलीशान चैंबर में अपनी ऊंची पुश्तगाह वाली चेयर पर मौजूद रागिनी ने रिवाल्विंग चेयर को घुमाया और अपने सामने मेज के पार बैठे शख्स का खुर्दबीनी से मुआयना किया।

रागिनी का पूरा नाम रागिनी माथवन था। वह यौवनावस्था के नाजुक दौर को पहुंची किसी ताजा खिले गुलाब-सी सुंदर युवती थी उसकी आवाज में जैसे जादू और आंखों में हद दर्जे का आकर्षण था। बला के हसीन चेहरे पर शैशव का अल्हड़पन तथा गजब का आत्मविश्वास था।
           वह मुंबई फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड की नामचीन प्लेबैक सिंगर थी और आज निर्विवाद रूप से वालीवुड की टॉप सिंगर कही जाती थी। उसकी मधुर आवाज हिंदुस्तान के कोने-कोने में गूंज रही थी।
महज उन्नीस बरस की आयु में यह आज कामयाबी की उस बुलंदी पर पहुंच चुकी थी जो केवल विरलों को ही नसीब होती थी।
उसके सामने बैठे शख्स का नाम भीखाराम भंसाली था। जो कि बाॅलीवुड का सुप्रसिद्ध फिल्म निर्देशक था। जिसकी वालीवुड में चौतरफा डिमांड थी और जिसके बारे में यह कहते आम सुना जा सकता था कि किसी फिल्म के साथ उसका नाम जुड़ना ही उस फिल्म की कामयाबी की लगभग गारंटी था।
रागिनी को इस तरह अपनी तरफ देखता पाकर भंसाली के चेहरे पर असंमजस के भाव आ गए।
"लगता है मुझे यहां देखकर आपको कोई खुशी नहीं हुई मिस रागिनी?" भंसाली तनिक खिन्न भाव से बोला ।
"यह आपकी गलतफहमी है जनाब भंसाली साहब।" दुनिया की सबसे मथुर आवाज की स्वामिनी ने अपने होठों पर एक चित्ताकर्षक मुस्कराहट लाते हुए कहा- "आप जैसी शख्सियत से मिलकर भला कौन होगा जो खुश नहीं होगा। खैर... जाने दीजिए।" उसने निःश्वास
भरी- 'और यह बताइए कि आप क्या लेना पसंद करेंगे। ठंडा या... ।"

मंगलवार, 27 जून 2023

राजा- उपन्यास सूची

नाम- राजा 
प्रकाशक- मनोज पॉकेट बुक्स, दिल्ली
श्रेणी-  बाल उपन्यासकार

उपन्यास साहित्य में असंख्य छद्म लेखकों की पंक्ति में एक और नाम पता चला है। वह नाम है मनोज पॉकेट बुक्स के Ghost writer 'राजा' का।

   बाद में मनोज पॉकेट बुक्स से अलग होकर इनकी इन शाखा 'राज पॉकेट बुक्स' और फिर नाम परिवर्तित होकर 'राजा पॉकेट बुक्स' बनी थी। हालांकि लेखक राजा के उपन्यास मनोज पॉकेट बुक्स से ही प्रकाशित हुये थे। और वह भी कोई ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाये। 

   प्राप्त जानकारी अनुसार छद्म लेखक राजा के बाल उपन्यास की संख्या न्यूनतम ही रही थी।

राजा के उपन्यास
  1. काली औरत
  2. इच्छाधारी सांप
  3. बदसूरत आदमी
  4. सफेद परछाई





गुरुवार, 22 जून 2023

52 गज का बौना- केशव पण्डित, उपन्यास अंश

52 गज का बौना- केशव पण्डित
उपन्यास अंश

"तुम अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रहे हो बावन गज के बौने। तुम कुँए के मेंढक हो, जो स्वयं को पानी का राजा समझ बैठता है। वो ऊंट हो जो कभी पहाड़ के करीब से गुजरा ही नहीं। दीवार पर रेंगती वो छिपकली हो जिसने कभी मगरमच्छ को देखा ही नहीं। वो पिल्ले हो, जिसने कभी शेर की तस्वीर भी नहीं देखी। तुम सिर्फ बावन इंच के हो लेकिन अपनी परछाई को देखकर ये गलतफहमी पाल बैठे कि तुम्हारा कद बावन गंज का है। बिल्ली का बच्चा भी चूहों पर हुकूमत कर सकता है लेकिन जब वो शेर के सामने पड़ता है तो भीगी बिल्ली बन जाता है। इसी तरह तुमने जुर्म के चूहों पर हुकूमत करके खुद को बावन गज का राक्षस समझ लिया है। लेकिन अब तुम्हारा पाला कानून के शेर से पड़ा है तो अपनी औकात मालूम हो जायेगी। कांच का टुकड़ा भले ही कितना मोटा हो, लेकिन वो पत्थर से टकराने पर चकनाचूर हो जाता है। तुम तो कानून की चक्की में कूदने की भूल कर रहे हो। दो पाटों के बीच फंसकर चूरमचूर हो जाओगे।”
उपन्यास के मुख्य पात्र
बिच्छू - एक लड़की के पीछे पड़ा गुमनाम व सनकी आदमी, जो लड़की के दुश्मनों तथा चाहने वालों का जानी दुश्मन है।
सलीम लंगड़ा -लंगड़ा गैंगस्टर, जो क्रिकेट का शौकीन है और दुश्मन को बैट से मारता है।
भीखू भिखारी - गैंगस्टर भी है और मन्दिर की सीढ़ियों पर बैठकर भीख भी मांगता है। 
शकीला बेगम-सौतेली मां द्वारा बना दिया गया हिजड़ा, जो शैतान से भी चार कदम आगे है। 
टोनी गोवानी-टी.बी. का मरीज गैंगस्टर, जो अपने शिकार को जहर के इंजेक्शन लगाता है।
बावन गंज का बौना-बार-बार भेष बदलने वाला वो छलावा, जो गैंगस्टर्स से भी टैक्स वसूलता है।
और इनके मुकाबले पर सीना ताने खड़ा है-

दिमाग का जादूगर-केशव पण्डित । 

तेज रफ्तार व अविस्मरणीय कथानक
Keshav pandit novel केशव पण्डित

अब पढें 'बावन गज का बौना' उपन्यास अंश

"मैं गैंगस्टर बाहुबली सिंह बोल रहा हूं केशव पण्डित.... बाहुबली । मेरे आदमियों ने तेरी गाड़ी को चारों तरफ से घेरा हुआ है। उनके पास ना सिर्फ एक से एक खतरनाक हथियार हैं, बल्कि वो बमों से भी लैस हैं। अगर तू एक मिनट के भीतर बाहर नहीं निकला तो ये लोग पहले तेरी गाड़ियों पर अन्धाधुन्ध फायरिंग करेंगे और बम फेंककर तुझ समेत तेरी गाड़ी के भी परखच्चे उड़ा देंगे।” 

सोमवार, 19 जून 2023

हरविंदर - उपन्यास सूची

नाम - हरविंदर
श्रेणी- सामाजिक उपन्यासकार
लोकप्रिय उपन्यासकारों की सूची में एक और नाम शामिल हुआ हैऔर वह नाम है हरविंदर।
हरविंदर उपन्यास harvinder novel
  
हरविंदर के उपन्यास
1. अहसास - (सितंबर- 1977) प्रथम सामाजिक उपन्यास
2. चुभन
3. सिंदूर की लाली
4. मासूम
5. बदलते चेहरे
6. महक
7. बस और नहीं
8. अहसास
9. अधूरा इंसान (क्रमांक 01-09 तक विजय पॉकेट बुक्स, दिल्ली से प्रकाशित)
10. आवारा लहू
11. दुल्हन एक रात की (क्रमांक 10 से 11तक, दुर्गा पॉकेट बुक्स, मेरठ से प्रकाशित)

12. बुजदिल
लेखक हरविंदर के विषय में किसी सज्जन के पास कोई भी जानकारी उपलब्ध हो तो हमसे संपर्क करें
Email- Sahityadesh@gmail.com


प्रसिद्ध उपन्यासकार योगेश मित्तल जी के हरविंदर के विषय में विचार-
                हरविन्दर बहुत प्यारे इंसान हैं। विजय पॉकेट बुक्स में अनेक बार मिला हूँ। बहुत ज्यादा बातें कभी भी नहीं हुईं, क्योंकि आरम्भ के दिनों में हरविन्दर कुछ मितभाषी भी थे। या हर एक से न खुलते रहे हों। लेकिन जब भी जितनी भी बात हुई - हमेशा बहुत अच्छा लगा। पहले लुधियाना, फिर डलहौज़ी रहे। तब मोबाइल नहीं हुआ करते थे। लैंडलाइन भी हर एक के यहां नहीं होते थे, इसलिए हम टच में नहीं रहे। अपने बारे में खुद हरविन्दर ही सबसे बेहतर बता सकेंगे। मैं तो  इतना जानता हूँ कि विजय पॉकेट बुक्स के स्वामी हरविन्दर के बारे में बड़े ऊँचे ख्यालात रखते थे। उनका विचार था कि हरविन्दर दिल्ली रहने लगे तो राजहंस से भी आगे निकल जाएगा। राज भारती और यशपाल वालिया भी हरविन्दर से एक दिन तहलका मचाने की उम्मीद रखते थे।        

रविवार, 18 जून 2023

सात जुलाई की रात- विकास सी एस झा

साहित्य देश के स्तम्भ 'उपन्यास अंश' में उस बार प्रस्तुत है युवा उपन्यासकार विकास सी एस झा द्वारा रचित 'सी.एस.टी. सीरीज' के उपन्यास 'सात जुलाई की रात' के रोचक अंश।

'सात जुलाई की रात' के कुछ अंश :

मेफेयर रेस्टोरेंट।
बांद्रा, मुम्बई।
ड्रीम हाउस का विजेता आदित्य आहूजा अपनी मौजूदा गर्लफ्रैंड तान्या मुखर्जी, जो शो के अंदर उसकी को-कंटेस्टंट भी थी, के साथ इस वक्त बांद्रा के एक रेस्टोरेंट के अंदर मौजूद था जहां वे किसी गंभीर चर्चा में रत दिख रहे थे।
"आदी, मुझे उस रात के बाद से पता नहीं क्यों हमेशा एक डर सा लगा रहता है।" तान्या मुखर्जी ने चेहरे पर आशंका के भाव लिए हुए आदित्य आहूजा से कहा।
"इसमें डरने की कौन सी बात हुई भला ? जिसे जाना था, चला गया। तकदीर की लिखी को कौन काट सकता है !" आदित्य आहूजा ने समझाते हुए तान्या से कहा।
सात जुलाई की रात

"यार, लेकिन मुझे गीता की खुदकुशी वाली बात पर अब भी यकीन नहीं होता। इतना क्या पागलपन सवार हो गया था उसे। अच्छी-खासी जिंदादिल लड़की थी, पता नहीं क्यों ऐसा कदम उठा बैठी ?" तान्या के चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था।
"यार, तुम ये पूछ रही हो ? पता तो है तुम्हें सब।" आदित्य ने उसकी ओर देखा।

हत्यारिन हूँ-विषभरी- हादी हसन, उपन्याश अंश

 साहित्य देश के 'उपन्यास अंश' स्तम्भ के अंतर्गत इस बार प्रस्तुत है उपन्यासकार हादी हसन साहब के नये उपन्यास 'हत्यारिन हूँ-विषभरी' का एक अंश। मेजर रणवीर बराड़ का कारनामा।

 उपन्यास  अंश....
डिसूजा वो शख्स था जिस पर लाल बिहारी अपने बाद सबसे ज्यादा विश्वास किया करता था।
"आवा डिसूज़ा...आवा...!" लाल बिहारी मोटे सिगार का कोना शार्पनर से छीलता हुआ बोला—"क्या खबर लाए हो...?"
डिसूजा ने शनील की लाल रंग की थैली उसके सामने रख दी। 
"ई का है ?"
"हीरे...मिस्टर लाल...इन्हें उसी रँजीत से हासिल किया गया है जो हमारे बिज़नेस में सेंध लगाने के लिए आया था।" डिसूजा भारी प्रभावी स्वर में बोला।
"रँजीत का का बना ?" 
"वही जो होना था।" 
"लाश...?"
"लाश कभी बरामद नहीं होती क्योंकि हमारे केस में लाश की बरामदगी एक सिरदर्द साबित होती है।"

मंगलवार, 6 जून 2023

शुक्रवार, 2 जून 2023

प्यार करना तो बुरी बात है- हास्यरस

साहित्य देश की हास्य रस स्तम्भ में इस बार पढें राजा पॉकेट बुक्स से प्रकाशित लेखक धीरज के उपन्यास 'वतन के आँसू' का एक हास्यजनक किस्सा।

रामलाल ने अंदर आते ही शीला को अपने आलिंगन में ले लिया था तथा उसके लाल सुर्ख रसीले होंठों को अपने होंठों के मध्य भींच लिया था !

"छोड़ो भी...आप भी बस !"- शीला ने स्वयं को रामलाल की कैद से मुक्त कराते हुए कहा—शर्म से उसका चेहरा लाल-भभूका हो गया था तथा वह घबराई हुई नजरों से उस कोने की तरफ देखने लगी, जहां उनके दोनों बच्चे खड़े थे।

“आहा जी...पापा ने मम्मी की पप्पी ले ली-पापा ने मम्मी की पप्पी ले ली।” - सुमिता ताली पीटते हुए उछल-उछलकर कह रही थी ! 

"मैं तुम्हारी मम्मी को प्यार कर रहा था, सुमि !"

“ल....लेकिन प्यार करना तो बुरी बात है !" 

“तुमको किसने कहा ?"-  रामलाल के चेहरे पर नागवारी वाले भाव उभरे थे !

"परसों, जब राखी आंटी मौल्हले वाले एक अंकल से प्यार कर रही थीं, तो मौहल्लेवालों ने अंकल को कितना मारा था!"

मंगलवार, 23 मई 2023

नये उपन्यास - may-2023

सूरज पॉकेट बुक्स के तीन नये उपन्यास
इंतजार अब खत्म हुआ 🎉🎉
पुस्तकें अब सूरज की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं आज ही अपनी प्रतियां सुरक्षित कीजिए !!
पुस्तक विवरण :-

1. 7 जुलाई की रात (लेखक : विकास सी. एस. झा )

‘ड्रीम हाउस’ टेलीविजन की दुनियां का एक बेहद चर्चित रियलिटी शो था जहां 7 जुलाई की रात को शो के ग्रैंड फिनाले के दौरान शो की एक कंटेस्टेंट गीता भसीन की लाश ड्रीम हाउस के सेट से महज कुछ दूर पर ही पड़ी मिली थी। लोकल थाने ने लड़की की मौत को आत्महत्या करार दिया था मगर एक बार जब क्राइम ब्रांच ऑफिसर चंद्रशेखर त्यागी के कदम मौका-ए-वारदात पर पड़े तो तफ्तीश ने एक नया ही रुख अख्तियार कर लिया।
आत्महत्या के बेहद साधारण से लगने वाले इस केस ने एक बार तो त्यागी जैसे ऑफिसर को भी हैरान-परेशान कर डाला था। तफ्तीश के दौरान त्यागी के कदम जहां भी पड़े उसका सामना किसी-न-किसी लाश के साथ ही हुआ।
क्या ये वाकई एक आत्महत्या का मामला था या फिर कुछ और ही बात थी ?
एक सिलसिलेवार ढंग से हुई इन चार हत्याओं के पीछे की सच्चाई क्या थी ? जानने के लिए पढ़िए सी.एस.टी. सीरीज की नई किताब “सात जुलाई की रात”

रविवार, 14 मई 2023

पंकज उपन्यास सूची

 नाम- पंकज
प्रकाशक- नूतन पॉकेट बुक्स, मेरठ
श्रेणी- सामाजिक उपन्यासकार, Ghost writer

मेरठ से प्रकाशित होने वाले Ghost writer में एक नाम और पता चला है और वह नाम है - पंकज।

   पंकज एक सामाजिक उपन्यासकार हैं और इनके उपन्यास नूतन पॉकेट बुक्स,मेरठ से प्रकाशित होते रहे हैं। हालांकि इनके विषय में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। 


पंकज के उपन्यास

  1. फैसला
  2. बेकसूर
  3. दर्द की छांव
  4. सुहानी शाम
  5. वचन
  6. पायल
  7. प्यासी जोगन
  8. आइना
  9. ममता




गोपालराम गहमरी

नाम- गोपालराम गहमरी 
जन्म- 1866, 
निधन- 1946
विशेष
- लगभग दो सौ उपन्यास की रचना।
- हिंदी कथा साहित्य में जासूसी साहित्य का आरम्भ कर्ता

हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के विकास में गोपालराम गहमरी का अतुलनीय और अविस्मरणीय योगदान है। हिंदी को जन-जन तक पहुँचाने के लिए कविताएँ लिखीं, उपन्यास लिखे, उपन्यासों का अनुवाद किया, नाटक लिखे, हास्य-व्यंग्य लिखे, पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया, रिपोर्टें लिखीं, रिपोर्ताज लिखे। अपने गाँव गहमर से 'जासूस' नामक मासिक पत्र का संपादन और प्रकाशन किया। हिंदी में जासूस शब्द के प्रचलन की शुरुआत की।
'जासूस' का पहला अंक बाबू अमीर सिंह के हरिप्रकाश प्रेस से छपकर आया और पहले ही महीने में वी. पी.पी. से पौने दो सौ रुपए की प्राप्ति हुई। इसने अपने प्रवेशांक से ही लोकप्रियता की सारी हदों को पार करते हुए शिखर को छू लिया था। इसकी अपार लोकप्रियता को देखकर गोपालराम गहमरी जब जासूसी ढंग की कहानियों और उपन्यासों के लेखन की ओर प्रवृत्त हुए फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और न इसकी परवाह की कि साहित्य के तथाकथित अध्येता उनके बारे में क्या राय रखते हैं। गहमरी जी अपनी रचनाओं में पाठकों की रुचि का विशेष ध्यान रखते थे कि वे किस तरह की सामग्री पसंद करते हैं।

रविवार, 7 मई 2023

गोपाल- उपन्यास सूची

नाम- गोपाल

प्रकाशक- संगीता पॉकेट बुक्स, मेरठ
  उपन्यास जगत की Ghost writing में एक और नाम मिलता है- गोपाल।
  गोपाल के उपन्यास संगीता पॉकेट बुक्स मेरठ से प्रकाशित हुये हैं।

गोपाल के उपन्यास
1. सिंदूर गया हार
2. तुम वो नहीं



शनिवार, 6 मई 2023

निराली थी उपन्यासों‌ की दुनिया- प्रदीप पालीवाल

 बिमल चटर्जी...चन्दर...वेद प्रकाश काम्बोज...जनप्रिय लेखक 'ओम प्रकाश शर्मा'...

निराली थी...इन 'उपन्यासों' की दुनिया... 

मैंने जब अपनी 'बुक स्टॉल' संभाली...मैं इनके बारे में 'ABC...D' भी नहीं जानता था... 

'मजरूह' (  सुल्तानपुरी ) साहब के शब्द उधार लेना चाहूँगा...कि -

...  

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर 

लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया...



इन उपन्यासों के बारे में 'साहित्य' के लोगों की राय अच्छी नहीं थी. आज भी नहीं है...वे इसे 'पल्प फिक्शन' ( लुगदी साहित्य ) कहकर लगभग 'पाक़िस्तान' भेजने की बात करते थे...उनका मानना था कि 'ये पुस्तकें बच्चों को बिगाड़ती हैं...' 

ऐसे में मेरी मुलाक़ात होती है वन एण्ड ओनली...जनप्रिय लेखक 'ओम प्रकाश शर्मा'...जी से...

देखते ही देखते साहित्य ( प्रेमचंद...राही मासूम रज़ा ( 'मिली' फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक का पुरस्कार प्राप्त करने वाले...) का प्रेमी #प्रदीप_इटावा_वाला 'शर्मा' जी के अपनी ही दुकान #पालीवाल_बुक_सेण्टर पर उपलब्ध सभी उपन्यास पढ़ गया...मुझे तो वे कहीं से भी 'बच्चों' को बिगाड़ने वाले नहीं लगे...  

'ओम प्रकाश शर्मा'.जी...अपने नाम के आगे 'जनप्रिय लेखक' क्यों लगाते थे ?

जनप्रिय लेखक 'ओम प्रकाश शर्मा' जी...'विक्रांत'...सीरीज़ के 'ट्रेड' नाम वाले लेखक 'ओम प्रकाश शर्मा' जी ( ? ) से कैसे अलग थे...?

कहानी बहुत लम्बी है...मेरे 'सीने' में इन उपन्यासों को 'पल्प फिक्शन' की गाली देकर 'पुकारने' वालों के प्रति 'शिकायत' दफ़न है...विशाल अनुभव और अध्ययन तो है ही...

नीचे कुछ कोट कर रहा हूँ... 

"मैंने उससे दुबारा मेरठ जाने पर पूछा, ''प्रेमचंद और शरतचंद के बीच तुम किसे महान समझते हो ?''

मैंने सोचा कि वही रटा रटाया उत्तर कि दोनों. पर मैं स्वयं तनिक स्तब्ध रह गया, उसका उत्तर सुनकर. उसने कहा प्रेमचंद को ध्यान से पढ़ोगे तो जानोगे कि वह एक ऐसा कायस्थ था जिसका संपूर्ण साहित्य ब्राह्मण विरोधी था जबकि ब्रिटिश युग में ब्राह्मण भी साधारण प्रजा था. आज तो कुछ है ही नहीं.''

...ये किससे मुलाक़ात की 'चर्चा' थी ?

कौन था...जो...बातचीत में तुम...उसका...उसने...जैसे 'आत्मीय' संबोधन यूज़ कर रहा था...?

ये थे...ये तो बाद में बताऊंगा...वो भी यदि मौक़ा लगा... 

लेकिन प्रेमचंद जी को... ब्राह्मण विरोधी बताने वाले थे... 

वन एण्ड ओनली...जनप्रिय लेखक 'ओम प्रकाश शर्मा'...जी !

राजेश,जगत,जगन,बन्दूक सिंह जैसे 'यादगार' चरित्र को लेकर 'सीरीज़' लिखने वाले दिवंगत 'शर्मा' जी के...दो जासूसी उपन्यासों ( 'एक नवाब पन्द्रह चोर' और  'सुधाकर हत्याकांड' )  का मुख्य पृष्ठ निम्न में शामिल है... 

शुरुआत में ही... 

शामे-अवध अवश्य प्रसिद्ध है । 

परन्तु अवध की दोपहर...जून का महीना ।

चुंबक की तरह 'जकड़' लेने वाले...शर्मा जी...उनके पढ़े उपन्यास बहुत याद आते हैं... 

आमीन... 

लेकिन दुःखी मन से... 

#प्रदीप_इटावा_वाला 

( 9761453660 )

शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023

कॉपीराइट : प्रकाशकाधीन - योगेश मित्तल

कॉपीराइट : प्रकाशकाधीन 

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पुराने उपन्यासों में कॉपीराइट के आगे प्रकाशकाधीन लिखा होना एक आम बात थी। कुछ प्रकाशकों ने एक पेजी कॉपीराइट फॉर्म बना रखा था तो कुछ प्रकाशकों का चार पेजी कॉपीराइट फॉर्म होता था। 

नाम से छपने वाले लेखकों से कॉपीराइट फॉर्म भरवाना एक रूटीन प्रक्रिया थी, जबकि मेरे जैसे नाम से न लिखने वाले बदनाम से कॉपीराइट फॉर्म भरवाना इतना जरूरी भी नहीं समझा जाता, बल्कि मुझसे तो बहुत कम बार बहुत कम प्रकाशकों ने कॉपीराइट फॉर्म भरवाये। 

मैंने 'प्रणय' नाम से छपे उपन्यासों के लिए या 'मेजर बलवन्त' नाम से छपे उपन्यास के लिए अथवा 'योगेश' नाम से छपे उपन्यासों के लिए भी कभी कॉपीराइट फॉर्म नहीं भरा। 

लेकिन मैंने कॉपीराइट फॉर्म नहीं भरा, इसे मेरी तड़ी मत समझिये कि मैंने कोई बहुत बड़ा तीर मार लिया या कोई बहुत बड़ी तोप चला दी। 

दरअसल यह प्रकाशकों की दयादृष्टि ही थी कि वे मुझसे कॉपीराइट फॉर्म नहीं भरवाते थे। 

पर क्यों ? एक दिन यह राज भी फाश हो गया। प्रकाशक साहब का नाम नहीं लूँगा, पर अब जो मैं बताने जा रहा हूँ - वह शत-प्रतिशत सच है, बल्कि ऐसा सच है, जिसे जानने के बाद आप कहेंगे - यह तो आम बात है। ऐसा तो होता ही आया है। 

ऐसा होता ही रहता है। 

एक दिन एक प्रकाशक साहब ढेर सारे कागजों में कुछ तलाश कर रहे थे। किसी लेखक को एडवांस कैश नोट दिए थे, जिसका बाउचर था, जो ढूंढें नहीं मिल रहा था। 

मैंने उनका नाम लेकर पूछा, "हुज़ूर, क्या ढूंढ रहे हैं। इज़ाज़त हो तो खाकसार भी कुछ मदद कर दे।" 

उन्होंने ढेर सारी फाइलें मेरी ओर बढ़ा दीं, "ज़रा देख, इसमें फलाँ राइटर को फलाँ पेमेन्ट का एक बाउचर कहीं बीच में न घुसा पड़ा हो।"


मैं एक-एक फ़ाइल देखने लगा तो एक फ़ाइल पर मेरी निगाहें ठिठक गयीं, जिसमे मेरे नाम के बाउचर और मेरे नाम के कॉपीराइट थे। दोनों में साइन मेरे नहीं थे, लेकिन जिसके भी थे - एक ही राइटिंग थी। 

और ख़ास बात क्या थी - जानते हैं ? 

कल्पना कीजिये............

मैं उन दिनों एक उपन्यास के आठ सौ से पन्द्रह सौ तक लेता था, लेकिन बाउचर और कॉपीराइट में पाँच हज़ार की रकम भरी हुई थी। 

प्रस्तुति- योगेश मित्तल 

गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

धाँय- धाँय- धाँय और योगेश मित्तल

 साहित्य देश के 'रोचक किस्सा' स्तम्भ में प्रस्तुत है 
   योगेश मित्तल जी ने स्वयं के नाम के अतिरिक्त अन्य लेखकों के नाम से भी लेखन किया है। जैसे 'एच. इकबाल' नाम से 'धाँय- धाँय- धाँय' उपन्यास लेखन।
योगेश मित्तल जी के जीवन का एक रोचक किस्सा उन्हीं के शब्दों में। 

जब मैं पहली बार भारती पॉकेट बुक्स में गया, रजिस्टर में लिखी जा रही इमरान सीरीज की यही स्क्रिप्ट मेरे हाथ में थी, नाम पढ़कर भारती पॉकेट बुक्स के स्वामी लालाराम गुप्ता ने कहा, "धाँय-धाँय-धाँय" यह भी कोई नाम है। योगेश जी आपको तो नाम रखने भी नहीं आते।"

रविवार, 9 अप्रैल 2023

क्लब में हत्या- ओमप्रकाश शर्मा

किस्सा तीन हत्याओं का
क्लब में हत्या- जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा

           उपन्यास साहित्य में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा का नाम विशेष सम्मान के साथ लिया जाता है। जितना सम्मान पाठक ओमप्रकाश शर्मा का करते हैं उतने ही सम्मानजनक इनके पात्र होते हैं। शर्मा जी का एक विशेष पात्र है राजेश।  प्रस्तुत उपन्यास 'क्लब में हत्या' राजेश -जयंत शृंखला का है। जो की एक मर्डर मिस्ट्री कथा है।
राजेश और जयन्त संयोगवश इस मामले में सम्बन्धित हुये । वह दोनों झाँसी से लौट रहे थे और घटना रात के ग्यारह बजे की है जब उनकी कार दिल्ली की सीमा में प्रविष्ट होकर मथुरा रोड पर दौड़ रही थी। जयन्त कार चला रहा था और राजेश पिछली सीट पर बैठे एक उपन्यास पढ़ने में तल्लीन थे ।
   रास्ते में एक एक्सीडेंट देखकर दोनों को रुकना पड़ा था। जयंत ने राजेश को भी वहाँ बुला लिया।
" राजेश, जरा आओ तो ।”
- "क्या बात है ?"
-"एक्सीडेंट है एक, बिल्कुल अजीब-सा एक्सीडेंट ।” राजेश उठे। उनकी कार के आगे लगभग दस कारें खड़ी थीं । उसके बाद...... उसके बाद था एक ट्रक और ट्रक के पिछले पहियों में दबा हुआ था एक नवयुवक।
   वहाँ उपस्थित सब इंस्पेक्टर चतरसेन का मानना था की यह एक दुर्घटना है। लेकिन परिस्थितियों का विश्लेषण करने के पश्चात राजेश ने घोषणा की कि यह महज एक दुर्घटना नहीं बल्कि सोच- समझकर किया गया कत्ल है।
   चतुर चतुरसेन ने राजेश से अनुरोध न किया की वह इस मामले में उसकी मदद करे। वहीं बाद में केन्द्रीय खूफिया विभाग ने भी राजेश को इस केस पर नियुक्त कर दिया था।
    मृतक का नाम प्रमोद कुमार था और वह 'विश्राम लोक क्लब, नई दिल्ली' में असिस्टेंट मैनेजर था। राजेश- जयंत और सब इंस्पेक्टर की जाँच का केन्द्र अब विश्राम क्लब था। क्लब प्रमोद कुमार की शोक सभा में ही जब राजेश ने यह घोषणा की कि कातिल इस क्लब में ही उपस्थित है तो एक बार वहां सन्नाटा छा गया।
    क्लब के अवैतनिक मैनेजर रंगबिहारी लाल और मालकिन मोहिनी देवी नहीं चाहते थे की क्लब की बदनामी हो। लेकिन उनके चाहने न चाहने से कुछ नहीं होने वाला था।
   राजेश की जाँच अभी चल ही रही थी कि क्लब में हत्या हो गयी। इस बार हत्यारे ने क्लब के सदस्य को क्लब में ही मार दिया, हंगामा तो होना ही था।
और राजेश ने यह प्रण किया की वह शीघ्र असली अपराधी तक पहुंच जायेगा।
राजेश तनिक मुस्कराए— “ आप बिल्कुल बजा फरमाते हैं. मिर्जा साहब, सवाल सिर्फ हत्यारे की खोज का नहीं है। सवाल यह है कि शमा ने खुद जलकर कितने परवाने जला दिए ? मुझे इसका हिसाब जानना है और यकीन कीजिए मिर्जा साहब ! हिसाब जानकर ही रहूंगा।
     और एक हंगामें के चलते राजेश भी अपराधियों की गिरफ्त में आ गया। और यही अपराधियों के लिए खतरनाक साबित हुआ।
    उपन्यास मर्डर मिस्ट्री कथा पर आधारित है। उपन्यास में‌ कुल तीन हत्याएं होती हैं।
उपन्यास का जो सशक्त पक्ष है वह है जासूस राजेश। शर्मा जी द्वारा रचित पात्रों में राजेश सबसे अलग है। अन्य जासूस साथी भी राजेश का अत्यंत सम्मान करते हैं।
राजेश का नैतिक पक्ष अत्यंत मजबूत है। वह अपराधी के साथ भी क्रूरता नहीं करता।
   राजेश का प्रमोद की पत्नी को बहन कहकर संबोधित करना, उस के साथ यह वायदा करना की प्रमोद से संबंधित कोई भी अनुचित बात जनता नहीं पहुंचेगी।
   राजेश एक जासूस है और जासूस अपने बुद्धिबल से कार्य करता है। राजेश की जो कार्यशैली वह इसलिए भी प्रभावित करती है की वह एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़कर शेष अपराधियों तक अपने चातुर्य और बुद्धि से पहुंचता है।
   उपन्यास के अंत में राजेश और प्रमोद की पत्नी रत्ना का संवाद अत्यंत प्रभावशाली है।‌ (पृष्ठ संख्या 105)
विशेष कथन-
धरती का आकर्षण, जो भी आवारा घुमक्कड़ तारा धरती की आकर्षण परीक्षा में आ जाता है, बिना जले रहता नहीं । जलता है और फिर राख होकर धरती के अंक में समा जाता है ।
- कौन जान सकता है, पुरुष के भाग्य को और स्त्री के चरित्र को ?
    जनप्रिय ओमप्रकाश शर्मा जी द्वारा लिखित 'क्लब में हत्या' एक मर्डर मिस्ट्री रचना होने के साथ-साथ एक सामाजिक संदेश भी है। हत्या क्यों होती है? इसका कारण जो प्रत्यक्ष होता है, आवश्यक नहीं की वही हो, अप्रत्यक्ष कारण भी बहुत होते हैं।
एक पठनीय मार्मिक मर्डर मिस्ट्री है।

उपन्यास-  क्लब में हत्या
लेखक-    ओमप्रकाश शर्मा- जनप्रिय लेखक
प्रकाशक-   मारुति प्रकाशन, मेरठ
पृष्ठ-         110

क्लब में हत्या - ओमप्रकाश शर्मा novel

शनिवार, 4 मार्च 2023

सुरिन्द्रजीत चोपड़ा

 नाम - सुरिन्द्रजीत चोपड़ा

  इलाहाबाद के प्रकाशन 'प्रेमी जासूस कार्यालय' से सुरिन्द्र 
जीत चोपड़ा के एक उपन्यास का विवरण प्राप्त हुआ है। 
हिंदी लोकप्रिय साहित्य में इलाहाबाद का विशेष योगदान रहा है पर वर्तमान में वहाँ की जानकारी अत्यंत अल्प है।

सुरिन्द्रजीत चोपड़ा के उपन्यास

1. विचित्र ब्लैकमेलर , दिसम्बर-57



बुधवार, 1 मार्च 2023

बिमल चटर्जी

नाम- बिमल चटर्जी

दिल्ली निवासी बिमल चटर्जी एक्शन उपन्यासों के लेखक के रूप में चर्चित रहे हैं। इनके पात्र पाठकों में अत्यंत प्रिय थे। बिमल चटर्जी के छोटे भाई अशीत चटर्जी जी ने भी इन्हीं पात्रों पर रोचक उपन्यासों की रचना की थी।

बिमल चटर्जी के उपन्यास

  1. टैंजा के दुश्मन
  2. टैंजा का जाल
  3. टैंजा का अंत
  4. दुश्मनों के दुश्मन
  5. दुश्मनों के देश में
  6. दुश्मनों‌ का अंत
  7. पहली चोट
  8. दूसरी चोट
  9. तीसरी चोट
  10. चोट पर चोट
  11. बर्फीला तूफान
  12. नीले गगन की आग
  13. गुरु और चेला
  14. राजा जानी खतरे में
  15. टैंजा की वापसी
  16. महाबली टैंजा का अंत
  17. युद्ध और प्रलय
  18. मास्टर प्लान ऑफ फोमांचू
  19. चार लड़ाके
  20. खतरनाक फोमांचू
  21. चार शैतान
  22. मैडम शिवाना लड़ाकों के देश में
  23. राहू केतू और फोमांचू
  24. जहाँ मौत बसती है
  25. मौत के दुश्मन (क्रम 01-24 तक, मनप्रिय प्रकाशन दिल्ली)
  26. मौत की बाजी
  27. कयामत की आग
  28. सुपरमैन फोमांचू
  29. फोमांचू और टैंजा के दुश्मन
  30. काला खतरा
  31. सब से बड़ा खिलाड़ी (क्रांति प्रकाशन, सहारनपुर)
  32. साधु, संत और फकीर ।। समीक्षा (भारती पॉकेट बुक्स, दिल्ली)
  33. डंके की चोट
  34. मौत का डंका
  35. डंके का अंत (गंगा पॉकेट बुक्स, मेरठ)
  36. जाग उठा शैतान
  37. घायल शेर
  38. दहल उठी दुनिया
  39. जय ज्वाला, 
  40. भड़क उठी ज्वाला
  41. मौत की ज्वाला
  42. प्रतिशोध की ज्वाला।
  43. पासा पलट न जाये
  44. चीख उठा काल
  45. फोमांचू युद्ध के घेरे में
  46. पहला शोला
  47. दूसरा शॊला
  48. तीसरा शोला
  49. आग और शोला
  50. ओमर की वापसी
  51. पहला तूफान
  52. दूसरा तूफान
  53. तीसरा तूफान
  54. आंधी और तूफान
  55. चढ़ जा बेटा सूली पर
  56. फिर आया तूफान 
  57. गर्ज उठा तूफान
  58. तूफान‌ का जलजला
  59. नर्क‌ की आग 
  60. ठाकुर दादा
  61. आग का गोला
  62. कफन बांध लो
  63. सम्राट फोमांचू का अंत
  64. बिच्छू का आतंक
  65. जिंदा जला डालो (क्रम 62-65,गंगा पॉकेट बुक्स)
  66. आफत का बेटा
  67. प्रलय फिर न आयेगी
  68. आखिरी संग्राम
  69. मौत की वसीयत
  70. निशाना चूक न जाये  (क्रम 67-70,गंगा पॉकेट बुक्स)


ठाकुर दादा सीरीज- जाग उठा शैतान, घायल शेर, दहल उठी दुनिया
ज्वाला सीरीज- जय ज्वाला, भड़क उठी ज्वाला, मौत की ज्वाला, प्रतिशोध की ज्वाला।
शोला सीरीज
मुसीबत सीरीज
डंका सीरीज
चोट सीरीज


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