नाम- गोपालराम गहमरी
जन्म- 1866,
निधन- 1946
विशेष
- लगभग दो सौ उपन्यास की रचना।
- हिंदी कथा साहित्य में जासूसी साहित्य का आरम्भ कर्ता
हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के विकास में गोपालराम गहमरी का अतुलनीय और अविस्मरणीय योगदान है। हिंदी को जन-जन तक पहुँचाने के लिए कविताएँ लिखीं, उपन्यास लिखे, उपन्यासों का अनुवाद किया, नाटक लिखे, हास्य-व्यंग्य लिखे, पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया, रिपोर्टें लिखीं, रिपोर्ताज लिखे। अपने गाँव गहमर से 'जासूस' नामक मासिक पत्र का संपादन और प्रकाशन किया। हिंदी में जासूस शब्द के प्रचलन की शुरुआत की।'जासूस' का पहला अंक बाबू अमीर सिंह के हरिप्रकाश प्रेस से छपकर आया और पहले ही महीने में वी. पी.पी. से पौने दो सौ रुपए की प्राप्ति हुई। इसने अपने प्रवेशांक से ही लोकप्रियता की सारी हदों को पार करते हुए शिखर को छू लिया था। इसकी अपार लोकप्रियता को देखकर गोपालराम गहमरी जब जासूसी ढंग की कहानियों और उपन्यासों के लेखन की ओर प्रवृत्त हुए फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और न इसकी परवाह की कि साहित्य के तथाकथित अध्येता उनके बारे में क्या राय रखते हैं। गहमरी जी अपनी रचनाओं में पाठकों की रुचि का विशेष ध्यान रखते थे कि वे किस तरह की सामग्री पसंद करते हैं।गोपालराम गहमरी की रचनाएँ सिर्फ मनोरंजन प्रधान नहीं थीं। अपराध कथाओं के माध्यम से भी समाज को एक दिशा और यह बताना कि गलत काम का नतीजा हमेशा गलत होता है, यह संदेश भी छिपा होता था। ज्ञानचंद जैन ने लिखा है कि 'कथा क्षेत्र में गोपालराम गहमरी के योगदान के संबंध में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने अपने जासूसी उपन्यासों में भी सामाजिक उपन्यासों का रंग भरा है। यह बात उनकी सत्य घटनाओं पर आधारित रचनाओं पर विशेष रूप से है। हालाँकि पता नहीं क्यों हिंदी के लेखक ही जासूसी रचनाओं से परहेज ही नहीं, हिकारत से देखते आ रहे हैं, जबकि ऐसे बहुतेरे लेखक मिल लागू होती जाएँगे, जो कहेंगे, हमने पढ़ने की शुरुआत तो जासूसी कथाओं से की है। गहमरीजी को आज फिर से पढ़ने-गुनने और समग्रता में मूल्यांकन करने की जरूरत है।
-सचिव (सस्ता साहित्य मण्डल)
- गोपालराम गहमरी की प्रसिद्ध जासूसी कहानियाँ से
जन्म 1966 और मृत्यु 1946 यह क्या है भाई??? जानकारी सही कीजिए
जवाब देंहटाएंगोपालराम गहमरी की जानकारी में संशोधन कर दिया गया है। आपका हार्दिक धन्यवाद जो आपने इस तरफ ध्यान आकर्षित किया।
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