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शनिवार, 31 दिसंबर 2022

मैं चीज क्या हूं ?- टुम्बकटू

 पत्र टुम्बकटू का

मैं चीज क्या हूं ?

वेद प्रकाश शर्मा के पाठकों,

सर्वप्रथम आप सब मेरी पुंगी-पुंगी स्वीकार करें। यानी आपकी भाषा में प्रणाम ! यह पत्र मैं बहुत दुःखी होकर लिख रहा हूं-अब आप प्रश्न करेंगे कि मैं दुखी क्यों हूं ? तो अब हूं दुखी इसलिए हूं कि कुछ भद्र लोग मेरे विषय में अफवाह फैला रहे हैं और मुझे बदनाम कर रहे हैं। असली बात ये है कि जब मैं सबसे, चन्द्रमा से पृथ्वी पर आया तो मैं वेद प्रकाश शर्मा से मिला— उन्हें अपनी सारी वास्तविकता बताई। मैंने बताया कि मेरा चरित्र क्या है वह सब वेद प्रकाश शर्मा ने 'खूनी छलावा', 'छलावा और शैतान', 'महाबली टुम्बकटू' इत्यादि उपन्यासों में एकदम ठीक-ठीक आपके सामने रख दिया। उन्होंने मेरा जिस्म देखा है आप विश्वास करें, मेरा जिस्म ठीक वैसा ही है जैसा उन्होंने वर्णन किया है। मेरी जांघ में एक फिल्म है ~~ मेरे नाखूनों में चुम्बकीय शक्ति है---मेरे जूते से सिक्का निकलता है इत्यादि वेद प्रकाश शर्मा ने सब कुछ उसी प्रकार लिखा है जैसा कि मैंने उन्हें बताया और करके दिखाया है। मेरा वास्तविक चरित्र आपके सामने हूबहू रखा, और इसे मैं अपना सौभाग्य ही कहूंगा कि आप सबने उसे पसन्द भी किया है।
लेकिन मैं पिछले कुछ दिनों से परेशान हूं उसका मुख्य कारण है न जाने कौन-कौन से भद्र लेखक मेरे विषय में ऊल-जलूल लिखने की कोशिश करते रहते हैं। सत्य बात तो यह है कि वेद प्रकाश शर्मा से मेरा सम्बन्ध है और वे हमेशा वही लिखते हैं जो मैं वास्तव में करता हूं, लेकिन ये नये नये लेखक जो मेरे विषय में लिखते हैं वह कोरी गप्प है। उन लेखकों से मेरा कोई सम्बन्ध नहीं है और न जाने वे मेरे विषय में क्या-क्या लिखते रहते हैं?

सोमवार, 26 दिसंबर 2022

विक्की आनंद

 नाम- विक्की आनंद Ghost Writer
प्रकाशक - डायमण्ड पॉकेट बुक्स
डायमण्ड पॉकेट बुक्स द्वारा अनेक Ghost writer बाजार में उतारे गये थे जिनमें एक नाम था विक्की आनंद।
  विक्की आनंद द्वारा लिखी गयी डैडमैन सीरीज चर्चा में रही है।
               विक्की आनंद के उपन्यास
  1. किले का रहस्य
  2. कफन
  3. महादेव
  4. शोले
  5. मुलजिम
  6. सन्नाटा
  7. बारूद
  8. वारंट

रविवार, 25 दिसंबर 2022

हास्य रस- संग्राम- राज भारती

   साहित्य देश के हास्यरस स्तम्भ के अंतर्गत इस बार प्रस्तुत है राज भारती जी के उपन्यास 'संग्राम' का एक रोचक प्रसंग। 
  कथा नायक संग्राम और एक युवती कविता के मध्य एक वार्ता अंश
''तुम एक बहादुर लड़की हो।''- मैंने धीमी आवाज में कहा । ''कोई लड़की बुजदिल नहीं होती ।"
''कुछ तो होती है ।'' - मैं मुस्कराए बिना ना रह सका । 
''वह लड़कियां नहीं बकरियां होती है ।''
''हालांकि मैंने बकरियों को भी सींग मारते हुए देखा है ।''
''वह बकरियां नहीं लड़कियां होती है ।'' - वह बोली।

उपन्यास - संग्राम
लेखक -    राज भारती
उपन्यास समीक्षा - संग्राम

शनिवार, 17 दिसंबर 2022

बड़ा गेम-03 सर्वनाश- अनुराग कुमार जीनियस

बड़ा गेम- उपन्यास अंश
अनुराग कुमार जीनियस
 विक्रम और शुभांकर डी को मौजपुर आए पाँच दिन बीत चुके थे। आज छठवां दिन था। सोनू के गायब होने से उपजे केस के चलते वे दोनों वहां थे।और वह केस जो तमाम दुश्वारियों के बाद आखिरकार हल हो गया था।और अब उन्हें वहां से चले जाना चाहिए था पर वे रुके थे और उसके पीछे एक बड़ी वजह थी। प्रशांत जो दो दिन पहले मंगल की बहन के यहां शादी में गया था,जा तो मंगल भी रहा था पर ऐन मौके पर कुछ ऐसी प्रॉब्लम खड़ी हो गई की प्रशांत को अकेले ही जाना पड़ा वरना उन्हें जानने वाले अच्छी तरह जानते थे कि वे दो जिस्म एक जान हैं। हरदम साथ रहना पसंद करते थे। वे दोनों एक दूसरे से बेइंतेहा मोहब्बत करते थे_प्रशांत ने उन दोनों को जिद करके रुकने पर मजबूर किया था।उसने कहा था की दो दिन बाद उसका बर्थडे है।उसे सेलिब्रेट करके जाएं। प्रशांत की जिद के आगे ही वे मजबूर हो गए थे और रुक गए थे।वरना  उनका तो इरादा केस निपटने के बाद ही राजनगर वापस जाने का था।

रविवार, 11 दिसंबर 2022

काम्बोजनामा - एक अद्भुत काव्यकथा - योगेश मित्तल

 काम्बोजनामा - एक अद्भुत काव्यकथा 
काम्बोजनामा :वेदप्रकाश काम्बोज की लेखन यात्रा

कुछ लोग अपनी जीवनी लिखते हैं - कुछ किसी अन्य की, लेकिन इमोशन के बादशाह राम पुजारी जब कुछ लिखते हैं, अपना सब कुछ उसमें इस तरह झोंक देते हैं, इस कदर झोंक देते हैं कि लिखी हुई पुस्तक खूबसूरत शब्दों की एक गंगा बन, आनन्दप्रद शीतल धारा की तरह  मन-मस्तिष्क और आत्मा में मीठे-मीठे एहसास और प्रसंग, चित्र की भाँति उकेरती और चलचित्र की भाँति उभारती चली जाती है। 
काम्बोजनामा - जासूसी साहित्य में वर्षों शीर्ष पर रहने वाले दिग्गज उपन्यासकार वेद प्रकाश काम्बोज की सहज-सरल जीवनी नहीं है। यह उनका जन्म से अब तक का जिन्दगीनामा भी नहीं है। यह तो वेद प्रकाश काम्बोज के लेखकीय जीवन के अनन्त अच्छे-बुरे, सरल-कठिन, खट्टे-मीठे प्रसंगों की बेहद खूबसूरत झांकी है, जिसके लिए मैं आदरणीय वेद प्रकाश

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

कत्ल की सौगात - राहुल

कत्ल की सौगात - राहुल
उपन्यास अंश

चांदनी रात भी इतनी भयानक हो सकती है, सीमा ने सपने में भी नहीं सोचा
था। भागते-भागते उसकी सांस फूल गई थी और शरीर का अंग-अंग थकावट से इस तरह टूटने लगा था कि उसे लगा वह अगले ही पल धमाके से बम की तरह फट जाएगी और अंग-अंग पत्थरों की तरह नीचे घाटी में लुढ़कता हुआ अपना अस्तित्व खो देगा 'हे भगवान!' सीमा पीड़ा और दुःख से पसीने में नहाई हुई आकाश पर
चमकते चांद को देखकर चीख पड़ी 'अरे रक्षा करो भगवान... मुझे इन राक्षसों से बचाओ...।'
तभी उसे ठोकर लगी पर वह औंधे मुंह गिरी। अगर वह अनायास हाथ न टिका देती तो उसका चेहरा चट्टान से टकराकर कीमा बन जाता।
"धांय!"
ठीक उसी पल एक गोली सनसनसाती आई और उसके सिर के बालों को जलाती हुई निकल गई।

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

चौसर- जितेन्द्र नाथ, समीक्षा

नाॅवल - चौसर
लेखक - जितेंद्र नाथ

प्रकाशक - सूरज पॉकेट बुक्स
समीक्षक - दिलशाद
सिटी ऑफ इविल वाले

अभी अभी जितेंद्र नाथ जी की चौसर पढ़कर पूरी की। इससे पहले मैने उनकी राख पढ़ी जिसने शानदार छाप छोड़ी थी। राख में पुलिस कार्यप्रणाली का सजीव रूप प्रतीत हुआ। चलिए बात करते हैं चौसर की, जिसकी कहानी शुरू होती है होटल पर्ल रेसीडेंसी से, रिसेप्शन पर रात के साढ़े नो बजे फोन बजता है। उधर से एक व्यक्ति अपने बेटे के बारे में पूछता है की क्या मेरा बेटा होटल पहुंच गया। सुबह को ज्ञात होता है कि विष्टा टेक्नोलोजी के पंद्रह एंप्लॉज जो पर्ल रेसीडेंसी में ठहरे थे अभी तक नही आए। ड्राइवर सहित सभी एंप्लॉयज के नंबर बंद जा रहे थे। सूचना पुलिस को दी जाती है। सिग्मा ट्रेवलर्स के दफ्तर से बस की आखिरी लोकेशन का पता चलता है। बस को घेर लिया जाता है लेकिन उसमे अजनबी ड्राइवर निकलता है। अब सभी का दिमाग चकरा जाता है की सभी यात्री कहां गए और ड्राइवर क्यों बदला।
           अगली सुबह एक नदी में एक एंप्लॉय की लाश मिलती है।  एक दृश्य में 26 ग्यारह की याद ताजा हो जाती है। जब आतंकवादी एक होटल में हतियारो को गरजाते हुए हुए घुसते हैं। बेहद ही लाइव दृश्य महसूस होता है। आपको नोवल में अनेकों सवाल मिलेंगे जैसे...
- बस अपने गंतव्य तक क्यों नही पहुंची?
- जो ड्राइवर पकड़ा गया था वह खाली बस लेकर क्यों जा रहा था?
- क्या एम्प्लेयर्स मिल सके?
- किसका हाथ था एंप्लायस के गायब कराने के पीछे?

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