साहित्य देश के स्तम्भ 'उपन्यास अंश' में उस बार प्रस्तुत है युवा उपन्यासकार विकास सी एस झा द्वारा रचित 'सी.एस.टी. सीरीज' के उपन्यास 'सात जुलाई की रात' के रोचक अंश।
'सात जुलाई की रात' के कुछ अंश :
मेफेयर रेस्टोरेंट।
बांद्रा, मुम्बई।
ड्रीम हाउस का विजेता आदित्य आहूजा अपनी मौजूदा गर्लफ्रैंड तान्या मुखर्जी, जो शो के अंदर उसकी को-कंटेस्टंट भी थी, के साथ इस वक्त बांद्रा के एक रेस्टोरेंट के अंदर मौजूद था जहां वे किसी गंभीर चर्चा में रत दिख रहे थे।
"आदी, मुझे उस रात के बाद से पता नहीं क्यों हमेशा एक डर सा लगा रहता है।" तान्या मुखर्जी ने चेहरे पर आशंका के भाव लिए हुए आदित्य आहूजा से कहा।
"इसमें डरने की कौन सी बात हुई भला ? जिसे जाना था, चला गया। तकदीर की लिखी को कौन काट सकता है !" आदित्य आहूजा ने समझाते हुए तान्या से कहा।
"यार, लेकिन मुझे गीता की खुदकुशी वाली बात पर अब भी यकीन नहीं होता। इतना क्या पागलपन सवार हो गया था उसे। अच्छी-खासी जिंदादिल लड़की थी, पता नहीं क्यों ऐसा कदम उठा बैठी ?" तान्या के चेहरे पर तनाव साफ दिख रहा था।
"इसलिए तो मैं खुद को गुनहगार मानती हूं। ना मैं तुम्हारी ज़िंदगी में आती ना गीता से तुम्हारा ब्रेकअप होता। ये सब हमारे रिश्ते की वजह से ही हुआ है आदी।" तान्या ने रुआंसा होते हुए कहा।
"यार तान्या, मूड का सत्यानाश मत करो। अब मुझे क्या पता था कि उस बात का अंजाम कुछ इस कदर होने वाला था ?" आदित्य ने झुंझलाकर कहा।
"ठीक है, मगर मेरे एक सवाल का जवाब दोगे ?" तान्या ने आदित्य की ओर देखकर पूछा।
"क्या ?" आदित्य ने पूछा।
"उस रात तुम्हारी गीता से कोई बातचीत हुई थी क्या ?" तान्या ने आदित्य की ओर देखकर पूछा।
"उस शाम जब मैं उससे मिला ही नहीं तो बातचीत का सवाल ही किधर पैदा होता है।" आदित्य ने जवाब दिया।
"आदित्य, मुझे गलत मत समझो। मगर मैंने तुम्हें गीता के पीछे जाते देखा था जब वो आखिरी बार उस पार्टी हॉल से बाहर निकली थी। सबसे खास बात ये थी कि जब तक वो पार्टी हॉल के अंदर थी उसकी नज़र लगातार तुम पर ही टिकी हुई थी।" तान्या ने प्रश्नसूचक नज़रों से आदित्य आहूजा को देखा।
"हां, मैं गया था उसके पीछे बाहर। जिस तरह उस दिन वो मुझे देखकर रियेक्ट कर रही थी, ऐसे में मुझे उसके साथ एक बार बात करना जरूरी लग रहा था।" आदित्य ने सफाई देते हुए कहा।
"फिर ऐसा हुआ क्या तुम्हारे बीच जो वो..."
"एक्सक्यूज़ मी ! कहीं तुम ये तो नहीं समझ रही हो कि मैंने उसका कत्ल कर डाला ?" तान्या की बात को बीच में ही काटते हुए आदित्य आहूजा ने भड़कते हुए कहा।
"आदी... प्लीज ! कत्ल वाली बात मैंने कब कही ? तुम खुद ही ओवर रिएक्ट कर रहे हो।" तान्या मुखर्जी ने आदित्य आहूजा को समझाने की कोशिश की।
"यार, मैं उसके पीछे गया जरूर था, मगर बाहर वो मुझे कहीं भी नहीं दिखी थी। फिर मैं उधर खड़े-खड़े एक सिगरेट फूंका और वापस अंदर आ गया।" आदित्य ने बताया।
"ओके-ओके ! मान ली तुम्हारी बात। नाउ प्लीज कूल डाउन।" तान्या ने आदित्य के हाथ को थामते हुए कहा।
"वैसे उस वक्त तुम कहाँ गई थी ? मैं जब टेबल पर वापस लौटा था तुम तो वहां नहीं थी।" आदित्य ने तान्या की तरफ देखा।
"हां मैं कुछ देर के लिए वॉशरुम गई थी।" तान्या बोली।
"या फिर मेरी जासूसी करने ?" आदित्य आहूजा ने मुस्कुराते हुए तान्या से पूछा।
"मेरी ऐसी फितरत नहीं।" तान्या चिढ़कर बोली।
"सॉरी। तुम तो मजाक भी नहीं समझती।" आदित्य हंसकर बोला।
"अगर मज़ाक खत्म हो गया हो तो अब निकलें यहां से ?" तान्या ने अपनी कॉफ़ी खत्म करते हुए पूछा।
"हां बिल्कुल ।" कहकर आदित्य ने बिल पे किया और तान्या को लिए रेस्टोरेंट से बाहर निकल आया।
रेस्टोरेंट से निकलकर आदित्य ने वैलेट को कार की चाभी पकड़ाई। जब तक कार नीचे की बेसमेंट पार्किंग से ऊपर तक आती आदित्य आहूजा गेट पर तान्या मुखर्जी के साथ खड़ा रहा। थोड़ी दूर पर एक फोटो जॉर्नलिस्ट आदित्य और तान्या की एक साथ फोटो निकालने की कोशिश में लगा हुआ था। आदित्य आहूजा ने उस ओर कोई तवज्जो देने की जरूरत महसूस नहीं की। तब तक नीचे से गाड़ी ऊपर आकर आदित्य आहूजा के करीब खड़ी हो गई। आदित्य आहूजा ने तान्या को इशारा किया और दोनों गाड़ी के अंदर समा गए। गाड़ी अब वहां से बाहर निकल गई थी।
"आदी, तुम हमारे रिलेशन को लेकर सीरियस तो हो ना ?" आदित्य आहूजा के पहलू में बैठी तान्या मुखर्जी ने तनिक संजीदा होते हुए आदित्य आहूजा से पूछा।
"तान्या क्या हो गया है तुम्हें ? आज ये कैसी बहकी-बहकी सी बातें कर रही हो तुम ?" आदित्य आहूजा ने स्टेयरिंग पर से अपने बाएं हाथ को उठाकर तान्या के गाल को सहलाते हुए पूछा।
"मन में थोड़ी आशंका सी होती है जब अखबारों और न्यूज़ चैंनलों पर इस बारे में सुनती हूं।" तान्या चेहरे पर थोड़ी उदासी लिए हुए बोली।
"तुम्हें अब इन सब बातों की आदत डाल लेनी चाहिए तान्या।" आदित्य ने उसे समझाते हुए कहा।
"अच्छा एक बात बताओ। शो के अंदर गीता के साथ तुम्हारा ब्रेकअप शो के फॉर्मेट में था न ? और तुम्हारा मेरे करीब आना, ये भी ?" तान्या मुखर्जी ने अपनी नज़रें आदित्य के चेहरे पर टिका दी। आदित्य ने अपना मुंह तान्या की ओर घुमाया और उस पर एक नज़र डालकर फिर नज़रें दोबारा सामने सड़क की ओर घुमा ली। गाड़ी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ी जा रही थी। आदित्य आहूजा खामोश रहा।
"आदी, तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया ?" तान्या ने आदित्य आहूजा को खामोश देखकर पूछा।
"तान्या, तुम्हें पता है न कि शो के फॉर्मेट और दूसरी बातों के ऊपर बाहर कहीं चर्चा न करना, ये भी हमारे कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा था ?" आदित्य आहूजा ने उसे याद दिलाते हुए कहा।
"आदी, तो क्या मैं तुम्हें बाहर की लगती हूं ? डोंट बी सो फॉर्मल यार !" तान्या ने चेहरे पर तनिक नाराजगी के भाव लिए हुए कहा।
"तान्या, तुम थोड़ी टेंस्ड लग रही हो। आओ किसी ऐसी जगह चलते हैं जहाँ मैं तन्हाई में कुछ पल तुम्हारे साथ गुजार सकूं।" कहकर आदित्य आहूजा ने गाड़ी को एक शांत सी जगह पर रोका और ड्राइविंग सीट की ओर का दरवाजा खोलकर बाहर निकल आया। आसमान पर हल्के बादल थे, ठंढी हवाएं चल रही थी। यूं तो उस वक्त बारिश नहीं हो रही थी मगर हल्की बूंदाबांदी तो थी जरूर। आदित्य घूमकर पैसेंजर सीट के दरवाजे की तरफ गया और दरवाजे को खोलकर अपना हाथ तान्या की ओर बढ़ाया। तान्या बड़ी ही नज़ाकत के साथ आदित्य के हाथ को थामकर बाहर निकल आई।
"ये कहाँ लेकर आये मुझे ?" तान्या ने आसपास नज़र दौड़ाते हुए पूछा।
"ऐसी जगह, जहां तुम्हारे हर सवाल का जवाब तुम्हें मिल जाएगा।" कहकर आदित्य ने तान्या को अपने बाहों के घेरे में ले लिया। वो यूं ही उस वीराने में आंखें मूंदे बारिश की हल्की फुहारों के बीच एक-दूसरे की बाहों में सारी दुनिया को भुलाए एक-दूसरे में सिमटे हुए थे। तभी तान्या को वहां किसी की मौजूदगी का एहसास सा हुआ। उसकी मुंदी आंखें हल्की सी खुली।
"आदी !" वो चिहुंक कर बोली।
"हम्म।" आदित्य आंखें मूंदे धीरे से बोला।
"आदी, उधर कोई है !" तान्या ने खुद को आदित्य की बाहों के घेरे से छुड़ाते हुए हौले से कहा। आदित्य आहूजा ने चौंककर उस ओर देखा जिधर तान्या ने इशारा किया था।
"ब्लडी पैपराजी !" आदित्य आहूजा ने अपनी आस्तीन चढ़ाते हुए गुस्से में उस ओर बढ़ा जहां इस वक्त एक 23-24 साल का हैंडसम सा दिखने वाला लड़का अपने कैमरे से इन दोनों की तस्वीरें निकालने की कोशिश में लगा था। आदित्य आहूजा को अपनी तरफ आता देख उसने अब फोटो निकालना बंद कर दिया था। कैमरा अब उसके गले में लटक रहा था। उसने सिर पर पहनी अपनी स्पोर्ट्स कैप को घुमाकर पीछे कर लिया और मुस्कुराते हुए आदित्य आहूजा को हाथ हिलाकर दूर से हाय किया।
"आदी, कौन है ये ?" घबराकर तान्या ने पूछा।
"विराज माथुर नाम है इसका। एक युट्यूबर है। तुम इधर ही रुको। मैं आज इसकी खबर लेता हूं।" आदित्य आहूजा लाल-पीला होता हुआ बोला।
"आदी, इत्मीनान से। डोंट क्रिएट एनी सीन इन पब्लिक।" तान्या ने समझाते हुए आदित्य आहूजा से कहा।
"क्या प्रॉब्लम है तुम्हें ?" आदित्य आहूजा ने विराज माथुर के कंधों पर अपने दोनों हाथ रखते हुए चेहरे पर गुस्से के भाव लिए हुए धीरे से मगर फुफकारते हुए पूछा।
"नथिंग ब्रो ! व्हाट हैपेंड ?" विराज ने आराम से आदित्य के हाथों को पकड़कर अपने कंधों से नीचे कर दिया।
"कमीने, मुझसे पूछता व्हाट हैपेंड ! मुझसे पूछता है !" आदित्य आहूजा अपने दोनों हाथों से विराज के सीने पर धक्का देते हुए चीखा।
"आदित्य, कूल डाउन ! मैंने कोई ऐसी-वैसी हरकत नहीं की जो तुम इतने नाराज़ हो रहे हो।" विराज ने उसे समझाने की कोशिश की।
"आदी, क्या कर रहे हो तुम ? यूं पब्लिक में इस तरह सीन मत क्रिएट करो, एंड यु! हूएवर यु आर, नाउ लीव फ्रॉम हेयर।" तान्या मुखर्जी ने विराज माथुर को आग उगलती नज़रों से देखा।
"तान्या, प्लीज अंडरस्टैंड..." विराज माथुर ने तान्या को समझाने की कोशिश की।
"व्हॉट अंडरस्टैंड ? तुम्हें मैं 'मेफेयर' के पास से ही देख रहा हूँ, पीछा ही नहीं छोड़ रहे हो तुम हमारा। हमारी कोई प्रिवेसी है या नहीं ?" आदित्य एक बार फिर चीखते हुए विराज माथुर की ओर बढ़ा।
"बॉस, यु आर सेलिब्रिटी। लोग तुम्हारी एक झलक पाने को बेताब रहते हैं। तुम्हारे हर दुख-सुख के बारे में जानने को बेचैन रहते हैं। मैं तो बस उन्हें वो खुशी मुहैया कराने का एक साधन मात्र हूं। और रही बात प्राइवेसी की, तो पब्लिक प्लेस में तो वो तुम्हें मिलने से रही।" विराज माथुर ने गंभीर स्वर में समझाते हुए आदित्य आहूजा से कहा।
"ओके-ओके। निकाल ली न फोटो। नाउ प्लीज लीव अस अलोन !" आदित्य आहूजा ने सिर झुकाकर दोनों हाथ जोड़ दिए।
"आदित्य, ये मत भूलो की आज जो तुम ड्रीम हाउस के विनर बने घूम रहे हो ना, उसमे हमारे चैनल का भी काफी योगदान रहा है। तुम तो शो के अंदर थे, इसलिए तुम्हें नहीं पता होगा शायद। हमने अपने चैनल पर तुम्हें काफी स्ट्रोंगली प्रमोट किया था। विश्वास न हो तो अपने यार-दोस्तों से पूछ लो या फिर हमारे चैनल को विजिट करके देख लो। मालूम पड़ जाएगा।" विराज माथुर ने अपने कैमरे को कवर में पैक करते हुए आदित्य आहूजा को देख कर कहा।
आदित्य, विराज की ओर बढ़ा। उसने हल्के से अपने दोनों हाथ उसके कंधे पर रखे।
"आई एम सॉरी !" वो हल्के से विराज से गले मिलकर अपने हाथ से विराज के पीठ को थपथपाया फिर मुड़कर तान्या की ओर बढ़ गया।
"आदित्य ! एंजॉय योर डे !" विराज ने दूर जाते आदित्य आहूजा को पीछे से आवाज़ दी। आदित्य पीछे मुड़ा फिर मुस्कुराकर आगे बढ़ गया।
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उपन्यास प्राप्ति लिंक-
सूरज पॉकेट बुक्स- सात जुलाई की रात
अमेजन लिंक- सात जुलाई की रात
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