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रविवार, 30 सितंबर 2018

अमित श्रीवास्तव

उपन्यास लेखक अमित श्रीवास्तव जी के साथ
उपन्यास लेखक अमित श्रीवास्तव जी के साथ
18.06.2018

शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

परशुराम शर्मा

लेखक परशुराम शर्मा जी 

लेखनी के जादूगर आदरणीय सुप्रसिद्ध लेखनकार श्री परशुराम शर्मा जी...
इनका लेखन आरम्भ हुआ सन 1962 में, इनकी प्रेरणा एक ऐसी किशोरी जिसने इन पर एक घटिया इल्ज़ाम लगा अपमानित करने का सफल प्रयास किया। क्यों के अपनी बेगुनाही को लेकर कोई दलील पास न थी लिहाज़ा इल्ज़ाम सर ले वह पीड़ित हुए। नतीजा, यहीं से आरंभ हुआ उनका लेखन सफर।
                      पहली रचना "चीखों का संसार" जिसको जासूसी शक्ल के रूप में प्रकाशित किया गया 'कमल जासूस' मैगज़ीन मेरठ से। यह उस समय की बात है जब लेखनी के जादूगर परशुराम शर्मा जी महज़ 17 वर्षीय थे। उनका यह नावेल पाठको के बीच खासा चर्चित हुआ। लेखन जगत के इस चर्चित दौर के अंतर्गत उनका एक उपन्यास आया "ज़ीरो लैंड" यह वो समय था जब पुस्तको की कीमत केवल दो या चार रुपये हुआ करती थी, लेकिन ज़ीरो लैंड का मूल्य 10 रुपये रखा गया और जब यह उपन्यास प्रकाशित हुआ तो पाठकवर्ग के बीच इसे लेकर इतनी होड़ मची के नावेल सुप्रसिद्ध हो ब्लैक में बिका। पच्चीसवां उपन्यास "आग और शोले" प्रकाशित हुआ सन 1970 में, सीक्रेट सर्विस कार्यलय मेरठ से...यह वो उपन्यास था जिसने लेखन के जादूगर परशुराम शर्मा जी को अपनी एक विशेष पहचान स्थगित करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया। पचासवीं रचना "पृथ्वी के चोर" जासूसी उपन्यास अजय प्रकाशन से प्रकाशित हो सदा की तरह इस बार भी खूब पाठकों के बीच प्रंशसा का पात्र बना। 
                यहां यह भी कहा जा सकता है कि लेखक परशुराम शर्मा जी पाठको के दिल अज़ीज़ व रचनाकार के रूप में अपना एक शानदार मुकाम लेखन जगत में हासिल कर चुके थे।
                         सौंवा उपन्यास..."नर्क की छाया" कंचन पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुआ जिसने खूब प्रशंसाएं बटोरी।  यह वो समय था जब समस्त लेखक अपनी लेखन दुनिया को लेकर अपनी अपनी उन बहुचर्चित सीरीज़ में बंध कर ही रचना लिखा करते थे जिन्हें पाठक सराहा करते थे, शायद विवश थे सीरीज़ में बंध कर लेखन कार्य के साथ । इस प्रकार की समस्त विवशताओं व नियमो को खंडित कर लेखनी के जादूगर परशुराम शर्मा जी ने इसका उलंघन कर पाठको को एक नया आहार परोसा जिसे दिल की गहराईयों से सराहा गया। लेखन जगत के इस बादशाह ने यकीनन अपनी जादूभरी लेखनी का शानदार प्रदर्शन दिया। "हलाकू" नामक रचना टेलीपैथीक एक विशेष आहार पाठको के लिए खासा हाज़मी साबित हुआ , न केवल इतना ही, सुप्रसिद्ध भी रहा। इसके अलावा उन्होंने सामाजिक भी लिखा "ठोकर" नाम से जो के सन 1985 में कंचन पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुआ। इसके अलावा कॉमिक्स में इन्होंने तमाम हिंदुस्तान में खूब धूम मचाई...मेघदूत, नागराज, अंगारा, जम्बू, मिस्टर इत्यादि नाम के किरदारो से सम्पूर्ण भारत मे वो मुकाम पाया के इनके मुकाबले दूसरा कोई अभी तक न आया। इनको कॉमिक्स में हिंदुस्तान का बादशाह होने का अनोखा स्थान हासिल हुआ। इनकी रचनाओं का सिलसिला हॉरर रचनाओं तक भी पहुँचा, जिसको समस्त रचनाओं समान सराहा गया। 
       
                             लेखक परशुराम शर्मा जी अपने आप मे एक ज्ञान व प्रेम सागर हैं। ह्रदय से विशाल हर एक के लिए सदा सहयोग हेतु आगे बढ़ते हैं। भारतीय बहुचर्चित टॉप वन सीरीज़ में आने वाले स्वर्गीय वेद प्रकाश शर्मा जी को भी इनका सहयोग व सहानुभूति प्राप्त हैं। ऐसा स्वंम वेद प्रकाश शर्मा जी ने मेरे यानी लेखिका गज़ाला करीम, के सामने ही स्वीकारा, यह उस समय की बात है जब मैं वेद प्रकाश शर्मा जी की शिष्या रूपी उनके सम्पर्क में थी। ताज्जुब की बात तो तब हुई जब समस्त भारत मे प्रकाशमय लेखक होने का गर्व प्राप्त करने वाले लेखक ने परशुराम शर्मा जी से प्राप्त सहयोग व सहानुभूतियों के रहते उनके साथ एक बड़ा धोखा किया तब आदरणीय विशाल ह्रदय परशुराम शर्मा जी गहरी पीड़ा में लीन हुए। मगर लेखन हेतु साहस बनाये रखा और सक्रिय भी रहे। 27 मई 2018 को जब मैं (लेखिका गज़ाला करीम) परशुराम शर्मा जी से बोली की मेरी पुस्तक प्रकाशित होने जा रही है तो सदाबहार स्वभाव के मालिक परशुराम अंकल बोले मेरा आशीर्वाद पहले भी तुम्हे प्राप्त था बेटे और आगे भी रहेगा। उनसे भेंट कर जाना वो आज भी जिंदा दिल हैं। हर के लिए मन मे प्रेम स्नेह सदा रखना उनका स्वभाव है। उनकी अद्भुत रचनाओं का कारवां केवल यही तक सीमित नही बल्कि "प्रलय" व "लाफ्टर चैलेंज" भी पाठको के बीच सरहनीय सिद्ध हुआ है, जो के रवि पॉकेट बुक्स मेरठ से प्रकाशित हुआ। हार्दिक नमन ऐसे विशाल ह्रदय और लेखनी के जादूगर सम्मानजनक लेखक परशुराम शर्मा जी को। इनकी अब तक कि लिखित रचनाओं की संख्या लगभग 300 है।

@गजाला करीम‌ की कलम से


गुरुवार, 27 सितंबर 2018

रेणू

उपन्यास जगत में एक सामाजिक उपन्यास लेखिका का नाम भी कभी-कभी कभार दिखाई दिया, यह नाम था रेणू।
रेणू के उपन्यास वेदप्रकाश शर्मा जी की प्रकाशन संस्था 'तुलसी पेपर बुक्स-मेरठ' से प्रकाशित होते थे।
हालांकि जानकार लोगों का मानना है की रेणू मूलतः कोई लेखिका नहीं थी, यह घोस्ट राइटिंग थी। वहीं और गहरे जानकार यहाँ तक वादा करते हैं की उपन्यास के अंतिम‌ आवरण पृष्ठ दिया गया लेखिका का चित्र उनके घरेलू नौकर के परिवार की किसी सदस्य का चित्र है।
अब सत्य तो ........

रेणू के उपन्यास
1. दो टके का सिंदूर
2. पांचाली
3.

बुधवार, 26 सितंबर 2018

नये उपन्यास- Set.2018

सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित कुछ नये उपन्यास

1. रफ़्तार- अनिल‌ मोहन (रिप्रिंट)
2. प्रेतों का निर्माता- वेदप्रकाश कंबोज(रिप्रिंट)
3. आग सीरिज- परशुराम शर्मा (रिप्रिंट)
   पहली आग, दूसरी आग, तीसरी आग
4. कत्ल की पहेली-

शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

राम पुजारी


लेखक राम पुजारी जी के साथ



दिल्ली में लेखक राम पुजारी जी के साथ।
जासूसी उपन्यासकार वेदप्रकाश कंबोज जी के घर पर- 03.6.2018



गजाला करीम

उपन्यासकार गजाला करीम जी के साथ। 03.06.2018

प्रसिद्ध जासूसी उपन्यासकार गजाल करीम जी के साथ श्री मान आबिद रिजवी साहब के घर पर।


परशुराम शर्मा


परशुराम जी शर्मा के साथ।



प्रसिद्ध जासूसी उपन्यासकार परशुराम जी शर्मा के साथ मेरठ में। 04 जून 2018


जैन बंधु - मेरठ

दुर्गा पॉकेट बुक्स के मालिक दीपक जैन जी के साथ।


रवि पॉकेट बुक्स के कार्यालय में।










04 जून-2018
रवि पॉकेट बुक्स के मालिक मनेष जैन जी के साथ।
दुर्गा पॉकेट बुक्स के मालिक दीपक जैन जी के साथ।


गुरुवार, 20 सितंबर 2018

माया मैमसाब

लोकप्रिय उपन्यास जगत में घोस्ट राइटिंग और फर्जी नाम‌ नाम से जितने उपन्यास भारतीय बाजार में आये यह स्वयं में एक रिकाॅर्ड हो सकता है।
      कभी केशव पण्डित सीरिज की लाइन लंबी हुयी तो कभी रीमा भारती सीरिज की। इस बहती कलुषित  गंगा में हर कोई प्रकाशक हाथ धोने को उतावला था। बस थोड़ा-बहुत नाम परिवर्तन किया और एक नया लेखक-लेखिका बाजार में उतार दिया।
     कहानी से कोई वास्ता नहीं और लेखक को राॅयल्टी देनी नहीं जितना माल बना सको सब प्रकाशक की जेब में।
       दिनेश ठाकुर के अश्लीलता वाली रीमा भारती एक बार क्या चल गयी सभी ने महिला प्रधान एक्शन उपन्यास की लाईन लगा दी।   नायिका के नाम में हल्का सा परिवर्तन और नयी नायिका तैयार। इसी मानसिकता के चलते कहानी खो गयी और एक दिन उपन्यास बाजार भी गुम हो गया। प्रकाशक ने उपन्यास प्रकाशित करना बंद कर दिया और अच्छे लेखकों को भी पाठकों से दूर कर दिया।

     इसी भीड़ में एक और नायिका बाजार में उतारी माया पॉकेट बुक्स के मालिक दीपक जैन जी‌ ने। नाम दिया माया मैमसाब। माया मैमसाब के उपन्यास के नाम भी बहुत अजीब से होते थे‌।  लेकिन माया मैमसाब का नाम बाजार में न चलना था न चला।

माया मैम‌साब के उपन्यास

1. बिल्ली बोली म्याऊँ, मैं मौत बन जाऊं
2. मुर्गा बोला कुक्कडू कूं, मुर्दा जी उठा क्यूं
3. कौआ बोला काऊं-काऊं, मैं करोड़पति बन जाऊं
4. रक्त उडे़लूंगा पन्नों पर
5.

गुरुवार, 13 सितंबर 2018

अम्बरीश कश्यप

अम्बरीश कश्यप के उपन्यास
1. परछाइयों का महल
2. पहला बाजीगर
3. दूसरा बाजीगर
4. तीसरा बाजीगर
5. बाजीगर का अंत


एस. एन. कंवल

लोकप्रिय कथा साहित्य में एस. एन. कंवल का नाम काफी प्रसिद्ध रहा है। एस. एन. कंवल जासूसी उपन्यासकार थे।
इन्होंने भारतीय गुप्तचर विभाग को आधार बनाकर काफी रोचक उपन्यास लिखे हैं।
एस. एन. कंवल साहब का प्रसिद्ध पात्र का नाम 'प्रतापी' है जो भारतीय गुप्तचर विभाग में इंस्पेक्टर है।
 भारतीय गुप्तचर विभाग के अन्य सीनियर अफसर सुपर महाजन और उस से भी ऊपर ब्लैक क्राॅस है। 
 अपनी साथी मिस रोजी के साथ इंस्पेक्टर प्रतापी की चुहलबाजी चलती रहती है।

एस. एन. कंवल के उपन्यास

01. नीलमगढी का प्रेत ( प्रतापी सीरिज)
02. लेडी हारबारा
03. शैतान की आँखें
04. मौत की आवाज
05. हत्यारी रूहें
06. लाशों का नाच
07. राजगढ का शैतान
08. मौत का झरना (क्रमांक 01-08 तक, रंगमहल कार्यालय, दिल्ली)
09. मौत का जाल (विजय पॉकेट बुक्स)
10 . पाप की नगरी (
11. टूटती जंजीरें
12. वासना की प्यास
13. चौथा शिकार
14. निर्दोष हत्यारा (क्रमांक 09-14 तक विजय पॉकेट बुक्स)
15. नीली लाश
16 इंतकाम की आग
17. मैजिक क्वीन



18. खूनी वसीयत
19. पत्रकार की हत्या
20. सुपर बाॅस
21. पांचवी हत्या
22. गुनाहों की मौत
23. रंचन कंगा
24. खूनी दरिंदे
25. प्रिंसेस डिडैला
 26. काल गर्ल
27. हत्यारी रूहें
28. अंधेरे का कातिल
29. जहन्नुम की आग
30. सुनहरी सिगरेट केस (15-30 तक सीक्रेट सर्विस कार्यालय-मेरठ से प्रकाशित)
31. खौफनाक आवाजें  (क्राइम रिपोर्टर मैगजीन में प्रकाशित)
32. खून के प्यासे
33. सुनसान हवेली
34. देवता की लाश 
35. अमावश की रात (प्रतापी सीरीज) विजय पॉकेट बुक्स
36. तीन दीवाने
37. हीरों का व्यापारी -प्रथम भाग
38. पाप का साथी - द्वितीय भाग



सक्सेना सीरीज
1. देश द्रोही
2. खूनी दाग
3. बिन ब्याही बीविया
4. तीतर की हड्डी
5. न्याय का वेदी पर
6. किराये का कैदी
7. अंधा साक्षी
8. पाप के पुतले
9. हत्यारी मूंछे
10. मुर्दे की गवाही
11. दौलत और दरिंदे
12. हत्यारा प्रेमी
13. कानून का ग्रास
(प्रकाशक- रंगमहल कार्यालय, ‌लाहौरी गेट, दिल्ली-06)

('सक्सेना सीरिज' वाले उपन्यास की सूची हमें 'एस.एन.कंवल' के उपन्यास 'खौफनाक आवाजें' में मिली, हालांकि यह कन्फर्म नहीं हुया की ये सूची 'एस.एन. कंवल' की है या 'सक्सेना सीरिज' शीर्षक से किसी अनाम लेखक की)

बुधवार, 12 सितंबर 2018

अकरम इलाहाबादी

अकरम इलाहाबादी परिचय Akram Allahabadi's Novel

नाम- अकरम इलाहाबादी

मूल नाम- सैयद मोहम्मद अकरम
जन्म: 31 मार्च 1923, प्रयागराज
मृत्यु: 26 फ़रवरी 1990, प्रयागराज
उपन्यास लेखक आरम्भ- 1953
Akram Allahabadi's Novel

रविवार, 9 सितंबर 2018

धीरज मिश्रा

धीरज मिश्रा जी वर्तमान में फिल्मी जगत में सक्रिय हैं। इन्होंने 'जय जवान जय किसान' जैसी फिल्मों का लेखन किया है।

नाम- धीरज मिश्रा
जन्म- 06.12.1980 (इलाहाबाद)

धीरज मिश्रा के उपन्यास
1. पतझङ और बहार ( दुर्गा पॉकेट बुक्स- मेरठ)


उक्त जानकारी दुर्गा पॉकेट बुक्स के मालिक दीपक जैन जी से  मिली।

मंगलवार, 4 सितंबर 2018

केशव पण्डित, उपन्यास सूची

केशव पण्डित हिन्दी उपन्यासकार


    केशव पण्डित गौरी पॉकेट बुक्स के Ghost Writer थे। गौरी पॉकेट बुक्स बंद हो जाने के बाद इसका टाइटल 'तुलसी साहित्य पब्लिकेशन' और 'धीरज पॉकेट बुक्स' ने संयुक्त रूप से  खरीद लिया था।

  मूलतः वेदप्रकाश शर्मा द्वारा रचित 'केशव पण्डित' एक लोकप्रिय पात्र था। इसकी प्रसिद्धि इतनी हुयी की अनेक लेखकों और प्रकाशकों ने 'केशव पण्डित' नाम से अनेक लेखक मैदान‌ में उतार दिये। असंख्य 'केशव पण्डितों' में से 'गौरी पैकेट बुक्स' द्वारा रचित 'केशव पण्डित' को जो लोकप्रियता प्राप्त हुयी, उससे वह वेदप्रकाश शर्मा द्वारा रचित  वास्तविक केशव पण्डित से भी ज्यादा पढे जाना वाला पात्र बन गया।

  झील सी नीली आँखों वाला, चारमीनार सिगरेट पीने वाला यह केशव पण्डित 'वन मैन आर्मी है', दुश्मनों के लिए साक्षात काल है जो कानून की रक्षा के लिए दुश्मन, देशद्रोही लोगों को मारने में भी नहीं हिचकता।

     गौरी पॉकेट बुक्स द्वारा रचित केशव पण्डित के साथ उसका असिस्टेंट राजन शुक्ला, ड्राइवर करतार सिंह, पत्नी सोफिया भी उसके सहयोगी होते हैं। 

  गौरी पॉकेट द्वारा प्रकाशित प्रथम उपन्यास 'सुहाग की हत्या' जहां‌ कमलदीप जी ने लिखा वहीं गौरी पॉकेट बुक्स के लिए अधिकांश उपन्यास राकेश पाठक जी ने लिखें हैं, बाद में धीरज और तुलसी पॉकेट बुक्स के लिए अधिकांश उपन्यास अनिल सलूजा जी ने लिखे हैं। इसके अतिरिक्त भी केशव पण्डित टाइटल के लिए बहुत से लेखकों ने Ghost Writing की है।
  

केशव पण्डित के उपन्यास तीन जगह से प्रकाशित हुये
1. गौरी पॉकेट बुक्स, मेरठ
2. धीरज पॉकेट बुक्स,मेरठ
3. तुलसी साहित्य पब्लिकेशन,मेरठ


 केशव पण्डित के उपन्यास
1. सुहाग की हत्या
2. हत्यारा जज
3. खून से सनी वर्दी
4. कानून‌ की दहशत
5. कानून किसी का बाप नहीं
6. सोलह साल का हिटलर
7. कब मिटेगी गुण्डागर्दी
8. नसीब वाला गुण्डा
9. डण्डे की दुनिया
10. केशव का चक्रव्यूह

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मेरठ उपन्यास यात्रा-01

 लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...