लेबल

रविवार, 25 जुलाई 2021

रोशनी की मौत- अब्बास हुसैनी

 रोशनी की मौत

  जासूसी साहित्य के इतिहास में अँधकार

  इब्ने सफी की मृत्यु पर जासूसी दुनिया पत्रिका में संपादक अब्बास हुसैनी काश्रद्धांजलि स्वरूप छपा एक आर्टिकल। 

 महान जासूसी उपन्यासकार इब्ने सफी 26 जुलाई 1980 को मौत  की गोद में हमेशा के लिये सो गये।

            आज से अट्ठाईस वर्ष पूर्व जब मैंने इब्ने सफी के प्रथम उपन्यास का संपादकीय लिखा था तो उस समय क्या मालूम था कि जीवन में कोई ऐसा मनहूस समय भी आयेगा जब मुझे अपनी इस लेखनी से इब्ने सफी की मृत्यु की भी घोषणा करनी पड़ेगी। काश उसी अशुभ समय को ही मौत आ गई होती, जिसने इब्ने सफी को सदैव के लिये हमसे छीन लिया।

     इस समय अकेला मैं ही इब्ने सफी के निधन पर शोकाकुल नहीं हूँ, बल्कि मेरी नजरें साक्षात यह देख रही हैं कि सहस्त्रों, लाखों पढने वाले इब्ने सफी के दुख में अश्रुपात कर रहे हैं। जासूसी इतिहास के संपूर्ण वातावरण पर शोक के बादल छाये हुये हैं। संपूर्ण वातावरण अँधकार में विलिन है, पूरे वातावरण पर जानलेवा सन्नाटा है।

28 जुलाई सन् 1980 को जब तार द्वारा मुझे यह दुखदाई सूचना मिली कि इब्ने सफी का 26 जुलाई को देहांत हो गया तो मैं विचार करने लगा लगा कि-क्या किसी रोशनी को भी मौत आ सकती है?, क्या किसी युग को भी मौत आ सकती है?, क्या किसी शैली को भी मौत आ सकती है?....नहीं...नहीं, इब्ने सफी कभी मर सकते। वह जासूसी साहित्य के इतिहास में सदैव जीवित रहेंगे। वह लोगों के दिल व दिमाग में जिंदा रहेंगे। वह आकर्षक शैली में जीवित रहेंगे। वह अपने निर्मित पात्रों के दिलों की  धड़कनों में जिंदा रहेंगे। वह अपने व्यंग्य, उपहास और परिहास की छटामयी घाटियों में जीवित रहेंगे। वह हमीद की मधुर मुस्कानों में जीवित रहेंगे। वह विनोद के मायावी व्यक्तित्व में जीवित रहेंगे। वह राजेश के आकाशभेदी अट्ठहासों में जीवित रहेंगे। इब्ने सफी ने तो पूरा एक संसार सजा है, इसलिये जब तक उस संसार का श्रृंगार शेष रहेगा तब तक इब्ने सफी को भी को मौत नहीं आ सकती- वह जीवित रहेंगे।

        आज हम इसलिये दुखी हैं कि हमारी आँखें अब इब्ने सफी को नहीं देख  सकती फिर भी जुदाई का यह दुख  बड़ा ही हृदयविदारक दुख है किंतु यह दुख केवल मेरा या तुम्हारा या किसी एक परिवार का दुख नहीं है बल्कि इस दुख में आज इब्ने सफी के लाखों पढने वाले सम्मलित हैं। अतः मैं जासूसी दुनिया के समस्त पाठकों को उनके प्रिय लेखक इब्ने सफी की मृत्यु पर सांत्वना देता हूँ और इब्ने सफी की आत्मा की शांति के लिये स्वयं अपनी ओर से और आप सब लोगों की ओर से भी खुदा से दुआ करता हूँ।

       जमाना बड़े शौक से सुन रह था,

      तुम ही सो गये दास्तां कहते-कहते।

                                                सोगी-

                                             अब्बास हुसैनी

इब्ने सफी कुछ उपयोगी लिंक
उपन्यास सूची 
इब्ने सफी उपन्यास झलक

3 टिप्‍पणियां:

  1. जासूसी दुनिया तब ७५ पैसे की आती थी, तब से ही मैं उपन्यास पढ़ रहा हूं। इब्ने सफी साहब से उसी वक्त से मेरी पहचान बनी। व्यक्तिगत नहीं, एक पाठक और लेखक के बीच जो पहचान होती है, वह। महान लेखक थे इब्ने सफी साहब।
    हादी

    जवाब देंहटाएं
  2. इब्ने सफी सचमुच वक्त से पहले चले गये थे लेकिन फिर भी अपने किरदारों और कथानकों के रूप में वह हमारे बीच में उपस्थित हैं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं

Featured Post

मेरठ उपन्यास यात्रा-01

 लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...