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गुरुवार, 10 जून 2021

लोकप्रिय साहित्य पर चर्चा- शरद कुमार दूबे


लुगदी साहित्य को सस्ता, फुटपाथी और घासलेटी साहित्य जैसे नामों से भी अलंकृत किया जाता है। अंग्रेजी भाषा में इसे पल्प फिक्शन (Pulp fiction) कहा जाता है। मैंने गूगल पर pulp fiction meaning in hindi टाइप किया तो जवाब आया 'उत्तेजित करने वाला सस्ता उपन्यास'।
वैसे लुगदी साहित्य का सबसे इज्जतदार नाम है, 'लोकप्रिय साहित्य'। यानी कम गुणवत्ता वाले सस्ते कागज पर छपने वाला वो साहित्य जो आम लोगों की जेब पर भारी नहीं पड़ता और वो रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड की दुकानों पर आम बिकते इस साहित्य को खरीदकर अपने पढ़ने की तलब को पूरी कर पाता है। सही मायनों में यही वो साहित्य है जो पाठकों के मन में रोचकता पैदा करता है और उन्हें इससे जोड़े रखता है। लोकप्रिय साहित्य लिखा नहीं जाता बल्कि लिखा जाकर लोकप्रिय होता है।
हिंदी उपन्यास के संसार में उपन्यास को दो श्रेणियों में बाँटा गया, 'सामाजिक उपन्यास और जासूसी उपन्यास'। यहाँ हम बात कर रहे हैं जासूसी उपन्यासों और उनके लेखकों की। 100 साल से भी अधिक पुराने, हिन्दी जासूसी उपन्यासों के इतिहास में, 200 से भी अधिक जासूसी उपन्यासों के लेखक, गोपाल राम गहमरी का योगदान अविस्मरणीय है। सन 1900 में उन्होंने जासूस नामक पत्रिका भी प्रारम्भ की थी जो अगले चार दशकों तक प्रकाशित होती रही। ऐंसे ही देवकीनन्दन खत्री के उपन्यास 'चन्द्रकान्ता' का योगदान भी अतुलनीय है।
किसी भी उपन्यास को पढ़ने का मुख्य उद्देश्य होता है पाठक का मनोरंजन। लेकिन ये भी सत्य है कि, पढ़ने से ढेरों उपलब्धियाँ भी हासिल होती हैं। जैसे, ज्ञान प्राप्त होना, शब्द भंडार में वृद्धि होना आदि।
पिछले 50-60 बरस के कामयाब जासूसी उपन्यास लेखकों की बात करें तो उनमें, इब्ने शफी,  कर्नल रंजीत, जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा, वेदप्रकाश काम्बोज, परशुराम शर्मा, वेदप्रकाश शर्मा, सुरेन्द्र मोहन पाठक आदि के नाम स्पष्ट रूप से सामने आते हैं।
पुराने समय में जब मनोरंजन के साधन कम थे तब लोगों में पढ़ने का बड़ा चाव था और जासूसी उपन्यास भी खूब पढ़े जाते थे। मनोरंजन के साधन बढ़े तो लोगों का वक्त दूसरे साधनों पर खर्च होने लगा और पढ़ने में रुचि कम होती गई। फिर हुआ ये कि, लोकप्रिय लेखक भी कम छपने लगे और बिकने और भी कम हो गए।
यहाँ मैं तारीफ करना चाहूँगा वेद प्रकाश शर्मा और सुरेन्द्र मोहन पाठक की कि, पाठकों में इनकी लोकप्रियता कम न हुई। दोनों खूब छपते और बिकते रहे। 17 फरवरी 2017 को वेद प्रकाश शर्मा का देहांत हो गया। लोकप्रिय साहित्य में वेद प्रकाश शर्मा का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।
लुगदी साहित्य का पहला लेखक जो लुगदी अथवा सस्ते कागज से ऊपर उठकर बेहतरीन वाइट पेपर पर छपा, वो है सुरेन्द्र मोहन पाठक। अपनी मेहनत, लगन और लेखन की वजह से पाठक जी ने यह मुकाम हासिल किया और अब तो उनका हर उपन्यास वाइट, उम्दा पेपर पर ही छपता है।
सुरेन्द्र मोहन पाठक का एक विशाल पाठक वर्ग है जो उनके हर नए उपन्यास का बेताबी से इंतजार करता है। 81 बरस के पाठक जी आज भी लेखन में सक्रिय हैं और उसी शिद्दत से लिख रहे हैं जैसे पहले लिखते थे। लेकिन ऐंसा लगता है मानो पाठक जी, लोकप्रिय लेखन के आखरी हस्ताक्षर हैं और नहीं लगता कि, सस्ते साहित्य का कोई और लेखक अब इस मुकाम तक पहुँच पाएगा क्योंकि वर्तमान में जो भी नए लेखक लिख रहे हैं वो पाठकों की पसंद पर खरा उतरने लायक नहीं है।।
प्रस्तुति-
शरद कुमार दुबे  


राम मंदिर के पास
रेलटोली, गोंदिया,
महाराष्ट्र (पिन- 441614)


14 टिप्‍पणियां:

  1. शरद जी,
    नये लेखकों की बाबत आपकी राय से सहमत नहीं हूँ🙏🙏
    अभी भी उम्मीद है।

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    उत्तर
    1. उम्दा साहित्य के हर तलबगार की तरफ से मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ रतन भाई कि, आपकी उम्मीद , आपकी चाहत पूरी हो और हमें कोई एक तो बेहतरीन जासूसी उपन्यास लेखक मिले।

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  2. बहुत सुंदर 👌👌 लोकप्रिय साहित्य के बारे में दुबे सर ने रोचक जानकारी दी है। सचमुच नए लेखकों के लिए पाठक सर, वेद जी जैसे मुकाम पर पहुंचना तो बेहद मुश्किल है पर सन्तोष पाठक जी, शुभानन्द जी, जितेंद्र नाथ जी आदि लेखकों ने पाठकों के दिलों में जगह बनाई है।

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  3. बहोत बढिया लिखा आपने शरद सर, अब साहित्य पढने वाले कम ही बचे है
    नये लेखक वो रूची पैदा नही कर पा रहे।
    अलबत्ता कुछ लेखक है जो अच्छा लिख रहे है।

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  4. रोचक लेख। वैसे लोकप्रिय में सामाजिक, जासूसी के अलावा हॉरर और फंतासी(तिलस्मी भी कहा जा सकता है) भी होता था। बस इस पर गिनती के लेखकों ने ध्यान दिया।

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    उत्तर
    1. हॉरर, फंतासी को मैंने जासूसी में ही एड कर लिया विकास जी। आभार आपका।

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  5. नये लेखकों में सन्तोष पाठक, चंद्रप्रकाश पाण्डेय, अजिंक्य शर्मा, कँवल शर्मा, इकराम फरीदी, शुभानन्द जैसे लेखक अच्छी कोशिश कर रहे हैं। इनसे पाठक उम्मीद लगा सकते हैं।

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    उत्तर
    1. आभार। अच्छा है, ये लेखक ummeed पर खरे उतरे यही इच्छा है।

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  6. बेहद सारगर्भित और तथ्य परक जानकारी दी है आपने। यह सच है कि लोकप्रिय साहित्य में फिलहाल पाठक साहब के कद का कोई लेखक दूर दूर तक नजर नहीं आता है। हालांकि नये लेखकों की कतार है, पर पाठक साहब सा मुकाम हासिल करने के लिए कठोर परिश्रम और सालों साल की तपस्या करने का धैर्य आवश्यक है। कितने लेखक इस पर खरे उतरते हैं यह देखना होगा।

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  7. Old comics/books purchase karna hai kisi ko buy karna ho kisi ko chahiye toh
    pm me on wa - 8767370717

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