सन 70 के किसी साल में आई रानू की किताब 'बर्फ़ के अंगारे' का नायक कमल एक लड़की 'रूपा' द्वारा प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिए जाने पर उसका बलात्कार कर देता है।
और पछतावा होने पर खुद से भागकर पहाड़ों पर चला जाता है। वहां उसे एक दिन एक पहाड़न लड़की 'नीली' मिलती है, जो सम्भवतः उसे खाई गिरने से बचाती है और जातः में एक पहाड़ी खुखरी भी रखती है।
दोनों में प्रेम होता है मगर पहाड़ी रीति के अनुसार नीली को जीतने के लिए कमल को उसके कबीले से तलवारबाजी जीतनी होती है।वह तलवारबाजी जीत कर नीली से विवाह करता है मगर सुहागरात के दूसरे ही दिन उसे अपने पिता का एक तार मिलता है जिसके अनुसार उनकी तबीयत खराब है और वो अगर उन्हें आखिरी बार देखना चाहता है तो जल्दी लौटे।
घबराया कमल,नीली से कहता है कि पिताजी की तबियत खराब है,अगर वह उसे भी साथ लेकर जाएगा तो पिताजी को धक्का लग सकता है। इसलिए वह पिताजी को समझाकर एक हफ्ते में ही नीली को ले जाएगा।घर पहुचते ही वह पिता को भला चंगा देखता है और साथ ही खड़ी रूपा को देखकर सकते में आ जाता है।
पिता उसे भला बुरा कहते हैं और रूपा की तारीफ करते हुए कहते हैं कि अगर यह बच्ची मेरे पास आने की बजाय पुलिस में चली गयी होती तो खानदान की इज्जत चली जाती। यह दो महीने की गर्भवती है और आज ही तुम्हारी इससे शादी होगी।
कमल किंकर्तव्यविमूढ़ है। यहां भी उसकी की गलती रही है,इसलिए उसे मजबूरन रूपा से विवाह करना पड़ता है।
पिता की भी मृत्यु हो जाती है। वह नीली की खोज में गांव नही जाता।
उधर नीली बच्चे को जन्म देती है और कमल के खोज में शहर आ जाती है। कष्ट झेलते हुए वह सम्भवतः मर जाती है (याददाश्त में नही है)
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1985 में आई स्वर्गीय राज कपूर की फ़िल्म राम तेरी गंगा मैली का नायक चुकी रेपिस्ट नहीं हो सकता और न ही फिल्मी नायक इतना बुजदिल ही हो सकता है कि वह प्रेमिका की तलाश में वापस गांव न जाये, इसलिए...
राम तेरी गंगा मैली एक दम ओरिजिनल वर्क है और बर्फ़ के अंगारे से इसका कोई साम्य नहीं है।
बहरहाल,
प्रस्तुति- सत्य व्यास
सत्य व्यास जी 'दिल्ली दरबार', 'बनारस टाॅकिज', 'बागी बलिया' और 'उफ्फ कोलकाता' जैसे चर्चित उपन्यासों के लेखक हैं।
और पछतावा होने पर खुद से भागकर पहाड़ों पर चला जाता है। वहां उसे एक दिन एक पहाड़न लड़की 'नीली' मिलती है, जो सम्भवतः उसे खाई गिरने से बचाती है और जातः में एक पहाड़ी खुखरी भी रखती है।
दोनों में प्रेम होता है मगर पहाड़ी रीति के अनुसार नीली को जीतने के लिए कमल को उसके कबीले से तलवारबाजी जीतनी होती है।वह तलवारबाजी जीत कर नीली से विवाह करता है मगर सुहागरात के दूसरे ही दिन उसे अपने पिता का एक तार मिलता है जिसके अनुसार उनकी तबीयत खराब है और वो अगर उन्हें आखिरी बार देखना चाहता है तो जल्दी लौटे।
घबराया कमल,नीली से कहता है कि पिताजी की तबियत खराब है,अगर वह उसे भी साथ लेकर जाएगा तो पिताजी को धक्का लग सकता है। इसलिए वह पिताजी को समझाकर एक हफ्ते में ही नीली को ले जाएगा।घर पहुचते ही वह पिता को भला चंगा देखता है और साथ ही खड़ी रूपा को देखकर सकते में आ जाता है।
पिता उसे भला बुरा कहते हैं और रूपा की तारीफ करते हुए कहते हैं कि अगर यह बच्ची मेरे पास आने की बजाय पुलिस में चली गयी होती तो खानदान की इज्जत चली जाती। यह दो महीने की गर्भवती है और आज ही तुम्हारी इससे शादी होगी।
कमल किंकर्तव्यविमूढ़ है। यहां भी उसकी की गलती रही है,इसलिए उसे मजबूरन रूपा से विवाह करना पड़ता है।
पिता की भी मृत्यु हो जाती है। वह नीली की खोज में गांव नही जाता।
उधर नीली बच्चे को जन्म देती है और कमल के खोज में शहर आ जाती है। कष्ट झेलते हुए वह सम्भवतः मर जाती है (याददाश्त में नही है)
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1985 में आई स्वर्गीय राज कपूर की फ़िल्म राम तेरी गंगा मैली का नायक चुकी रेपिस्ट नहीं हो सकता और न ही फिल्मी नायक इतना बुजदिल ही हो सकता है कि वह प्रेमिका की तलाश में वापस गांव न जाये, इसलिए...
राम तेरी गंगा मैली एक दम ओरिजिनल वर्क है और बर्फ़ के अंगारे से इसका कोई साम्य नहीं है।
बहरहाल,
प्रस्तुति- सत्य व्यास
सत्य व्यास जी 'दिल्ली दरबार', 'बनारस टाॅकिज', 'बागी बलिया' और 'उफ्फ कोलकाता' जैसे चर्चित उपन्यासों के लेखक हैं।
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