कुमार कश्यप- स्मृतिशेष
आलेख- हादी हसन
उपन्यासों की दुनिया में एक बहुत बड़ा नाम जो पल्प फिक्शन के संसार में ऐसी सुनामी लेकर आया जिस सुनामी ने हर स्टाल पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया।ओमप्रकाश शर्मा को बहुत सारे प्रकाशकों ने छपा। शर्मा जी के पात्रों पर उपन्यास लिखने वाले अनगिनत उपन्यासकार थे। राजेश, जयन्त, जगत, जगन, गोपाली, चक्रम, भुवन, ताऊ, जेम्स बाण्ड, बागारोफ, लिली आदि ऐसे पात्र थे जो किसी परिचय के मोहताज नहीं थे। कोई भी उपन्यासकार पूर्व से स्थापित उन पात्रों को लेकर अपनी रचना रच सकता था। पात्रों की उसी भीड़ में कुमार कश्यप ने अपने पात्रों की संरचना की। बटलर के अतिरिक्त उनका जो पात्र पल्प के क्षितिज पर सूर्य बनकर चमका-वह था ठग जगत का शिष्य-विक्रांत।
विक्रांत का नाम ऐसा चमका कि कुमार कश्यप उस दौर के बेताज बादशाह बन गए। आरम्भ उनका इलाहाबाद के किसी प्रकाशन से हुआ था, नाम स्मरण नहीं है, किन्तु जब वे मेरठ पहुंचे तब उनके अंदर विक्रांत नाम का महापरिर्वन हो चुका था। हर वर्ग ने विक्रांत को पसंद किया। विक्रांत- एक महानायक।
मेरठ का हर प्रकाशक कुमार कश्यप को छापने का तलबगार था-लेकिन आखिरकार हाथ तो दो ही थे। जितना भी वो लिखते थे-छपने के लिए चला जाता था।
चलिए बताता हूं स्व. कुमार कश्यप जी के गृहजनपद के बारे में।
लाडली कटरा, शाहगंज, आगरा के रहने वाले थे और उनका विवाह मुहल्ला कुंज, इटावा में हुआ था।
इटावा पदार्पण हुआ एक बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में।
आगरा की फुटबाल की टीम इटावा में मैच खेलने आई थी और उस टीम में कुमार कश्यप एक बेहद फ़ुर्तीले और प्रोफेशनल खिलाड़ी के रूप में आए थे। उनका खेल देखकर इटावा के दर्शक झूम उठे। वे न सिर्फ फुटबाल के खिलाड़ी थे बल्कि उससे भी आगे वे क्रिकेट के भी बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। उसी दौरान मुझे ज्ञात हुआ कि एक ऐसा खिलाड़ी आगरा की टीम में है जो अपने आप में एक महान उपन्यासकार भी है।
प्रभावित होने के एक नहीं दो कारण। उसके बाद जब उनका व्यक्तित्व देखा तो देखता ही रह गया। उनके द्वारा हवा में लगाई गई फ़्लाइंग किक आज भी ज़हन में कौंध जाती है। हमारे एक सीनियर खिलाड़ी श्री राम सेवक सिंह चौहान जो कि डिफेंस के अच्छे खिलाड़ी हैं, आज भी अपनी जांघ पर श्री कुमार कश्यप जी का फुटप्रिंट लिए घूमते हैं। उनका कथन है कि-“पूरन (कुमार कश्यप) ने गोल करते हुए वह किक मारी थी...आज तक उसका निशान मौजूद है।”
तो यह है छोटा सा परिचय उस जांबाज़ लेखक का जिसके चाहने वाले आज भी उस लेखक को-और उनके द्वारा रचे गए पात्रों विक्रांत, बटलर, अमरजीत आदि को भूले नहीं होंगे।
विनीत
हादी हसन/इशरत परवेज़
33, नौरंगाबाद, इटावा।
मो. 8630059207
रोचक परिचय रहा। बस अफसोस ये है कि इनका लिखा हुआ कुछ पढ़ न सकें।
जवाब देंहटाएंNice interview
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