साहित्य देश ब्लॉग के स्तम्भ हास्यरस में आज आपके लिये प्रस्तुत है एक नया आनंददायक किस्सा।
आपने बहुत से उपन्यासों में हास्य-व्यंग्य पढे होंगे, विशेषकर जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी और टाइगर (जे.के. वर्मा) के उपन्यासों में। इस शृंखला की प्रथम अंक में आपने कुशवाहा कांत जी के `उड़ते-उड़ते` हास्य संग्रह से जनसेविका पुलिस- कुशवाहा कांतनामक हास्यरस पढा, इस शृंखला को आगे बढाते हुये हम आज यहां एस.सी. बेदी जी के उपन्यास `डायमंड क्वीन` का एक हास्य अंश प्रस्तुत कर रहे हैं।
विमान जब उड़ कर ब्रिटेन की सीमा पार करके बाहर आ गया तो भगत ने निकट से गुजरती परिचारिका को बुलाया-
“मिस लैला।”
उसने चौंक कर भगत की तरफ देखा-“आपने मुझे पुकारा?”
“इस विमान में और लैला कौन हो सकती है?”
“लेकिन मेरा नाम लिली है।”
“लैला हो या लिली, नाम की ऐसी की तैसी, वैसे तुम हो खूबसूरत।”
“आप क्या लेना पसंद करेंगे?”
“तुम दे नहीं सकोगी।”
“आपकी हर इच्छा को पूरा करना मेरा फर्ज है।”
“तो जल्दी से एक गर्मा गर्म चुम्बन दे दो।”
“लेकिन चुम्बन जैसी कोई वस्तु विमान में मौजूद नहीं।”
“तुम्हारे पास होंठ मौजूद हैं मिस लैला।”
“ओह...अभी आती हूँ।”
थोड़ी देर बाद वह भगत के निकट आकर खड़ी हो गयी। उसके होंठों पर मुस्कान थी।
“यानि फंसी।”- भगत बुदबुदाया।
“मैं आपकी बगल में बैठ सकती हूँ।”
भगत एक तरफ को सरक गया और होंठों को जीभ फेर कर चुम्बन के लिये तैयार करने लगा।
सीट पर बैठ कर उसने नकली रबड़ के होंठ भगत को थमा दिये।
“इन्हें जब तक चाहें आप चूम सकते हैं।”- कहने के साथ ही वह हंसती हुयी उठी और आगे बढ गयी।
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इसी उपन्यास का एक ओर दृश्य देखें
“इंजन में खराबी आ गयी है। तुमने कई विमान दुर्घटनाओं के बारे में सुना होगा, आज देख लो विमान दुर्घटना में आदमी जब आसमान से धरती पर गिरता है तो उसके किस प्रकार चिथड़े उड़ते हैं।”
“मिस्टर भगत।”- लिली बोली,-“आप समझदार आदमी हैं, यात्रियों को इस तरह मत डराइये”
“तो किस तरह डराऊ?”
लेखक – एस. सी बेदी
प्रकाशक- यंग लेडी प्रकाशन, मेरठ
अन्य महत्वपूर्ण लिंक
उपन्यास समीक्षा- डायमंड
क्वीन
जनसेविका पुलिस- कुशवाहा कांत