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गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी की पुण्यतिथि पर

 जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी 14.10.1998 को इस नश्वर संसार को अलविदा कह गये। उनका भौतिक अस्तित्व चाहे न रहा पर अपने उपन्यासों और यादगार पात्रों से वे साहित्य संसार में अमर हो गये।
    जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी की पुण्यतिथि पर युवा लेखक अजिंक्य शर्मा जी श्रद्धांजलि स्वरूप उन्हें इस आर्टिकल के माध्यम से याद कर रहे हैं। 
        उपन्यास जगत में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकारों में से एक थे। उन्होंने हिंदी उपन्यास जगत में ऐसा करिश्मा कर दिखाया, जो शायद ही कोई और कर सका हो। उनकी अदभुत लेखनी के दीवानों की संख्या करोड़ों में है। लोग बुकस्टालों पर उनका नाम ले-लेकर पूछा करते थे कि शर्मा जी कि नई किताब आई क्या?
आखिर उनकी रचनाओं में ऐसा क्या था?        उनके द्वारा रचित राजेश-जयन्त, जगत सीरीज उपन्यास जगत में सर्वाधिक लोकप्रिय श्रृंखलाओं में से एक है। जासूसी विधा के प्रेमी तो राजेश-जगत के उपन्यास पढ़कर दीवाने हो जाते थे।
          लेखन में विविधता के मामले में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी ने लगभग सभी जासूसी लेखकों को पीछे छोड़ दिया था। उनकी कलम तो जैसे सीमाएं जानती ही नहीं थी। उन्होंने रोमांचक जासूसी उपन्यास लिखे, तो मर्मस्पर्शी सामाजिक उपन्यासों की भी रचना की। हॉरर श्रेणी के उपन्यास लिखे, तो ऐतिहासिक थ्रिलर भी लिखे, जिन्हें बड़े-बड़े साहित्यकारों ने भी माना कि उनके वे उपन्यास किसी भी दृष्टि से साहित्यिक उपन्यासों से कम नहीं थे। मेरी जानकारी में वे सम्भवतः एकमात्र ऐसे लेखक थे, जिन्होंने मुख्यधारा के साहित्य और अपराध साहित्य के बीच की सीमारेखा की परवाह न करके लिखा और अपनी रचनाओं में उस सीमारेखा को लगभग मिटा ही दिया। उनके जासूसी उपन्यासों में जहां साहित्य सी सम्वेदनशीलता और गाम्भीर्य का अनुभव होता है, वहीं सामाजिक, ऐतिहासिक उपन्यासों में जासूसी उपन्यासों जैसे तेजरफ्तार रोमांच की उपस्थिति होती है। सहजतापूर्ण लेखन उनके उपन्यासों का महत्वपूर्ण बिंदु था। एक बार किताब पढ़ना शुरू करें तो कब खत्म हो जाती है, पता ही नहीं चलता। उनकी रचनाएं इतनी सहज भाषाशैली में होती हैं और घटनाक्रम इतना धाराप्रवाह होता है कि ऐसा प्रतीत होता है, जैसे वो वास्तविक जीवन का ही कोई हिस्सा हो।
         उपन्यास जगत में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी हॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध डायरेक्टर्स में से एक स्टीवन स्पीलबर्ग से कम नहीं थे। जिस तरह स्टीवन स्पीलबर्ग ने 'जुरासिक पार्क' जैसी साइंस फिक्शन से लेकर 'सेविंग प्राइवेट रायन' जैसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म, 'शिण्डलर्स लिस्ट' जैसी ऐतिहासिक घटना पर आधारित फिल्म से लेकर 'इंडियाना जोन्स' जैसी एडवेंचर मूवी और 'द टर्मिनल', 'माइनोरिटी रिपोर्ट', 'ईटी'जैसी विभिन्न विधाओं की कालजयी फिल्में बनाईं, उसी तरह हिन्दी उपन्यास जगत में भी जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी ने विभिन्न विधाओं में एक-से-एक शानदार उपन्यास लिखे। जासूसी उपन्यासों की श्रेणी में उनके राजेश-जयन्त, जगत, गोपाली, चक्रम, जगन-बन्दूकसिंह आदि सीरीज के 'टार्जन का गुप्त खजाना', 'खून के सौदागर', 'रहस्यमयी', 'खून का रिश्ता', 'मौत का बिजनेस', 'ऑपरेशन कालभैरव', 'महाकाल वन की डकैत', 'नरभक्षी' जैसे कई यादगार उपन्यास हैं, वहीं ऐतिहासिक उपन्यासों में 'खून की दस बूंदें', 'सांझ का सूरज', 'नीली घोड़ी का सवार', 'नूरबाई' जैसे बेजोड़ उपन्यास हैं। हॉरर में 'पिशाच सुंदरी', 'प्रेत की प्रेमिका' जैसे उपन्यास हिंदी के सबसे शानदार हॉरर उपन्यासों में से एक हैं, वहीं सामाजिक में 'पी कहाँ', 'अपने देश का अजनबी', 'पिंजरे का कैदी' जैसे अद्वितीय उपन्यास भी हैं। 
       यहां तक कि उन्होंने व्यंग्य विधा में भी 'भूतनाथ की संसार यात्रा' जैसे उपन्यास लिखे, जो प्रथम पृष्ठ से लेकर अंतिम पृष्ठ तक आपको खिलखिलाकर हंसने पर मजबूर कर देते हैं। शर्मा जी तो जैसे जिस विधा में भी लिखने का निश्चय कर लेते थे, उसमें सोने जैसी रचना का सृजन करके ही दम लेते थे। ये भी उनकी एक विशेषता थी कि अन्य लेखक जहां एक ही विधा तक सीमित हो जाते हैं, जैसे जासूसी लिख रहे हैं तो सिर्फ जासूसी ही लिखते हैं, ओमप्रकाश शर्मा जी के साथ ऐसा कभी नहीं रहा। उनकी कलम कभी एक ही विधा तक सीमित नहीं रही।
       आज जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी हमारे बीच भले ही न हों लेकिन अपनी कालजयी रचनाओं के रूप में वे सदा हमारे बीच रहेंगें। आज उनकी पुण्यतिथि है। हिंदी उपन्यास जगत के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में से एक जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🙏🌹🌹
बड़े शौक से सुन रहा था जमाना
तुम्हीं सो गए दास्तां कहते-कहते।
प्रस्तुति- अजिंक्य शर्मा/बृजेश शर्मा

1 टिप्पणी:

  1. ओम प्रकाश शर्मा जी को सादर नमन। एक प्रशंसक का उनकी याद में लिखा एक सुंदर आलेख।

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