एक पिशाचनी की दिल दहला देने वाली ख़ौफ़नाक कहानी
उपन्यास :- पहली वैम्पायर
लेखक : विक्रम ई. दीवान
प्रकाशन : बुक कैफे पब्लिकेशन
पृष्ठ संख्या -184
लेखक : विक्रम ई. दीवान
प्रकाशन : बुक कैफे पब्लिकेशन
पृष्ठ संख्या -184
उपन्यास समीक्षा - संजय आर्य
वारलॉक श्रृंखला के बाद 'पहली वैम्पायर' का पाठकों को बेसब्री से इंतजार था। लगता है विक्रम ई.दीवान सर ने कसम खाई है कि वो पाठकों को नए नए तरीकों से डराकर ही रहेंगे। और इस बार पाठकों को उन्होंने एक ऐतिहासिक डरावनी कहानी के माध्यम से डराने का न केवल बेहतरीन प्रयास किया है बल्कि डराने में सफल भी रहे है। कहानी की पृष्ठभूमि में है- सन 1818 का ब्रिटिश काल और उनका ठगों के साथ संघर्ष। ब्रिटिश कैप्टेन जोनाथन स्मिथ एक घमंडी और सनकी आदमी है उसके साथ इंग्लैंड की ही मानवविज्ञानी एलेन भी रहती है जो भारत घूमने आई है। स्मिथ को एक दिन जब अपने इलाके में एक आदमी की पेड़ पर उल्टी लटकी लाश मिलती है।और जैसे किसी जीव ने उसके शरीर से खून की आखरी बून्द तक निकाल ली हो, उसके बाद शुरू होती है स्मिथ की खोजबीन और उसका सामना होता है खून पीने वाली पिशाचिनी से और वो एक अघोरी की सहायता लेता है।
पिशाचिनी की कहानी काफी रोचक और ख़ौफ़नाक है।एक बानगी देखिये।
"मुझे लगता है, तुम और कैप्टन दोनों इस जीव को बहुत हल्के में ले रहे हो। अगर यह एक आम कातिल, आदमखोर जानवर या ठगों का गिरोह भी होता, तो मुझे समझ में आ जाता, लेकिन कुछ ऐसा, जो जानवरों और इंसानों के खून की आखिरी बूंद तक को खींच लेता है, जिसे किसी ने नहीं देखा, जिसका कोई वर्णन नहीं कर सकता है, वह तो एक भयानक खतरा है।"
कहानी 1818 से ईसा पूर्व 460 के बीच घूमती रहती है।उपन्यास में एलन का पात्र काफी रोचक है जिसके माध्यम से कहानी रोमांचक मोड़ लेती है एलन का पात्र काफी प्रभावित करता है। उपन्यास में पिशाचिनी और अंग्रेजों के बीच टकराव के कई दृश्य पाठकों के रौंगटे खड़े करने के लिए काफी है। लेखक के द्वारा काफी शोध के बाद दी गई जानकारी के कारण कहानी वास्तविकता के करीब पाठक को महसूस होती है।
उपन्यास में एक दो तकनीकी त्रुटियां है और भाषागत अशुद्धियां भी है लेकिन पढ़ते समय कही खलती नही है। प्रूफ रीडिंग की कुछ कमियों को नजरअंदाज किया जा सकता है।भाषा काफी सरल है। संवाद भी काफी रोचक है--
"मृत्यु से सिर्फ वह मूर्ख डरते हैं जिन्हें अमरता के यातनापूर्ण अस्तित्व के मायने नहीं पता होते । कभी-कभी अस्तित्व मौत से भी बदतर होता है।"
- कौन थी ये पिशाचनी?
वारलॉक श्रृंखला के बाद 'पहली वैम्पायर' का पाठकों को बेसब्री से इंतजार था। लगता है विक्रम ई.दीवान सर ने कसम खाई है कि वो पाठकों को नए नए तरीकों से डराकर ही रहेंगे। और इस बार पाठकों को उन्होंने एक ऐतिहासिक डरावनी कहानी के माध्यम से डराने का न केवल बेहतरीन प्रयास किया है बल्कि डराने में सफल भी रहे है। कहानी की पृष्ठभूमि में है- सन 1818 का ब्रिटिश काल और उनका ठगों के साथ संघर्ष। ब्रिटिश कैप्टेन जोनाथन स्मिथ एक घमंडी और सनकी आदमी है उसके साथ इंग्लैंड की ही मानवविज्ञानी एलेन भी रहती है जो भारत घूमने आई है। स्मिथ को एक दिन जब अपने इलाके में एक आदमी की पेड़ पर उल्टी लटकी लाश मिलती है।और जैसे किसी जीव ने उसके शरीर से खून की आखरी बून्द तक निकाल ली हो, उसके बाद शुरू होती है स्मिथ की खोजबीन और उसका सामना होता है खून पीने वाली पिशाचिनी से और वो एक अघोरी की सहायता लेता है।
पिशाचिनी की कहानी काफी रोचक और ख़ौफ़नाक है।एक बानगी देखिये।
"मुझे लगता है, तुम और कैप्टन दोनों इस जीव को बहुत हल्के में ले रहे हो। अगर यह एक आम कातिल, आदमखोर जानवर या ठगों का गिरोह भी होता, तो मुझे समझ में आ जाता, लेकिन कुछ ऐसा, जो जानवरों और इंसानों के खून की आखिरी बूंद तक को खींच लेता है, जिसे किसी ने नहीं देखा, जिसका कोई वर्णन नहीं कर सकता है, वह तो एक भयानक खतरा है।"
कहानी 1818 से ईसा पूर्व 460 के बीच घूमती रहती है।उपन्यास में एलन का पात्र काफी रोचक है जिसके माध्यम से कहानी रोमांचक मोड़ लेती है एलन का पात्र काफी प्रभावित करता है। उपन्यास में पिशाचिनी और अंग्रेजों के बीच टकराव के कई दृश्य पाठकों के रौंगटे खड़े करने के लिए काफी है। लेखक के द्वारा काफी शोध के बाद दी गई जानकारी के कारण कहानी वास्तविकता के करीब पाठक को महसूस होती है।
उपन्यास में एक दो तकनीकी त्रुटियां है और भाषागत अशुद्धियां भी है लेकिन पढ़ते समय कही खलती नही है। प्रूफ रीडिंग की कुछ कमियों को नजरअंदाज किया जा सकता है।भाषा काफी सरल है। संवाद भी काफी रोचक है--
"मृत्यु से सिर्फ वह मूर्ख डरते हैं जिन्हें अमरता के यातनापूर्ण अस्तित्व के मायने नहीं पता होते । कभी-कभी अस्तित्व मौत से भी बदतर होता है।"
- कौन थी ये पिशाचनी?
- कोई जीव या आत्मा?
- क्या वास्तव में पिशाचनी लोगो का खून पीती थी?
- क्या वास्तव में पिशाचनी लोगो का खून पीती थी?
- या ये ठगों की कोई साजिश थी?
पिशाचनी और स्मिथ के बीच अंतिम युद्ध में किसकी जीत हुई? इसके लिए आपको उपन्यास पढ़ना होगा ।
उपन्यास में पाठकों के लिए रोमांचक थ्रिलर कहानी के साथ साथ हॉरर का भरपूर मिश्रण किया गया है।उपन्यास में कई सारे दृश्य काफी डरावने है।पाठकों को यह उपन्यास काफी पसंद आनेवाला है।विशेषकर
हॉरर उपन्यासो के प्रेमी इसको अवश्य पढ़े-उपन्यास किंडल पर भी उपलब्ध है।
रेटिंग ; 8/10
प्रस्तुति- संजय आर्य
इंदौर
पिशाचनी और स्मिथ के बीच अंतिम युद्ध में किसकी जीत हुई? इसके लिए आपको उपन्यास पढ़ना होगा ।
उपन्यास में पाठकों के लिए रोमांचक थ्रिलर कहानी के साथ साथ हॉरर का भरपूर मिश्रण किया गया है।उपन्यास में कई सारे दृश्य काफी डरावने है।पाठकों को यह उपन्यास काफी पसंद आनेवाला है।विशेषकर
हॉरर उपन्यासो के प्रेमी इसको अवश्य पढ़े-उपन्यास किंडल पर भी उपलब्ध है।
रेटिंग ; 8/10
प्रस्तुति- संजय आर्य
इंदौर
रोचक। मैंने इस किताब का अंग्रेजी संस्करण पढ़ा था जो कि मुझे पसन्द आया था। The First Vampire
जवाब देंहटाएंविकास जी,
हटाएंआपके कमेंट के लिए आपका आभार। यह जानकर अच्छा लगा कि किताब आपको पसंद आई - विक्रम ई. दीवान
गुरप्रीत जी,
जवाब देंहटाएंमेरी किताब और इस समीक्षा को अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिए धन्यवाद। संजय जी जो उनकी समीक्षा के लिए आभार. - विक्रम ई. दीवान