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बुधवार, 30 जून 2021

उपन्यास साहित्य और मेरठ - प्रवीण जैन

उपन्यास साहित्य और मेरठ - प्रवीण जैन

       नो ड़ाऊट, मेरठ की  पहचान को जासूसी उपन्यासो, लुगदी लिटरेचर, पॉकेट बुक पब्लिशर्स ने नया आयाम  दिया। मगर मेरठ की अपनी अलग पहचान भी रही है, 1857 के स्वंत्रता संग्राम से भी पहले की । यह पहचान थी उस नौचंदी मेले से जो 1672 से पशुओं की खरीद फरोख्त के मेले से शुरु हुआ। जिसके नाम पर मेरठ से लखनऊ तक रेगुलर एक ट्रेन नौचंदी एक्सप्रेस चलती है और जैसा की किवदन्तियो मे कहा जाता है, देवी पार्वती के उस मन्दिर के सामने गढ़ रोड पर  लगने से है जिसे रावण की पटरानी मंदोदरी ने देवी भक्त होने के कारण बनवाया था। आपके कोई मित्र परिचित, रिश्तेदार मेरठ मे हो और नौचंदी मेला देखने के लिये आमन्त्रित न करे, यह तो हो ही नही सकता था, कम से कम 80 के दशक तो बिल्कुल नही। 

1672 से   अब तक मेला दो बार सिर्फ 1858 और 2020 मे  मुल्तवी हुआ है। 

          मेरठ के पॉकेट बुक बाज़ार मे आने से  पहले इलाहबाद ( अब प्रयागराज) जासूसी, सामाजिक, थ्रिलर, अपराध कथाओ के पब्लिकेशन का गढ़ था। निकहत पब्लिकेशंस, कुसुम प्रकाशन, मित्र प्रकाशन जैसे नामी ग्रामी प्रकाशक इलाहबाद मे ही थे। क्या खूब छापा इन्होने, जासूसी दुनिया, रहस्य , मनोरमा, मनोहर  कहानियाँ, माया, मनमोहन ( बाल पत्रिका) सत्य कथा जैसे मासिक  उपन्यास और रिसाले यहीं से  छपे। जिसे हम लुगदी पेपर पर छपा होने से लुगदी साहित्य कहते सुनते है उसकी शुरुआत न्यूज़ प्रिंट पेपर पर बुक साईज़ से हुई थी। 

             इलाहबाद का करोबार मेरठ  आये,  उस से पहले मेरठ की अपनी पहचान मेड़ ईजी सीरीज के कारोबार से बनी हुई थी। 1889 मे पहली बार छपी सिडनी लक्सटन लोनी ( एस एल लोनी) की ड़ायनमिक्स , कोओर्ड़ीनेट जोमेटरी, प्लेन ट्रीग्नोमेट्री, स्टेटीक्स आज 132 सालो बाद भी पढाई जाती है, कुछ बदलाव हुआ है तो मेजरिंग सिस्टम में, बस। 

        तो इन लोनी साहेब की गणित की किताबो की कुन्जी यानी कि  कम्प्लीट सोल्यूशन और मेड़ ईजी , श्यामलाल कॉलेज  के प्रोफेसर दीवान चंद अरोरा ने क्या लिखी और क्या यह मेरठ से छपी,  मेरठ के गेस पेपर, वन डे  सीरीज, हर सब्जेक्ट की मेड़ ईजी से मार्केट पट गया। 

          कुछ किताबो पर बतौर लेखक  किसी कॉलेज के प्रिंसिपल का नाम होता था तो बहुत सी किताबो पर ' रिटीन बाई अ ग्रुप ऑफ़ प्रोफेसर्स"  रिटीन बाई एन एक्सपर्ट ग्रुप छपता था। वास्तव मे तो न कहीं कोई एक्सपर्ट ग्रुप था न कोई प्रोफेसर्स का ग्रुप । यह कुछ जरूरत मन्द स्टूडेंट्स से लिखाये जाते थे।

            अब अगर  कहा जाये कि घोस्ट रायटिँग, ट्रेड रायटिँग, फर्जी लेखक पॉकेट बुक व्यवसाय या लुगदी साहित्य मार्केट की देन है, तो यह सर्वथा गलत है। करेक्ट प्लीज। 

             कई   सुप्रसिद्ध  लेखको,कलाकारो, कवियो की जन्म और कर्म भूमि मेरठ मे कोई गली, मोहल्ला, सड़क इन मे से किसी के नाम पर शायद ही हो, प्यारेलाल मार्ग, गलतफहमी में ना रहे, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी प्यारेलाल  शर्मा के नाम पर है, इलाहबाद के प्यारेलाल  आवारा के नाम पर  नही।

प्रस्तुति- प्रवीण जैन

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