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बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

7. साक्षात्कार- विजय कुमार बोहरा

साहित्य देश साक्षात्कार की इस शृंखला में इस बार लेकर आया है युवा उपन्यासकार विजय कुमार बोहरा जी का साक्षात्कार। यह विजय कुमार जी का प्रथम साक्षात्कार है।

   विजय जी अपने प्रथम उपन्यास मर्डर ऑन वैलेंटाइन नाईट के कारण काफी चर्चा में रहे हैं।

विजय कुमार बोहरा जी अपने प्रथम उपन्यास के साथ
विजय कुमार बोहरा जी अपने प्रथम उपन्यास के साथ

 1. विजय जी, सर्वप्रथम हम आपका परिचय जानना चाहेंगे।- जन्म, शिक्षा, वर्तमान स्थिति आदि।

- मेरा जन्म 31 जनवरी , 1988 को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित बेगूं कस्बे में हुआ। स्नातक तक की शिक्षा यहीं हुई। 

2. आपका साहित्य की तरफ झुकाव कैसे हुआ?

-  बचपन में चम्पक पत्रिका पढ़ने को मिली। कहानियों में मेरी रुचि इस पत्रिका में छपने वाले रंग - बिरंगे चित्रों को देखकर जाग्रत हुई। इसके बाद तो बस हर तरह की किताबें पढ़ने लगा। हालाँकि अपने पारिवारिक वातावरण की वजह से कॉमिक्स और उपन्यासों तक पहुंच मेरे लिए काफी मुश्किल थी। फिर बचा गंभीर साहित्य, ...तो 15 - 16 की आयु में गंभीर साहित्य की ओर रुचि होने का मेरे पास कोई कारण नहीं था। इसी बीच  रामचरितमानस और कुछ पुराण हाथ लगे। जल्द ही मैं समझ गया कि इनमें बहुत ही रोचक कहानियां हैं। इस तरह बाल साहित्य के बाद मेरी रुचि आध्यात्मिक साहित्य में हुई। फिर जब कॉलेज पहुँचा और वहाँ की लाइब्रेरी देखी तो जैसे खज़ाना हाथ लग गया, बाल साहित्य तो वहाँ था नहीं, किन्तु बाकी बहुत तरह की किताबें थी। गंभीर साहित्य, विश्व की श्रेष्ठ कृतियों के साथ ही संस्कृत के कुछ नाटकों के हिन्दी अनुवाद, सेल्फ- हेल्प बुक्स - इन सबसे न केवल पहली बार परिचित हुआ, बल्कि इनमें कभी खत्म न होने वाली रूचि भी जागृत हुई। इन किताबों में न केवल कहानियां थी, बल्कि वे भावनाएं भी कूट कूटकर भरी हुई थी, जिनको महसूस करने के लिए मैं कठिन से कठिन पुस्तक भी पढ़ने के लिए तैयार हो जाता।

3. आप अध्यापक हैं, गंभीर साहित्य में रुचि आपकी, फिर लेखन में आपने लोकप्रिय जासूसी साहित्य कैसे चुना? 

लिखने का शौक होने की वजह से हम लिखना शुरू करते हैं। लेकिन 4 शब्द लिखते ही मन में यह इच्छा होने लगती है कि जो हमने लिखा है, उसकी पहुँच ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हो।..बस अपने लेखन के लिए लोकप्रिय साहित्य को पृष्ठभूमि के रूप में चुनने की यही वजह रही। पहले मैं गंभीर साहित्य में ' प्रेम के सौदागर ' नाम से उपन्यास लिखने की योजना बना रहा था। किंतु इसके 4 - 5 भाग जब ' प्रतिलिपि ' पर पोस्ट किए, तो उतने व्यूज नहीं मिले, जितने जासूसी कहानियों को मिला करते हैं। तब मैंने सिर्फ आधा पेज की एक जासूसी धारावाहिक कहानी का पहला भाग पोस्ट किया और उससे मुझे इतने अधिक व्यू मिले, जिनकी उम्मीद नहीं थी। तब मुझे समझ आया कि ज्यादातर पाठकों की रुचि जासूसी कहानियों में हैं और मैंने इसी विधा में लिखने का मन बना लिया।

3. लोकप्रिय साहित्य में आपने किन-किन लेखकों पढा, किन से प्रेरित रहे?

- लोकप्रिय साहित्य का वातावरण न मिलने की वजह से मैं इस विधा के अधिक उपन्यास तो नहीं पढ़ पाया। 

सुरेन्द्र मोहन पाठक सर और स्व. वेद प्रकाश शर्मा जी को ही मुख्य रूप से पढ़ा।

11 वर्ष की आयु में अपने एक दोस्त के घर से मुझे 4 उपन्यास मिले। जिनमे से दो लोकप्रिय साहित्य की सामाजिक विधा के थे - 'कसक' और ' धर्मपुत्र ' - इनको आधा पढ़कर ही छोड़ दिया और लेखको के नाम भी अब याद नहीं। लेकिन बाकी के दो उपन्यास मैंने बहुत बार पढ़े थे उस समय भी। दोनों ही सुरेन्द्र मोहन पाठक सर के थे - 'तीसरा कौन' और 'वन वे स्ट्रीट' - इनमें तीसरा कौन ऐसा उपन्यास साबित हुआ, जिसने जासूसी के प्रति मेरी रुचि को अप्रत्याशित ढंग से बढ़ाया। कथानायक का छोटी से छोटी बात को गहराई से सोचना मुझे बहुत भाया। एसएमपी सर से प्रेरित रहा हूँ और इसकी सबसे बड़ी वजह है, उनके पात्र छोटी से छोटी बात को गहराई से सोचते हैं।

4. 'मर्डर आॅन वेलेंटाइन नाइट' की रूपरेखा कैसे बनी?

- प्रतिलिपि ने फरवरी 2020 में एक जासूसी कहानी प्रतियोगिता शुरू की। उसके लिए मैंने कहानी लिखने का मन बनाया। 15 फरवरी को कहानी लिखना शुरू किया, इसीलिए वैलेंटाइन नाईट वाला आइडिया दिमाग मे आया। दिमाग में एक भागती हुई लड़की का अक्स उभरा, जिसे कोई व्यक्ति चाकू से कत्ल करना चाहता था।...बस यही दृश्य मर्डर ऑन वैलेंटाइन नाईट की आधारशिला बना।

प्रतियोगिता की समाप्ति तिथि तक मैं कहानी पूरी नहीं कर पाया, क्योंकि नॉवेल लिखने में ज्यादा मजा आता है, बनिस्पत कहानी के। तो कहानी बढ़ती गई, प्रतियोगिता की तिथि निकल गई। लेकिन किक तो मिल ही चुकी थी, इसीलिए अब ध्यान नॉवेल पूरा करने पर था। उस कहानी में महज 4 किरदार होने की वजह से उसे उपन्यास की शक्ल देना मुश्किल लगने लगा, तो पहले से ही तैयार एक कॉलेज बेस्ड स्टोरी को भी बड़ी ही चालाकी से इस मर्डर मिस्ट्री में शामिल कर लिया और इस तरह दो अलग अलग कहानियों ने मिलकर एक उपन्यास बना दिया।

5. प्रथम उपन्यास प्रकाशन पर आपको कैसे महसूस हुआ और पाठकों की क्या प्रतिक्रिया रही?

- बहुत अच्छा लगा और बहुत खुशी हुई। सबसे ज्यादा खुशी तो उसी समय हुई, जब सूरज पॉकेट बुक्स के प्रकाशक शुभानन्द सर का सकारात्मक जवाब आया। उस पल जो खुशी हुई, वो मेरे लिए बहुत अनमोल है।

उपन्यास के विषय में पाठकों की प्रतिक्रिया को जितना मैं समझ पाया हूँ, उसका सार यही है कि मेरा यह उपन्यास 'प्रथम उपन्यास' के रूप में काफी सफल रहा। हालाँकि कुछ पाठकों ने फॉरेंसिक टीम और जाँच पड़ताल संबंधी कुछ कमियां बताई है। लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, कोई भी मिस्टर परफेक्ट नहीं होता। एक लेखक पर भी यह बात लागू होती है।..कुल मिलाकर प्रथम उपन्यास के रूप में मर्डर ऑन वैलेंटाइन नाईट को काफी सराहा गया और बिक्री के लिहाज से भी इसका प्रदर्शन अच्छा रहा।

6.- आपने अपने उपन्यास में मनोविज्ञान का अच्छा चित्रण किया है, इसकी कोई खास वजह?

-जी, इस तरफ तवज्जो देने के लिए शुक्रिया। मनोविज्ञान में किशोरावस्था से ही मेरी रुचि रही है। हालांकि औपचारिक रूप से केवल बी. एड. में ही इसके बारे में थोड़ा बहुत पढ़ने का अवसर मिल पाया। किन्तु मानवीय भावनाओं और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के संबंध में मेरी काफी रूचि रही है। इसी वजह से मनोविज्ञान का उपन्यास में चित्रण हुआ है। एक और वजह ये भी रही कि साइकोलॉजिकल थ्रिलर के नाम पर अक्सर किसी मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति की कहानी ही देखने और पढ़ने को मिलती है। साइकोलॉजी मतलब, मन के विज्ञान पर आधारित कहानियों की कमी सी लगती है। मुझे फिल्मों का काफी शौक है और जब भी मैं किसी साइकोलॉजिकल मूवी सर्च करता हूँ तो किसी साइको आदमी की मूवी ही सामने आती है, मन और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के बारे में कुछ भी नहीं दिखाया जाता।

7. - आगामी उपन्यासों में भी क्या मनोविज्ञान का ऐसा चित्रण मिलेगा। यह बहुत अच्छा प्रयास है आपका।

-जी , शुक्रिया। रुचि का विषय होने की वजह से आगामी उपन्यासों में भी मनोविज्ञान का अधिक विस्तृत चित्रण करने का प्रयास रहेगा।

8. उपन्यास के नायक डिटेक्टिव साकेत अग्निहोत्री के बारे में कुछ बताइये। उपन्यास में कुछ बातें साकेत अग्निहोत्री के विषय में न्यून हैं।

- साकेत अग्निहोत्री अकेले रहना और अकेले ही कार्य करना पसंद करता है। उसका एक अतीत है , जो किसी आगामी उपन्यास में सामने आएगा। एक बड़ा परिवार , जिसे पीछे छोड़कर वह अकेला ही शहर में आ गया था। 12वी तक की पढ़ाई गाँव में करने के बाद अपने कैरियर को बनाने के लिए वह शहर चला आया। हर महीने - 15 दिन के लिए गाँव जाने के लिए नहीं, बल्कि हमेशा - हमेशा के लिए।...उसके माता - पिता और 3 भाइयों में से किसी को भी भरोसा नहीं था कि साकेत लाइफ में कुछ कर भी पायेगा !...वे सब बस यही चाहते थे कि किसी तरह साकेत को कोई छोटा - मोटा रोजगार मिल जाये, ताकि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके। घर वालों की यह सोच गलत भी नहीं थी, क्योंकि बचपन से ही साकेत खुद में खोया रहता था और छोटे - मोटे कामों में अक्सर गलतियां करते रहता था।...साकेत को काफी समय लग गया, यह जानने में कि लोग उसे मूर्ख समझते हैं , उसके बारे में यह धारणा बन चुकी है कि वह लाइफ में कभी कुछ नहीं कर सकता।..बस उसके दिमाग में एक बात बैठ गई कि लाइफ में कुछ तो बड़ा करना है , कुछ ऐसा कि उस पर से मूर्खता का लेबल हट जाये।

बस फिर कुछ घटनाएं घटती है और वह शहर आकर ग्रेजुएशन पूरी करके जासूसी के रूप में अपना कैरियर शुरू करता है और बहुत ही कम समय में उदयपुर शहर का सबसे मशहूर प्राइवेट डिटेक्टिव बन जाता है।

शहर में सब यही समझते हैं कि साकेत अकेला है, उसके आगे - पीछे कोई नहीं है। साकेत अपने पेशे की वजह से नहीं चाहता कि किसी को उसके परिवार के बारे में पता चले।

9. अपने पाठकों को कोई संदेश देना चाहेंगे?

- जीवन में तमाम व्यस्तताओं के बाद भी हर रोज पढ़ने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें, अपनी रुचि की पुस्तकें पढें।

10. साहित्य देश ब्लॉग के लिए दो शब्द।

- साहित्य देश के माध्यम से लोकप्रिय जासूसी साहित्य के संरक्षण का जो कार्य आप कर रहे हैं , यह बहुत अच्छी पहल है। लोकप्रिय साहित्य से मेरा परिचय नया नया ही है और जो जानकारी इस ब्लॉग से लोकप्रिय साहित्य के बारे में मिलती है , वह मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हो रही है।

उपन्यास समीक्षा- मर्डर ऑन वैलेंटाइन नाईट

3 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा साक्षात्कार रहा। लेखक को नव प्रकाशित उपन्यास के लिए हार्दिक बधाई।

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  2. बहुत अच्छा प्रयास । आपको और विजय जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

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