इब्ने सफी की 'जासूसी दुनिया सीरिज' के कुछ उपन्यासों की एक झलक
1. दिलेर मुजरिम
यह इब्ने सफी का प्रथम उपन्यास है।
‘दिलेर मुजरिम’ की कहानी पैसे की हवस के चलते जुर्म की दुनिया में डूबते चले जाने की कहानी है। नवाब वजाहत मिर्ज़ा के बीमार पड़ते ही सलीम, जो उनका नज़दीकी रिश्तेदार है, उनकी जायदाद को हासिल करने के लिए क़त्ल पर उतर आता है। इसी में डॉक्टर शौकत का क़िस्सा भी है जो नवाब वजाहत मिर्ज़ा का बेटा है, लेकिन चूँकि नवाब साहब ने अपनी दिवंगत बीवी की इच्छा पर उसे परवरिश के लिए अपनी दोस्त सविता देवी के पास रख दिया था, इसलिए यह राज़ राज़ ही रहा और जैसे ही सलीम को इस राज़ का पता चला, उसने शौकत को रास्ते से हटाने की ठान ली।
अपने मंसूबे में सलीम किस तरह नाकाम रहा और अपने ही बनाये जाल में फँसता चला गया, इसे जानने के लिए पाठकों को ‘दिलेर मुजरिम’ के पन्नों से गुज़रना होगा और हम आपको इस सफ़र पर चलने का न्योता देते हैं।
2. जंगल में लाश
जब जंगल में एक के बाद एक लाशें मिलने लगती हैं तो किसी को अन्दाज़ा नहीं होता कि मामला कहाँ अटका है। असली मुजरिम कौन है और इन हत्याओं की असली वजह क्या है? जानने के लिये पढ़िये इब्ने सफ़ी की दूसरी हैरतअंगेज़ कहानी ‘जंगल में लाश’।
3. औरत फ़रोश का हत्यारा
जब इन्स्पेक्टर फ़रीदी और सार्जेंट हमीद के बीच ‘गुलिस्ताँ होटल’ में जा कर नाच के जश्न में को ले कर नोंक-झोंक होती है तो ज़रा भी अन्दाज़ा नहीं होता कि यह जश्न जुर्मों के कैसे सिलसिले को पैदा करनेवाला है। हमीद अपनी नयी मित्र शहनाज़ के साथ नाचने की तमन्ना दिल ही में सँजोये रखता है और इन्स्पेक्टर फ़रीदी शहनाज़ के साथ नाचने लगता है। तभी गोली चलने की आवाज़ आती है और सारा माहौल बदल जाता है। पता चलता है कि किसी आदमी ने ख़ुदकुशी कर ली है और यह आदमी फ़रीदी की तफ़तीश की मुताबिक़ औरतों का धन्धा करने वाला एक पुराना मुजरिम था।
ज़ाहिर है वह ख़ुदकुशी नहीं है, बल्कि क़त्ल है। मगर किसने किया है ? जानने के लिये पढ़िये इब्ने सफ़ी की तीसरी हैरतअंगेज़ कहानी ‘औरत फ़रोश का हत्यारा’।
4. तिजोरी का रहस्य
क्या आपने कभी ऐसे मुजरिम के बारे में पढ़ा है जो तिजोरियाँ तोड़े, मगर चुराये कुछ भी नहीं ? नहीं सुना न ? तो हम आपसे गुज़ारिश करेंगे कि आप इब्ने सफ़ी का यह उपन्यास ‘तिजोरी का रहस्य’ पढ़िए।
‘तिजोरी का रहस्य’ ऐसे मुजरिम की कहानी है जो एक राज़ जानने के बाद उसे अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। दिलचस्प बात यह है कि इस मुजरिम का पता लगाने के लिए फ़रीदी आम जासूसों से अलग हट कर ख़ुद भी कुछ मुजरिमों जैसे तरीक़े अपनाता है। यही नहीं, बल्कि वह एक पुराने मुजरिम दिलावर की मदद भी लेता है। मगर कैसे? जानने के लिये पढ़िये इब्ने सफ़ी की दूसरी हैरतअंगेज़ कहानी ‘तिजोरी का रहस्य’।
5. फ़रीदी और लियोनार्ड
लियोनार्ड बेहद घटिया क़िस्म का ब्लैकमेलर है, जो सिर्फ़ ब्लैकमेलिंग तक ही नहीं रुकता, बल्कि क़त्ल और दूसरे ओछे हथकण्डे अपनाने पर उतर आता है। क्या-क्या गुल खिलाता है और फिर कैसे फ़रीदी के हत्थे चढ़ता है–इसे जानने के लिए आइए, इस उपन्यास के हैरत-अंगेज़ सफ़र पर चलें। हमारा य़कीन है आप निराश न होंगे।
6. कुएँ का राज़
जब नवाब रशीदुज़्ज़माँ की कोठी में बने पुराने कुएँ से अचानक अंगारों की बौछार होने लगती है, घर की दीवारों से जंगली आवाज़ें आने लगती हैं और पालतू जानवर एक-एक करके मरने लगते हैं। दहशत में भरकर कोठी के लोग ऐसी हरकतें करते हैं कि ग़ज़ाला, जिसे य़कीन हैकि यह कोई भूत-नाच नहीं, इन्सानी साज़िश है, फ़रीदी को बुला लाती है।
फिर क्या होता है ? किसका पर्दाफ़ाश होता है ? यही ‘कुएँ काराज़’ की अचरज-भरी कहानी है।
7. चालबाज़ बूढ़ा
हालाँकि ‘चालबाज़ बूढ़ा’ का केन्द्रीय पात्र जाबिर है - निहायत ही पेचीदा शख़्स, जिसे किसी भी क़िस्म का इन्सानी जज़्बा छू नहीं पाता और जो आख़िर में फ़रीदी जैसे होशियार भेदिये को भी चकमा दे कर फ़रार हो जाता है - लेकिन जो किरदार उपन्यास में अनायास उभर आया है वह रुक़ैया का। ‘चालबाज़ बूढ़ा’ की भटकती हुई खलनायिका रुक़ैया का किरदार इब्ने सफ़ी ने लाजवाब मिट्टी से गढ़ा है और उसे उपन्यासकार की भरपूर हमदर्दी भी मिली है।
ज़िन्दगी में भटकाव का शिकार हो कर गुनाह की गहराइयों में डूब जाने के बावजूद रुक़ैया के दिल में गहरे कहीं प्यार की प्यास है। फ़रीदी जैसे ही इन जज़्बात को छेड़ता है तो रुक़ैया के चरित्र का बेहद उजला पहलू सामने आता है। लेकिन इब्ने सफ़ी जानते हैं कि हृदय-परिवर्तन के बाद भी रुक़ैया का अन्त मौत है और वे उसे उसके स्वाभाविक अन्त तक जाने देते हैं।
इब्ने सफ़ी की ख़ूबी है कि वे भयानक-से-भयानक चरित्र को पेश करते समय भी उस बुनियादी उसूल पर काम कर रहे होते हैं कि गुनाह से नफ़रत करो, गुनहगार से नहीं। इसलिए वे कोरी किताबी बात न करके गुनहगार की ज़ेहनियत को समझने की कोशिश करते हैं। रुक़ैया जैसे बहुत-से खलनायकों को वे इसी आधार पर हमदर्दी भी दे पाते हैं।
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धन्यवाद।
इब्ने सफी साहब के उपन्यासों की लिस्ट यहाँ उपलब्ध है।-इब्ने सफी उपन्यास सूची
1. दिलेर मुजरिम
यह इब्ने सफी का प्रथम उपन्यास है।
‘दिलेर मुजरिम’ की कहानी पैसे की हवस के चलते जुर्म की दुनिया में डूबते चले जाने की कहानी है। नवाब वजाहत मिर्ज़ा के बीमार पड़ते ही सलीम, जो उनका नज़दीकी रिश्तेदार है, उनकी जायदाद को हासिल करने के लिए क़त्ल पर उतर आता है। इसी में डॉक्टर शौकत का क़िस्सा भी है जो नवाब वजाहत मिर्ज़ा का बेटा है, लेकिन चूँकि नवाब साहब ने अपनी दिवंगत बीवी की इच्छा पर उसे परवरिश के लिए अपनी दोस्त सविता देवी के पास रख दिया था, इसलिए यह राज़ राज़ ही रहा और जैसे ही सलीम को इस राज़ का पता चला, उसने शौकत को रास्ते से हटाने की ठान ली।
अपने मंसूबे में सलीम किस तरह नाकाम रहा और अपने ही बनाये जाल में फँसता चला गया, इसे जानने के लिए पाठकों को ‘दिलेर मुजरिम’ के पन्नों से गुज़रना होगा और हम आपको इस सफ़र पर चलने का न्योता देते हैं।
2. जंगल में लाश
जब जंगल में एक के बाद एक लाशें मिलने लगती हैं तो किसी को अन्दाज़ा नहीं होता कि मामला कहाँ अटका है। असली मुजरिम कौन है और इन हत्याओं की असली वजह क्या है? जानने के लिये पढ़िये इब्ने सफ़ी की दूसरी हैरतअंगेज़ कहानी ‘जंगल में लाश’।
3. औरत फ़रोश का हत्यारा
जब इन्स्पेक्टर फ़रीदी और सार्जेंट हमीद के बीच ‘गुलिस्ताँ होटल’ में जा कर नाच के जश्न में को ले कर नोंक-झोंक होती है तो ज़रा भी अन्दाज़ा नहीं होता कि यह जश्न जुर्मों के कैसे सिलसिले को पैदा करनेवाला है। हमीद अपनी नयी मित्र शहनाज़ के साथ नाचने की तमन्ना दिल ही में सँजोये रखता है और इन्स्पेक्टर फ़रीदी शहनाज़ के साथ नाचने लगता है। तभी गोली चलने की आवाज़ आती है और सारा माहौल बदल जाता है। पता चलता है कि किसी आदमी ने ख़ुदकुशी कर ली है और यह आदमी फ़रीदी की तफ़तीश की मुताबिक़ औरतों का धन्धा करने वाला एक पुराना मुजरिम था।
ज़ाहिर है वह ख़ुदकुशी नहीं है, बल्कि क़त्ल है। मगर किसने किया है ? जानने के लिये पढ़िये इब्ने सफ़ी की तीसरी हैरतअंगेज़ कहानी ‘औरत फ़रोश का हत्यारा’।
4. तिजोरी का रहस्य
क्या आपने कभी ऐसे मुजरिम के बारे में पढ़ा है जो तिजोरियाँ तोड़े, मगर चुराये कुछ भी नहीं ? नहीं सुना न ? तो हम आपसे गुज़ारिश करेंगे कि आप इब्ने सफ़ी का यह उपन्यास ‘तिजोरी का रहस्य’ पढ़िए।
‘तिजोरी का रहस्य’ ऐसे मुजरिम की कहानी है जो एक राज़ जानने के बाद उसे अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। दिलचस्प बात यह है कि इस मुजरिम का पता लगाने के लिए फ़रीदी आम जासूसों से अलग हट कर ख़ुद भी कुछ मुजरिमों जैसे तरीक़े अपनाता है। यही नहीं, बल्कि वह एक पुराने मुजरिम दिलावर की मदद भी लेता है। मगर कैसे? जानने के लिये पढ़िये इब्ने सफ़ी की दूसरी हैरतअंगेज़ कहानी ‘तिजोरी का रहस्य’।
5. फ़रीदी और लियोनार्ड
लियोनार्ड बेहद घटिया क़िस्म का ब्लैकमेलर है, जो सिर्फ़ ब्लैकमेलिंग तक ही नहीं रुकता, बल्कि क़त्ल और दूसरे ओछे हथकण्डे अपनाने पर उतर आता है। क्या-क्या गुल खिलाता है और फिर कैसे फ़रीदी के हत्थे चढ़ता है–इसे जानने के लिए आइए, इस उपन्यास के हैरत-अंगेज़ सफ़र पर चलें। हमारा य़कीन है आप निराश न होंगे।
6. कुएँ का राज़
जब नवाब रशीदुज़्ज़माँ की कोठी में बने पुराने कुएँ से अचानक अंगारों की बौछार होने लगती है, घर की दीवारों से जंगली आवाज़ें आने लगती हैं और पालतू जानवर एक-एक करके मरने लगते हैं। दहशत में भरकर कोठी के लोग ऐसी हरकतें करते हैं कि ग़ज़ाला, जिसे य़कीन हैकि यह कोई भूत-नाच नहीं, इन्सानी साज़िश है, फ़रीदी को बुला लाती है।
फिर क्या होता है ? किसका पर्दाफ़ाश होता है ? यही ‘कुएँ काराज़’ की अचरज-भरी कहानी है।
7. चालबाज़ बूढ़ा
हालाँकि ‘चालबाज़ बूढ़ा’ का केन्द्रीय पात्र जाबिर है - निहायत ही पेचीदा शख़्स, जिसे किसी भी क़िस्म का इन्सानी जज़्बा छू नहीं पाता और जो आख़िर में फ़रीदी जैसे होशियार भेदिये को भी चकमा दे कर फ़रार हो जाता है - लेकिन जो किरदार उपन्यास में अनायास उभर आया है वह रुक़ैया का। ‘चालबाज़ बूढ़ा’ की भटकती हुई खलनायिका रुक़ैया का किरदार इब्ने सफ़ी ने लाजवाब मिट्टी से गढ़ा है और उसे उपन्यासकार की भरपूर हमदर्दी भी मिली है।
ज़िन्दगी में भटकाव का शिकार हो कर गुनाह की गहराइयों में डूब जाने के बावजूद रुक़ैया के दिल में गहरे कहीं प्यार की प्यास है। फ़रीदी जैसे ही इन जज़्बात को छेड़ता है तो रुक़ैया के चरित्र का बेहद उजला पहलू सामने आता है। लेकिन इब्ने सफ़ी जानते हैं कि हृदय-परिवर्तन के बाद भी रुक़ैया का अन्त मौत है और वे उसे उसके स्वाभाविक अन्त तक जाने देते हैं।
इब्ने सफ़ी की ख़ूबी है कि वे भयानक-से-भयानक चरित्र को पेश करते समय भी उस बुनियादी उसूल पर काम कर रहे होते हैं कि गुनाह से नफ़रत करो, गुनहगार से नहीं। इसलिए वे कोरी किताबी बात न करके गुनहगार की ज़ेहनियत को समझने की कोशिश करते हैं। रुक़ैया जैसे बहुत-से खलनायकों को वे इसी आधार पर हमदर्दी भी दे पाते हैं।
इब्ने सफी साहब |
जासूसी दुनिया पत्रिका |
यह पोस्ट आपको कैसी लगी कमेंट बाॅक्स में अपने विचार अवश्य शेयर करें।
धन्यवाद।
इब्ने सफी साहब के उपन्यासों की लिस्ट यहाँ उपलब्ध है।-इब्ने सफी उपन्यास सूची
Grt efforts by you, very informative and concise...
जवाब देंहटाएंAfter going thru this, I ll definitely read all of them