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बुधवार, 24 जून 2020

हिन्दी उपन्यास जगत के 'स्टीवन स्पीलबर्ग'.... - अजिंक्य शर्मा

हिन्दी उपन्यास जगत के 'स्टीवन स्पीलबर्ग'-जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा
  अजिंक्य शर्मा जी की कलम से

      हिन्दी उपन्यास जगत में कई महान हस्तियां हुईं हैं, जिन्होंने अपनी अद्वितीय प्रतिभा के बल पर जासूसी साहित्य को समृद्ध बनाया। जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी भी ऐसे ही लेखकों में से थे, जिनकी गिनती सर्वश्रेष्ठ लेखकों में होती है। सहज सरल भाषा और मन को छू लेने वाली कहानियां उनकी लेखनी की विशेषता थीं। उनकी रचनाएं वास्तविकता के इतनी करीब होतीं हैं कि उन्हें पढ़ते वक्त पाठकों को लगने लगता है, जैसे वे स्वयं उन घटनाओं के साक्षी हों।

       जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी को लेखन में  विविधता के कारण भारत में हिन्दी उपन्यास जगत का 'स्टीवन स्पीलबर्ग' कहा जा सकता है। जिस तरह स्टीवन स्पीलबर्ग ने 'सेविंग प्राइवेट रायन', 'ई.टी.', 'शिण्डलर्स लिस्ट' से लेकर 'जुरासिक पार्क' तक अलग अलग जॉनर की एक से बढ़कर एक फिल्में बनाईं, उसी तरह ओमप्रकाश शर्मा जी ने भी ऐतिहासिक, सामाजिक, जासूसी, व्यंग्य से लेकर हॉरर आदि विभिन्न विधाओं में एक से बढ़कर एक उपन्यास लिखे। उस समय की डाकुओं की समस्या का चित्रण करते हुए उन्होंने कई शानदार उपन्यास लिखे। राष्ट्रों के हथियारों के प्रति बढ़ते मोह और न्यूक्लियर बम जैसी समस्याओं की ओर भी 'कटे हुए सिर' जैसे उपन्यासों के माध्यम से उन्होंने पाठकों को जागरूक किया। उनके द्वारा रचित 'सांझ का सूरज' जहां एक महान ऐतिहासिक रचना है, वहीं अपने देश का अजनबी बेहद मर्मस्पर्शी उपन्यास है, जो विदेशों में बसे भारतीयों को उनके देश से जोड़ने का सन्देश देता है। 'छुपे चेहरे' भारत के 'अवेंजर्स' की तरह है, वहीं 'पिशाच सुन्दरी' 'ड्रैक्यूला' के भारतीय रूप की तरह। 'भूतनाथ की संसार यात्रा' पढ़कर आप हंसते हंसते लोटपोट हो जायेंगें, वहीं 'सबसे बड़ा पाप' जैसे उपन्यास देह व्यापार जैसे घृणित कारोबार की सच्चाई आपकी आंखों के आगे बेनकाब करते हैं।
              ये सचमुच एक आश्चर्य का विषय रहा कि आखिर जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी अलग अलग विधाओं में इतना शानदार कैसे लिख लेते थे? उन पर मां सरस्वती की विशेष कृपा थी। उनकी अपार लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बुकस्टाल्स पर लोग सीधे पूछते थे-"शर्मा जी का नया उपन्यास आया क्या?" उनकी बढ़ती लोकप्रियता का लाभ उठाने कुछ अन्य लेखकों ने भी उनके नाम से लिखना शुरू कर दिया, जिसके चलते उनके असली नॉवल्स ढूंढने के लिये उनके नाम के साथ 'जनप्रिय लेखक' ही उनकी पहचान बन गया।
            उनके उपन्यासों की तरह ही उनके पात्र भी विविधता से परिपूर्ण हैं। राजेश जहां एक आदर्श चरित्र वाले मानवतावादी जासूस हैं, वहीं जगत एक मस्तमौला अंतर्राष्ट्रीय ठग है, जो जिन्दगी को खुलकर जीने में विश्वास रखता है। गोपाली राजस्थान के जाने माने जासूस हैं, जिनके साहस और काबिलियत की लोग मिसालें देते हैं। 'पिशाच सुन्दरी' के नायक भी गोपाली ही हैं। चक्रम थोड़े सनकी किस्म के जासूस हैं, जिनका पालतू कुत्ता...ओह सॉरी...हवाबाज अपनी आश्चर्यजनक हरकतों से मंत्रमुग्ध कर देता है। राजेश का साथी जयन्त की हरकतों से आप हंसने के लिये विवश हो जायेगें, वहीं आधुनिक जासूसों जगन-बन्दूकसिंह की जोड़ी भी लाजवाब है।
जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी की लेखनशैली की एक खास बात ये भी है कि उनमें अनावश्यक हिंसा का प्रदर्शन नहीं होता। उनके कई उपन्यासों में आप देखेंगे कि पूरा उपन्यास खत्म हो जायेगा लेकिन किसी का खून नहीं होगा। इसके बावजूद उनके उपन्यासों की रोचकता में कोई कमी नहीं आती थी। इसी प्रकार जनप्रिय लेखक अश्लीलता से भी हमेशा कोसों दूर रहे। उनके उपन्यास इस तरह के होते हैं कि एक पिता अपनी पुत्री को, एक भाई अपनी बहन को पढ़ने के लिये दे सकता है।
              जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी के उपन्यासों की एक खास बात ये भी है कि उनसे हमें हिम्मत और मानवता की सीख मिलती है। राजेश, जगत जैसे साहस के शिखर पुरुषों से सीखने को मिलता है कि कभी भी किन्हीं भी परिस्थितियों में हार नहीं माननी चाहिये। राजेश, जगत बिना किसी हथियार के केवल अपने बुद्धिकौशल के बल पर पूरी की पूरी फौज को धूल चटा देने की क्षमता रखते हैं। जगत तो 'फैंटम' के भारतीय रूप की तरह है। अविजित और अडिग।
            बेहद दुख की बात है कि ऐसे महान लेखक आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनकी कालजयी रचनाएँ आज भी हमारे साथ हैं। रीप्रिंट नहीं होने से उनके उपन्यास आज पाठकों को उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।मैं शर्मा जी के सुपुत्र श्री वीरेन्द्र शर्मा जी एवं 'महासमर' व 'सत्यमेव जयते नानृतं' के रचयिता श्री रमाकान्त मिश्रा जी का विशेष रूप से आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिनके प्रयासों से जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी की वेबसाइट  http://omprakashsharma.com के माध्यम से ओमप्रकाश शर्मा जी के बहुत से अनमोल उपन्यास पाठकों को पढ़ने के लिये उपलब्ध हो पा रहे हैं। इन पंक्तियों के लेखक को स्वयं भी ओमप्रकाश शर्मा जी के अनेक उपन्यास इस वेबसाइट के माध्यम से ही पढ़ने को मिल सके। वहीं ईबुक के आदि नहीं होने के कारण बहुत से पाठक अब भी पुराने उपन्यासों के रीप्रिंट होने की बेसब्री के साथ प्रतीक्षा कर रहे हैं। उम्मीद है ओमप्रकाश शर्मा जी के अनगिनत प्रशंसकों का ये सपना शीघ्र पूरा हो और उनके उपन्यास रीप्रिंट होकर हमें पढ़ने को मिल सकें।

हिन्दी उपन्यास जगत के महान लेखक जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
    लेखक- अजिंक्य शर्मा (ब्रजेश शर्मा) उपन्यासकार

15 टिप्‍पणियां:

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  2. अत्यंत रोचक एवं सारगर्भित। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. बेहतरीन। एक प्रतिभाशाली युवा लेखक के आदरणीय शर्मा साहब के विषय में उद्गार पढ़ कर मन आल्हादित हो गया और एक आश्वस्ति का भाव भी उदित हुआ। अगर नई पीढ़ी के लेखक शर्मा साहब से प्रेरणा लेंगे तो लोक साहित्य का भविष्य उज्ज्वल है।

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  5. जादूगर भुवन एक अनोखा पात्र है

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    1. मुझे बहुत पसंद है. भुवन राजेश को भी चकमा दे देते हैं.

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  6. सुंदर सारगर्भित आलेख। उम्मीद है जनप्रिय जी की रचनाएँ पाठकों को जल्द ही पढ़ने को मिलेंगी।

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