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मंगलवार, 29 अक्तूबर 2024

सुभाष प्रभाकर

नाम- सुभाष प्रभाकर
प्रकाशक- तरंग पॉकेट बुक्स, मेरठ
जासूसी कथा साहित्य की खोज में एक और नाम देखने को मिला है- सुभाष प्रभाकर ।
  मेरठ के प्रकाशन 'तरंग पॉकेट बुक्स' का एक विज्ञापन देखने को मिला है जिसमें सुभाष प्रभाकर के एक उपन्यास का वर्णन है।
हालांकि सुभाष प्रभाकर वास्तविक नाम है या छद्म लेखन (Ghost Writer) यह तो नहीं कहा जा सकता है। और न हीं सुभाष प्रभाकर का अभी तक कोई उपन्यास देखने को मिला है।
 किसी पाठक के पास सुभाष प्रभाकर जी से संबंधित कोई सूचना हो तो हमसे अवश्य शेयर करें।
Sahityadesh@gmail.com


सुभाष प्रभाकर के उपन्यास
  1.  शतरंज के मोहरे

तरंग पॉकेट के एक सैट की सूचना


मंगलवार, 18 जून 2024

कानून का पाण्डव, करेगा ताण्डव- केशव पण्डित, उपन्यास अंश

 साहित्य देश के लोकप्रिय स्तम्भ 'उपन्यास अंश' में इस बार पढें चर्चित उपन्यासकार केशव पण्डित का दहकते शोले सा उपन्यास 'कानून का पाण्डव करेगा ताण्डव' का एक रोचक अंश ।
"मुझे सबसे बड़ा अफसोस तो मिस्टर केशव पण्डित पर हो रहा है योर ऑनर ! मिस्टर पण्डित ने अपनी जिन्दगी में मुजरिमों के खिलाफ केस लड़े तो उन्हें मुजरिम साबित करके सजा दिलवाई। किसी निर्दोष की पैरवी की तो उसे निर्दोष साबित करके बा-इज्जत बरी कराया। यानि इन्होंने हमेशा कानून की मदद की। इन्साफ के इस मन्दिर में मुजरिमों को सजा और मजलूमों को इन्साफ ही दिलवाया। कभी भी किसी मुजरिम को बचाने और मजलूम या निर्दोष को फंसाने की चेष्टा नहीं की। इन्हें जब पूरा विश्वास हो गया कि इनका मुवक्किल सच्चा और निर्दोष है, तभी उसे अपना मुवक्किल बनाया और मुजरिम को सजा दिलवाकर उसे इन्साफ दिलवाया। लेकिन...।"
          अधेड़ व अधगंजे सरकारी वकील कालीचरण वर्मा ने अपनी वाणी को अल्प-विराम दिया, फिर कठघरे में मुल्जिम के रूप में खड़े दढ़ियल युवक को घृणा भरी नजरों से देखा, फिर न्याय की कुर्सी पर विराजमान जज महोदय से सम्बोधित होकर बोला "... लेकिन इस बार मिस्टर पण्डित कैसे गच्चा खा गये... मेरी समझ से परे की बात है। मैं ये इल्जाम भी नहीं लगा सकता कि मिस्टर पण्डित ने जानबूझकर एक मुजरिम को बचाने के लिये ये केस अपने हाथ में लिया। क्योंकि मुजरिम मजनूं एक टैक्सी ड्राइवर है, जो कि स्वयं को बचाने के लिये बहुत मोटी रकम खर्च नहीं कर सकता। मिस्टर पण्डित लाख-दो लाख रुपयों के लिये तो अपना ईमान नहीं बेचेंगे... अपने जमीर का गला नहीं घोटेंगे। मुजरिम कोई बड़ी हस्ती होता तो सोचा भी जा सकता था कि मिस्टर पण्डित ने मोटी रकम के लालच में एक मुजरिम को निर्दोष साबित करने को ये केस ले लिया। वैसे भी मिस्टर पण्डित की सच्चे और ईमानदार वकील की छवि है। इनसे ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती कि ये कानून और अदालत को भ्रमित करके इन्साफ का गला घोंटने की चेष्टा करेंगे...।"
"आप कहना क्या चाहते हैं मिस्टर वर्मा...?" भीनी-भीनी मुस्कान के साथ पूछा जज महोदय ने।
"यही कि जिन्दगी में पहली मर्तबा मिस्टर पण्डित से गलती हो गई है। शायद मुजरिम इनके सामने रोया-गिड़गिड़ाया होगा झूठी कसमें खाकर स्वयं को निर्दोष बतलाया होगा और मिस्टर पण्डित भावनाओं में बह गये होंगे। एक मुजरिम को निर्दोष समझकर इन्होंने उसकी पैरवी करने की गलती कर डाली। मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि मिस्टर पण्डित अपनी जिन्दगी में पहली बार कोई केस हारेंगे। इनके लगातार जीतने का रिकॉर्ड टूटेगा। इनकी वो काबिलियत धूल में मिल जाने वाली है, जिसके कारण लोग इन्हें दिमाग का जादूगर कहते हैं। मुझे इनके हारने का अफसोस तो है ही, लेकिन इस बात पर गर्व भी महसूस हो रहा है कि दिमाग के जादूगर को शिकस्त देने का श्रेय मुझे मिलेगा। क्योंकि आज ही मैं ये साबित कर दूंगा कि कठघरे में खड़े मजनूं नाम के इस भोले-भाले नजर आने वाले हैवान ने ही सलोनी का कत्ल करके मेरे मुवक्किल मिस्टर प्रकाश की दुनिया उजाड़ डाली है...।" 

सोमवार, 17 जून 2024

एच. इकबाल (सोमदत्त शर्मा)

 नाम- एच. इकबाल

 जासूसी कथा साहित्य में नकल का हमेशा से बोलबाल रहा है। इस क्षेत्र ने चाहे धुरंधर जासूस पैदा कर लिये, जटिल केस हल कर लिये, शातिर ठग-चोरों का पर्दाफास किया और भी न जाने कितने रहस्य हल किये और कितनों को इंसाफ दिलाया। बहुत से आदर्शवादी जासूस भी सामने आये, पर यह खेल सिर्फ शब्दों और पृष्ठों कर जाल से बाहर न निकल सका।
  अगर निकल पाता तो शायद स्वयं के क्षेत्र में इतने घपले न होते, शायद लेखक शोषण से बचते, शायद नकली उपन्यासों का संसार बंद हो जाता।

रविवार, 16 जून 2024

श्याम चित्रे

 नाम- श्याम चित्रे

 कुशवाहा कांत जी द्वारा स्थापित 'चिनगारी प्रकाशन' ने बहुत से उपन्यासकारों को स्थान दिया है। जिसमें कुशवाहा परिवार के लेखक कुशवाहा कांत, जयंत कुशवाहा, सजल कुशवाहा और गीता रानी कुशवाहा के अतिरिक्त गोविन्द सिंह,  प्यारे लाल आवारा, ज्वालाप्रसाद केसर, मधुर और अब एक और नाम पता चला है, वह है -श्याम चित्रे ।

    चिनगारी प्रकाशन क्रांतिकारी साहित्य सर्जन में अग्रणीय रहा है। कुशवाह कांत जी का उपन्यास 'लाल रेखा' तो मील का पत्थर है। 
क्रांतिकारी साहित्य में श्याम चित्रे ने भी 'गदर' और 'इंकलाब' जैसी रचनाएँ की हैं।
  इनके प्राप्त उपन्यास 'गदर' के अनुसार एक एड्रेस उत्तर प्रदेश के इटावा जिले का 'जुआ' गांव था।
 हालांकि श्याम चित्रे जी के विषय में अन्य कोई महत्वपूर्ण जानकारी हमारे पास उपलब्ध नहीं है।
किसी सज्जन कोई कोई जानकारी उपलब्ध हो तो हमसे संपर्क करें।
email- Sahityadesh@gmail.com
श्याम चित्रे के उपन्यास

  1. घुटन
  2. पत्थर का दर्द
  3. लाल दिन
  4. बागी
  5. गदर (प्रथम भाग)
  6. इंकलाब (द्वितीय भाग)

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

जीने का हक- प्रकाश पाराशर, उपन्यास अंश

साहित्य देश के स्तम्भ 'उपन्यास अंश' में इस बार पढें  उपन्यास 'जीने का हक' का रोचक अंश।
रवि माथुर - जीने का हक
प्रकाशक- दुर्गा पॉकेट बुक्स, मेरठ

'हैलो यंगमैन।' मैंने उसे उठाते हुये कहा- 'तुम यहां छिपे हुये क्या कर रहे हो ?'
'मैं तुमसे नहीं बोलता।' वह कुछ अकड़ कर बोला ।
'क्यों ? अब तो साबित हो चुका है कि मैं तुम्हारी आंटी का पर्स चुराने वाला चोर नहीं हूँ। मैंने उन्हें मारा भी नहीं है।'
'अब तुम यहां क्यों आये हो ?' उसने फिर अकड़ कर पूछा और साथ ही मुझे कुछ शक भरी नजरों से देखा ।
'तुमसे मिलने । तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो।' मैं मुस्करा कर बोला ।

बुधवार, 13 मार्च 2024

मदन प्रसाद

 नाम- श्री मदन प्रसाद
लेखक मदन प्रसाद के विषय में जो जानकारी प्राप्त हुयी है उसका आधार इलाहाबाद के प्रकाशन 'फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी' की पत्रिका 'जासूसी चक्कर' के अंक जुलाई 1965 के अंक 114 है। 
 फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी की एक और पत्रिका है 'उर्मी' जिसमें मदन प्रसाद का उपन्यास प्रकाशित हुआ।
मदन प्रसाद के उपन्यास
1. अपराध, अपराधी और सजा



सोमवार, 11 मार्च 2024

युगल किशोर पाण्डेय

नाम- युगलकिशोर पाण्डेय
जब इलाहाबाद उपन्यास साहित्य का केन्द्र था तब इलाहाबाद से बहुत सी जासूसी पत्रिकाएं प्रकाशित होती थी। इन पत्रिकाओं में एक उपन्यास और एक-दो पृष्ठ पर समाचार होते थे। इनका मुख्य उद्देश्य उपन्यास प्रकाशन ही था। समाचार तो बस पत्रिका होने के रूप में प्रकाशित करने पड़ते थे।
इलाहाबाद का प्रकाशन था 'फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी' जिसके अंतर्गत 'जासूसी चक्कर' पत्रिका प्रकाशित होती थी। इस पत्रिका का 'जुलाई 1964' का अंक 114 में लेखक युगल किशोर पाण्डेय का उपन्यास प्रकाशित हुआ था। 
युगल किशोर जी की यह जानकारी उसी उपन्यास से प्राप्त हुयी है।
युगल किशोर पाण्डेय के उपन्यास
1. सड़क छाप मजनू - 1964, जुलाई
2. तीन चक्कर




रविवार, 25 फ़रवरी 2024

क्रमांक वाले कुछ रोचक शीर्षक

साहित्य देश के 'शीर्षक स्तम्भ' के अंतर्गत इस अंक में प्रस्तुत है कुछ ऐसे शीर्षक जो क्रमवार हैं। 
उपन्यास साहित्य में एक समय था जब इस तरह के उपन्यास चैलेंज रूप में भी लिखे जाते थे।
  जब बिमल चटर्जी जी ने धुंआ सीरीज लिखी तो चैलेंज स्वरूप कर्नल सुरेश (रितुराज जी) ने धुंध सीरीज लिखी थी।
यहाँ प्रस्तुत है कुछ ऐसे रोचक शीर्षक, जिनमें उपन्यास एक विशेष क्रम में हैं।
परशुराम शर्मा - पहली छाया, दूसरी छाया, तीसरी छाया, नर्क की छाया
परशुराम शर्मा- पहला चोर, दूसरा चोर, तीसरा चोर,पृथ्वी के चोर
परशुराम शर्मा- पहला बवण्डर, दूसरा बवण्डर, तीसरा बवण्डर, बवण्डर की ज्वाला
अनिल मोहन- पहली चोट, दूसरी चोट, तीसरी चोट, महामाया की माया
बिमल चटर्जी- पहली चोट, दूसरी चोट, तीसरी चोट, चोट पर चोट
बिमल चटर्जी- पहला शैतान, दूसरा शैतान, तीसरा शैतान, शैतानों का बादशाह
वेदप्रकाश शर्मा- पहली क्रांति, दूसरी क्रांति, तीसरी क्रांति, क्रांति का देवता
श्याम तिवारी - पहला तिलिस्म, दूसरा तिलिस्म, तीसरा तिलिस्म, तिलिस्म का बादशाह
कुमार मनेष- पहला हैवान, दूसरा हैवान, तीसरा हैवान, हैवानों का शहंशाह
एच.इकबाल(सोमदत्त शर्मा)- पहला कत्ल,दूसरा कत्ल, कत्ल की रात, कत्ल ही कत्ल (विनय प्रकशन)
अम्बरीश कश्यप- बाजीगर सीरीज

पहला धुंआ
पहली धुंध
- वेदप्रकाश शर्मा जी का सौवां उपन्यास- कैदी नम्बर 100
- कंवल शर्मा के क्रमशः उपन्यास- वन शाॅट, सैकण्ड चांस, टेक थ्री

शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

शलभ - उपन्यास अंश

उपन्यास जगत में तहलका मचा देने वाले
उपन्यासकार शलभ 
के पांच महान उपन्यास

प्यासी
यह कहानी है एक ऐसी औरत की, जो औरत होते हुए भी औरत नहीं थी। जिसकी अधूरी प्यास ने उसे कहां से कहां पहुंचा दिया और वह अपनी प्यास के लिये पतन के गहरे गर्त में गिरती ही चली गई परन्तु क्या उसकी अनबुझ प्यास बुझ सकी ? कैसी प्यास थी वह ?... एक अपूर्ण औरत की दिलचस्प कहानी ।
इन्तकाम
यह इन्तकाम की आग में जलते हुए एक ऐसे युवक की सनसनी खेज गाथा है, जिसने एक हरे-भरे परिवार को तबाह कर दिया ! 
इन्तकाम दो ऐसी युतियों को दर्दनाक गाथा है, जिन्हें परिस्थितियों ने एक विचित्र मोड़ पर ला खड़ा किया। 
एक ऐसे बाप की कहानी है जिसने ...बाप ने इन्तकाम लेने के लिये बेटी और उसके पति की हत्या का इरादा करके भी आत्महत्या कर ली...! 
क्यों ? ...
रहस्य और सनसनी खेज घटनाओं से भरा कथानक ।
चितचोर
यह एक ऐसे युवक की कहानी है जो प्यार का देवता था। जिसने अपनी पत्नी का हर अपराध हंसकर क्षमा कर दिया, किन्तु उसकी पत्नी उसके विश्वास को छलती रही और एक ऐसे गैर पुरुष की बांहों में झूलती रही, जिसकी शक्ल भी उसने नहीं देखी और जब उजाले में एक दिन  शक्ल देखी तो वह चीख उठी ! 
और उसकी हत्या कर दी।
विश्वास
यह है एक युवताइ की आंसू भरी गाथा... जो अपने प्यार को पाकर भी उसे छू नहीं सकती थी। यह चित्रण है भाई-बहन के पावन रिश्ते का और समाज में होने वाले अत्याचारों ओर जुल्मों का । अविश्वास और विश्वास के ताने-बाने में बुना शलभ का एक महान यादगार उपन्यास ।
उपासना
यह उपन्यास है 'शलभ' को लेखनी से बनी एक तस्वीर जो समाज में बिखरे दर्दो... आंसुओं और नफरत का सजीव चित्रण करती है।

और इनके बाद शलभ का आगामी आकर्षण है-
रहस्य, रोमांच, प्यार, नफरत, आंतू और दर्दो से भरी रचना-
जलन
प्रभात पाकेट बुक्स ३३ हरीनगर, मेरठ-२

शलभ उपन्यासकार

नाम- शलभ
प्रकाशन- प्रभात पॉकेट बुक्स

मेरठ कभी उपन्यास साहित्य का मुख्य केन्द्र था। मेरठ से जितने उपन्यास प्रकाशित होते थे, उनमें से अधिकांश छद्म लेखक थे।
 हर प्रकाशन ने अपना -अपना छद्म लेखक(Ghost writer) तैयार कर रखा था।
 इसी क्रम में एक नाम आता है- शलभ।
 शलभ के विषय में कोई ज्यादा और विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है।

शलभ के उपन्यास

  1. प्यासी
  2. इंतकाम
  3. चितचोर
  4. विश्वास 
  5. उपासना
  6. जलन

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