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सोमवार, 31 मार्च 2025

दीपक

नाम- दीपक
श्रेणी- सामाजिक उपन्यासकार, Ghost Writer

दिल्ली की संस्थान 'विमल प्रकाशन, शक्ति नगर, दिल्ली- 7' ने लोकप्रिय उपन्यासकार दीपक को बाजार में उतारा । 

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में यह Ghost writing का समय था, प्रत्येक प्रकाशन चार-पांच अलग अलग नाम से छद्म लेखक (Ghost writer) खड़े कर चुका था । इस भीड़ में असली-नकली की पहचान भी लुप्त हो गयी थी । इसी दौर में विमल प्रकाशन का दीपक भी कब आया और कब गया कुछ पता न चला ।

दीपक के उपन्यास
  1. समाज के बंधन
  2. अहंकार
  3. डोली
  4. संगम
  5. सहारा
  6. उपकार
  7. मंगल टीका
  8. अकेली


दीपक के विषय में‌ या विमल प्रकाशन के विषय में‌ किसी भी पाठक के पास कोई भी जानकारी हो तो अवश्य शेयर करें। धन्यवाद।
Email- sahityadesh@gmail.com

रविवार, 30 मार्च 2025

सुशील भारती

नाम- सुशील भारती
श्रेणी- सामाजिक उपन्यासकार

लोकप्रिय कथा साहित्य में सुशील भारती जी सामाजिक उपन्यासकार के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। 
इलाहाबाद उपन्यास साहित्य का जब केन्द्र था तो वहां का प्रसिद्ध प्रकाशन था 'कुसुम प्रकाशन' । अपने समय के अधिकांश लेखक यहाँ से प्रकाशित होते रहे हैं, जिनमें से एक हैं सुशील भारती जी ।

हमारे पास सुशील भारती जी के विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है, यहां प्रस्तुत जानकारी 'कुसुम प्रकाशन' की एक मासिक पत्रिका 'नूतन कहानियाँ' दिसंबर 1977 के एक विज्ञापन से ली गयी है।

सुशील भारती जी के उपन्यास
  1. अधूरी चाह
  2. उलझन
  3. ढहते कगार
  4. लकीर
  5. टूटती सीमाएं
  6. दीपशिखा
  7. आतंक
  8. समर्पण
  9. बिखरे फूल
  10. आदेश


- कुसुम प्रकाशन, 17- शिवचरण लाल रोड, इलाहाबाद-3

उपन्यासकार सुशील भारती जी के विषय में किसी भी पाठक के पास कोई भी जानकारी हो तो हमसे अवश्य शेयर करें।
धन्यवाद
Email-  sahityadesh@gmail.com

शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

योगेश मित्तल जी को 'साहित्य देश सम्मान पत्र'

योगेश मित्तल जी को साहित्य देश सम्मान पत्र से किया सम्मानित ।
विश्व पुस्तक मेला- 2025, नई दिल्ली 03 फरवरी, प्रगति मैदान 

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य के सितारे और छद्म लेखन के लिए चर्चित दिल्ली निवासी योगेश मित्तल जी को साहित्य देश सम्मान से सम्मानित करता गया ।
योगेश मित्तल जी को सम्मान पत्र भेंट करते हुये 

  साहित्य देश ब्लॉग लोकप्रिय साहित्य संरक्षण के लिए प्रयासरत एक ब्लॉग है। साहित्य देश ने उपन्यास साहित्य संरक्षण के लिए लेखकों के साक्षात्कार, उपन्यास परिचय, विभिन्न शृंखला समय-समय पर ब्लॉग पर प्रकाशित की हैं । इसी क्रम में‌ इस क्षेत्र के साहित्यकारों को सम्मानित करने का यह प्रथम अवसर है।
दिल्ली निवासी योगेश मित्तल जी लोकप्रिय साहित्य में जो सराहनीय कार्य किया है, इनकी उन्हीं सेवाओं को देखते हुये साहित्य देश ब्लॉग ने अपना प्रथम सम्मान पत्र योगेश मित्तल जी भेंट किया है।

विश्व पुस्तक मेला- 2025 के अवसर पर दिनांक 02.02.2025 को हाॅल नम्बर 2&3 में नीलम जासूस कार्यालय की बुक स्टाॅल पर कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
        इस संक्षिप्त कार्यक्रम का संचालन नीलम जासूस के प्रबंधन श्री सुबोध भारतीय जी ने किया । उन्होंने योगेश मित्तल जी का परिचय करवाते हुये कहा- आज हम विश्व पुस्तक मेला 2025 नई दिल्ली में मौजूद हैं। यह नीलम‌ जासूस कार्यालय का स्टाॅल है और हमारे बीच हैं देश के सबसे बड़े Ghost writer (प्रेत लेखक) योगेश मित्तल जी । इन्होंने विभिन्न लेखकों के नाम से साढे चार सौ (450) से ज्यादा पुस्तकें लिखी हैं। हमने (नीलम जासूस कार्यालय) भी इनकी तीन पुस्तकें प्रेत लेखक की आत्मकथा, वेदप्रकाश शर्मा- यादें, बातें और अनकहे किस्से और एक उपन्यास शैतान ।

रविवार, 29 दिसंबर 2024

आकाश ठाकुर

नाम- आकाश ठाकुर
प्रकाशक- वीर पॉकेट बुक्स, मेरठ

लेखक आकाश ठाकुर और प्रकाशक 'वीर पॉकेट बुक्स' नाम मेरी नजर में पहली बार ही आया है। इस विषय में कोई विषय जानकारी उपलब्ध नहीं है।

आकाश ठाकुर के उपन्यास
  1. विक्रांत और खूनी टाइगर
  2. विक्रांत और चक्रम
    आकाश ठाकुर की जानकारी का माध्यम

रविवार, 8 दिसंबर 2024

शारदा पाॅकेट बुक्स, मेरठ

       शारदा पॉकेट बुक्स, मेरठ

जहां मेरठ उपन्यास साहित्य का केन्द्र रहा है, वहीं यह भी विदित रहे कि यहाँ प्रकाशन असंख्य पनपे और खत्म हुये थे।
और 99% प्रकाशन 'जैन परिवार' के  ही थे।
इसी क्रम में एक प्रकाशन का और नाम सामने आता है और वह है शारदा पॉकेट बुक्स, मेरठ।
यह प्रकाशन किस दशक में था, कब बंद हुआ यह तो कन्फर्म जानकारी नहीं अपितु यह सन् 2000 से पूर्व का ही था, जब मेरठ में उपन्यास साहित्य का स्वर्णकाल रहा था।
इस प्रकाशन से संबंधित कुछ जानकारी मिली हैं।
शारदा पॉकेट बुक्स के मालिका का नाम 'घसीटा मल जैन' था, यह प्रकाशन क्षेत्र में 'जी. एम. जैन' से जाने जाते थे।
हालांकि यह प्रकाशन ज्यादा नहीं चला।

शारदा पॉकेट बुक्स, मेरठ

  शारदा पॉकेट बुक्स के एक सैट का परिचय-

1. विक्रांत की अरब यात्रा-   ओमप्रकाश शर्मा
2. मैडम इन चाइना-             चंदर
3. लाशों की बस्ती-              एन. सफी
4. खून का पुजारी-               वेदप्रकाश काम्बोज
5. गुजरते दिन, तड़पती यादें- मस्तराम

धन्यवाद- मनेष जैन (रवि पॉकेट बुक्स, मेरठ)

शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024

कंवल पाॅकेट बुक्स, दिल्ली

कंवल पॉकेट बुक्स, दिल्ली 

कंवल पॉकेट बुक्स, दिल्ली-35
A-1/239B, लाॅरेसं रोड़, 
दिल्ली-110035

पॉकेट बुक्स के इतिहास में असंख्य प्रकाशक आये और गये । कुछ का नाम चला और कुछ अँधेरे में लुप्त हो गये ।
   इस शृंखला में हमारा प्रयास रहेगा आपको पॉकेट बुक्स के विषय में जानकारी देने का ।
हालांकि हमने ब्लॉग पर पहले भी काफी प्रकाशकों के विषय में जानकारी शेयर की है।
  आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं दिल्ली के एक पुराने प्रकाशन 'कंवल पॉकेट बुक्स' के विषय में ।
इसके मालिक का नाम 'जगदीश कंवल' था, जो दिल्ली के निवासी थे। इनके प्रकाशन का एक उपन्यास 'कत्ल के बाद कत्ल' पढने को मिला, जिसके लेखक संजय नागपाल हैं। इस उपन्यास मं दिये गये विज्ञापनों से यही प्रतीत होता है की इस प्रकाशन का अधिकांश लेखन 'छद्म लेखन' में ही आता है।
आप भी इनको के नाम देख लीजिये- कंवल, संजय नागपाल, जगदीश, चन्द्रेश, कामना इत्यादि।
'जगदीश' नाम स्वयं प्रकाशक महोदय का था। उन्हे लिखने का शौक था। यह नाम वास्तविक भी है।
दूसरा इन्होंने अपने 'कंवल' नाम से पॉकेट बुक्स स्थापित की और इसी नाम से उपन्यास प्रकाशित किये ।
संजय नागपाल नाम थोड़ा वास्तविक प्रतीत होता है, पर इसकी सत्यता हम नहीं परख सकते।
शेष दो नाम 'चन्द्रेश' और 'कामना' समान्यत Ghost writing ही है।
   आदरणीय योगेश मित्तल जी के शब्दों में - "हां, यह प्रकाशन बन्द हो चुका है। ज्यादा सैट नहीं निकले। जगदीश कंवल को लेखक बनने का शौक था। कोई छापने वाला नहीं मिला। पास में पैसा था। खुद प्रकाशक बन गये। इस तरह के प्रकाशन कभी ज्यादा नहीं चलते। हद से हद दो तीन सैट्स तक ही ज़िन्दगी होती है इनकी। फिर बन्द हो जाते हैं। यह भी बन्द हो गया।"

 कंवल पाकेट से प्रकाशित कुछ उपन्यासों की जानकारी
जगदीश-          कांच के टुकड़े, दर्द भरा आंचल, उनके सितम
कंवल-              दर्द के रिश्ते, थोड़ा सा प्यार, उजड़ा आशियाना
संजय नागपाल- कत्ल के बाद कत्ल, जहरीली नागिन
चन्द्रेश-             चूड़िया, नया सुहाग, मुकद्दर
कामना-          ‌  भाई बहन, अधूरी सुहागिन


मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

सुभाष प्रभाकर

नाम- सुभाष प्रभाकर
प्रकाशक- तरंग पॉकेट बुक्स, मेरठ
जासूसी कथा साहित्य की खोज में एक और नाम देखने को मिला है- सुभाष प्रभाकर ।
  मेरठ के प्रकाशन 'तरंग पॉकेट बुक्स' का एक विज्ञापन देखने को मिला है जिसमें सुभाष प्रभाकर के एक उपन्यास का वर्णन है।
हालांकि सुभाष प्रभाकर वास्तविक नाम है या छद्म लेखन (Ghost Writer) यह तो नहीं कहा जा सकता है। और न हीं सुभाष प्रभाकर का अभी तक कोई उपन्यास देखने को मिला है।
 किसी पाठक के पास सुभाष प्रभाकर जी से संबंधित कोई सूचना हो तो हमसे अवश्य शेयर करें।
Sahityadesh@gmail.com


सुभाष प्रभाकर के उपन्यास
  1.  शतरंज के मोहरे

तरंग पॉकेट के एक सैट की सूचना


मंगलवार, 18 जून 2024

कानून का पाण्डव, करेगा ताण्डव- केशव पण्डित, उपन्यास अंश

 साहित्य देश के लोकप्रिय स्तम्भ 'उपन्यास अंश' में इस बार पढें चर्चित उपन्यासकार केशव पण्डित का दहकते शोले सा उपन्यास 'कानून का पाण्डव करेगा ताण्डव' का एक रोचक अंश ।
"मुझे सबसे बड़ा अफसोस तो मिस्टर केशव पण्डित पर हो रहा है योर ऑनर ! मिस्टर पण्डित ने अपनी जिन्दगी में मुजरिमों के खिलाफ केस लड़े तो उन्हें मुजरिम साबित करके सजा दिलवाई। किसी निर्दोष की पैरवी की तो उसे निर्दोष साबित करके बा-इज्जत बरी कराया। यानि इन्होंने हमेशा कानून की मदद की। इन्साफ के इस मन्दिर में मुजरिमों को सजा और मजलूमों को इन्साफ ही दिलवाया। कभी भी किसी मुजरिम को बचाने और मजलूम या निर्दोष को फंसाने की चेष्टा नहीं की। इन्हें जब पूरा विश्वास हो गया कि इनका मुवक्किल सच्चा और निर्दोष है, तभी उसे अपना मुवक्किल बनाया और मुजरिम को सजा दिलवाकर उसे इन्साफ दिलवाया। लेकिन...।"
          अधेड़ व अधगंजे सरकारी वकील कालीचरण वर्मा ने अपनी वाणी को अल्प-विराम दिया, फिर कठघरे में मुल्जिम के रूप में खड़े दढ़ियल युवक को घृणा भरी नजरों से देखा, फिर न्याय की कुर्सी पर विराजमान जज महोदय से सम्बोधित होकर बोला "... लेकिन इस बार मिस्टर पण्डित कैसे गच्चा खा गये... मेरी समझ से परे की बात है। मैं ये इल्जाम भी नहीं लगा सकता कि मिस्टर पण्डित ने जानबूझकर एक मुजरिम को बचाने के लिये ये केस अपने हाथ में लिया। क्योंकि मुजरिम मजनूं एक टैक्सी ड्राइवर है, जो कि स्वयं को बचाने के लिये बहुत मोटी रकम खर्च नहीं कर सकता। मिस्टर पण्डित लाख-दो लाख रुपयों के लिये तो अपना ईमान नहीं बेचेंगे... अपने जमीर का गला नहीं घोटेंगे। मुजरिम कोई बड़ी हस्ती होता तो सोचा भी जा सकता था कि मिस्टर पण्डित ने मोटी रकम के लालच में एक मुजरिम को निर्दोष साबित करने को ये केस ले लिया। वैसे भी मिस्टर पण्डित की सच्चे और ईमानदार वकील की छवि है। इनसे ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती कि ये कानून और अदालत को भ्रमित करके इन्साफ का गला घोंटने की चेष्टा करेंगे...।"
"आप कहना क्या चाहते हैं मिस्टर वर्मा...?" भीनी-भीनी मुस्कान के साथ पूछा जज महोदय ने।
"यही कि जिन्दगी में पहली मर्तबा मिस्टर पण्डित से गलती हो गई है। शायद मुजरिम इनके सामने रोया-गिड़गिड़ाया होगा झूठी कसमें खाकर स्वयं को निर्दोष बतलाया होगा और मिस्टर पण्डित भावनाओं में बह गये होंगे। एक मुजरिम को निर्दोष समझकर इन्होंने उसकी पैरवी करने की गलती कर डाली। मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि मिस्टर पण्डित अपनी जिन्दगी में पहली बार कोई केस हारेंगे। इनके लगातार जीतने का रिकॉर्ड टूटेगा। इनकी वो काबिलियत धूल में मिल जाने वाली है, जिसके कारण लोग इन्हें दिमाग का जादूगर कहते हैं। मुझे इनके हारने का अफसोस तो है ही, लेकिन इस बात पर गर्व भी महसूस हो रहा है कि दिमाग के जादूगर को शिकस्त देने का श्रेय मुझे मिलेगा। क्योंकि आज ही मैं ये साबित कर दूंगा कि कठघरे में खड़े मजनूं नाम के इस भोले-भाले नजर आने वाले हैवान ने ही सलोनी का कत्ल करके मेरे मुवक्किल मिस्टर प्रकाश की दुनिया उजाड़ डाली है...।" 

सोमवार, 17 जून 2024

एच. इकबाल (सोमदत्त शर्मा)

 नाम- एच. इकबाल

 जासूसी कथा साहित्य में नकल का हमेशा से बोलबाल रहा है। इस क्षेत्र ने चाहे धुरंधर जासूस पैदा कर लिये, जटिल केस हल कर लिये, शातिर ठग-चोरों का पर्दाफास किया और भी न जाने कितने रहस्य हल किये और कितनों को इंसाफ दिलाया। बहुत से आदर्शवादी जासूस भी सामने आये, पर यह खेल सिर्फ शब्दों और पृष्ठों कर जाल से बाहर न निकल सका।
  अगर निकल पाता तो शायद स्वयं के क्षेत्र में इतने घपले न होते, शायद लेखक शोषण से बचते, शायद नकली उपन्यासों का संसार बंद हो जाता।

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मेरठ उपन्यास यात्रा-01

 लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...