साहित्य देश की हास्य रस स्तम्भ में इस बार पढें राजा पॉकेट बुक्स से प्रकाशित लेखक धीरज के उपन्यास 'वतन के आँसू' का एक हास्यजनक किस्सा।
रामलाल ने अंदर आते ही शीला को अपने आलिंगन में ले लिया था तथा उसके लाल सुर्ख रसीले होंठों को अपने होंठों के मध्य भींच लिया था !
"छोड़ो भी...आप भी बस !"- शीला ने स्वयं को रामलाल की कैद से मुक्त कराते हुए कहा—शर्म से उसका चेहरा लाल-भभूका हो गया था तथा वह घबराई हुई नजरों से उस कोने की तरफ देखने लगी, जहां उनके दोनों बच्चे खड़े थे।
“आहा जी...पापा ने मम्मी की पप्पी ले ली-पापा ने मम्मी की पप्पी ले ली।” - सुमिता ताली पीटते हुए उछल-उछलकर कह रही थी !
"मैं तुम्हारी मम्मी को प्यार कर रहा था, सुमि !"
“ल....लेकिन प्यार करना तो बुरी बात है !"
“तुमको किसने कहा ?"- रामलाल के चेहरे पर नागवारी वाले भाव उभरे थे !
"परसों, जब राखी आंटी मौल्हले वाले एक अंकल से प्यार कर रही थीं, तो मौहल्लेवालों ने अंकल को कितना मारा था!"
मेरी प्रार्थना की वजह से" धीरज" नाम के ट्रेडमार्क से राज पॉकेट बुक्स देहली से प्रकाशित मेरे द्वारा लिखा हुआ उपन्यास " वतन के आंसू " हम सब के चहेते गुरप्रीत सिंह जी ने आखिर कड़ी मेहनत से खोज ही निकाला, जो मेरे लिए बहुत ही बड़ी खुशखबरी है ।
जवाब देंहटाएंइस कड़ी मेहनत के लिए गुरप्रीत सिंह जी को तहे दिल से करोड़ो धन्यवाद!
अशोक कुमार शर्मा ।
रूपगढ़ ।
99 28108646