जासूसी दुनिया पत्रिका की रोचक जानकारी।
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि जासूसी दुनिया पहले राही मासूम रजा लिखने वाले थे. उन्होंने लिखा नहीं था. उनसे अब्बास हुसैनी ने नमूना माँगा था और उन्हें व इब्ने सफी को फाइनल किया गया. लेकिन अंत में सफी साहब को इसलिए फाइनल किया गया क्योंकि उनमें जासूसी के साथ हास्य की भी समझ थी. और यह अच्छा ही हुआ. इससे उर्दू ही नहीं हिंदी को भी बेहतरीन जासूसी लेखक मिला. कल्ट लेखक भी कह सकते हैं. वो इकलौते लेखक हैं जिनका उपन्यास छपते छपते बिकना शुरू हो जाता था।
तब ट्रेडल पर धीमी छपाई होती थी. इलाहबाद के खासकर इक्के वाले शाम ही से प्रेस के पास मंडराने लगते थे और छपाई के बाद बाइंडिंग का भी इंतज़ार नहीं करते थे और वैसे ही खरीद कर ले जाते थे. हालाँकि बाइंडिंग के नाम पर इसमें सिर्फ पिन ही लगती थी. लेकिन लोग इतना भी सब्र नहीं दिखाते थे. हॉट केक का नाम सबने सुना होगा, लेकिन हॉट केक की तरह बिकने वाला हिंदुस्तान का एकमात्र लेखक था इब्ने सफी।
- प्रस्तुति- विनोद भास्कर
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि जासूसी दुनिया पहले राही मासूम रजा लिखने वाले थे. उन्होंने लिखा नहीं था. उनसे अब्बास हुसैनी ने नमूना माँगा था और उन्हें व इब्ने सफी को फाइनल किया गया. लेकिन अंत में सफी साहब को इसलिए फाइनल किया गया क्योंकि उनमें जासूसी के साथ हास्य की भी समझ थी. और यह अच्छा ही हुआ. इससे उर्दू ही नहीं हिंदी को भी बेहतरीन जासूसी लेखक मिला. कल्ट लेखक भी कह सकते हैं. वो इकलौते लेखक हैं जिनका उपन्यास छपते छपते बिकना शुरू हो जाता था।
तब ट्रेडल पर धीमी छपाई होती थी. इलाहबाद के खासकर इक्के वाले शाम ही से प्रेस के पास मंडराने लगते थे और छपाई के बाद बाइंडिंग का भी इंतज़ार नहीं करते थे और वैसे ही खरीद कर ले जाते थे. हालाँकि बाइंडिंग के नाम पर इसमें सिर्फ पिन ही लगती थी. लेकिन लोग इतना भी सब्र नहीं दिखाते थे. हॉट केक का नाम सबने सुना होगा, लेकिन हॉट केक की तरह बिकने वाला हिंदुस्तान का एकमात्र लेखक था इब्ने सफी।
- प्रस्तुति- विनोद भास्कर
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