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गुरुवार, 22 जून 2023

52 गज का बौना- केशव पण्डित, उपन्यास अंश

52 गज का बौना- केशव पण्डित
उपन्यास अंश

"तुम अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रहे हो बावन गज के बौने। तुम कुँए के मेंढक हो, जो स्वयं को पानी का राजा समझ बैठता है। वो ऊंट हो जो कभी पहाड़ के करीब से गुजरा ही नहीं। दीवार पर रेंगती वो छिपकली हो जिसने कभी मगरमच्छ को देखा ही नहीं। वो पिल्ले हो, जिसने कभी शेर की तस्वीर भी नहीं देखी। तुम सिर्फ बावन इंच के हो लेकिन अपनी परछाई को देखकर ये गलतफहमी पाल बैठे कि तुम्हारा कद बावन गंज का है। बिल्ली का बच्चा भी चूहों पर हुकूमत कर सकता है लेकिन जब वो शेर के सामने पड़ता है तो भीगी बिल्ली बन जाता है। इसी तरह तुमने जुर्म के चूहों पर हुकूमत करके खुद को बावन गज का राक्षस समझ लिया है। लेकिन अब तुम्हारा पाला कानून के शेर से पड़ा है तो अपनी औकात मालूम हो जायेगी। कांच का टुकड़ा भले ही कितना मोटा हो, लेकिन वो पत्थर से टकराने पर चकनाचूर हो जाता है। तुम तो कानून की चक्की में कूदने की भूल कर रहे हो। दो पाटों के बीच फंसकर चूरमचूर हो जाओगे।”
उपन्यास के मुख्य पात्र
बिच्छू - एक लड़की के पीछे पड़ा गुमनाम व सनकी आदमी, जो लड़की के दुश्मनों तथा चाहने वालों का जानी दुश्मन है।
सलीम लंगड़ा -लंगड़ा गैंगस्टर, जो क्रिकेट का शौकीन है और दुश्मन को बैट से मारता है।
भीखू भिखारी - गैंगस्टर भी है और मन्दिर की सीढ़ियों पर बैठकर भीख भी मांगता है। 
शकीला बेगम-सौतेली मां द्वारा बना दिया गया हिजड़ा, जो शैतान से भी चार कदम आगे है। 
टोनी गोवानी-टी.बी. का मरीज गैंगस्टर, जो अपने शिकार को जहर के इंजेक्शन लगाता है।
बावन गंज का बौना-बार-बार भेष बदलने वाला वो छलावा, जो गैंगस्टर्स से भी टैक्स वसूलता है।
और इनके मुकाबले पर सीना ताने खड़ा है-

दिमाग का जादूगर-केशव पण्डित । 

तेज रफ्तार व अविस्मरणीय कथानक
Keshav pandit novel केशव पण्डित

अब पढें 'बावन गज का बौना' उपन्यास अंश

"मैं गैंगस्टर बाहुबली सिंह बोल रहा हूं केशव पण्डित.... बाहुबली । मेरे आदमियों ने तेरी गाड़ी को चारों तरफ से घेरा हुआ है। उनके पास ना सिर्फ एक से एक खतरनाक हथियार हैं, बल्कि वो बमों से भी लैस हैं। अगर तू एक मिनट के भीतर बाहर नहीं निकला तो ये लोग पहले तेरी गाड़ियों पर अन्धाधुन्ध फायरिंग करेंगे और बम फेंककर तुझ समेत तेरी गाड़ी के भी परखच्चे उड़ा देंगे।” 
सफेद मारुति जेन में सवार था केशव पण्डित ।
युवा, खूबसूरत ।
गुलाबी होठों वाला।
झील-सी नीली आंखों वाला। काले कोट की जेब से चारमीनार की डिब्बी तथा गोल्डन कलर का म्यूजिकल लाइटर निकाला उसने तथा इत्मीनान के साथ एक सिगरेट सुलगा ली।
          फिर वो गाड़ी का ड्राइविंग साइड वाला डोर खोलकर बाहर निकला। गाड़ी को घेरे खड़े खूंखार शक्ल-सूरत वाले गुण्डों ने उस पर हथियार तान दिये।
वो किसी भी क्षण फायरिंग को तैयार थे।
          लेकिन केशव के खूबसूरत चेहरे पर भय अथवा खौफ का नामोनिशान नहीं था, परेशानी की एक शिकन भी ना थी। सड़क के किनारे नेवी ब्ल्यू कलर की टाटा सूमो गाड़ी खड़ी थी।
      गाड़ी से टेक लगाये कोई पचास वर्षीय शख्स खड़ा था तथा गोल्डन कलर के छोटे-से हुक्के में कश लगा रहा था। वह क्रीम कलर के कुर्ते-पायजाम में था और सिर पर राजस्थानी पगड़ी बांधे हुये था।
पैरों में तिल्लीदार जूतियां। गले में सच्चे मोतियों की छः लड़ियों वाली माला। भारी-भरकम चेहरे पर मोटी व ताब दी हुई मूछें।
वो बाहुबली सिंह था।
अण्डरवर्ल्ड का बेताज बादशाह ।
हक्के में कश लगाकर उसने ढेर सारा धुंआ छोड़ा तथा फिर केशव के करीब पहुंचा।
                एक हथियारबन्द चेले को हुक्का देकर वो केशव को फाड़ खाने वाली नजरों से घूरते हुये जख्मी नाग-सा फुंफकारा- "पहचाना केशव पण्डित ? मैं हूं बाहुबली सिंह, मेरे जवान बेटे ने लड़कपने में एक लड़की के साथ बलात्कार कर डाला था। मैं ये चाहता था कि वो मामला अदालत में ना जाये बाहर ही फैसला हो जाये। उस गरीब लड़की को एक लाख रुपये दे दिये जाते तो वो हमेशा के वास्ते अपना मुंह बन्द कर लेती। एक लाख रुपये में उसकी शादी हो जाती। लेकिन दाल-भात में मूसलचन्द की तरह तू बीच में आ गया। तूने उसके और उसके मां-बाप के कान भरे उन्हें कहा कि मेरे बेटे रोनी ने इज्जत लूटी है, उसे सजा मिलनी ही चाहिये। साथ ही ये भी कहा कि उस लड़की शीतल की शादी किसी अच्छे लड़के से अपने खर्चे से करायेगा। तूने पुलिस स्टेशन जाकर मेरे बेटे रोनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। मेरे बेटे को उसकी प्रेमिका के घर से पकड़कर पुलिस के हवाले किया। शीतल का वकील बनकर रोनी के खिलाफ केस लड़ने का फैसला किया। मैंने तेरे से कहा था कि दस-बीस लाख रुपये ले ले और मुकदमे से अपना नाम वापिस ले ले, लेकिन तेरे पर इन्साफ और कानून का भूत सवार था। तू नहीं माना पण्डित नहीं माना तू । तूने मुकदमा लड़ा। मेरे वकील के सबूतों और गवाहों की धज्जियां उड़ाते हुये तूने रोनी को बलात्कारी साबित कर दिया और अदालत ने रोनी को सात साल की सजा सुना दी-बाहुबली के बेटे को । सजा अगर सात घण्टे की भी होती तो भी मेरी बेइज्जती ही थी। लोगों ने मेरे पीछे मेरा मखौल उड़ाया होगा। ये बोले होंगे कि अण्डरवर्ल्ड का बेताज बादशाह अपने बेटे को अदालत में बाइज्जत बरी नहीं करा पाया। बहुत किरकिरी कराई तूने मेरी। शानो-शौकत की जिन्दगी जीने वाला मेरा बेटा जेल में सड़ रहा है तेरी वजह से।"
           बात पूरी करके बाहुबली सिंह यूं गहरी गहरी सांसें भरने लगा कि मानो मैराथन की दौड़ लगाकर आया हो। केशव ने सिगरेट में कश लगाया तथा बाहुबली सिंह की भूरी आंखों में झांकत हुये बोला- “आज तेरे बेटे को सात साल की सजा हुई तो मिर्ची लगी बाहुबली। तिलमिला गया तू आपे से बाहर हुआ जा रहा है। लेकिन तूने ये भी सोचा कि जब तेरे उस हैवान बेटे ने उस मासूम लड़की शीतल के साथ बलात्कार किया था तो उस बेचारी पर क्या बीती होगी? किसी औरत की बोटी-बोटी करके उसकी जान ले ली जाये तो उसे इतना गिला शिकवा नहीं होगा, लेकिन उसकी इज्जत लुट जाये तो वो जिन्दा होते हुये भी पल-पल मरती रहती है। हर सांस के साथ वो दम तोड़ती है, हरेक सांस के साथ उसके अरमानों की चिता जलती है। बदले में तेरे बेटे को सजा ही क्या मिली है सिर्फ सात साल की जेल। वो वहां मुफ्त  की रोटियां तोड़ेगा और सान्ड बनकर बाहर निकलेगा। मेरा बस चले तो बलात्कार करने वाले दरिन्दों को फांसी की ही सजा दिलवाऊं।"
"मर गये बाहुबली के बेटे को फांसी पर चढ़वाने वाले ।" बाहुबली दांतों को पीसकर बोला- "मेरा वकील ही नालायक निकला। उसने दावा किया था कि वो हर कीमत पर मेरे बेटे की बेगुनाह साबित कर देगा। इसी भ्रम में मारा गया मैं, तू पहली ही पेशी में रोनी को बलात्कारी साबित कर गया। उस नालायक वकील को सजा मिली है उसे अपने हाथों से कत्ल किया मैंने। साले की बोटी-बोटी करके दरिया में बहा दी। अब तेरी बारी है केशव पण्डित ।"
बाहुबली का इशारा होते ही दो गुण्डों ने केशव को पकड़ लिया तथा तीसरे ने उसकी तलाशी ली।
           तलाशी में मिली रिवॉल्वर को बाहुबली ने ले लिया तथा अपनी जेब के हवाले करके बोला- “दिमाग का जादूगर कानून का बेटा कानून का पण्डित और भी ना जाने क्या-क्या खिताब दिये हैं लोगों ने तुझे। पुलिस और सरकार से भी बढ़कर तू हम मुजरिमों का दुश्मन है। ना जाने कितने मुजरिमों का बंटाधार कर दिया तूने। लेकिन अब तेरी महाभारत का अध्याय बन्द, मेरी कंस लीला का चैप्टर शुरू हो रहा है। समझ कि तेरे सामने यमदूत खड़ा है।"
           केशव ने आसपास खड़े गुण्डों को देखा तथा फिर सिगरेट का टोटा फेंककर बोला- "यमदूत तो अकेला ही आया करता है, वो अपने साथ इतने चमचों को तो नहीं लाया करता है। इन हथियारबन्द गुण्डों के दम पर ही तू इतरा रहा है बाहुबली? मां का दूध पीया है तो इन गुण्डों को यहां से हटा और मुझसे मुकाबला कर। तेरी भुजिया ना तल दी तो मेरा नाम भी केशव पण्डित नहीं। जरा मैं भी तो देखूं कि तू नाम का ही बाहुबली है, या तेरे बाजुओं में कुछ दम-खम भी है?"
"मुझे तेरी चालाकी के बारे में मालूम है पण्डित। तू चाहता है कि मैं तेरे चढ़ावे में आकर अपने इन आदमियों को हटा दूं-लेकिन में ऐसी गलती करने वाला नहीं हूं बेटे मुझे ये कबूलने में जरा भी शर्म नहीं आती है कि नाम का ही बाहुबली हूं। किसी ताकतवर से मुकाबला करना मेरे बस की बात नहीं। मैं कोई गली का गुण्डा या मवाली नहीं हूं। मैं गैंगस्टर हूँ। मैं दौलत के दम पर गुण्डों की फौज पालता हूं और उनसे काम कराता हूं। लेकिन फिक्र ना कर-अगर तेरी तरफ से कोई गड़बड़ी ना हुई तो मैं ही तेरी जान लूंगा बेटे। कसकर पकड़ो इसे।"
छः गुण्डों ने केशव को पकड़ा तथा उसे सड़क पर लिटा दिया। बाकियों ने उस पर हथियार ताने हुये थे। केशव ने गुण्डों से छूटने की चेष्टा की लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाया।
          बाहुबली ने दायां हाथ ऊपर उठाकर अंगूठे व तर्जनी उंगली से दो मर्तबा चुटकी बजाई चुट-चुट । टाटा सूमो गाड़ी से फ्रेन्चकट दाढ़ी वाला डॉक्टर वैनिटी बैग के साथ बाहर निकला।
बैग खोलकर उसने सीरिंज में इंजेक्शन में भरा तरल पदार्थ भरा तथा सीरिंज बाहुबली को दी।
             बाहुबली ने बर्फ सी ठन्डी हँसी हँसने पर कहा-"जानता है पण्डित ये क्या है ? ये जहर है 'पॉयजन! इस जहर की कुछ खूबियां हैं। ये पांच मिनट तक तो कोई असर ही नहीं करता है-मानो कुछ हुआ ही नहीं। लेकिन फिर ये इंजेक्शन तेजी के साथ असर करता है-एक मिनट के भीतर ही जान ले लेता है। अगर इंजेक्शन लगने के पांच मिनट के भीतर डॉक्टर कुछ कर पाये तो जान बच जाये, वरना छठी मिनट में कोई कुछ नहीं कर पायेगा। अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि यहां से दस किलोमीटर दूर तक कोई डॉक्टर भी नहीं है। ग्यारह किलोमीटर की दूरी पर डॉक्टर है। लेकिन पांच मिनट में तू चाहकर भी ग्यारह किलोमीटर की दूरी तय नहीं कर पायेगा। फिर भी में तुझे इंजेक्शन लगाने पर छोड़ दूंगा। तू अपनी गाड़ी में बैठकर डॉक्टर तक पहुंचने की कोशिश करना। आगे की तरफ जाना, चाहे पीछे की तरफ दोनों ही तरफ पहाड़ी रास्ता है । एक तरफ पहाड़ी और दूसरी तरफ गहरी खाईयां। तुम गाड़ी की स्पीड इतनी कम रखोगे कि खाई में ना गिरने पाओ-तब इंजक्शन अपना असर दिखला देगा और तुम्हारा राम नाम सत्य हो जायेगा। अगर गाड़ी तेज दौड़ाओगे तो निश्चित ही खाई में जा गिरोगे तुम्हारे जिस्म के परखच्चे उड़ जायेंगे दिमाग के जादूगर। अपने दिमाग का इस्तेमाल करके तुमने मुसीबत में पड़े ना जाने कितने लोगों को बचाया होगा-लेकिन देखना तो ये है कि क्या आज तुम अपने आपको बचा पाओगे कि नहीं।" 
बाहुबली के इरादे भांप कर केशव के तिरपन्न कांप उठे-पसीने छूट चले। दिल धाड़-धाड़ करके बज उठा। वास्तव में ही विकट परिस्थिति थी।
या तो इंजेक्शन के जहर से मौत होनी थी, या डॉक्टर तक पहुंचने की ललक में गाड़ी का गहरी खाई में गिर जाना तय था। तो क्या मौत आ चुकी है ?
जान से प्यारी बीबी सोफिया और लाड़ले बेटे आशीर्वाद से बिछड़ने की घड़ी आ पहुंची है?
केशव ने गुण्डों की पकड़ से छूटने को पूरे जोर लगा दिये-लेकिन वा कामयाब ना हो पाया।
फ्रैन्चकट दाढ़ी वाले डॉक्टर ने कैंची से केशव के दाहिने हाथ पर से कोट व शर्ट को गोलाई में काट दिया, ताकि बाहुबली वहां इंजेक्शन लगा सके।
               भगवान मेरी मदद कर केशव की अंतरात्मा चित्कार कर उठी- "अगर मैं मर गया तो मेरी सोफिया और आशीर्वाद का क्या होगा ? कुदरती मौत होती तो कोई रंज नहीं होता लेकिन एक मुजरिम के हाथों बेबसी भरी मौत। नहीं, ये मन्जूर नहीं होगा मुझे। कम से कम मुझे मुकाबला करने का तो मौका मिले। इसे मारकर मर भी जाऊं तो इस बात की तो तसल्ली होगी कि मैंने मरते-मरते एक मुजरिम को तो कम कर ही दिया था।
             तभी बाहुबली ने केशव की बाँह में सीरिंज की सुई पेवश्त कर दी तथा जहरीली सी हंसी हंसकर बोला- "ना जाने कितने शूरमाओं ने तेरा खात्मा करने के ख्वाब देखे थे लेकिन वो बेचारे तेरे हाथों नेस्तनाबूद हो गये। तुझे मारने का सेहरा तो मेरे माथे पर ही बंधना था बेटे। जुर्म के इतिहास में मेरा नाम सोने के हरफों में लिखा जायेगा। बच्चे-बच्चे की जुबान पर एक ही चर्चा होगी कि बाहुबली सिंह ने दिमाग के जादूगर केशव पण्डित का खात्मा कर दिया, कानून के पण्डित को मार डाला हा हा हा...।
"सच और इन्साफ की लड़ाई लड़ने वालों को तो समय से पूर्व मौत भी नहीं मार सकती बाहुबली, फिर तू क्या, तेरी हस्ती क्या? तू मेरे जिस्म को खत्म कर सकता मेरी आत्मा को नहीं। मैं अपने कारनामों की वजह से हमेशा जिन्दा रहूंगा। लोगों के दिलों में भी और उनकी जुबान पर भी। मेरी मौत पर देखना कि कितने रोने वाले होंगे। आंसुओं के दरिया बहेंगे। जबकि तेरे जैसा कोई मुजरिम मरता है तो लोग मारे खुशी के दिवाली मनाते हैं-मिठाइयां बांटते हैं। ये ना समझ कि मुझे जहर का इंजेक्शन देकर तूने बदला ले लिया, या तू चैन की नींद सो लेगा। मेरे चाहने वालों की कोई कमी नहीं है। एक बार उन्हें मालूम पड़ जाये कि मेरी जान लेने वाला तू ही है। कयामत ही आ जायेगी। बहुत ही बुरा अन्जाम होगा तेरा। चारों तरफ मौत के नजारे ही नजर आयेंगे । बचने का कोई रास्ता नजर नहीं आयेगा । दुनिया के किसी भी कोने में तुझे पनाह नहीं मिलेगी बाहुबली सिंह। "
"बेमतलब में ही वक्त खराब कर रहा है तू केशव पण्डित! तेरे पास सिर्फ पांच मिनट ही हैं-मेरे आदमी तुझे छोड़ रहे हैं। अपनी गाड़ी में सवार हो और डॉक्टर की तरफ दौड़ । हो सकता है कि पांच मिनट में तू डॉक्टर के पास पहुँच ही जाये और वो तेरी जान बचा ही ले। गुडलक पण्डित, गुडलक ।"
          केशव उठा तथा अपनी मारुति जेन की तरफ दौड़ा। दरवाजा खोलकर वो ड्राइविंग सीट पर बैठा तथा इग्नीशन में लगी चाची को घुमाया।
            लेकिन इंजन घरघराकर रह गया-गाड़ी स्टार्ट ना हुई। केशव परेशान हो चला पेशानी पर पसीने की नन्हीं-नन्हीं बुंदकियां छलछला उठीं।
दोबारा ट्राई किया नतीजा सिफर ही निकला।
"हे भगवान मदद कर।" भगवान ने सुनी और गाड़ी स्टार्ट हो गई।
         केशव ने गाड़ी को दौड़ा दिया। उसके दांत भिंच चले, जबड़े कस गये। दायें पैर का दबाव एक्सीलेटर पर बढ़ता ही चला गया। चन्द पलों में ही गाड़ी हवा से बातें करने लगी।विभिन्न मोड़ों वाला संकरा रास्ता था। कभी चढ़ाई तो कभी ढलान । एक तरफ पहाड़ी और दूसरी तरफ गहरी खाई।
                मोड़ आने पर भी केशव ने गाड़ी की रफ्तार कम नहीं की और पूरी दक्षता के साथ स्टेयरिंग व्हील का संचालन किये जा रहा था वह। लेकिन पांच मिनट में पांच किलोमीटर की दूरी ही तय हो पाई।
जहर ने अपना असर दिखलाया। केशव को लगा कि मानो उसके समूचे जिस्म में खून की बजाय तेजाब गर्दिश करने लगा हो, दिमाग को ओखली में डालकर मूसली से कूटा जा रहा हो।
         जिस्म की तमाम खाल को मानो ढोलक पर मढ़ दिया गया हो और दोनों तरफ से डोरियां खींची जा रही हों।
हाथ-पैरों में कम्पन भी होने लगा स्टेयरिंग पकड़ना मुश्किल हो चला, पैर में इतनी जान नहीं रही कि एक्सीलेटर दबाया जा सके। आँखों के सामने अन्धेरा सा छाने लगा, सारा ब्रह्मांड लट्टू की मानिन्द ही घूमता प्रतीत होने लगा। 
"हे भगवान मदद करो मेरी, इतना तो मौका दे दो कि मैं अपनी बीवी और बेटे को आखिरी बार देख सकूं।
लेकिन!
गाड़ी सड़क से उत्तरी तथा ढलान पर तेजी के साथ लुढ़कने लगी।
केशव की चक्करघिन्नी बन गई। फिर वो होश खोता चला गया।
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     होश में आते ही केशव उठ खड़ा हुआ तथा निगाहें दौड़ाते हुये वो ऊंची-ऊंची पहाड़ियों को निहारने लगा। बहुत ही हल्का-फुल्का महसूस कर रहा था, गैस के गुब्बारे की मानिन्द ही।
करीब ही उसकी मारुति जेन के अस्थि-पंजर पड़े थे तथा उनमें से (थोड़ी लपटें ज्यादा धुआं उठ रहा था। लेकिन केशव ने कोई दर्द या पीड़ा महसूस नहीं की बल्कि एक नई ताजगी व स्फूर्ति ही महसूस की।
"चले, मनुष्य"
         भारी-भरकम तथा खूंखार से स्वर ने उसे बुरी तरह चिहुंका दिया। स्वर की दिशा में देखते ही मुख से सिसकारी-सी छूट गई। काला कलूटा तथा दैत्याकार शख्स खड़ा था जिसके केंचुए-से मोटे-मोटे बाल ऊपर की तरफ खड़े थे-गन्नों की ईख की मानिन्द।
"कौन हो भाई?"
"यमदूत।"
"यमदूत? कौन यमदूत?" 
“इतने भोले लगते तो नहीं हो मनुष्य ।" - उसका भारी-भरकम स्वर मानो चारों दिशाओं लाउडस्पीकर की मानिन्द ही गूंज रहा था- "महाराजाधिराज यमराज जी के उन दूतों को यमदूत कहा जाता है, जो कि मृत्यु को प्राप्त होने वाले मनुष्यों की आत्माओं को यमलोक ले जाने का कार्य सम्पत्र करते हैं।"
"या तो तुम मज़ाक कर रहे हो अगर सच भी बोल रहे हो तो भला यहां क्यों आये हो?" 
"तुम्हारी आत्मा को यमलोक ले जाने के लिये।"
"मे-मेरी आत्मा को ?” - केशव चौंककर बोला- “क्या मतलब? मैं तो जिन्दा हूं।"
"नहीं मनुष्य तुम जीवित नहीं हो तुम मृत्यु को प्राप्त हो चुके हो।" 
“न-नहीं ऐसा कैसे हो सकता है भला? मैं मैं तो जीवित हूं।
“भ्रम में मत पड़ो वत्स तुम्हारा प्राणान्त हो चुका है-उधर देखो, जलते वाहन के पार तुम्हारा शव पड़ा है।"
केशव लपककर जलती हुई कार के दूसरी तरफ पहुंचा तो उसके मुख से घुटी घुटी सी चीख उबल पड़ी तथा आंखें फैल चलीं। एक छोटी-सी चट्टान के ऊपर पीठ के बल एक लाश पड़ी थी।
केशव की लाश। उसकी अपनी लाश।
"नहीं ये नहीं हो सकता।"
            आगे बढ़कर उसने लाश को छूना चाहा लेकिन कामयाब ना हो सका। हाथ हवा की मानिन्द ही लाश के भीतर से गुजरकर पार निकल गये। 
"ओह, भगवान...ये तो मेरी लाश है यानि मेरी डेथ हो गई। मेरा इस दुनिया से नाता टूट गया मैं अब जीवित नहीं हूँ। सोफिया और आशीर्वाद का क्या होगा? क्या वो मेरे बिना रह पायेंगे? वो दोनों तो रो-रोकर पागल ही हो जायेंगे।" “चलो मनुष्य, हमें विलम्ब हो रहा है। शीघ्र ही हमें यमलोक पहुंचना होगा ।"
"न-नहीं- मैं नहीं जाऊंगा। पहले मुझे सोफिया और आशीर्वाद से मिलना है। उन्हें समझाना-बुझाना है, तसल्ली देनी है। राजन और करतार सिंह को बोलूंगा कि वो मेरी बीवी और बेटे का ख्याल रखें।"
"ये असम्भव है मनुष्य-मृत्योपरान्त कोई भी आत्मा अपने परिजनों से सम्पर्क नहीं कर पाती।" 
"लेकिन मैं जाऊंगा।" - केशव जिद भरे लहजे में बोला- "मुझे अपनी बीवी और बेटे से मिलना है, तुम मुझे रोक नहीं पाओगे मिस्टर हटो, रास्ता छोड़ो मेरा।"
यमदूत यूं मुस्कराया कि मानो केशव ने कोई अनाड़ीपने की बात कह डाली हो फिर उसने दोनों हाथों को हवा में लहराया।
तब यमदूत के साथ केशव भी हवा में गैस के गुब्बारे की मानिन्द उड़ने लगा उसने बहुतेरी चेष्टा की कि वो नीचे जमीन पर उत्तर जाये लेकिन अब उसके वश में कुछ भी नहीं था।
             यमदूत उसकी बेबसी पर मुस्कराया तथा फिर बोला- "जब तुम मानव शरीर में थे तो बहुत कुछ करने में सक्षम । परन्तु शरीर का चोला छूटने पर तुम्हारी आत्मा तुम्हारे वश में नहीं रही। तुम्हारी आत्मा अब परलोक की हो गई है। परलोक के विधान के अनुसार ही तुम्हें चलना होगा मनुष्य। नश्वर संसार से नाता टूट गया, सदैव के लिये। सो तुम्हें मोह-माया के बंधनों से मुक्त होना ही पड़ेगा। कोई भी रिश्ता स्थाई नहीं होता। इस जन्म में जो तुम्हारे परिवारजन थे, पिछले जन्म में वो किसी अन्य के परिवारजन थे-अगले जन्म में किसी अन्य के होंगे।”
"न नहीं मैं अपनी बीबी और बेटे का मोह नहीं छोड़ सकता हूँ।" - केशव रोने लगा तथा हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा उठा- "मैं आपसे ये प्रार्थना नहीं करूंगा कि मुझे पुनः जीवित कर दीजिये। क्योंकि मुझे मालूम है कि मृत्यु का समय निश्चित है, मौत को टाला नहीं जा सकता। परन्तु मुझ पर दया कीजिये महाराज मुझे सिर्फ पांच मिनट का ही समय दीजिये पांच मिनट सोफिया और आशीर्वाद से मिलकर उनको तसल्ली दूंगा, फिर आपके साथ चल दूंगा ।"
"मुझे ऐसी आज्ञा नहीं है मनुष्य। आज्ञा होती भी तो कोई लाभ नहीं होता। क्योंकि तुम आत्मा हो। तुम्हारा स्वर किसी मनुष्य को सुनाई नहीं पड़ेगा । किसी को स्पर्श नहीं कर पाओगे तुम, मात्र हवा हो तुम। गला फाड़कर भी चिल्लाते रहोगे—तो भी कोई नहीं सुनेगा। किसी को पकड़ना या स्पर्श करना चाहोगे तो नहीं कर सकोगे। धैर्य से काम लो वत्स। मोह-माया का परित्याग करने में ही भलाई है तुम्हारी। हो सकता है कि तुम्हारी आत्मा को अधिक समय तक परलोक में ना रखा जाये और तुम्हारी आत्मा को नये मानव शरीर में डाल दिया जाये। ऐसा होने पर तुम्हें पूर्वजन्म के बारे में कुछ भी स्मरण नहीं रहेगा।"
"सो...सोफी आशीर्वाद ।”
केशव बच्चों की मानिन्द ही हिलक-हिलक कर रोने लगा।
यमदूत मुस्कराने लगा-केशव की नादानी पर।
          दोनों तीव्र गति के साथ हवा में ऊपर की तरफ उड़े-से जा रहे थे। चन्द ही पलों में वो घने बादलों के बीच थे तथा नये लोक की तरफ अग्रसर थे। एक अन्जाना लोक आ गया जहां की हरेक वस्तु धरती से अलग-थलग थी।
             जमीन का रंग अलग था। आसमान का रंग भी अलग था। पेड़-पौध का रंग व आकार अलग ही था-यहां तक कि पहाड़ियां भी रंग-बिरंगी थीं एक चौड़ी नदी सामने थी, जिसमें नीले रंग का तरल पदार्थ तीव्र वेग के साथ बहा जा रहा था।
नदी के पार से निखालिस सोने की बनी राजहंस के आकार की किश्ती स्वयं ही तैरते हुये इस तरफ आ पहुंची उसमें कोई नाविक या मांझी नहीं था।
यमदूत हवा में उड़ता-सा किश्ती में सवार हो गया तथा उसने केशव को भी किश्ती में आने का इशारा किया।
"मैं नहीं आऊंगा। मुझे पहले सोफिया और आशीर्वाद से मिलना है। राजन, चांदनी और करतार सिंह को एक बार देखना है अन्तिम बार।"
तब यमदूत ने तर्जनी उंगली को हरकत दी,  केशव को झटका-सा लगा तथा वो अगले ही पल किश्ती में सवार था।
पलों में ही किश्ती ने नदिया के पार पहुंचा दिया। दोनों बर्फ-सी सफेद घाटी में थे-चारों तरफ धुंआ-सा, तथा रूई के से फाहे उड़ रहे थे।
दो लम्बी कतारें लगी हुई थीं।
बड़ का विशालकाय व अद्भुत वृक्ष था, जिसके तने से चुंधियाता - सा प्रकाश प्रस्फुटित हो रहा था उसके गोल पत्तों में भी सोने की सी चमक थी।
वृक्ष के नीचे एक दिव्य हस्ती विराजमान थी। उसकी आयु का अन्दाजा ही नहीं लगाया जा सकता था।
गौर वर्ण, युवाओं-सा चुस्त बदन ।
          दूध से धवल वस्त्रों वाले उस महात्मा के सिर के चांदी से बाल इतने लम्बे थे कि वो सैकड़ों फुटों में इधर-उधर फैले हुये थे। सफेद दाढ़ी भी ना जाने कितनी लम्बी थी जो कि जमीन पर कुन्डली का रूप धारण किये हुये थी।
         उसकी आँखों की सफेद पलकों के बाल ही पेट तक लटके हुये थे- जिन्होंने ना सिर्फ आंखों को, बल्कि चेहरे को भी ढांपा हुआ था। (उसके सामने बहुत बड़ा सा बहीखाता रखा हुआ था, जिसके पन्नों को देखने के लिये उसे बार-बार पलकों के बालों को आंखों के सामने से हटाना पड़ रहा था।
"ये चित्रगुप्त जी हैं।" - यमदूत केशव के कान में फुसफुसाया- “मृत्योपरान्त आने वाली आत्माओं का लेखा-जोखा ये ही रखते हैं। बही खाते में प्रत्येक आत्मा के बारे में लिखा होता है कि उसने मनुष्य योनि में क्या-क्या कर्म किये। उसके कर्मों के हिसाब से ही चित्रगुप्त जी निर्णय करते हैं। यदि पृथ्वीलोक के आवागमन की अवधि समाप्त हो गई हो तो उसे स्वर्ग या नरक में भेजने का निर्णय करते हैं, अथवा ये निर्णय करते हैं कि उस आत्मा को अगला जन्म कहां पर लेना है। देखो, तुम्हारे बारे में क्या निर्णय लिया जाता है।" 
केशव उत्सुकता के साथ चित्रगुप्त जी को देखने लगा।
मर्दों वाली कतार में से एक भयानक शक्ल वाला अधेड़ आगे बढ़कर चित्रगुप्त जो के समक्ष हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।
चित्रगुप्त जी ने बायें हाथ से पलकों के बाल हटाकर देखा-फिर बहीखाते के पन्ने पलटे।
पन्ने पर उस आत्मा के बारे में सम्पूर्ण विवरण दर्ज था तथा उसके कर्मों के बारे में भी लिखा हुआ था।
चित्रगुप्त जी ने ऊपर पेड़ की तरफ देखा ।
            तुरन्त ही पेड़ से एक पत्ता टूटा तथा बहीखाते के पन्ने पर आकर गिरा। चित्रगुप्त जी ने पत्ते पर लिखी इबारत को पढ़ा तथा करीब ही खड़े भयानक शक्ल व भारी-भरकम जिस्म वाले से कहा-“ये पापी आत्मा है-अपने जीवन में ना जाने कितने बुरे कर्म किये इसने । इसे तुरन्त ही नरक लोक में पहुंचा दिया जाये।” 
आज्ञा का पालन हुआ।
भयानक शख्स उस आत्मा को टांगों से पकड़कर घसीटते हुये वहां से ले गया।
केशव लम्बी कतार में सबसे पीछे था, वो अपनी बारी आने का इन्तजार करने लगा।
............................
बाहुबली सिंह की कोठी दुल्हन की मानिन्द ही सजी हुई थी, पूरी चहल-पहल थी।
कोठी का लॉन खचाखच भरा हुआ था। मेहमानों में अधिकांश वो ही लोग थे, जिनका ताल्लुक अण्डरवर्ल्ड से था ।
कुछ नेता और कुछ पुलिस वाले भी थे।
अर्धनग्न व खूबसूरत युवतियां मेहमानों को कोल्ड ड्रिंक व शराब सर्व कर रही थीं।
लॉन के एक तरफ खाने-पीने के स्टाल्स भी लगे हुये थे-एक कोने में बार काउन्टर भी लगाया गया था। स्टेज पर फाइव पीस वाला ऑर्केस्ट्रा बज रहा था जिसकी लय-ताल पर दो अर्धनग्न बालायें थिरक रही थीं। इलाके का एम.एल.ए. वहां आ पहुंचा, उसने बाहुबली सिंह के चरण स्पर्श किये तथा खींसे निपोरकर बोला- “नमस्कार, बाहुबली जी, आपने तो कमाल ही कर दिया। धोती को फाड़कर रूमाल कर दिया, चमत्कार ही कर डाला। उस साले केशव पण्डित का राम नाम सत्य ही कर डाला। ससुरे ने हम लोगों का जीना हराम किया हुआ था। जिसके भी बारे में मालूम पड़ जाता था कि वो गलत काम कर रहा है-वो भूतनी का उसी का जीना हराम कर देता था। मेरे बेटे ने एक लड़की को रेप करके मार दिया था तो उसे फांसी पर चढ़वा दिया था कमीने ने। उसके डर की वजह से ही मुझे छिप-छिपकर अय्याशी करनी पड़ रही थी। अब खुलकर जिन्दगी के मजे लूटूंगा और अय्याशी करूंगा मैं। अब मुझे किसी साले का डर नहीं है। आपने केशव पण्डित को मारकर इतिहास रच दिया है बाहुबली जी। अन्डरवर्ल्ड में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिख दिया है। अपने नाम के झन्डे गाड़ दिये हैं। मुम्बई के तो आप बादशाह थे ही अब पूरे हिन्दुस्तान के बादशाह बन जायेंगे। पूरे देश के मुजरिम आपका लोहा मानेंगे और आपको अपना गुरू मान लेंगे वो मुजरिमों के भगवान बन जायेंगे आप। जय हो आपकी जय हो ।"
बाकी लोग भी बाहुबली सिंह की प्रशंसा करने लगे, बधाइयां देने लगे, केशव से छुटकारा दिलाने के लिये शुक्रिया अदा करने लगे। पार्टी अपने शबाब पर थी कि तभी रंग में भंग पड़ गया।
             कोठी में एस.पी., डी.एस.पी., सी.ओ. तथा कई थानेदारों के साथ वहां सैकड़ों पुलिस कांस्टेबिल धड़धड़ाते हुये दाखिल हुये। ना सिर्फ बाहुबली पर, अपितु उसके तमाम आदमियों पर भी हथियार तान दिये गये।
        सांवले रंग के युवा इन्सपेक्टर ने बाहुबली सिंह की कनपटी पर रिवॉल्वर रख दी तथा चिल्ल्लाकर बोला- “कोई भी पुलिस से मुकाबला करने का ख्याल भी अपने मन में ना लाये। किसी ने गोली चलाने की बात तो दूर रही, अगर छींक भी मारी तो इस कुत्ते बाहुबली की लाश यहां पड़ी होगी- इसके तमाम चेले हाथों को सिर पर रख लें और स्वयं को पुलिस के हवाले कर दें।"
"तू होश में तो है ना अनिल वालिया ।" - बाहुबली दांतों को पीसते हुये फुंफकारा- "जानता है कि तूने किसकी कनपटी पर रिवॉल्वर लगाई है?" 
"जानता हूं मैं तुझे हरामजादे ।" इन्सपेक्टर अनिल वालिया हरेक शब्द को मानो चबा-चबाकर बोला- "तू अन्डरवर्ल्ड का बादशाह कहा जाता है, गुण्डों का भगवान। मैं तेरे पीछे तीन महीने से पड़ा हुआ था। तेरे खिलाफ संबूत इकट्ठे कर रहा था। बहुत से सबूत इकट्ठे भी कर लिये हैं। मैंने तेरे चारों तरफ अपने मुखबिरों का जाल बिछा दिया था। मुझे मेरे मुखबिरों ने बताया कि अपने बेटे रोनी का बदला लेने के लिये तूने मेरे दोस्त केशव पण्डित को जहर का इंजेक्शन लगा दिया। क्या ये सच है बोल कुत्ते।"
"हां ये सच है। केशव पण्डित ने मुझे चोटिल किया था- मैंने उसे डंस लिया। उस इंजेक्शन की मियाद पांच मिनट की ही थी। वो जान बचाने की गरज से अपनी गाड़ी से भागा था लेकिन पांच मिनट पूरी होते ही वो खुद को सम्भाल नहीं सका। उसकी गाड़ी गहरी खाई में जा गिरी थी। अगर उसके जिस्म के परखच्चे ना भी उड़े होंगे तो जहर ने अपना काम कर दिया होगा।"
"कुत्ते के पिल्ले हराम की औलाद ।" - अनिल वालिया क्रोधातिरेक घर-थर कांपते हुये गुर्राया- “ये पण्डित जी का बड़प्पन ही था कि उन्होंने मुझे दोस्त का दर्जा दिया था। वरना वो मेरे गुरू समान थे। मेरे बड़े भाई थे, मेरे आदर्श थे वो। उस महान इन्सान के जिस्म पर जिम्मेदारी की कोई वर्दी नहीं थी, वो कानून की जंजीरों से लिपटा हुआ नहीं था। फिर भी वो कानून के रखवालों से बढ़-चढ़कर था। उसने कानून का जुआ अपने कन्धों पर रखा हुआ था। वो कानून की गाड़ी को अपने मजबूत कन्धों पर ढो रहा था और गाड़ी में जुर्म का कूड़ा-करकट भरकर समाज को साफ-सुथरा बनाये हुये था। वो कानून का पुजारी और जुर्म का दुश्मन था। वो दूसरे वकीलों की तरह कानून को पेशा बनाये हुये नहीं था। वो कानून और इन्साफ के वास्ते धर्मयुद्ध लड़ रहा था। वो सिर पर कफन लपेटकर, जान हथेली पर रखकर मुजरिमों के खिलाफ अभियान छेड़े हुये था। ना जाने कितने मुजरिमों को कानून के हवाले करके उन्हें सजा दिलाई ना जाने कितनों को अपने ही हाथों से नेस्तनाबूद कर दिया। इन्सानियत का पुजारी था वो, मजलूमों का मददगार था। इस युग का विक्रमादित्य था- हिन्दुस्तान का सखी हातिमताई था। जरूरतमन्दों की हमेशा मदद की और कभी एक पैसे का भी सवाल नहीं किया। इन्सान के भेष में वो फरिश्ता था। अपने लिये तो सभी जीते हैं-लेकिन पण्डित जी हमेशा ही दूसरों के वास्ते जीते रहे। तूने आज मजलूमों से उनका मददगार छीन लिया साले, कानून की लाठी तोड़ डाली। अगर मेरे बदन पर ये वर्दी ना होती तो तेरे बदन को चीरकर सारा गन्दा खून बहा देता-तेरी बोटी-छोटी करके चील-कौव्वों को खिला देता। मैं तुझे गिरफ्तार करके कानून के जरिये फांसी के फन्दे पर लटकवाऊंगा। तेरे बहुत से गुनाहों के सबूत तो मेरे पास हैं। टार्चर रूम में तू पण्डित जी के कत्ल को भी कबूलेगा, इस सूअर को हथकड़ी लगाओ हवलदार ।"
हवलदार ने हथकड़ी निकालकर बाहुबली सिंह को पहना दी। 
"ये ये क्या हो रहा है एस.पी. पाण्डे ?" - बाहुबली आग-बबूला होकर बोला- “तुम्हारी मौजूदगी में मामूली इन्सपेक्टर इतनी बकवास किये जा रहा है और हवलदार ने हथकड़ी लगा दी मुझे। शायद ये बेवकूफ नहीं जानते कि मैं क्या बला हूं। कयामत ही आ जायेगी। मेरे आदमी ऐसा हंगामा मचायेंगे कि चारों तरफ गोलियां ही बरसेंगी बमों के धमाके होंगे- सड़कों पर लाशें ही लाशें बिखरी होंगी। नालियों में इन्सानी खून बहेगा। खैरियत चाहते हो तो मुझे आजाद करा दो। बदले में कोई भी सेवा करने को तैयार हूं मैं यहां आये तमाम पुलिस वालों को इतना दे दूंगा कि जिन्दगी भर कमाने की जरूरत नहीं पड़ेगी ।”
"खामोशऽऽऽ!” - बिल्लौरी आंखों वाला एस.पी. पाण्डे चिल्लाकर बोला- "चुप हो जा बाहुबली के बच्चे। कहीं ऐसा ना हो कि हम तैश में आकर अपने कर्त्तव्य को भूल जायें और तुझे गोलियों से भूनने का हुक्म दे डालें। तूने कानून के बहुत बड़े सिपाही की जान लेकर, माफ ना किया जाने वाला गुनाह किया है। जब भी हम लोगों ने खुद को किसी केस में असक्षम पाया-पण्डित जी की मदद ली और उन्होंने हमारी मदद की। हम लोग अगर बेईमान होते- तो भी पण्डित के कातिल से कोई सौदा नहीं करते। तू कुबेर का खजाना भी हमारे कदमों में डाल दे तो भी तेरी बख्शीश नहीं होगी। तूने पण्डित को मारकर बहुत बड़ी खता की है, जिसका खामियाजा तो तुझे भुगतना ही होगा। तुझे जूते मारते हुये पैदल ही घसीटते हुये पुलिस हैडक्वार्टर तक ले जाया जायेगा। तेरे खिलाफ इतनी बड़ी चार्जशीट तैयार की जायेगी कि तुझे कम से कम फांसी की सजा तो मिलेगी ही। धमकी मत देना हमें, तू या तेरे आदमी कुछ भी नहीं कर पायेंगे, कुछ भी नहीं। पण्डित के कत्ल के बाद पूरा डिपार्टमेंट एक हो गया है। हम वर्दी वाले अन्डरवर्ल्ड पर कयामत बन कर ही टूट पड़ेंगे। मुजरिमों की तरफ से कोई गोली नहीं चलेगी--बम नहीं फूटेंगे। अगर किसी ने तेरी गिरफ्तारी के बाद चूं भी की तो हमारे हथियार आग उगलेंगे और मुजरिमों की लाशों का अम्बार खड़ा कर दिया जायेगा, इन्सपेक्टर वालिया ।"
"यस, सर?"
"बाहुबली को घसीटते हुये और जूतों से मारते हुये लेकर चलो, ऐसा जलूस निकालो इसका कि बाकी लोगों को भी सबक मिले, अगर इसने शराफत के साथ अपने तमाम गुनाह कबूल नहीं किये तो इसे तुम्हारे हवाले कर दिया जायेगा। टार्चर रूम में चाहे जो हाल करना इस कुत्ते का।"
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सोफिया, चांदनी के अलावा बहुत-सी महिलायें पार्क में जमा थीं। सभी घेरा बनाकर बैठी हुई थीं और ताली बजाकर फिल्मी गाना गा रही थीं-
“छम्मा छम्मा बाजे रे मेरी पैजनियां...।”
             मौहल्ले की महिलाओं ने 'महिला मुक्ति मोर्चा' नामक एक ग्रुप बनाया हुआ था जिसके माध्यम से पीड़ित महिलाओं की मदद की जाती थी। महीने में एक बार ग्रुप की सदस्या पिकनिक मनाने के वास्ते कहीं जाया करती थीं।
आज वो मुम्बई से पचास किलोमीटर दूर अम्बा नगर नामक ऐतिहासिक शहर में घूमने आई थीं और घूमने के पश्चात् पार्क में उपस्थित थीं। एक खूबसूरत युवती ठुमके लगा-लगाकर नाच रही थी और बाकी तालियों से उसका उत्साहवर्धन कर रही थीं।
अचानक ही रंग में भंग पड़ गया।
एक दर्जन मवाली किस्म के युवक वहां चले आये। उनमें से दो के पास खुले चाकू, दो के पास मोटर साइकिल की चैन और तीन के पास हॉकियां थीं।
डांस करने वाली युवती ने घबराकर चीख मारी और सोफिया की पीठ पीछे आकर बैठ गई।
मारे खौफ के उसका चेहरा सफेद फक्क पड़ गया तथा जिस्म घर-थर कपि जा रहा था।
बाकी महिलायें भी घबरा गई।
            लेकिन सोफिया के खूबसूरत चेहरे पर खौफ की बजाय गुस्से के भाव उभरे। वो झटके के साथ खड़ी होकर बोली- "यहां क्यों आये हो तुम लोग ? क्या जानते नहीं हो कि ये महिला पार्क है, यहां पर मर्दों का प्रवेश वर्जित है? फूटो यहां से वरना पुलिस को बुलाकर तुम्हें बन्द करा दूंगी।"
"ऐ झांसी की रानी, जुबान को लगाम देने का क्या? तभी वहां एक काला कलूटा, गंजा तथा बिल्लौरी आंखों वाला आ पहुंचा तथा कूल्हों पर हाथ रखे हुये बोला- “अपुन केशव दादा है केशव दादा। अक्खा एरिया में अपुन का इच राज चलता है क्या? इदर के कानून अपुन पे लागू नेई होता है। अपुन बादशाह होता है इदर का। अपुन को तुम्हारे से कोई दुश्मनी नेई है, हांलाकि अपुन शराब और शबाब का रसिया है। रोजाना इच अपुन को एक दिन में और एक रात में पट्ठी चाहिये, लेकिन अब्बी तो अपुन अपनी जाने-जिगर मधु को लेने को आयेला है। चेले से मालूम पड़ेला कि मधु इदर आयेली है-सो अपुन चला आया।"
"न- नहीं दीदी मुझे इस शैतान से बचा लो।" - सोफिया की पीठ से चिपकी युवती आतंकित भाव से बोली-"ये वो ही बदमाश है। इमने मेरी सहेली वीणा की इज्जत लूटी थी। मैंने पुलिस में इसके खिलाफ रिपोर्ट की थी और अदालत में गवाही भी दी थी। इसे सात साल की सजा हो गई थी।"
"हां अपुन को सात की लगी थी।” - केशव दादा जख्मी नाग की मानिन्द फुंफकारा- "क्योंकि तूने अपुन के खिलाफ कोरट में गवाही दिला था कुतिया । सात सालों तक जेल में सड़ेला अपुन- जवानी के सात साल उदर खर्च हो गयेले कुतिया । जेल से लौटने पर अपुन बदला लेने को तेरे घर गयेला था । पन तू नेई मिली-तेरे घरवाले बी नेई मिले। तुम लोग अपुन के आने से पहले इच घर को ताला मारके फरार हो गयेले थे। पन आज तू अपुन के हत्थे चढ़ीच गयेली। अपुन को बलात्कार के इल्जाम में जेल भिजवाया तूने हरामजादी । अपुन के माथे पर मुजरिम होने का ठप्पा लगाया । अपुन केशव शर्मा से केशव दादा बन गयेला। अपुन की शादी अमीर घराने की लौंडिया से होने वाली थी, पन वो हाथ से निकल गई। अपुन तेरे से बदला लेगा क्या? अपने अड्डे पर ले जाके तेरी इज्जत की बोटी-बोटी कर डालेगा। अपुन के ये चेले बी तेरे साथ मुंह काला करेंगे ।” 
“दी दीदी।” - मधु आतंकित भाव से बोली- “मु मुझे बचा लो दीदी-ये शैतान मेरी जिन्दगी खराब कर देगा।"
"डोन्ट वरी मधु ।” सोफिया मधु के कन्धे पर हाथ रखकर बोली- “मेरे होते ये शैतान तुम्हें छू भी नहीं पायेगा।"
          केशव दादा ने वहशी किस्म का ठहाका लगाया तथा फिर व्यंग्य भरे लहजे में बोला- “देखने का इस शेरनी को-ये अपुन से टक्कर लेगी। अपन से अपुन की दुश्मन को बचायेगी। आगे बढ़ने का मधु को उठा लेने का क्या? कोई गड़बड़ी नेई करने कू सकती-करे तो उसकू बी उठा लेने का। अक्खा औरतें बला की खूबसूरत हैं भीडू। पंगा लेने वाली के साथ बी अपुन सुहागरात मना डालेगा क्या?"
तब सोफिया ने पर्स में से पिस्तौल निकालकर हवा में फायर कर दिया तथा गुर्राकर बोली - "खबरदार, कोई भी आगे नहीं बढ़े- वरना उसे गोली मार दूंगी मैं।”
केशव दादा के चेले पीछे हटते चले गये। केशव दादा भी सोफिया के हाथ में पिस्तौल देखकर चौंका तथा विचलित हो चला। सोफिया ने केशव दादा पर पिस्तौल तान दी तथा उसकी आंखों में झकते हुये बोली-"तू मुझे नहीं जानता है केशव दादा- मैं कोई मामूली औरत नहीं हूं। मैं ना सिर्फ मार्शल आर्ट जानती हूं, बल्कि मुझे हर तरह का हथियार भी चलाना आता है। मेरे निशाने पर शक नहीं करना तू। अगर तू फौरन ही यहां से चला ना गया तो पहली गोली तेरा ही खात्मा करेगी।"
केशव दादा ने कसमसा कर सोफिया को पूरा तथा फिर वो मधु से मुखातिब होकर बोला- "ज्यास्ती टैम तक तू नहीं बच सकती कुतिया । अपुन को मालूम पड़ गयेला कि तू मुम्बई में इच रहती है। अपुन तेरा पता निकाल लेगा और बदला लेगा। चलो भीडू अब्बी तो चलने का है। बाद में हिसाब बरोबर कर डालेगा क्या।"
केशव दादा अपने चेलों के साथ चला गया।
"ओह, दीदी"" - मधु सोफिया की कोहली भरकर रोते हुये बोली- "आज आप ना होतीं तो मेरा ना जाने क्या हाल होता। लेकिन वो शैतान जान गया कि में मुम्बई में रहती हूं। वो मेरा पता निकाल लेगा और...।
"डोन्ट वरी कुछ भी नहीं होगा। मुम्बई पहुंचकर मैं केशव को बोलूंगी-वो इस केशव दादा का इलाज कर देंगे। ये दादा मुम्बई का रुख भी नहीं कर पायेगा। हमें चलना चाहिये। उस बदमाश का कोई भरोसा नहीं वो दाव लगाकर दोबारा हमला ना कर दे कहीं।" 
तभी मोबाइल फोन सिग्नल देने लगा।
सोफिया ने फोन ऑन करके कान से लगाया तथा बोली- "हैलो कौन?" 
“सोफिया दीदी मैं राजन ।"
"हां, बोलो राजन।" वह घबराकर बोली--"क्या बात है भइया, तुम रो रहे हो ना?"
"आप तुरन्त ही घर चली आइये।"
"हां मैं आती हूं लेकिन बात क्या है?"
"मैं मैं फोन पर कुछ नहीं बतला सकता हूं दीदी-हम पर बहुत बड़ी मुसीबत टूट पड़ी है हम बर्बाद हो गये हैं। आप चली आइये ।"
.......................
घण्टों की प्रतीक्षा के पश्चात् केशव की आत्मा की बारी आई-वो चित्रगुप्त जी के समक्ष प्रस्तुत हुआ ।
चित्रगुप्त जी ने दायें हाथ से पलकों के बाल हटाकर केशव को देखा फिर बहीखाते के पन्ने पर दृष्टिपात करके बड़ के पेड़ की तरफ देखा ।
लेकिन ये क्या-पत्ता टूटकर नीचे नहीं गिरा। चित्रगुप्त जी के माथे पर सिलवटें उभरने लगीं।
केशव की आत्मा को लाने वाला यमदूत तो बुरी तरह विचलित होने लगा तथा थूक-सा सटकते हुये पेशानी पर उभर आये पसीने को पौंछने लगा ।
चित्रगुप्त जी खाते के पन्ने पर दर्ज विवरण को गौर से पढ़ने लगे, उनके चेहरे पर विभिन्न भावों का आवागमन जारी था। तभी कर्मभेदी धमाका हुआ था आंखों को चौंधिया देने वाली रोशनी उत्पन्न हो गयी।
बड़ का पेड़ बुरी तरह हिलने लगा और उसके हिलते पत्तों से भयानक किस्म की आवाजें उत्पन्न होने लगीं।
"घोर अनर्थ ।" चित्रगुप्त झटके के साथ उठ खड़े हुये तथा क्रोधातिरेक से थर-थर कांपते हुये केशव की आत्मा से बोले- “क्या तुम अम्बा नगर के रामनाथ शर्मा के बेटे केशव शर्मा नहीं हो?"
"नहीं, मेरा नाम तो केशव पण्डित है और मैं मुम्बई में रहता हूँ।"
" क्रमांक एक सौ चौबीस ।"
"भगवन ।"- केशव की आत्मा को लाने वाला यमदूत हाथ जोड़े हुये सामने आ गया - उसका चेहरा ग्लानि के रंग से रंगा हुआ था। 
“तुमसे इतनी बड़ी त्रुटि कैसे हो गई एक सौ चौबीस? तुम्हें अम्बा नगर से रामनाथ शर्मा के बेटे केशव शर्मा की आत्मा को लाने को कहा गया था। तुम गलत आदमी की आत्मा क्यों पकड़ लाये?"
“क्षमा करें भगवन ... ।”-  यमदूत हाथ जोड़े हुये गिड़गिड़ाया - "इस मनुष्य का नाम भी केशव है और अम्बा नगर में ही कुछ प्राणियों ने इसके शरीर में विष प्रविष्ट कर दिया था। ये अपने वाहन के साथ गहरी खाई में जा गिरा था। मैं समझा कि इसकी आत्मा को ही लाना है। भारी भूल हुई मुझसे। मनुष्य की आत्मा लाने का मेरा प्रथम अवसर ही था।” 
"तो क्या मेरी मृत्यु का समय नहीं आया था महाराज?" केशव चौंकते हुये बोला- “क्या मेरे स्थान पर किसी दूसरे केशव को मरना था?" 
"हां, वत्स यही सत्य है ।" - चित्रगुप्त जी दुःख व ग्लानि के साथ बोले - "अम्बा नगर के केशव शर्मा की मृत्यु होनी थी परन्तु ये मूर्ख तुम्हारी आत्मा को ले आया।"
               केशव क्रोध से भरा हुआ बोला- “ये तो इन्साफ वाली बात ना हुई महाराज! आपके लोक का कोई सिस्टम है कि नहीं? अपनी मर्जी से किसी को भी मार दिया और उसकी आत्मा को पकड़ लाये। क्या जीवन और मृत्यु को खेल समझ लिया है? मेरी बाकी की जिन्दगी का क्या होगा ? मेरी मौत पर मेरी बीवी और बेटे का बुरा हाल हो गया होगा-मेरे चाहने वाले परेशान हो गये होंगे। हांलाकि मुझे मरना तो था ही लेकिन समय से पहले क्यों? क्या यहां पर कोई अदालत या न्यायालय नहीं है?"
"धर्मराज जी का न्यायालय है-परन्तु "
“मुझे उनका पता बतलाइये मैं अभी उनके पास जाकर आप लोगों की शिकायत करूंगा और इन्साफ की मांग करूंगा। मेरे साथ नाइन्साफी हुई है-घोर अनर्थ हुआ है।"
" शान्त वत्स...शान्त" - चित्रगुप्त जी दायें हाथ को आशीर्वाद की मुद्रा में उठाकर बोले- "हम जानते हैं कि हमारे यमदूत से त्रुटि हो गई- परन्तु इस त्रुटि को सुधारा जायेगा। हमारा ये यमदूत तुम्हारी आत्मा को पृथ्वीलोक पर ले जाकर तुम्हारे शरीर में समाहित कर देगा तथा केशव शर्मा की आत्मा को ले आयेगा।"
"तो अपने यमदूत को बोलिये कि ये जल्दी करे। मेरे परिवार का बुरा हाल हो रहा होगा। वो सभी रो-रोकर पागल हो रहे होंगे,  इस बात का डर है कि मेरी मौत के सदमे को मेरी बीवी बदति ना कर पाये और वो बेचारी दम ना तोड़ दे उसकी मौत हो गई तो मेरे जीवित होने का कोई फायदा ना होगा ।"
"एक सौ चौबीस।"
"आज्ञा भगवन |"
"इस आत्मा को तुरन्त ही पृथ्वीलोक पर ले जाओ और इसके शरीर में प्रविष्ट कराने पर केशव शर्मा की आत्मा को ले आओ।"
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दस-बारह साल के लड़के चवन्नी ने जली हुई गाड़ी और गाड़ी के करीब पड़ी लाश को देखा देखकर शोर मचा दिया। वो करीबी गांव से अपने बूढ़े पिता के साथ जड़ी-बूटी ढूंढने आया था .उसका बाप वैद्य था।
वैद्य और भेड़-बकरियों को चराने के लिये आये कुछ युवक वहां दौड़े चले आये। पैट्रोल की आग की मानिन्द ही ये खबर गांव तक पहुंची तो गांव से भी बहुत-से लोग वहां चले आये-जिनमें गांव का मुखिया भी था।
            वहीं पर मीटिंग जुड़ गई-ये सवाल उठने लगा कि क्या किया जाये? 
"ये कोई हादसा नहीं ...।" बूढ़ा वैद्य बोला- “लाश का चेहरा जला हुआ नहीं है। लाश का चेहरा नीला पड़ा हुआ है यानि इसे जहर देकर मारा गया है। ये कत्ल का मामला है। हम लोगों को पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिये।"
"नहीं वैद्य जी, नहीं"।" मुखिया उठकर बोला- “हम पुलिस को खबर नहीं देंगे। हमारा गांव बागियों का गांव माना जाता है। हमारे गांव के बहुत से लोगों ने सेठों के जुल्मो-सितम से तंग होकर हथियार उठा लिये और खादर में जाकर डाकू बन गये थे। हांलाकि आज की तारीख में हमारे गांव का कोई आदमी डाकू नहीं है, लेकिन गांव बदनाम तो हो ही चुका है ना। पिछली बार नदी पर एक लाश पाई गई थी ना जाने वो कत्ल किसने किया था लेकिन पुलिस का कहर पूरे गांव पर टूटा था। सभी जवानों को उठा लिया गया था। कुछ को झूठे इल्जाम में जेल भेजा गया और बाकियों की हड्डी पसलियां तोड़ी गई उन्हें अपाहिज बना दिया गया था। इस कत्ल की पुलिस को भनक भी लग गई तो ना जाने क्या कहर बरपा करेगी। इस बार मुठभेड़ में बहुत से लोगों को मार दिया जायेगा। नहीं, इस कत्ल की खबर पुलिस को नहीं दी जायेगी।"
"तो फिर क्या किया जाये मुखिया जी ?"
"फौरन से पेश्तर इसका अन्तिम संस्कार कर डालो, सामग्री, घी या पण्डित की जरूरत नहीं है। आसपास से सूखी लकड़ियां इकट्ठी करो और लाश को जला दी। जली हुई गाड़ी को मिट्टी में दबा दो, जल्दी करो।"
.................
यमदूत नम्बर एक सौ चौबीस के साथ केशव की आत्मा धरती पर उतरी-उसी जगह पर, जहां पर जली हुई गाड़ी थी और उसकी आत्मा, जिस्म से बाहर निकली थी।
"क्या ये वो ही जगह है यमदूत भाई ?" केशव चारों तरफ नजरें है दौड़ाने पर बोला- "यहां तो मेरी गाड़ी भी नहीं है-ना ही मेरी डैडी बॉडी .....मेरा शव ही है।”
यमदूत को पसीने छूट रहे थे तथा चेहरे पर हवाईयां उड़ रही थीं-उसने थूक-सा सटका तथा केशव से नजरें चुराकर बोला- "अनर्थ हो गया मनुष्य घोर अनर्थ हो गया वत्स । ये तो तुम्हारा ही शव है। इन ग्रामीणों ने तुम्हारे शव का अन्तिम संस्कार कर डाला है।" 
"ये....ये तो गजब ही हो जायेगा यमदूत जी ।” - केशव घबराकर बोला- “अगर मेरी लाश जल गई तो मेरा क्या होगा? बिना जिस्म के भला मैं क्या करूंगा? कोई भी मुझे देख नहीं पायेगा, सुन नहीं पायेगा-मुझे स्पर्श भी ना कर पायेगा। इस आत्मा को क्या शहद लगाकर चाटूंगा में? जल्दी से मेरी लाश को चिता से बाहर निकालिये ना।"
"अब कुछ नहीं हो सकता मनुष्य-तुम्हारे शव की अस्थियां भी राख में परिवर्तित हो चुकी हैं।" 
"तो मेरा क्या होगा? मरवा दिया ना मुझे आपने। मैं आप पर मुकदमा करूंगा, आपको धर्मराज जी की अदालत में ले जाऊंगा। मैं चुप बैठने वाला नहीं हूं मिस्टर यमदूत। मुझे मेरा जिस्म ना मिला तो मैं परलोक की ईंट से ईंट बजा डालूंगा। अगर धर्मराज जी ने भी मुझे इन्साफ नहीं दिया तो मैं भगवान की अदालत का दरवाजा खटखटाऊंगा। मुझे कोई मामूली आदमी मत समझना आप। मैं वकील हूं और लेखक भी। मैं चुप बैठने वाला नहीं हूं। आपका तो ऐसा फजीता करूंगा कि...." 
“मेरी दुर्गति तो वैसे भी होनी है वत्स ।" यमदूत रूजांआ-सा होकर बोला- “मुझसे अपराध हुआ है। ईश्वर के न्यायालय में ना जाने क्या दण्ड मिलेगा। अब मैं तुम्हारी आत्मा को धर्मराज जी के समक्ष ले जाऊंगा। वो ही तुम्हारे बारे में निर्णय करेंगे।"
“ठहरो, रुको।” केशव इन्सपैक्टर अनिल वालिया के साथ सोफिया, राजन शुक्ला, करतार सिंह, चांदनी और आशीर्वाद को देखकर बोला- "मेरे परिवार के लोग आ रहे हैं। मुझे उनसे बात करनी है। बतलाना है कि आपकी वजह से मेरा क्या सत्यानाश हो गया है।"
"परन्तु वो तुम्हें देख नहीं पायेंगे सुन नहीं पायेंगे।"
केशव यमदूत को अनसुना करके लपक लिया।
सोफिया, आशीर्वाद, राजन, चांदनी व करतार सिंह की सूजी हुई आंखों में आंसू भरे हुये थे।
       उनके चेहरों पर शोक व गम के भाव थे। अनिल वालिया तथा चार कांस्टेबिलों को देखकर ग्रामीण घबरा गये। अनिल वालिया ने इधर-उधर देखा तथा फिर ऊपर पहाड़ी पर नजर आ रही सड़क की तरफ देखते हुये बोला- “बाहुबली के अनुसार तो यही जगह होनी चाहिये राजन भाई-ऊपर मन्दिर दिखलाई पड़ रहा है। वो बोल रहा था कि मन्दिर के आगे ही पण्डित जी की गाड़ी खाई में लुढ़की थी ।"
"अंकल वो देखिये ।" आशीर्वाद झाड़ियों की तरफ उंगली उठाकर चिल्लाया- “उधर गाड़ी की नम्बर प्लेट पड़ी है।" ।
फिर दौड़कर उसने प्लेट उठा ली और उसे सीने से लगाकर बोला- "ये तो डैडी की गाड़ी की ही है-यानि डैडी की गाड़ी यहीं पर गिरी होगी- लेकिन गाड़ी नजर तो नहीं आ रही है।" 
"उधर है गाड़ी।" -केशव चिल्लाया- "खड्डे में गाड़ी को दाबकर ऊपर से मिट्टी डाल दी गई है।"
लेकिन किसी ने सुना नहीं उसे वो परेशान हो चला तथा राजन के सामने पहुंचकर बोला- “तुम बहरे तो नहीं हो गये हो राजन, मेरी तरफ क्यों नहीं देख रहे हो राजन ओ राजन ।” केशव ने राजन के कन्धों पर हाथ रखे-लेकिन हाथ टिक नहीं पाये, मानो राजन कोई मानव ना होकर हवा हो गया हो।
“सोफी ऐ सोफी ।” केशव ने सोफिया को बांहों में भर लेना चाहा, लेकिन दोनों हाथ हवा में ही लहराकर रह गये। वो बेबस भाव से बोला- “मुझे देखो ना सोफी-क्या तुम बहरी हो गई हो ? मैं तुम्हारे सामने खड़ा होकर बोले जा रहा हूं और तुम हो कि रोते हुये इधर-उधर देखे जा रही हो। आशीर्वाद मेरे बेटे इधर आओ। अपनी मम्मी को बोलो कि ये मुझे देखें मुझे सुनें, आशीर्वाद आशीर्वाद। हे भगवान ये क्या हो गया इन लोगों को करतार सिंह क्या तुम भी मुझे नहीं देख पा रहे हो क्या तुम्हें भी मेरी आवाज नहीं सुनाई पड़ रही है? "
“ये लोग तुम्हें नहीं देख पायेंगे मनुष्य ।” यमदूत हवा में उड़कर उसके करीब आ पहुंचा तथा कन्धे पर हाथ रखकर बोला- “न ही इन्हें तुम्हारा स्वर ही सुनाई देगा। तुम निरर्थक प्रयास कर रहे हो वत्स । हमें यमलोक में चलना चाहिये।"
“नहीं मैं अभी नहीं जाऊंगा मिस्टर यमदूत । देख नहीं रहे हो कि मेरी बीवी और बेटे का क्या हाल हो रहा है। इनके चेहरे उतर गये हैं। मानो एक ही झटके में इनका सब कुछ लूट लिया गया हो। जीते-जी मैं कभी मौत से भी नहीं घबराया हूं। हरेक हालात का डटकर सामना किया मैंने लेकिन आज मैं इतना बेबस हो गया हूं कि अपने परिवार वालों से चन्द बातें भी नहीं कर पा रहा हूं-जबकि ये लोग मेरे सामने ही तो खड़े हैं। इन्हें मालूम ही नहीं है कि मैं यहां पर हूं। ये सब आपकी वजह से हुआ। आपने मेरी हालत पिंजरे में बन्द परकटे पंछी से भी बदतर कर डाली है। अगर मेरे बस में होता तो आपके साथ ना जाने क्या कर डालता।" 
यमदूत परे देखने लगा ।
"कौन लोग हो तुम?" इन्सपैक्टर अनिल वालिया ग्रामीणों से रौब भरे लहजे में बोला- “यहां क्या कर रहे हो? कौन-से गांव के हो तुम?" 
"हम लोग माधोपुर के हैं साहब।"-
"ओह दस्युओं के गांव के हो। क्या कर रहे थे यहां पर ? यहां तो शायद किसी की चिंता जल रही है। किसकी चिता है ये? जवाब दो वरना तुम सबको गिरफ्तार करके थाने ले जाऊंगा।”
"हमारे गांव का बूढ़ा मर गया था साहब।” - गांव का मुखिया हाथ जोड़े हुये बोला- “उसका ही अन्तिम संस्कार किया है।”
"ये झूठ बोल रहा है सर।" एक झटके से मोटे पेट वाला कांस्टेबिल बोला- “माधोपुर गांव का श्मशान तो नदी के किनारे पर है-गांव का कोई आदमी मरता तो उसका अन्तिम संस्कार श्मशान पर किया जाता। मुझे तो गड़बड़ी मालूम होती है।"
       अनिल वालिया ने हौलेस्टर से रिवॉल्वर निकाल लिया तथा मुखिया व बाकी ग्रामीणों पर आंखों से कहर बरसाते हुये गुर्राया - "अगर तुम लोगों ने बात को छिपाने की जुर्रत की तो तुम लोगों पर कयामत ही टूट पड़ेगी। एक गैंगस्टर ने मुम्बई के नामी वकील केशव पण्डित जी को जहर का इंजेक्शन लगा दिया था, सो उनकी गाड़ी ऊपर सड़क से इसी खाई में गिरी थी। उनकी गाड़ी की नम्बर प्लेट भी मिली है। कहां है वो गाड़ी ?
जल्द बोलो जवाब दो ।"
“वो उधर ।" एक बूढ़ा घबराकर बोला- “हम लोगों ने वहां गाड़ी को खड्डे में डालकर मिट्टी डाल दी है।"
"और पण्डित जी ?"
“काली पेन्ट, काले कोट वाले?"
“हां, वो ही।"
“वो तो मर चुके थे। उनका जिस्म जहर से नीला पड़ गया था।" 
"ये...ये चिता उन्हीं की तो जल रही है।"
"न नहीं केशव ।" सोफिया चिल्लाई तथा चिता की तरफ झपटी-लेकिन राजन व करतार सिंह ने उसे पकड़ लिया।
“छोड़ो... छोड़ो मुझे...।"- सोफिया छूटने की भरसक चेष्टा करते हुये विक्षिप्त भाव से चिल्लाई- “मेरा केशव उस चिता में जल रहा है। भी अपने साजन के साथ जलूंगी-हमने साथ जीने साथ मरने की कसमें खाई थीं। केशव के बिना जीकर भला क्या करूंगी मैं केशव, मेरे केशव। यूं वादा तोड़कर तुम अकेले क्यों चले गये हो मेरे प्यारे? दुनिया से जाने की इतनी ही जल्दी थी तो मुझे भी साथ ले लेते ना । जाने से पहले इतना तो सोचा होता कि तुम्हारे बिना मेरा क्या होगा? नहीं मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी केशव। हम साथ जीये और साथ मरेंगे।"
"डैडैडी ओह डैडी ।”
आशीर्वाद चिता के करीब पहुंचकर जमीन पर बैठ गया तथा बिलख-बिलख कर रोने लगा।

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