उपन्यास साहित्य में कुछ पात्र ऐसे होते हैं जो पाठकवर्ग में अपनी विशेष पहचान छोड़ जाते हैं। वह पात्र चाहे जैसा भी हो, अच्छा या बुरा लेकिन उसका व्यवहार, चरित्र ऐसा होता है जो पाठक को प्रभावित कर लेता है।
श्री आलोक खालौरी जी का तृतीय उपन्यास है 'तरकीब'। इसी उपन्यास का खल पात्र है रणविजय। रणविजय विपक्षी पार्टी का नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रह चुका है। लेकिन उसका चरित्र ऐसा है जो एक अलग पहचान स्थापित करता है और वह उपन्यास का मुख्य खल पात्र है।
यहाँ हम 'तरकीब' उपन्यास के खल पात्र रणविजय के चरित्र को समझने का प्रयास करते हैं।
1. शारीरिक चित्रण- रणविजय शारीरिक रूप से मजबूत और आकर्षक व्यक्तित्व है। इस आकर्षण के बल पर सामने वाले को प्रभावित भी करता है।
उसका वर्णन देखें।
रणविजय कोई पचपन साल का औसत क़दकाठी का आदमी था। सिर पर घने काले बाल थे, जो वक़्त के साथ सफेद हो चले थे। गोरा रंग, सुंदर नैननक़्श, आँखों पर सुनहरी फ्रेम का नज़र का चश्मा लगाए, वह बहुत ही संभ्रांत और पढ़ा लिखा नज़र आता था, जबकि पढ़ाई-लिखाई के नाम पर वह दसवीं फेल था, और सभ्रांत दिखने का, उसके इस ऊँचाई तक पहुँचने में बहुत बड़ा रोल था। (उपन्यास अंश)
2. फर्श से अर्श तक का सफर- रणविजय ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष देखा है, लेकिन उसने कभी हार स्वीकार नहीं की। छल- बल से उसने अपने आपको स्थापित किया है। यही कारण है की एक दसवीं फेल आटो ड्राइवर से वह केन्द्र सरकार में मंत्री पद तक पहुँच गया।
श्री आलोक खालौरी जी का तृतीय उपन्यास है 'तरकीब'। इसी उपन्यास का खल पात्र है रणविजय। रणविजय विपक्षी पार्टी का नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रह चुका है। लेकिन उसका चरित्र ऐसा है जो एक अलग पहचान स्थापित करता है और वह उपन्यास का मुख्य खल पात्र है।
यहाँ हम 'तरकीब' उपन्यास के खल पात्र रणविजय के चरित्र को समझने का प्रयास करते हैं।
चित्र गूगल से |
1. शारीरिक चित्रण- रणविजय शारीरिक रूप से मजबूत और आकर्षक व्यक्तित्व है। इस आकर्षण के बल पर सामने वाले को प्रभावित भी करता है।
उसका वर्णन देखें।
रणविजय कोई पचपन साल का औसत क़दकाठी का आदमी था। सिर पर घने काले बाल थे, जो वक़्त के साथ सफेद हो चले थे। गोरा रंग, सुंदर नैननक़्श, आँखों पर सुनहरी फ्रेम का नज़र का चश्मा लगाए, वह बहुत ही संभ्रांत और पढ़ा लिखा नज़र आता था, जबकि पढ़ाई-लिखाई के नाम पर वह दसवीं फेल था, और सभ्रांत दिखने का, उसके इस ऊँचाई तक पहुँचने में बहुत बड़ा रोल था। (उपन्यास अंश)
2. फर्श से अर्श तक का सफर- रणविजय ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष देखा है, लेकिन उसने कभी हार स्वीकार नहीं की। छल- बल से उसने अपने आपको स्थापित किया है। यही कारण है की एक दसवीं फेल आटो ड्राइवर से वह केन्द्र सरकार में मंत्री पद तक पहुँच गया।
3. नशे का व्यापार- रणविजय पूर्व केन्द्रीय मंत्री है। लेकिन वह सत्ता प्राप्ति और धन के आकर्षण के लिए विविध गलत कार्य करता है। जिसमें से एक ड्रग्स का धंधा है। हालांकि वह इतना चालाक है की इस धंधे को अपने एक सहयोगी के माध्यम से चलाता है।
4. आतंकवादियों से संपर्क- रणविजय के आतंकवादियों से भी संबंध हैं। वह आतंकवादियों से मिलने विदेश भी जाता है।
5. सत्ता का भूखा- रणविजय जैसे-तैसे सत्ता को पाना चाहता है। उसे अपनी पार्टी के नेताओं के विचार अच्छे नहीं लगते। वह चाहता है विपक्षी हर स्थिति में सत्ता पक्ष का विरोध करे। जब रणविजय की बात नहीं सुनी जाती तो वह अपनी पार्टी के विरुद्ध होकर सत्ता पक्ष से जा मिलता है।
6. स्त्रियों के प्रति विचार- रणविजय के औरतों के प्रति विचार बहुत ही निकृष्ट है। उसकी दृष्टि में औरत मात्र भोग्य वस्तु है। वहीं वह मानसिक विकृत भी नजर आता है। रणविजय को औरतों को मानसिक रूप से टाॅर्चर करने में आनंद आता है।
जैसे वह आहना के साथ दुर्व्यवहार करता है। उसे औरतों को गालियां देने में आत्मसंतुष्टि प्राप्त होती है।
इसका कारण शायद उसकी माँ का भ्रष्ट चरित्र और प्रेमिका की बेवफाई है।
7. शक पर विश्वास करने वाला -रणविजय के चरित्र की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है और वह विशेषता है शक पर विश्वास करने की। उसे अगर किसी बात पर जरा सा भी शक हो जाता है तो वह उस पर तुरंत विश्वास कर लेता है। यह उसका डर नहीं बल्कि अतिरिक्त सावधानी है।
8. अतिसतर्क व्यक्ति - रणविजय बहुत ही सतर्क व्यक्ति है। वह हर किसी पर विश्वास नहीं करता। उसके सारे घर में कैमरे लगे हैं। रणविजय की सतर्कता का एक उदाहरण देखें-
4. आतंकवादियों से संपर्क- रणविजय के आतंकवादियों से भी संबंध हैं। वह आतंकवादियों से मिलने विदेश भी जाता है।
5. सत्ता का भूखा- रणविजय जैसे-तैसे सत्ता को पाना चाहता है। उसे अपनी पार्टी के नेताओं के विचार अच्छे नहीं लगते। वह चाहता है विपक्षी हर स्थिति में सत्ता पक्ष का विरोध करे। जब रणविजय की बात नहीं सुनी जाती तो वह अपनी पार्टी के विरुद्ध होकर सत्ता पक्ष से जा मिलता है।
6. स्त्रियों के प्रति विचार- रणविजय के औरतों के प्रति विचार बहुत ही निकृष्ट है। उसकी दृष्टि में औरत मात्र भोग्य वस्तु है। वहीं वह मानसिक विकृत भी नजर आता है। रणविजय को औरतों को मानसिक रूप से टाॅर्चर करने में आनंद आता है।
जैसे वह आहना के साथ दुर्व्यवहार करता है। उसे औरतों को गालियां देने में आत्मसंतुष्टि प्राप्त होती है।
इसका कारण शायद उसकी माँ का भ्रष्ट चरित्र और प्रेमिका की बेवफाई है।
7. शक पर विश्वास करने वाला -रणविजय के चरित्र की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है और वह विशेषता है शक पर विश्वास करने की। उसे अगर किसी बात पर जरा सा भी शक हो जाता है तो वह उस पर तुरंत विश्वास कर लेता है। यह उसका डर नहीं बल्कि अतिरिक्त सावधानी है।
8. अतिसतर्क व्यक्ति - रणविजय बहुत ही सतर्क व्यक्ति है। वह हर किसी पर विश्वास नहीं करता। उसके सारे घर में कैमरे लगे हैं। रणविजय की सतर्कता का एक उदाहरण देखें-
मैं युद्ध में हार की प्रतीक्षा नहीं करता। युद्धभूमि से किसी सुरक्षित जगह भाग जाता हूँ। अगर जीत निन्यानवे प्रतिशत पक्की हो, और हार केवल एक प्रतिशत हो, तो भी मैं सुरक्षित स्थान पर भाग जाने में यक़ीन रखता हूँ। साला एक पर्सेंट का भी रिस्क क्या लेना ?
9. धोखेबाज व्यक्तित्व - रणविजय एक धोखेबाज व्यक्ति है। वह धन प्राप्ति के लिए किसी भी स्तर तक जा सकता है। वह धनाढ्य विधवा महिलाओं का अपना शिकार बनाता है। वहीं वह अपने दोस्त को हत्या करने से भी नहीं चूकता।
वह धोखबाजी से अपने साथियों की हत्या कर उनकी प्रोपर्टी पर अधिकार जमा लेता है।
वह धोखबाजी से अपने साथियों की हत्या कर उनकी प्रोपर्टी पर अधिकार जमा लेता है।
10. दबंग व्यक्तित्व- रणविजय के चरित्र की महत्वपूर्ण विशेषता है उसका दबंग व्यक्तित्व। वह दसवीं फेल होने पर भी अपने व्यक्तित्व केदम पर राजनीति और गुण्डागर्दी में विशेष पहचान बनाने में सफल हुआ है।
वह किसी को धमकाने में पीछे नहीं रहता-
“साले ठुल्लों भूला मत करो कि सामने रणविजय है।”
अन्य महत्वपूर्ण लिंक
उपन्यास समीक्षा- तरकीब- आलोक सिंह खालौरी
उपन्यास समीक्षा- तरकीब- आलोक सिंह खालौरी
यह नया प्रयास कैसा लगा, कमेंट में अवश्य बतायें।
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंचरित्र के हिसाब से इसका नाम रणछोड़ होना चाहिए था
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