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मंगलवार, 18 जून 2024

कानून का पाण्डव, करेगा ताण्डव- केशव पण्डित, उपन्यास अंश

 साहित्य देश के लोकप्रिय स्तम्भ 'उपन्यास अंश' में इस बार पढें चर्चित उपन्यासकार केशव पण्डित का दहकते शोले सा उपन्यास 'कानून का पाण्डव करेगा ताण्डव' का एक रोचक अंश ।
"मुझे सबसे बड़ा अफसोस तो मिस्टर केशव पण्डित पर हो रहा है योर ऑनर ! मिस्टर पण्डित ने अपनी जिन्दगी में मुजरिमों के खिलाफ केस लड़े तो उन्हें मुजरिम साबित करके सजा दिलवाई। किसी निर्दोष की पैरवी की तो उसे निर्दोष साबित करके बा-इज्जत बरी कराया। यानि इन्होंने हमेशा कानून की मदद की। इन्साफ के इस मन्दिर में मुजरिमों को सजा और मजलूमों को इन्साफ ही दिलवाया। कभी भी किसी मुजरिम को बचाने और मजलूम या निर्दोष को फंसाने की चेष्टा नहीं की। इन्हें जब पूरा विश्वास हो गया कि इनका मुवक्किल सच्चा और निर्दोष है, तभी उसे अपना मुवक्किल बनाया और मुजरिम को सजा दिलवाकर उसे इन्साफ दिलवाया। लेकिन...।"
          अधेड़ व अधगंजे सरकारी वकील कालीचरण वर्मा ने अपनी वाणी को अल्प-विराम दिया, फिर कठघरे में मुल्जिम के रूप में खड़े दढ़ियल युवक को घृणा भरी नजरों से देखा, फिर न्याय की कुर्सी पर विराजमान जज महोदय से सम्बोधित होकर बोला "... लेकिन इस बार मिस्टर पण्डित कैसे गच्चा खा गये... मेरी समझ से परे की बात है। मैं ये इल्जाम भी नहीं लगा सकता कि मिस्टर पण्डित ने जानबूझकर एक मुजरिम को बचाने के लिये ये केस अपने हाथ में लिया। क्योंकि मुजरिम मजनूं एक टैक्सी ड्राइवर है, जो कि स्वयं को बचाने के लिये बहुत मोटी रकम खर्च नहीं कर सकता। मिस्टर पण्डित लाख-दो लाख रुपयों के लिये तो अपना ईमान नहीं बेचेंगे... अपने जमीर का गला नहीं घोटेंगे। मुजरिम कोई बड़ी हस्ती होता तो सोचा भी जा सकता था कि मिस्टर पण्डित ने मोटी रकम के लालच में एक मुजरिम को निर्दोष साबित करने को ये केस ले लिया। वैसे भी मिस्टर पण्डित की सच्चे और ईमानदार वकील की छवि है। इनसे ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती कि ये कानून और अदालत को भ्रमित करके इन्साफ का गला घोंटने की चेष्टा करेंगे...।"
"आप कहना क्या चाहते हैं मिस्टर वर्मा...?" भीनी-भीनी मुस्कान के साथ पूछा जज महोदय ने।
"यही कि जिन्दगी में पहली मर्तबा मिस्टर पण्डित से गलती हो गई है। शायद मुजरिम इनके सामने रोया-गिड़गिड़ाया होगा झूठी कसमें खाकर स्वयं को निर्दोष बतलाया होगा और मिस्टर पण्डित भावनाओं में बह गये होंगे। एक मुजरिम को निर्दोष समझकर इन्होंने उसकी पैरवी करने की गलती कर डाली। मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि मिस्टर पण्डित अपनी जिन्दगी में पहली बार कोई केस हारेंगे। इनके लगातार जीतने का रिकॉर्ड टूटेगा। इनकी वो काबिलियत धूल में मिल जाने वाली है, जिसके कारण लोग इन्हें दिमाग का जादूगर कहते हैं। मुझे इनके हारने का अफसोस तो है ही, लेकिन इस बात पर गर्व भी महसूस हो रहा है कि दिमाग के जादूगर को शिकस्त देने का श्रेय मुझे मिलेगा। क्योंकि आज ही मैं ये साबित कर दूंगा कि कठघरे में खड़े मजनूं नाम के इस भोले-भाले नजर आने वाले हैवान ने ही सलोनी का कत्ल करके मेरे मुवक्किल मिस्टर प्रकाश की दुनिया उजाड़ डाली है...।" 

सोमवार, 17 जून 2024

एच. इकबाल (सोमदत्त शर्मा)

 नाम- एच. इकबाल

 जासूसी कथा साहित्य में नकल का हमेशा से बोलबाल रहा है। इस क्षेत्र ने चाहे धुरंधर जासूस पैदा कर लिये, जटिल केस हल कर लिये, शातिर ठग-चोरों का पर्दाफास किया और भी न जाने कितने रहस्य हल किये और कितनों को इंसाफ दिलाया। बहुत से आदर्शवादी जासूस भी सामने आये, पर यह खेल सिर्फ शब्दों और पृष्ठों कर जाल से बाहर न निकल सका।
  अगर निकल पाता तो शायद स्वयं के क्षेत्र में इतने घपले न होते, शायद लेखक शोषण से बचते, शायद नकली उपन्यासों का संसार बंद हो जाता।

रविवार, 16 जून 2024

श्याम चित्रे

 नाम- श्याम चित्रे

 कुशवाहा कांत जी द्वारा स्थापित 'चिनगारी प्रकाशन' ने बहुत से उपन्यासकारों को स्थान दिया है। जिसमें कुशवाहा परिवार के लेखक कुशवाहा कांत, जयंत कुशवाहा, सजल कुशवाहा और गीता रानी कुशवाहा के अतिरिक्त गोविन्द सिंह,  प्यारे लाल आवारा, ज्वालाप्रसाद केसर, मधुर और अब एक और नाम पता चला है, वह है -श्याम चित्रे ।

    चिनगारी प्रकाशन क्रांतिकारी साहित्य सर्जन में अग्रणीय रहा है। कुशवाह कांत जी का उपन्यास 'लाल रेखा' तो मील का पत्थर है। 
क्रांतिकारी साहित्य में श्याम चित्रे ने भी 'गदर' और 'इंकलाब' जैसी रचनाएँ की हैं।
  इनके प्राप्त उपन्यास 'गदर' के अनुसार एक एड्रेस उत्तर प्रदेश के इटावा जिले का 'जुआ' गांव था।
 हालांकि श्याम चित्रे जी के विषय में अन्य कोई महत्वपूर्ण जानकारी हमारे पास उपलब्ध नहीं है।
किसी सज्जन कोई कोई जानकारी उपलब्ध हो तो हमसे संपर्क करें।
email- Sahityadesh@gmail.com
श्याम चित्रे के उपन्यास

  1. घुटन
  2. पत्थर का दर्द
  3. लालदिन
  4. बागी
  5. गदर (प्रथम भाग)
  6. इंकलाब (द्वितीय भाग)

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