प्रस्तुति- योगेश मित्तल
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उसके बाद हमारे बीच पारिवारिक बातें होती रही। उन्हीं बातों के बीच एक बार चाय और आ गई, लेकिन इस बार चाय के साथ नमकीन और बिस्कुट भी थे। हम चाय खत्म भी नहीं कर पाये थे कि घर में बने पकौड़े आ गये। मुझे आश्चर्य हुआ, क्योंकि मेरे सामने वेद ने पकौड़ों का कोई आदेश नहीं दिया था।
यह पहला अवसर नहीं था, इससे पहले भी और बाद में भी अनेक अवसर ऐसे आये, जब वेद के यहाँ अपनेपन का गहरा स्पर्श मैंने महसूस किया। वेद की मेहमाननवाजी और सत्कार ने हर बार मेरे दिल में उसका कद पहले से अधिक ऊंचा किया था।
चाय नाश्ते के बाद वेद ने फिर कहा -"तो फिर नावल कब से शुरू करेगा?""फिलहाल दस-पन्द्रह दिन तो तुम्हारे विजय विकास सीरीज़ के उपन्यास पढ़ने में लगाऊँगा, उसके बाद ही टाइपिंग आरम्भ करूँगा।" मैंने कहा!
"टाइपिंग...?" - वेद चौंक गया -"टाइपराइटर ले लिया है तूने?"
"नहीं, एक सेकेण्ड हैण्ड फोर एट सिक्स ले लिया है, आजकल उसी पर टाइपिंग करता हूँ।"
"फोर एट सिक्स...?"
"कम्प्यूटर...।"
"तूने कम्प्यूटर ले लिया...?"- वेद ने आश्चर्य व्यक्त किया।