नाम- रमेश चन्द्र गुप्त 'चन्द्रेश'
लोकप्रिय साहित्य के जगमगाते सितारे कम मंद हुये और कब समय के चक्कर में खो गये हमें पता भी न चला। लोकप्रिय साहित्य की सबसे बड़ी कम रही वह है इस साहित्य का संरक्षण न होना।
संरक्षण न होने से कभी पता ही न चला किस लेखक ने कब और कितना लिखा। न तो उनके उपन्यासों का पता और न उपन्यासकारों का। लेकिन प्रतिभा कभी छुपी नहीं रहती देर-सवेर कुछ अच्छे लेखकों के विषय में जानकारी प्राप्त हो ही जाती है लेकिन कभी-कभी यह जानकारी इतनी देरी से प्राप्त होती है कि हम अफसोस करने के अतिरिक्त कुछ नहीं कर सकते।
रमेशचन्द्र गुप्त 'चन्द्रेश' |
आदरणीय वेदप्रकाश काम्बोज जी एक लेखक का कई बार जिक्र करते हैं वह लेखक हैं - रमेश चन्द्र गुप्त 'चन्द्रेश'।
इनके जासूसी उपन्यासों की कहानी बहुत रोचक और दिलचस्प होती है। संयोग से इनका एक उपन्यास पढने को मिला था।
हिन्दी साहित्य के चर्चित रचनाकार 'प्रियंवद' जी लिखते हैं- बहुत प्यारे गीतकार रमेश चंद्र गुप्त ‘चंद्रेश’ थे। जासूसी उपन्यास भी लिखते थे। संभवतः मास्टर ब्रेन उनका ही नायक था। उसका हथियार लोहे की चेन था जिसके सिरे पर लोहे की भारी गेंद होती थी। उसी चेन को घुमाकर वह वार करता था। उनके जासूसी उपन्यास इब्ने सफी, वेदप्रकाश कम्बोज और ओमप्रकाश शर्मा के साथ पढ़े जाते थे। आखिरी दिनों में हलवाई की दुकान पर कढ़ाही में कचौड़ियां तल कर उन्होंने आजीविका कमाई।
आर्टिकल लिंक- प्रियंवद जी
रमेश चन्द्र गुप्त चन्द्रेश जी के उपन्यास
- काली आँखों वाली बिल्ली
- पाताल की आँख- (बेताल, चीका, राजपाल,हेमंत सीरीज)
- मौत चीखती है
- अपराधों की मौत
- आप्रेशन तवानहिल (बेताल सीरीज)
- मौत के खिलाड़ी
- दहशत
- महाकाल
- कालभैरव
- कालचक्र
- प्रेतों की बस्ती
- खूनी टक्कर - दिसंबर 1969 (मेजर नीलकण्ठ चौधरी, सीमा, जगमोहन कपूर, सोनाल मुखर्जी, दारा उर्फ टाइगर)
- महाबली चीका A
- भयानक बदला (फ्रेंड्स एण्ड कम्पनी- इलाहाबाद)
- मौत की छलांग www.sahityadesh.blogspot.com
- खूनी चेहरे (बेताल, राजपाल, हेमंत सीरीज) √
- रक्तर्चन (जासूसी आँख- पत्रिका। फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी इलाहाबाद)
- लाशों का देवता (जासूसी आँख- पत्रिका। फ्रेण्डस एण्ड कम्पनी इलाहाबाद)
उक्त लेखक के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध हो तो सम्पर्क करें।
Mob- 9509583944
Emai- sahityadesh@gmail.com
रमेश चन्द्र गुप्त चन्द्रेश जी की एक अस्पष्ट तस्वीर |
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