राकेश पाठक - एक परिचय
राकेश पाठक के कई उपन्यास गौरी पाकेट बुक्स,मेरठ से प्रकाशित हुए, बेहतरीन लेखक थे। अनेक उपन्यास छद्म नाम से लिखे, सौ से अधिक। छद्म नाम से लिखे नावलों की विशाल मार्केट थी। छद्म नाम का विवरण पॉकेट बुक्स के असूल के खिलाफ बात है।
राकेश पाठक ने पहले अपने नाम से ही लिखा, बहुत मेहनत से लिखा, प्रकाशक महोदय ने उनकी मेहनत को सराहा। पर उस समय के पाठक जगत ने विमल चटर्जी और कुमार कश्यप को खूब स्वीकार कर रखा था । वेद जी, राज भारती भी सेल में शीर्ष स्थान पर थे। यह सन् 1987-88 की बात है।
राकेश जी कई उपन्यास लिखने के बाद जब वह मुकाम न पा सके जिससे लेखक घर-परिवार चला सके, तब प्रकाशक महोदय, जो राकेश की लेखनी के खास कद्रदां थे, उन्होंने प्रस्ताव छद्म नाम से लिखने का रखा । नाम रजिस्टर्ड कराया । राकेश जी लिखने लगे । साथ में यह भी शर्त थी कि कि बीच-बीच में उनके नाम से ' राकेश पाठक ' का भी नावल आता रहेगा । प्रकाशक और लेखक दोनों के बीच बढ़िया तालमेल अंत तक रहा । पर छद्म नाम से लिखे नावल और नाम, दिन दूनी, रात चौगुनी प्रगति पाता गया , राकेश पाठक नाम बची खुची सेल खोता रहा ।
गौरी पाकेट बुक्स कई साल पहले बन्द हो चुकी है । प्रकाशक महोदय की कुछ साल पहले निधन हो चुका है । राकेश पाठक साहब,जिला मुज़फ़्फ़र नगर ,खतौली कस्बा उ.प्र. के निवासी हैं ।
कई वर्षों से इस बात की जानकारी नहीं। उम्र साठ के आसपास होनी चाहिए क्योंकि तीस साल पहले वे अपने नाम से छपकर मार्केट में आ चुके थे। उस समय वे मैच्योर लेखक मे शुमार थे ।
@आबिद रिजवी जी के स्मृति कोष से
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