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मंगलवार, 21 दिसंबर 2021

जयदेव चावरिया - साक्षात्कार शृंखला-10

साहित्य देश ब्लॉग साक्षात्कार के क्रम में प्रकाशित कर रहा है नवोदित उपन्यासकार जयदेव चावरिया का साक्षात्कार।

  जयदेव चावरिया हरियाणा के रेवाड़ी जिले के निवासी हैं। अपने प्रथम उपन्यास से पूर्व जासूसी कहानियों के माध्यम से पाठकों मे मध्य अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं। सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित 'माय फर्स्ट मर्डर केस' लेखक का प्रथम उपन्यास है।
  'प्रथम उपन्यास, प्रथम साक्षात्कार'  साक्षात्कार शृंखला-10

उपन्यासकार जयदेव चावरिया
उपन्यासकार जयदेव चावरिया
1. जयदेव भाई, सर्वप्रथम आपको आपके प्रथम उपन्यास पर हार्दिक शुभकामनाएं। आज आप एक उपन्यासकारों की श्रेणी में पहुँच गये। बहुत से पाठक आपसे परिचित हैं, फिर भी हम एक बार आप विस्तृत परिचय जानना चाहेंगे।

   मैं जयदेव चावरिया में हरियाणा जिला रेवाड़ी का रहने वाला हूँ।  वैसे मेरा असली नाम जितेंद्र हैं पर मेरे दोस्त और मेरे परिवार वाले सभी मुझे जयदेव कहकर पुकारते थे। इसलिए मैंने अपना नाम जितेंद्र से जयदेव कर दिया। चावरिया मेरे पिता जी का गोत्र है। मेरे पिता जी का नाम रामलाल चावरिया है मेरे पिता जी के देहांत हुए करीब 18 साल हो गये। पिता जी रेलवे में काम करते थे।      पिता जी के देहांत के बाद पिता जी की जॉब मेरी माता जी (रेनू देवी जी) को मिल गयी। मेरे परिवार में मेरी बड़ी रजनी, उनसे छोटा भाई महेश, उनसे छोटी बहन पूजा फिर, आखिरी में 

आपका अपना लेखक जयदेव चावरिया। पढाई के मामले मैंने बारह तक पढाई की। दरअसल मेरा बड़ा भाई महेश प्लम्बर व बिजली फिटिंग का काम करता था और दूसरा कारण यह था की मैं किसी की नौकरी करना नहीं चाहता था। इसलिए मैं अपने बड़े भाई के साथ काम करने लग गया। अगर आज वर्तमान की बात की जाए तो में IGL (इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड) कम्पनी में काम करता हूँ कम्पनी से खुद टेंडर लेता हूँ। अगर थोड़ा बहुत समय मिले तो कुछ उपन्यास पढ़ व लिख भी लेता हूँ।

2. वर्तमान समय में लोगों का साहित्य पढने से और विशेष कर लोकप्रिय उपन्यास साहित्य से मोहभंग हो रहा है। आप को उपन्यास पढने का शौक कहा से लगा? 
   -उपन्यास पढ़ने का शौक मुझे 2011 से लगा। मेरी शुरू से ही हॉलीवुड मूवी में दिलचस्पी रही है, जिसका कारण थ्रिलर व सस्पेंस। बात उस समय की जब मैं हॉलीवुड की सी .डी लाकर मूवी देखता था। मुझें गाने का भी बहुत शौक है।
      एक बार में रेल से कई जा रहा था की मेरी नज़र बुक स्टोर पर पड़ी। मैंने सोचा क्यों ना कोई गानों की किताब ले ली जाए, ताकि रेल का सफर आराम से कट जाए। तब मेरी नजर बुक स्टोर पर गई और नए गानों की किताब देखना लगा। फिर मेरी नजर उपन्यासों पर गई। मैंने दुकानदार से पूछा की अंकल कोई ऐसी किताब दो जिसमें थ्रिलर सस्पेंस हों। मैंने अंकल से कहा की हॉलीवुड मूवी में तो बहुत जबरदस्त सस्पेंस होता। फिर अंकल बोले बेटा हॉलीवुड मूवी से ज्यादा सस्पेंस उपन्यासों में होता हैं।
क्या अंकल आप सच कहें रहे हैं ? तो एक किताब दो पढ़कर देखता हूं कैसी हैं ? 
मैंने जिंदगी का पहला उपन्यास 'एक और साजिश' लेखक 'रवि शर्मा मयंक' जब मैंने पहला उपन्यास पढ़ा तो सचमुच मजा आ गया।
     उसके बाद तो ने एक बाद एक उपन्यास लेने लगा। और आज मेरे पास 700 के आस पास उपन्यास हैं।

3. प्रत्येक लेखक कहीं न कहीं से लेखन‌ की प्रेरणा अवश्य लेता है, किसी लेखक से प्रभावित होता है। आप किन- किन लेखकों से प्रभावित रहे हैं? और किनको अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं?

  - मेरे पसंदीदा उपन्यासकार आदरणीय वेद प्रकाश शर्मा सर, आदरणीय सुरेंद्र मोहन पाठक सर, राज टाइगर
मुझे उपन्यास पढ़ने की लत वेद सर के उपन्यासों से लगी। वेद सर का आप जब कोई उपन्यास पढ़ने बैठते हैं तो आप उपन्यास को पूरा पढ़ा बिना नहीं रहे पाएंगे। वेद सर के उपन्यास आपको इस कदर बांध लेते हैं की आपको खाना खाने तक नहीं देते।
   वेद सर की शैली से में बहुत प्रभावित हुआ हूँ, वही
 मेरे प्रेरणास्रोत हैं। इसका दूसरा कारण यह भी हैं की मैंने वेद सर के लगभग उपन्यास पढ़े हैं।

    पाठक सर की मुझे (विमल सीरीज) बहुत पसंद आई। विमल सीरीज मुझे इतनी पसंद आई की मैंने विमल सीरीज का पूरा कलेक्शन कर लिया।
राज व टाइगर के उपन्यास मुझे इसलिए पसंद हैं क्योंकि उनके सारे उपन्यास थ्रिलर सस्पेंस वाले होते हैं।

 4. आपने अपने लेखन की शुरुआत जासूसी कहानियों से की, जो काफी चर्चित भी रही। फिर कहानी लेखन से उपन्यास लेखन की तरफ झुकाव कैसे हुआ?

-  एक दो साल से मेरे दिमाग में यह विचार चल रहा था की क्यों ना कोई उपन्यास लिखा जाए। पर रह रह कर यह विचार विचलित कर रहा था की लिखूं कैसे?
   फिर मेरी बात नाजिम भाई से हुई उन्होंने मुझे बताया की अगर जयदेव भाई आपको उपन्यास लिखना है तो पहले आप को कुछ लिखना चाहिए। जैसे की किसी भी उपन्यास का कोई भी सीन को आप अपनी शैली में लिखों।
     फिर क्या था मैंने वेद सर का 'कारीगर' उपन्यास का पहला सीन अपनी शैली में लिखा। जब नाजिम भाई ने  यह सीन पढ़ा तो उन्हे अच्छा लगा। फिर उन्होंने मुझे कुछ कहानियां लिखने की सलाह दी। फिर मैंने अपनी पहली कहानी 'मर्डर' लिखी। जिससे मैने प्रतिलिपि पर प्रकाशित की तो मैंने सोच लिया था अगर मेरी कहानी किसी को पसंद नहीं आई तो में आगे नहीं लिखूंगा। पर पाठको की तरफ से मुझे बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। जिससे मुझे आगे लिखने के लिए मेरा हौसला और बढ़ गया।
    उसके बाद मैंने लगातार पांच कहानियां लिखीं। वह कहानिया पाठकों व मित्रों को वह बहुत पसंद आई। फिर सभी पाठक व मित्र कहने लगे जयदेव भाई अब उपन्यास लिखों।
   फिर मैंने अपना पहला उपन्यास 'माय फर्स्ट मर्डर केस' लिखा। जिससे पाठकों व मित्रों ने अपना भरपूर प्यार दिया। 

5. आपका प्रथम उपन्यास आपकी घोषणा के काफी समय पश्चात आया। इस विलम्ब का क्या कारण था, प्रकाशन में कहां-कहां आपको परेशानियों का सामना करना पड़ा?

 - मेरे हिसाब से लेखक को सबसे बड़ी समस्या उपन्यास को प्रकाशित करने में आती हैं। में सिर्फ दो प्रकाशकों के पास गया था और दोनों को मेरा पहला उपन्यास पसंद आया था। पहले प्रकाशक ने मुझे कहां की आपका उपन्यास दो तीन महीने में प्रकाशित हो जायेगा। प्रकाशक ने मुझसे उपन्यास में काफी एडिटिंग भी करवाई। एडिटिंग करने के बाद मैंने कहां सर आप एक बार प्रूफ रीडिंग कर दीजिए। क्योंकि मेरे पास फोन हैं आपके प्यारे लेखक ने अपना पहला उपन्यास फोन पर लिखा है। पर प्रकाशक मुझे रोज टालता रहा। फिर चार पांच दिन बाद प्रकाशक ने मुझसे कहां की जयदेव जी आप किसी ओर से प्रूफ रीडिंग करवा लीजिए। क्योंकि मेरी आंखों में थोड़ी तकलीफ चल रही हैं। फिर मैंने अपने एक मित्र से प्रूफ रीडिंग करवाई। फिर मैंने प्रकाशक से कहा की सर प्रूफ रीडिंग हो गई। पर प्रकाशक का कोई जवाब नहीं आया। मैंने सोचा कोई बात नहीं। शायद कोई और कार्य कर रहे होगें। कल देख लेंगे। पर अगले दिन भी मेरे मैसेज कोई जवाब नहीं दिया। मैंने सोचा चलो कोई बात नहीं प्रकाशक के पास कई काम होते हैं। ऐसे चलते चलते दस दिन हो गए। फिर मुझे चिंता होने लगी। क्योंकि बड़ी मेहनत से मैंने अपना पहला उपन्यास लिखा था। आप सबको जानकर हैरानी होगी की मैंने अपने पहले में लगभग 9 से 10 बाद एडिटिंग की थी। मैंने प्रकाशक को फोन मिलाया पर प्रकाशक ने मेरा फोन भी नहीं उठाया। ऐसे चलते चलते एक महीना बीत गया। मैंने सभी माध्यम से अपने प्रकाशक से सम्पर्क करना चाहा पर उन्होंने कहीं भी कोई भी जवाब नहीं दिया। वाट्सएप, फेसबुक , मैसेज, पर प्रकाशक ने कोई भी जवाब नहीं दिया। ऐसे चलते चलते जब दो महीने हो गए तो में हार गया। फिर मैने सोच लिया की मुझे दूसरे प्रकाशक के पास जाना चाहिए। फिर में सूरज पॉकेट बुक्स के पास गया उन्हें मेरा उपन्यास पसंद आया।

   और अब मेरा पहला उपन्यास आप सब पाठकों के बीच उपस्थित है। अगर मेरा पहला उपन्यास किसी ओर प्रकाशक से आता तो शायद मेरे पहले उपन्यास को इतना प्यार नहीं मिलता जितना आज मिला है। सूरज पॉकेट बुक्स जैसे प्रकाशक से आपका पहला उपन्यास प्रकाशित होना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। किसी ने कहां है ना की 'जो भी होता हैं सब अच्छे के लिए होता है' । वैसे ही मेरे साथ हुआ।

6. प्रथम उपन्यास प्रकाशन पर आपकी, परिवार-मित्र और पाठकों की क्या प्रतिक्रियाएं रही?  विशेष तौर पर आपकी व्यक्तिगत प्रतिक्रिया जानना चाहेंगे।

 - कॉन्ट्रैक्ट साइन करते समय प्रकाशक ने मुझे कहा था की जयदेव यह तुम्हारा पहला उपन्यास है।  नए लेखक के लिए यह चुनौती होती है, क्योंकि पाठक सही से नए लेखक को पहचानते व जानते नहीं होते हैं। इसलिए नए लेखक को कम ही फायदा होता है। पर मेरे केस में ऐसा नहीं था। मैंने लगभग सभी जगह अपनी एक पहचान बना रखी थी। एक अच्छे समीक्षक के रूप में और एक लेखक के रूप में क्योंकि जैसे की मैंने उपर लिखा है की मैंने पहले प्रतिलिपि पर लिखना शुरू किया था। जिसका मुझे आज फायदा हुआ।
    पाठकों को पता था की में किस शैली में लिखता हूँ। और मुझे नए लेखक होते हुए भी सभी पाठकों ने अपना भरपूर प्यार दिया। उपन्यास प्रकाशित होने के बाद जब मेरी प्रकाशक से बात हुई तो प्रकाशक ने बताया कि जयदेव सभी नए लेखकों केस में ऐसा नहीं होता पर तुम्हारे केस में ऐसा हो गया। तुम्हारा पहला उपन्यास उम्मीद ऐसा अच्छा जा रहा है। काफी अच्छी सेल हो रही है।  यह शब्द सुनकर मुझे कितनी खुशी हुई में शब्दों में शायद बयान भी नहीं कर सकता।
    मित्रों व परिवार को मेरा पहला उपन्यास बहुत पसंद आया। जब मेरा उपन्यास प्रकाशित हुआ तो फेसबुक, वाट्सएप पर लगभग हर रोज मेरे उपन्यास की समीक्षा आने लगी। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते थे की पाठकों को मेरा पहला उपन्यास कितना पसंद आया।
मेरे परिवार वाले व मेरे मित्रों को मुझसे ऐसी उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी उन्होंने कहा जयदेव यह उपन्यास तूने लिखा है। क्योंकि जिसने भी मेरा पहला उपन्यास पढ़ा उसका सर घूमकर रहे गया।
    उपन्यास की कहानी इतनी तेज की किसी को भी कुछ करने का मौका नहीं देती। सभी ने एक से दो दिन में मेरा उपन्यास पूरा पढ़ लिया था। यह आलम था आपके लेखक की लेखनी का।
    मुझे कैसा महसूस हुआ ? मुझे यकीन नहीं रहा था की मेरा पहला उपन्यास सूरज पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हो गया। क्योंकि मुझे लिखते हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था। माता रानी की दुआ से सब अच्छा हुआ। सच बताऊं मुझे बहुत खुशी हुई क्योंकि मैंने अपने पहले उपन्यास में अपनी पूरी जान झोंक दी थी। सबसे ज्यादा खुशी जब हुई जब पाठकों को मेरा उपन्यास बहुत पसंद आया। एक लेखक के लिए इससे बड़ी खुशी को बात क्या होगी की उसका पहले उपन्यास को पाठकों खूब पसंद आया। यही मेरे लिए बहुत खुशी की बात है।

7. आपका प्रथम उपन्यास 'माय फर्स्ट मर्डर केस' स्वयं में एक सम्पूर्ण कहानी होते हुये भी कुछ प्रश्नों के उत्तर अधूरे हैं। क्या यह आपके आगामी उपन्यास में पूर्ण होंगे?
- मेरा पहला उपन्यास 'माय फर्स्ट मर्डर केस' वैसे तो सम्पूर्ण उपन्यास है, पर जयदेव जासूस की कहानी कंटिन्यू रहेंगी। जैसे की पाठकों को उपन्यास के अंत में  इसके दूसरे भाग का नाम पता चला गया होगा। मेरे पहले उपन्यास 'माय फर्स्ट मर्डर केस' का दूसरे भाग का नाम 'खेल खिलाड़ी का' का है। 'खेल खिलाड़ी का' में आपको 'माय फर्स्ट मर्डर केस' के बचे हुए सवालों के जवाब मिलेंगे।

8. लेखन के क्षेत्र में भविष्य का क्या प्लान है? आप के और कौन -कौन से उपन्यास आने वाले हैं?

भविष्य में मेरे तीन उपन्यास आने वाले हैं।
'जुर्म का आगाज', 'खेल खिलाड़ी का' और तृतीय उपन्यास 'आबरू'
'जुर्म का आगाज' में थ्रिलर व सस्पेंस व एक्शन होने वाला हैं। जिसमें पाठकों को एक दम फ्रेश कहानी मिलेगी।
यह एक रेड सूटकेस के ईदगिर्द बुनी हुई है।
रेड सूटकेस के पीछे क्यों सारा माफिया पड़ा हुआ हैं ?
ऐसा क्या हैं रेड सूटकेस में ?
रेड सूटकेस का मालिक आखिर कौन हैं ?
इन सभी सवालों के जवाब आपको मेरे द्वितीय उपन्यास 'जुर्म का आगाज' में मिलेंगे।

'खेल खिलाड़ी का'
 जयदेव जासूस के ईदगिर्द बुनी हुई है।
एक कॉलेज में पढ़ने वाला लड़का आखिर एक जासूस कैसे बन गया ?
सोनम व जयदेव के प्यार का क्या हुआ ?
क्या जयदेव अपनी बहन निशा को ढूंढ पाने में कामयाब हो पाया ?
जासूस जयदेव के परिवार साथ आखिर क्या हुआ था ?
कौन हैं इन सबके पीछे ?
क्या जयदेव अपने परिवार पर अत्याचार करने वालों से प्रतिशोध ले सका ?
इन सभी सवालों ने जवाब आपको मेरे तृतीय उपन्यास 'खेल खिलाड़ी का' में मिलेंगे ।
 
आबरू
एक लड़की लक्ष्मी के ईदगिर्द बुनी हुई है।
लक्ष्मी एक हंसती खेलती लड़की थी जो अपनी ही दुनिया में खुश रहती थी।
एक रात पार्टी में किसी ने उसकी ड्रिंक में नशे की दवाई मिला दी और फिर किसी ने लक्ष्मी की आबरू लूट ली ?
लक्ष्मी किसकी पार्टी में गई थी ?
कौन था वह जिसने लक्ष्मी के ड्रिंक में नशे की दवाई मिलाई थी ?
क्या लक्ष्मी को इंसाफ मिल सका ?

11. हमने बात की आपको प्रकाशन में किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा। अब हम बात करते हैं एक उपन्यास लेखन के दौरान आपको क्या-क्या कठिनाई आयी?

 - उपन्यास लिखते समय मुझे काफी समस्यायों का सामना करना पड़ा। क्योंकि कहानी लिखना एक अलग  बात थी पर पूरा उपन्यास लिखना एक अलग बात थी। आज से करीब एक साल पहले मैंने अपना पहला उपन्यास लिखना शुरू किया था। उससे प्रकाशित होने में लगभग 9 से 10 महीने का समय लग गया।

    जब मैंने उपन्यास लिखना शुरू किया था तो मैंने सोचा था की उपन्यास लिखना आसान होता है, लेकिन जैसे जैसे मैंने उपन्यास लिखना शुरू किया वैसे – वैसे मुझे एहसास हो गया की उपन्यास लिखना बहुत मुश्किल काम है। उपन्यास लिखते समय लेखक के सामने यह सभी समस्या सामने खड़ी रहती हैं। जैसे — कई किरदारों का जन्म, सभी किरदारों को साथ लेकर चलना, उपन्यास की गति तेज होनी चाहिए, सीन ज्यादा बड़े नही होने चाहिए, जिससे पाठक पढ़ते समय बोर ना हो,  उपन्यास दिलचस्प होना चाहिए जैसे की अभी तक किसी ओर लेखक ने न लिखा हो।
    उपन्यास लिखते समय मैंने ऐसे भी कई दिन देखें हैं की मन कहता हैं की छोड़ यार उपन्यास को लिखना बंद कर दे।  क्योंकि जिस विषय पर हम उपन्यास लिख रहे हैं उसकी पूरी जानकारी होना जरूरी है। तब ही आप एक अच्छा उपन्यास लिख सकते हैं। पर मैने कभी हार नहीं मानी, क्योंकि जब आप कोई भी काम दिल से करते हैं तो उसमें जरूर सफल होते हों और देखो मेरी मेहनत रंग लायी।

10. 'साहित्य देश' ब्लॉग साहित्य संरक्षण के लिए प्रयासरत एक छोटा सा प्रयास है। आपके इस विषय में क्या विचार है। साहित्य देश के विषय में दो शब्द।

-  मैं अभी उपन्यास जगत में नया हूँ। साहित्य देश के माध्यम से हम जैसे लेखकों को परिचय व समीक्षा अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर रहे। यह बात हमारे लिए काफी सम्मान की बात हैं ।
अंत में मैं गुरप्रीत सर का बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मुझे आगे बढ़ने के लिए हौसला दिया। 

11. अपने पाठक मित्रो, सहयोगी मित्रो के‌ लिए कोई संदेश। 
मैं उन मित्रों का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने मेरी बहुत मदद की। कभी भी मेरा मनोबल टूटने नहीं दिया। हमेशा मेरे साथ रहे, मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया।

-  स्वर्गीय नवनीश भट्टी भाई, नाजिम खान सर, दिलशाद अली भाई, गुरप्रीत सर, साबिर खान भाई, संजय वर्मा भाई, श्याम नारायण पाण्डेय सर, सागर भाई, मनिंदर त्रिपाठी सर, विजय कुमार वोहरा भाई, विकास. सी. एस. झा सर, हीरा वर्मा, सुरेश चौधरी सर, ब्रजेश भाई, जितेंद्र नाथ सर व अनुराग कुमार जीनियस।
    और अन्य सभी पाठको मित्रों को जो मेरे ग्रुप में और जिनके ग्रुप में शामिल हूँ, जिन्होंने मेरा उपन्यास पढा। सभी का हार्दिक धन्यवाद करता हूँ।
   आप सबका प्यार है जो में यहां तक पहुंच पाया हूं। आपके छोटे भाई जयदेव का यह पहला उपन्यास है जिसको आपने इतना प्यार दिया। उसके लिए आपका जितना धन्यवाद करू उतना ही कम है।
 
उपन्यास की प्रकाशन तिथि 13 सितंबर 2021

 सम्पर्क
जयदेव चावरिया
Mob- -          90347 35152
Facebook id – Author jaidev Chawariya
Email-  jaidev5152@gmail.com
उपन्यास समीक्षा - माय फर्स्ट मर्डर केस
 अन्य उपन्यासकारों के साक्षात्कार

11 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. रोचक साक्षात्कार...नवीन उपन्यासों की प्रतीक्षा रहेगी...

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  3. बहुत अच्छा साक्षात्कार।धन्यवाद सर जी।

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  4. साक्षात्कार पढ़कर अच्छा लगा । किसी दिन समय मिलते ही इसे पढ़ने की कोशिश अवश्य रहेगी ।

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    1. धन्यवाद सर, उम्मीद करता हूं आप जल्द ही मेरा पहला उपन्यास पढ़ेंगे।

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  5. शानदार साक्षात्कार, जयदेव जी को बधाई। गुरप्रीत जी क्या योगदान सराहनीय है।

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