आने वाला वक्त अच्छा होगा- राम पुजारी
साक्षात्कार शृंखला-03
'लव जिहाद..एक चिड़िया' और 'अधूरा इंसाफ...एक और दामिनी' जैसे सामाजिक उपन्यास लिख कर कम समय में ज्यादा चर्चित रहने वाले राम पुजारी जी की कलम में समाज की विकृतियों के प्रति एक स्वाभाविक आक्रोश दृष्टिगत होता है।
हमने राम पुजारी जी से विभिन्न विषयों पर साक्षात्कार रूप में चर्चा की जो यहाँ प्रस्तुत है। राम पुजारी जी वर्तमान में बठिण्डा (पंजाब) में एक कम्पनी में कार्यरत हैं।
1. आप अपने बारे जरा बताइये?
अपने बारे में..., मैं एक नवरतन कंपनी में इंजीनियर हूँ और पढ़ने का बहुत शौक है।
कॉमिक्स से लेकर लोकप्रिय साहित्य सभी पढ़ लेता हूँ। वैसे बता दूं लोकप्रिय साहित्य अभी पढ़ना शुरू किया।
2. किन लेखकों को पढा आपने?
कॉमिक्स में फैंटम, ध्रुव, नागराज और चाचा चौधरी....और उपन्यास में शरतचंद्र बाबू, विमल मित्र जी, कम्बोज जी, शर्मा जी, पाठक जी, मंटो साहब, कृष्ण चन्दर जी, धर्मवीर भारती और अमृता प्रीतम जी...और भी हैं। पर...इनके सारे नहीं...कुछ-कुछ पढ़ें है।
डैन ब्राउन, चेतन भगत, सर आर्थर कॉनन डॉयल और मारियो पूजो इनके भी कुछ-कुछ पढ़ें हैं।
3.आपको सबसे ज्यादा कौन सी पुस्तक पसंद आयी।
English में The God Father और हिंदी में गुनाहों का देवता।
4. दोनों अलग है एक क्राइम फिक्शन है तो दूसरी लव स्टोरी।
जी। क्या करें पसंद-पसंद की बात है, जैसे ...कम्बोज जी के विजय ने बहुत प्रभावित किया... और गुनाहों के देवता की सुधा ने।
5. आपके मन में लेखक बनने की इच्छा कब और कैसे उठी?
लेखक होना या बनना... मैं मानता हूं कि अपने विचारों को अभिव्यक्त करना है। लिखता था...मैं शुरू से ही, लेकिन ऐसे नहीं कि बुक बन जाये। छोटी कहानियाँ-किस्से लिखता था, बाद कैरियर की दौड़ में समय ही नहीं मिला। फिर जब मेरे एक्सीडेंट हुआ तो मैं 4 महीनें बेड पर रहा, उसी दौरान समय बहुत था मेरे पास, जब लिखना शुरू किया तो बड़े भैया ने उसमें काफी सुधार किया और कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। फिर पुरानी आदत फॉर्म में आ गई, इस तरह से लेखक बन गया।
6. आपने किन लेखकों से प्रेरणा ली है? प्रेरणा...। सामाजिक लेखकों से मिली, गुलशन नंदा और राजहंस जी के उपन्यास पढ़ते-पढ़ते कई बार इमोशनल हुआ।
फिर कम्बोज सर और आबिद सर ने कुछ सीनियर लेखकों के नाम बताये... शरत बाबू, रानू औऱ ओमप्रकाश शर्मा जी के।
उमाकांत अंकल (लखनऊ) तो मुझे पुराने उपन्यास भेजते भी रहते हैं पढ़ने के लिए।
इन दोनों ने ही मेरा मार्गदर्शन किया है।
7. आपके उपन्यासों के कवर पेज पर आपके बड़े भाई साहब की तस्वीर होती है, इसकी कोई खास वजह?
गुरु भाई, तस्वीर से क्या होता है, प्रमुख बात है मैसेज...जो मैसेज मैं देना चाहता था वह तो पाठकों तक पहुंच ही रहा है, आगे भी पहुंचता रहेगा। उस वक्त समय बहुत कम था वर्ल्ड बुक फेयर के लिए और मैं चाहता था कि बुक bookfair में जरूर आये, फिर तब से यही चल रहा है...इसके अलावा और बहुत से कारण हैं - परमिशन etc
8. आपको कहानी की प्रेरणा कहां से मिलती है?
प्रेरणा तो सामाजिक घटनाओं से मिली। आबिद सर के मुख से सुना हैं साहित्य समाज का दर्पण होता है। कहानी चाहे काल्पनिक ही क्यों न हो उसमें सच्चाई जरूर होती है। जो हम देखते-सुनते हैं वही दिमाग की हार्डडिस्क में स्टोर होता रहता है, फिर जैसे जरूरत होती अपने आप बाहर आता रहता है - कभी हास्य-व्यंग्य तो कभी सामाजिक उपन्यास के रूप में।
09. आप सिर्फ सामाजिक उपन्यास ही लिखते है कभी क्राइम या जासूसी भी लिखिए।
गुरु भाई, अब कम्बोज सर का आशीर्वाद मिल ही गया है तो देखिए शायद जासूसी भी लिखूं...इंतज़ार कीजिये।
10. अभी क्या लिख रहे हैं सामाजिक या जासूसी, थोड़ा बताइये।
सामाजिक प्लस लव स्टोरी।
11. और जासूसी कब तक संभव है?
... वैसे एक प्लॉट तो बताया भी है सर (वेदप्रकाश कांबोज) ने, देखिए - इंतेज़ार कीजिये।
12. आने वाली उपन्यास के विषय में कुछ बतायेंगे?
मेरी आने वाली पुस्तक एक सामाजिक प्रेम कहानी है जोकि समाज, माँ-बाप और धार्मिक आस्थाओं के चलते उलझ जाती है। इसमें सच्ची घटनाओ का जिक्र है।
बच्चों के लिए स्वामी विवेकानन्द जी की जीवनी लिख रहा हूँ।
13. 'अधूरा इंसाफ...' उपन्यास हमारे समाज के क्रूर चेहरे को प्रस्तुत करता है। ऐसे प्रकरण बढ रहे हैं, बच्चियां सुरक्षित नहीं है। आपका इस विषय पर क्या कहना है?
दुखद है कि हम अभी भी नहीं सीखे। समाज गर्त में जा रहा है और हमें लगता है कोई दूसरा कुछ करेगा तो सुधार होगा, जबकि हमें अपनी सोच सुधारने की जरूरत है। सोच ही हमारे आचरण को गाइड करती है।
इससे भी बुरा है इन घटनाओं का राजनैतिक करण करना।
धर्म और जाति के चश्मे से देखना।
14. पहले की तुलना में पाठक बहुत कम हो,आप किताबों का भविष्य क्या मानते हैं?
पाठक कम हुए हैं पहले के मुकाबले में...! पर हमें ये भी समझना होगा कि उस दौर में मनोरंजन और टाइम पास करने के साधन क्या-क्या थे, और रीडरशिप कितनी थी।
सिर्फ पुस्तकें ही सस्ता और उपलब्ध मनोरंजन का साधन होती थी।
लेकिन आज स्मार्ट फ़ोन और इंटरनेट युग में जब मनोरंजन के कई साधन आसानी से एक क्लिक पर हाजिर हैं । तब भी लोग बुक खरीदते हैं और पढ़ते हैं।
बुकफ़ेयर में देखिए कभी।
एक बात और कहूंगा, लिफ्ट आने के बाद आज भी हर बिल्डिंग में सीढ़ियां भी बनाई जाती है।
बेसिक साधन वही है बस तरीका बदल गया है, ईबुक, किंडल और पीडीएफ आदि को लोग मोबाइल, टैब औऱ लैप टॉप पर पढ़ते हैं। आने वाले वक्त अच्छा होगा।
(यह साक्षात्कार आपको कैसा लगा, अवश्य बतायें। धन्यवाद)
'लव जिहाद..एक चिड़िया' और 'अधूरा इंसाफ...एक और दामिनी' जैसे सामाजिक उपन्यास लिख कर कम समय में ज्यादा चर्चित रहने वाले राम पुजारी जी की कलम में समाज की विकृतियों के प्रति एक स्वाभाविक आक्रोश दृष्टिगत होता है।
हमने राम पुजारी जी से विभिन्न विषयों पर साक्षात्कार रूप में चर्चा की जो यहाँ प्रस्तुत है। राम पुजारी जी वर्तमान में बठिण्डा (पंजाब) में एक कम्पनी में कार्यरत हैं।
1. आप अपने बारे जरा बताइये?
अपने बारे में..., मैं एक नवरतन कंपनी में इंजीनियर हूँ और पढ़ने का बहुत शौक है।
कॉमिक्स से लेकर लोकप्रिय साहित्य सभी पढ़ लेता हूँ। वैसे बता दूं लोकप्रिय साहित्य अभी पढ़ना शुरू किया।
2. किन लेखकों को पढा आपने?
कॉमिक्स में फैंटम, ध्रुव, नागराज और चाचा चौधरी....और उपन्यास में शरतचंद्र बाबू, विमल मित्र जी, कम्बोज जी, शर्मा जी, पाठक जी, मंटो साहब, कृष्ण चन्दर जी, धर्मवीर भारती और अमृता प्रीतम जी...और भी हैं। पर...इनके सारे नहीं...कुछ-कुछ पढ़ें है।
डैन ब्राउन, चेतन भगत, सर आर्थर कॉनन डॉयल और मारियो पूजो इनके भी कुछ-कुछ पढ़ें हैं।
3.आपको सबसे ज्यादा कौन सी पुस्तक पसंद आयी।
English में The God Father और हिंदी में गुनाहों का देवता।
4. दोनों अलग है एक क्राइम फिक्शन है तो दूसरी लव स्टोरी।
जी। क्या करें पसंद-पसंद की बात है, जैसे ...कम्बोज जी के विजय ने बहुत प्रभावित किया... और गुनाहों के देवता की सुधा ने।
5. आपके मन में लेखक बनने की इच्छा कब और कैसे उठी?
लेखक होना या बनना... मैं मानता हूं कि अपने विचारों को अभिव्यक्त करना है। लिखता था...मैं शुरू से ही, लेकिन ऐसे नहीं कि बुक बन जाये। छोटी कहानियाँ-किस्से लिखता था, बाद कैरियर की दौड़ में समय ही नहीं मिला। फिर जब मेरे एक्सीडेंट हुआ तो मैं 4 महीनें बेड पर रहा, उसी दौरान समय बहुत था मेरे पास, जब लिखना शुरू किया तो बड़े भैया ने उसमें काफी सुधार किया और कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। फिर पुरानी आदत फॉर्म में आ गई, इस तरह से लेखक बन गया।
6. आपने किन लेखकों से प्रेरणा ली है? प्रेरणा...। सामाजिक लेखकों से मिली, गुलशन नंदा और राजहंस जी के उपन्यास पढ़ते-पढ़ते कई बार इमोशनल हुआ।
फिर कम्बोज सर और आबिद सर ने कुछ सीनियर लेखकों के नाम बताये... शरत बाबू, रानू औऱ ओमप्रकाश शर्मा जी के।
उमाकांत अंकल (लखनऊ) तो मुझे पुराने उपन्यास भेजते भी रहते हैं पढ़ने के लिए।
इन दोनों ने ही मेरा मार्गदर्शन किया है।
7. आपके उपन्यासों के कवर पेज पर आपके बड़े भाई साहब की तस्वीर होती है, इसकी कोई खास वजह?
गुरु भाई, तस्वीर से क्या होता है, प्रमुख बात है मैसेज...जो मैसेज मैं देना चाहता था वह तो पाठकों तक पहुंच ही रहा है, आगे भी पहुंचता रहेगा। उस वक्त समय बहुत कम था वर्ल्ड बुक फेयर के लिए और मैं चाहता था कि बुक bookfair में जरूर आये, फिर तब से यही चल रहा है...इसके अलावा और बहुत से कारण हैं - परमिशन etc
8. आपको कहानी की प्रेरणा कहां से मिलती है?
प्रेरणा तो सामाजिक घटनाओं से मिली। आबिद सर के मुख से सुना हैं साहित्य समाज का दर्पण होता है। कहानी चाहे काल्पनिक ही क्यों न हो उसमें सच्चाई जरूर होती है। जो हम देखते-सुनते हैं वही दिमाग की हार्डडिस्क में स्टोर होता रहता है, फिर जैसे जरूरत होती अपने आप बाहर आता रहता है - कभी हास्य-व्यंग्य तो कभी सामाजिक उपन्यास के रूप में।
09. आप सिर्फ सामाजिक उपन्यास ही लिखते है कभी क्राइम या जासूसी भी लिखिए।
गुरु भाई, अब कम्बोज सर का आशीर्वाद मिल ही गया है तो देखिए शायद जासूसी भी लिखूं...इंतज़ार कीजिये।
10. अभी क्या लिख रहे हैं सामाजिक या जासूसी, थोड़ा बताइये।
सामाजिक प्लस लव स्टोरी।
11. और जासूसी कब तक संभव है?
... वैसे एक प्लॉट तो बताया भी है सर (वेदप्रकाश कांबोज) ने, देखिए - इंतेज़ार कीजिये।
12. आने वाली उपन्यास के विषय में कुछ बतायेंगे?
मेरी आने वाली पुस्तक एक सामाजिक प्रेम कहानी है जोकि समाज, माँ-बाप और धार्मिक आस्थाओं के चलते उलझ जाती है। इसमें सच्ची घटनाओ का जिक्र है।
बच्चों के लिए स्वामी विवेकानन्द जी की जीवनी लिख रहा हूँ।
13. 'अधूरा इंसाफ...' उपन्यास हमारे समाज के क्रूर चेहरे को प्रस्तुत करता है। ऐसे प्रकरण बढ रहे हैं, बच्चियां सुरक्षित नहीं है। आपका इस विषय पर क्या कहना है?
दुखद है कि हम अभी भी नहीं सीखे। समाज गर्त में जा रहा है और हमें लगता है कोई दूसरा कुछ करेगा तो सुधार होगा, जबकि हमें अपनी सोच सुधारने की जरूरत है। सोच ही हमारे आचरण को गाइड करती है।
इससे भी बुरा है इन घटनाओं का राजनैतिक करण करना।
धर्म और जाति के चश्मे से देखना।
14. पहले की तुलना में पाठक बहुत कम हो,आप किताबों का भविष्य क्या मानते हैं?
पाठक कम हुए हैं पहले के मुकाबले में...! पर हमें ये भी समझना होगा कि उस दौर में मनोरंजन और टाइम पास करने के साधन क्या-क्या थे, और रीडरशिप कितनी थी।
सिर्फ पुस्तकें ही सस्ता और उपलब्ध मनोरंजन का साधन होती थी।
लेकिन आज स्मार्ट फ़ोन और इंटरनेट युग में जब मनोरंजन के कई साधन आसानी से एक क्लिक पर हाजिर हैं । तब भी लोग बुक खरीदते हैं और पढ़ते हैं।
बुकफ़ेयर में देखिए कभी।
एक बात और कहूंगा, लिफ्ट आने के बाद आज भी हर बिल्डिंग में सीढ़ियां भी बनाई जाती है।
बेसिक साधन वही है बस तरीका बदल गया है, ईबुक, किंडल और पीडीएफ आदि को लोग मोबाइल, टैब औऱ लैप टॉप पर पढ़ते हैं। आने वाले वक्त अच्छा होगा।
(यह साक्षात्कार आपको कैसा लगा, अवश्य बतायें। धन्यवाद)
लेखक- राम पुजारी जी |
रोचक साक्षात्कार। आने वाले उपन्यासों का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंBahut khub ram ji jio
जवाब देंहटाएंAwesome interview, waiting and best of luck for new arrival.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा साक्षात्कार रहा है, keep it up and continue writing
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार साक्षात्कार। बेहतरीन कार्य भाई।
जवाब देंहटाएंशानदार ,बेबाक ,दिल खोलकर बात की आपनें ,आपकी स्पष्टवादिता के लिए राम भाई आपको 10/10 अंक देता हूँ ।आपकी रचनाएं सामाजिक चेतना ,सरोकारों से जुड़ी है ,इसीलिए पाठक उनसे स्वयं को जुड़ा पाता है ।आपकी नूतन रचनाओं का बेसब्री से इंतजार है ,एक बात और आपने जो लिफ्ट और सीढ़ी का उदाहरण दिया इससे बेहतर संदेश हो ही नहीं सकता ।आपको अनंत शुभेच्छाएं..सादर..शशिशेखर त्रिपाठी ..लेखक ,शिक्षक ,विधिवेत्ता
जवाब देंहटाएंBahut badhiya likhte rahi,
जवाब देंहटाएंInterview barista h
Very good bro. keep growing. Weldone
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