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रविवार, 30 अप्रैल 2017

बसंत कश्यप

मेरे प्रिय उपन्यासकार बसंत कश्यप
बसंत कश्यप-

जन्म- 15.09.1962
बसंत कश्यप कौन था, कहां से था, कितने उपन्यास थे? ऐसी कोई भी जानकारी हमारे पास उपलब्ध नहीं है। पर एक उपन्यासकार बसंत कश्यप था, इतना 'विश्वास' है। विश्वास है इनके पढे गये उपन्यास।
  मैंने बहुत समय पहले बसंत कश्यप के उपन्यास पढे थे। वो एक सीरीज थी, जिसमें तीन या चार भाग थे।
  बसंत कश्यप की चर्चा यहाँ इसलिए आवश्यक है की इनके उपन्यास जिस किसी भी पाठक ने पढे हैं, मुझे विश्वास है वो कभी नहीं भूलेगा।
  अदभूत रोमांच, हाॅरर, सस्पेंश, एक्शन और हास्य का मिश्रण था, वैसा और कोई भी लेखक नहीं लिख सका।
  कहानी की बात करें तो जहाँ तक मुझे याद है।
      कुछ विदेशी लोग भारत के हिमालय में एक दुर्लभ खजाने की खोज में आते हैं। वह खजाना कोई पदार्थ नहीं है, हिमालय के साधुओं का सुरक्षित ज्ञान है। दूसरी तरफ से एक भारतीय टीम भी इसी खजाने की तलाश में निकल पङती है। बीच में आती है मौत की घाटी, जिसमें '' लुई" की आत्मा रहती है। लुई भी खजाने की तलाश में मारा गया एक विदेशी था।
    खजाने की तलाश में निकली टीम जब मौत की घाटी में विश्राम करती है तो तब शुरु होता है, लुई का मौत का नाच और एक-एक कर टीम के सदस्य मारे जाते हैं शेष जान बचा कर भाग जाते हैं।
      दूसरी तरफ एक टीम जब नक्शे के आधार पर खजाने की तलाश करती है तो उसके सामने आते है रहस्यमयी सात दरवाजे। उन दरवाजों को व्यक्ति मानसिक योग्यता के दम ही खोल सकता है। कुछ लोग गलत ढंग से दरवाजा खोलने के चक्कर में मारे जाते हैं।   एक उपन्यास तो इन्हीं दरवाजों पर केन्द्रित है।
    भारतीय जासूस जग्गी को जब पता चलता है तो वह अपने स्तर पर हिमालय के उस दुर्लभ खजाने की रक्षार्थ निकल पङता है।
   एक उपन्यास केन्द्रित है हिमालय पर। जहां तक मुझे याद है उस उपन्यास का नाम 'डंके की चोट' था।
  हिमालय पर एक तपस्वी रहते हैं। तपस्वी, उनकी पत्नी ज्योतस्ना, उनका पुत्र व पालतू शेर घोरा।  स्वयं ज्योतस्ना का भी एक काला अतीत है।  यह दंपति हिमालय के उस खजाने की रक्षा करती है। लेकिन कुछ खजाने के भूखे लोग हिमालय की शांति को भंग कर देते हैं। घोरा नामक शेर को मार देते हैं और तपस्वी के पुत्र को बंधक बनाकर शहरी क्षेत्र में भेज देते हैं।
हिमालय के स्वच्छ वातावरण में रहने वाला वह युवक प्रदूषण युक्त वातावरण में आकर बहुत मुश्किलें उठाता है। उसे प्राकृतिक प्रदूषण के अतिरिक्त लोगों के मानसिक प्रदूषण से भी सामना करना पङता है।
  उपन्यास का ये भाग शायद यहां पर पूर्ण हो जाता है। इससे आगे वाला भाग उपन्यास का अंतिम भाग था।
एक अदभुत रचना थी बसंत कश्यप की जो पाठको को वर्षों तक याद रहेगी।
- मौत की घाटी का क्या रहस्य था?
- विदेशी टीम का क्या हुआ?
- जग्गी जासूस कहां तक सफल रहा?
- खजाने तक कौन पहुंचा?
- आखिर खजाना क्या था?
- ज्योतस्ना का काला अतीत क्या था?
- घोरा को किसने मारा?
-तपस्यी के पुत्र का अपहरण किसने व क्यों किया?
-क्या तपस्वी पुत्र वापस हिमालय लौट सका?
-रहस्यमयी दरवाजे कैसे खुलते थे?
ऐसे न जाने कितने प्रश्न उठते हैं, पर उनका उत्तर तो बस बसंत कश्यप के उपन्यास ही दे सकते हैं।
    बसंत कश्यप के उपन्यास मेरे पास अब उपलब्ध नहीं।
बसंत कश्यप के उपन्यास
1. घायल आबरु
2. नायक
3. हिमालय की चीख -प्रथम भाग
4. डंके की चोट.      - द्वितीय भाग
5. तिरंगा तेरे हिमालय का - तृतीय भाग
6. द लिजैण्ड आॅफ भारता -चतुर्थ भाग(अप्रकाशित)
7. खून की पुकार
8. तेरे बिना भी क्या जीना
10. सुलगता फूल
बसंत कश्यप मेरे पसंदीदा लेखक हैं। वर्तमान में इनका कोई भी उपन्यास मेरे पास उपलब्ध नहीं । अगर किसी सज्जन को इनका कोई भी उपन्यास कहीं से उपलब्ध हो तो अवश्य जानकारी दें। 

अगर किसी पाठक मित्र के पास बसंत कश्यप से संबंधित जानकारी हो तो अवश्य शेयर करें।
- 9509583944
Email- sahityadesh@gmail.com

शैलेन्द्र तिवारी

नाम- शैलेन्द्र तिवारी
द्वितीय नाम- श्याम तिवारी

हिंदी की प्रचलित जासूसी उपन्यासों की दुनिया में एक अलग नाम था - शैलेन्द्र तिवारी। शैलेन्द्र तिवारी ने पहले काफी उपन्यास श्याम तिवारी नाम से भी लिखे थे, लेकिन इनके फतांसी उपन्यास शैलेन्द्र तिवारी नाम से ही आये थे। श्याम तिवारी लेखन के दौरान इनका प्रसिद्ध पात्र 'हर्रामी सिंह' था।
जब सारे उपन्यासकार जासूसी, मर्डर मिस्ट्री, सामाजिक इत्यादि उपन्यास लिख रहे थे तब शैलेन्द्र तिवारी ने बिलकुल अलग अंदाज में एक उपन्यास श्रृंखला आरम्भ की।  जादू- टोना, तंत्र-मत्र और मन की शक्ति जैसे नये प्रयोग के साथ। पाठक वर्ग ने भी इनके उपन्यासों को हाथो-हाथ लिया, क्योंकि पाठक एक जैसे परम्परागत उपन्यासों से ऊब चुका था और उसके लिए यह एक नया प्रयोग था। शैलेन्द्र तिवारी का यह प्रयोग खूब सफल रहा।
  काले जादू जैसे अलग विषय को लेकर एक- दो उपन्यास तो लिखे जा सकते हैं पर एक सीरीज लिखना स्वयं में एक चुनौती है। उस चुनौती को शैलेन्द्र  ने अच्छी तरह से निभाया।
मकङा सीरीज के बाद इन्होंने अजगर राजा नाम से नयी सीरीज आरंभ की थी। (नागिन सीरीज)

  इनका प्रसिद्ध पात्र था - मकङा। जी हां, मकङा, काले जादू का जानकार।

काले जादू पर आधारित बहुत ही रोचक श्रृखंला आरम्भ की थी शैलेन्द्र तिवारी जी ने। जहाँ तक मेरा विचार है उपन्यास जगत में इस प्रकार के उपन्यासों की कमी थी, और वह कमी शैलेन्द्र तिवारी जी ने पूरी।
शैलेन्द्र तिवारी के शब्द-
"मैं सन् 1975 से अपने पाठकों का मनोरंजन करता आ रहा हूँ। मेरे उपन्यासों  संख्या सैकङों में पहुँच गयी है। मैं आज जिस मुकाम पर हूँ...उस पर मुझे गर्व है।"
     ‌‌‌   मकङा- काले जादू का महारथी।
            काले जादू की खौफनाक दुनिया के थर्रा देने वाले मंजर...... एक ऐसे शैतान की खूनी दास्तान जो ' आज का रावण' बनकर भगवान को चुनौती देने निकल पङा था....उसके पास था जादूई ताकत का अकूत खजाना...और उसके जाल में फंसा एक ऐसा मासूम इंसान.... जिसकी उसने जिंदगी ही नहीं बल्कि पूरा परिवार ही तबाह करके रख दिया।

संपर्क-
शैलेन्द्र तिवारी
400/3, जागृति विहार
मेरठ, UP
दूरभाष- 0121-2601505
शैलेन्द्र तिवारी के उपन्यास धीरज पाॅकेट बुक्स, मेरठ से प्रकाशित होते रहे हैं।

शैलेन्द्र तिवारी के उपन्यास

मकड़ा सीरीज के उपन्यास

1. मकङा
2. खूनी मकङा
3. कहर बरसायेगा मकङा
4. जहरीला मकङा
5. जलजला मकङा का
6. मकङा का कोहराम
7. मकङा का मकङजाल
8. फिर आया मकङा
9. करामाती मकङा
10. चक्रव्यूह मकङा का
11. चैलेंज मकङा का
12. चण्डालिनी बेला
13. चण्डालिनी बेला का जाल
14. चण्डालिनी बेला और मकङा
15. कहर चण्डालिनी बेला का
16. चण्डालिनी बेला का चैलेंज

 अजगर राजा सीरीज

  1.  अजगर राजा

नागिन सीरीज / रानी चौधरी के उपन्यास

  1. कहर नागिन का
  2. मैं नागिन हूँ
  3. कोहिनूर
  4. नागिन बनी शेरनी
  5. नागिन की फुंफकार
  6. काले जादू के जाल में नागिन
  7. काला जादू और कोबरा
  8. नागिन और तांत्रिक सम्राट

हमारे पास उक्त लेखक के विषय में इतनी ही जानकारी उपलब्ध है। अगर आपके पास इस लेखक के विषय में कोई अन्य जानकारी हो तो हमें भेजने का कष्ट करें।

शनिवार, 29 अप्रैल 2017

धीरज

धीरज के उपन्यास

1. घर की बहू

2. राजा बेटा

3. कुलटा

4. बहू बेटी

5. तेरी याद

6. बदकार

7. दिल एक खिलौना

8. घर परिवार

9. राम भैया

10. सदा सुहागिन

11. भरत मिलाप

12. राज तिलक

13. त्रिवेणी

14. उङा लग्न मंडप

15. खून के रिश्ते

16. विधवा

17. माँ का आशीर्वाद

18. दुर्गा

19. मुझे तलाक चाहिए

20. अमानत

21. बिन फेरे दुल्हन

22. औरत पैर की धूल नहीं

23. बेटे की विदाई

24. उधार की बिंदिया

25. अभागी सुहागिन

26. मेहंदी के जख्म

27. बङे घर का दामाद

28. वो नहीं आये

29. लहू पुकारेगा

30. इज्जत की नीलामी

31. बदनाम देवता

32. सौतेला खून

33. कफन मेरी वर्दी का

34. कानून का पिंजरा

35. लंबी जुदाई

36. प्रेम समाधि

37. कातिल बहू

38. गुनाह का बेटा

39. खूनी भेड़िया

40. लाल कोठी का कैदी

41. खून के प्यासे लोग

42. मौत का जाल

43. जान की बाजी

44. मुट्ठी भर बारूद

45. एक और ज्वालामुखी

46. ज्वाला का इंसाफ

47. अंगारे की वापसी

48. लेडी नटवरलाल

49. जहर के पुतले

50. खून का हिसाब

51. सबसे बङा माफिया

52. अंडरवर्ल्ड का बादशाह

53. गोली की गूंज

54. क्रांति की देवी

55. बारूद की लंका

55. साजिश का मोहरा

56. खून की लहरें

57. हिंसा की चिंगारी

उपर्युक्त सभी उपन्यास राजा पाॅकेट बुक्स दिल्ली से प्रकाशित हैं।    www.rajapocketbooks.com

रवि


रवि एक सामाजिक उपन्यासकार थे।
इनके एक कवर चित्र के अलावा अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं।
उपन्यास
1. अधूरी बिदाई (विदाई)

टाइगर

लोकप्रिय जासूसी उपन्यास के संस्पेंश, एक्शन और थ्रिलर के दौर में टाइगर एक मात्र ऐसे लेखक थे जिन्होंने अपने उपन्यासों में हास्य का मिश्रण भी किया था।
उपन्यास जगत के सुनहरी समय में टाइगर के उपन्यासों की पाठकों को बेताबी से प्रतीक्षा रहती थी।
         अधिकतर पाठक टाइगर को एक घोस्ट राइटर (Ghost Writer) मानते हैं लेकिन यह सत्य नहीं है। टाइगर हरियाणा के भिवाणी जिले के निवासी हैं और इनका मूल नाम जगदीश कुमार वर्मा है और वर्तमान में टाइगर सामान्य पुस्तकें J.K. VERMA के नाम से लिख रहें हैं।
   टाइगर नाम से लिखने वाले मुख्यतः दो लेखक सामने आते हैं। प्रथम यशपाल वालिया और द्वितीय JK VERMA.
 अगर आप टाइगर के उपन्यास पढते हो तो दोनों के उपन्यासों में स्पष्ट अंतर पता चला है।
  यशपाल वालिया ने इंस्पेक्टर विजय यादव और करतार सिंह जैसे पात्र पैदा किये थे। वही वर्मा जी ने 'शेषनाग- शामली' को बाजार में उतारा।
   वर्मा जी द्वारा लिखित उपन्यासों में हास्य और थ्रिलर का बेहतरीन मिश्रण मिलता है। 
इनके सभी उपन्यास और सामान्य किताबें राजा पाॅकेट बुक्स दिल्ली से प्रकाशित होती रही हैं।
इनका अब तक का अंतिम प्रकाशित उपन्यास 'मिशन आश्रम वाला बाबा'  है, 'मिशन सफेद कोट' उपन्यास की मात्र घोषणा की पर उपन्यासों की कम बिक्री के कारण फिलहाल इन्होंने इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढाया।
      इनके शेषनाग शामली और इंस्पेक्टर विजय यादव सीरीज काफी प्रसिद्ध हुये थे।
संपर्क-
जे.के. वर्मा
Mob.- 9996666769, 9812524246
Site-  www.topbooksofindiaa.com
  टाइगर के परिचय के लिए यहाँ क्लिक करें। 
उपन्यासकार टाइगर के उपन्यास
-------
1. इंसाफ का शहंशाह
2. खूनी जंग
3. सुहागिन बनी नागिन
4. खून की तीन बूंदें
5. कानून मेरी मूट्ठी में
6. नाम का अर्जुन
7. गोली तेरे नाम की
8. हम कानून बेचते हैं 

वेदप्रकाश वर्मा

वेदप्रकाश वर्मा के बारे में ज्यादा जानकारी तो उपलब्ध नहीं होती। इनके एक उपन्यास का कवर पेज उपलब्ध हुआ है जिसके आधार पर इनका पता चलता है। इनके कुछ उपन्यासों पर 'क्रांतिकारी लेखक वेदप्रकाश वर्मा' लिखा हुआ भी मिलता है।।
प्रथम उपन्यास-        वतन न बिक जाये
पच्चीसवां उपन्यास - माटी मांगे खून
पचासवां उपन्यास-    अंगारे
पिचहतरवां उपन्यास-  मत खेलों कानून से
कुल उपन्यास-        

वेदप्रकाश वर्मा उपन्यास के उपन्यास
  1. भ्रष्टाचार
  2. हिंसा भङक उठी
  3. देशभक्त दरिंदा 
  4. आत्मा की हत्या (दुर्गा पॉकेट बुक्स)
  5. एनकाउंटर (दुर्गा पॉकेट बुक्स)
  6. जालसाज हत्यारा ( दुर्गा पॉकेट बुक्स)
  7. केशव के दुश्मन (दुर्गा पॉकेट बुक्स)
  8. हिन्द नहीं झुकेगा (दुर्गा पॉकेट बुक्स)
  9. देश भक्त दरिंदा (हिंद पॉकेट बुक्स)
  10. कसम धरती माँ की (गौरी पॉकेट बुक्स)
  11. कोई गुलाम नहीं (गौरी पॉकेट बुक्स)
  12. आवाज दो कानून को
  13. वतन न बिक जाये
  14. अंगारे
  15. माटी मांगे खून
  16. मत खेलों कानून से
  17. आत्महत्या कल
  18. पंगेबाज(104
  19. खुराफात(105)
  20. त्रिशूलधारी (106)

संपर्क-
- वेदप्रकाश वर्मा
गांधी नगर, सरधना,मेरठ
उत्तर प्रदेश
उक्त लेखक के विषय अगर किसी पाठक को कोई भी जानकारी हो तो वह हमें भेजने का कष्ट करें।

सुनील मोहन पाठक

सुनिल मोहन पाठक के विषय में हमें कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं होती।
माना जाता है इन्होंने प्रसिद्ध लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक के एक विशेष नायक विमल की प्रसिद्धि के आधार पर विमल सीरीज प्रारंभ की थी।
इनके अब तक दो उपन्यासों की जानकारी उपलब्ध होती है।
1. दस करोड़ की डकैती (विमल सीरीज)
2. सुनहरी जाल।
उक्त लेखक के विषय में अगर किसी पाठक को कोई अन्य जानकारी हो तो हमें भेजने का कष्ट करें।

सोमवार, 24 अप्रैल 2017

अपनी बात

प्रथम पोस्टलोकप्रिय उपन्यास संरक्षण- एक पहल
गुमनामी के अँधेरे में खोता लोकप्रिय उपन्यास साहित्य

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          गुमनामी के अँधेरे में खोते जा रहे असाहित्यिक/लोकप्रिय/लुगदी साहित्य को संरक्षित करने का एक छोटा सा प्रयास 'साहित्य देश' ब्लाॅग के माध्यम से किया जा रहा है।
इस क्षेत्र में बहुत से लेखक थे, असंख्य उपन्यास प्रकाशित हुए लेकिन समयानुसार वो सब गुमनामी के अँधेरे में खो गये। बहुत सी अच्छी रचनाएँ आज ढूंढने पर भी नहीं मिलती। पता नहीं वो सब कहां खो गयी।
  एक बङा दुख ये है की इंटरनेट के इस समय में कुछ लेखकों को छोङ कर अन्य किसी भी लेखक की जानकारी उपलब्ध नहीं होती। कोई प्रयास नहीं किया गया।
   अपनी कलम से लाखों लोगों को दीवाने बनाने वाले वो कलम के जादूगर न जाने कहां चले गये।
  उन उपन्यासकारों व उनकी औपन्यासिक कृतियों को संरक्षित करने का एक प्रयास किया जा रहा है।
उपन्यासों का वह अमूल्य भण्डार बिखरा हुआ है, उनको सहेज कर एक जगह एकत्र किया जाये ताकी आगामी पीढी भी इस अमूल्य साहित्य का रसास्वादन कर सके।
यह प्रयास किसी एक व्यक्ति से संभव नहीं है। इसके लिए समस्त उपन्यास पाठकों को कोशिश करनी होगी, तभी इन दुर्लभ कृतियों को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
  अगर किसी भी व्यक्ति के  पास लोकप्रिय/लुगदी साहित्य/ असाहित्यिक उपन्यास, उनसे संबंधित कोई जानकारी, लेखकों के नाम या उनसे संबंधित कोई स्मरण हो तो हमें प्रेषित करें।
इस उपन्यास जगत के सुनहरे दौर को सुरक्षित रखने के लिए आपके सहयोग की अति आवश्यक है‌।
धन्यवाद 
- गुरप्रीत सिंह
   श्री गंगानगर, राजस्थान
- sahityadesh@gmail.com
- 9509583944

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मेरठ उपन्यास यात्रा-01

 लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...