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गुरुवार, 25 दिसंबर 2025

वीरेन्द्र दत्त शर्मा

वीरेन्द्र दत्त शर्मा

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य में वीरेन्द्र दत्त शर्मा जी को 'मास्टर जी' के नाम से जाना जाता रहा है। वीरेन्द्र दत्त शर्मा जी के मेरठ शहर ने निकटवर्ती किसी गांव के निवासी थे।

आबिद रिजवी साहब के शब्दों में 'मास्टर जी साइकिल से प्रकाशकों के यहां आया करते थे और वह जासूसी उपन्यास लेखक थे ।'

वीरेन्द्र दत्त शर्मा जी शायद पेशे से अध्यापक रहे होंगे तभी वह मास्टर जी के नाम से प्रसिद्ध हुये थे। उन्होंने विकास सीरीज के उपन्यास लिखे है।

मास्टर जी के उपन्यास नीलम पॉकेट बुक्स मेरठ से प्रकाशित होते रहे है।

वीरेन्द्र दत्त शर्मा जी के उपन्यास

  1. रघुनाथ का बेटा (शायद यह शब्द बेटा ही है या फिर पुत्र)
  2. विकास मेरा दुश्मन
  3. शेरदिल
  4. हरामखोर
  5. हत्या एक परिवार की 




राजभारती के साथ- युगांक धीर

राजभारती के साथ-  युगांक धीर

 

        2000 से 2015 तक मैं दिल्ली में पटेल नगर में रहा ! ... बीच में एक-दो महीनों के लिए अपने परिवार के पास मुंबई चला आता था ... मई-जून और दिसंबर-जनवरी में ... और फिर वापस दिल्ली लौट जाता था ... जहां राजकमल और वाणी प्रकाशन के लिए मैं अनुवाद और संपादन का काम कर रहा था ! 
        इसी बीच ... "अमिताभ की संघर्ष कथा" और "सार्त्र का सच" नाम से मेरी दो मौलिक पुस्तकें भी प्रकाशित हुईं ! 
       साथ ही मैंने आजादी की लड़ाई के आधार स्तंभ रहे घनश्याम दास बिड़ला के सुपुत्र और हिंदुस्तान टाइम्स के भूतपूर्व चेयरमैन कृष्ण कुमार बिड़ला की आत्मकथा "इतिहास का स्पर्श बोध" और कुलदीप नैयर की आत्मकथा "एक जिंदगी काफी नहीं" और उन्हीं के द्वारा लिखी गई भगत सिंह पर अब तक की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक "सरफरोशी की तमन्ना" समेत कई दर्जन महत्वपूर्ण और उत्कृष्ट पुस्तकों का हिंदी अनुवाद किया !

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