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रविवार, 31 जनवरी 2021
शनिवार, 23 जनवरी 2021
6. साक्षात्कार- अनिल सलूजा
सौ उपन्यासों का लेखक- अनिल सलूजा
ब्लॉग साहित्य देश साक्षात्कार की शृंखला में प्रसिद्ध उपन्यासकार अनिल सलूजा जी का साक्षात्कार प्रस्तुत कर रहा है। अनिल सलूजा जी ने अपने पात्र बलराज गोगिया, रीमा राठौर, भेड़िया और अजय जोगी जैसे विशेष ख्याति अर्जित की है।1. अनिल जी साहित्य देश और पाठकवर्ग सबसे पहले आपका परिचय जानना चाहेगा, हालांकि पाठक आपको लेखक तौर पर जानते हैं लेकिन अपने प्रिय लेखक के जीवन से भी परिचय होना चाहते है।
अनिल सलूजा जी- मेरा जन्म 15 अप्रैल 1957 को हरियाणा के पानीपत में हुआ। मेरी शिक्षा भी यहीं हुयी है।
2. अपनी शिक्षा के बारे में कुछ बतायेंगे।
अनिल सलूजा जी- मैंने हायर सेकेंडरी के पश्चात ITI में रेडियो और टीवी मैकेनिक में डिप्लोमा किया है। और मेरी वर्तमान में शहर में रिपेरिंग की दुकान है।
3. आपका लेखन की तरफ रूझान कैसे हुआ?
अनिल सलूजा जी- मैं आठवी कक्षा में था। तब एक बार कहीं से वेदप्रकाश कांबोज जी का उपन्यास पढने को मिला, वह मुझे बहुत रोचक लगा। उसके बाद इधर-उधर से, किराये पर उपन्यास पढने आरम्भ कर दिया। फिर तात्कालिक लेखकों को पढा जैसे- ओमप्रकाश शर्मा, वेदप्रकाश कांबोज जी, राजभारती है।
4. लेखन की तरफ कैसे आना हुआ?
अनिल सलूजा जी- पढने के साथ-साथ यह इच्छा भी बलवती होती गयी की इन लेखकों की तरह मेरी भी तस्वीर छपनी चाहिए।
कक्षा नौ वीं से ही लिखना आरंभ कर दिया था। मेरा पहला उपन्यास 'बेकसूर हत्यारा' मनोज पॉकेट बुक्स में ट्रेड नेम से प्रकाशित हुआ। यह सन् 1990 के लगभग की बात है।
5. आपके वास्तविक नाम से कब प्रकाशित हुआ?
अनिल सलूजा जी- सन् 1994-95 में मेरा प्रथम उपन्यास 'फंदा' प्रकाशित हुआ, यह बलराज गोगिया सीरीज का उपन्यास था। उसके बाद तो वास्तविक नाम से और ट्रेड नाम से यह सफर निरंतर चलता रहा।
6. आपने अब तक कितने उपन्यास लिखे हैं?
अनिल सलूजा जी- मेरे नाम अनिल सलूजा से सौ उपन्यास प्रकाशित हुये हैं और ट्रेड नेम से लगभग सवा दो सौ उपन्यास प्रकाशित हुये हैं।
7. आपने किस -किस नाम से और किस -किस प्रकाशन के लिए ट्रेड नेम से लिखा है?
उपन्यासकार अनिल सलूजा जी |
8. आपके स्वयं के पात्र कौन-कौन से रहे हैं?
अनिल सलूजा जी- मेरे नाम से मेरा पात्र बलराज गोगिया सर्वप्रथम प्रकाशित हुआ है। इसके अतिरिक्त रीमा राठौर, अजय जोगी, भेड़िया।
अजय जोगी के तीन-चार उपन्यास हैं। भेडिया के सात-आठ उपन्यास हैं।
9. अजय जोगी काफी चर्चित पात्र रहा लेकिन आपने उस आगे नहीं बढाया, इसकी कोई विशेष वजह?
अनिल सलूजा जी- मैं शिवा पॉकेट बुक्स के लिए शिवा पण्डित भी लिखता था जिसका पात्र अर्जुन त्यागी काफी चर्चित था। वहीं से कुछ मित्रों ने सलाह दी की आपका पात्र तो खूब चर्चित है लेकिन आपका नाम कहीं भी नहीं। तब मैंने अपने नाम अनिल सलूजा के नाम से अजय जोगी आरम्भ किया, जो की एक स्मैकिया और धोखेबाज किस्म का व्यक्ति था।
जब शिवा पण्डित ट्रेड नेम रवि पॉकेट बुक्स वालों के पास आया तो मनेष जी (रवि पॉकेट बुक्स के मालिक) की सलाह पर मैंने अजय जोगी को छोड़ कर अर्जुन त्यागी पर ही ध्यान केन्द्रित किया।
10. तात्कालिक किन लेखकों से आपका संपर्क रहा है?
अनिल सलूजा जी- मैं रिजर्व किस्म का व्यक्ति रहा हूँ। मेरा बाहरी संपर्क कम रहा है। फिर भी प्रकाशक के यहाँ या अन्य कार्यक्रमों में अक्सर लेखक मित्रों से मुलाकात हो जाती थी। इनमें से राज भारती जी, अनिल मोहन जी और योगेश मित्तल जी से मेरा विशेष संपर्क रहा है।
अनिल सलूजा जी इस विशेष साक्षात्कार के लिए साहित्य देश टीम आपका हार्दिक आभार व्यक्त करती है।
शनिवार, 2 जनवरी 2021
उपन्यास जगत : सुनहरे दौर की एक झलकी - राम पुजारी
उपन्यास जगत : सुनहरे दौर की एक झलकी - राम पुजारी
“जासूस शब्द सुनते ही दो नाम मस्तिष्क
की दीवारों पर उभरते हैं पहला शरलक होम्स और दूसरा इसके रचियता सर आर्थर कानन डॉयल
। 221 B, बेकर
स्ट्रीट में रहने वाला शरलक वह जासूस है जो अपनी विलक्षण प्रतिभा के बल पर अनुमान लगाता
है, तर्क
करता है और फिर निष्कर्ष पर पहुँचता है और अंत में अपराधियों का पता लगा लेता है ।”
हिन्दी भाषा में जासूस के लिए ‘गुप्तचर’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता था बाद में इसकी जगह जासूस शब्द प्रचलित होता चला गया । आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य ने मौर्य साम्राज्य की नींव और संचालन के लिए गुप्तचरों के एक ऐसे तंत्र की रचना की जोकि अभेद्य थी । उस काल खंड से लेकर आज के आधुनिक काल तक प्रशासन की सफलता गुप्तचरों अथवा जासूसों पर ही निर्भर रहती है । पुलिस विभाग में जब कोई व्यक्ति एक रकम के एवज में कोई सूचना या इन्फोर्मेशन देता है तो उसे ‘इन्फोर्मर’ कहा जाता है ।
वार्ष्णय टाइम्स, दिसम्बर2020 |
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