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रविवार, 27 अक्तूबर 2019

प्रेम वाजपेयी कहते हैं।

प्रेम वाजपेयी कहते हैं।
आपका हजार बार शुक्रिया


इधर हजारों की संख्या में मुझे मेरे पाठकों के खत मिले हैं। उन खतों में मुझे जो प्यार दुलार, मान, सम्मान और हौंसला और उत्साह मिला है। उसके लिए मैं अपने पाठकों का बहुत ही कृतज्ञ हूँ। इसके ऐवज अगर मैं उनका हजार बार शुक्रिया अदा करूं तो यह भी कम होगा। उन सभी खतों में चेतना की एक लहर भी मुझे दिखाई पड़ी है। मुझसे भारी संख्या में पुराने उपन्यासों की सूची की मांग की गई है। पाठकों ने लिखा है कि अब वे नकली के मामले में बहुत ही सावधान हो गये हैं और उन्हें धोखा नहीं दिया जा सकता। फिर भी मैं एक बात दोहराना उचित समझता हूं कि मेरे नये उपन्यास अब सिर्फ मनोज पाकेट बुक्स में ही प्रकाशित होंगे। अगर कोई प्रकाशक आपको यह सूचना देता है कि वह प्रेम वाजपेयी का नया उपन्यास छाप रहा है तो उसे कदापि सच न मानें। निश्चित रूप से वह जाली उपन्यास होगा।
       आप मेरे जाली उपन्यासों के बारे में भ्रमित न हो। इसके लिए मेरा निवेदन है कि आप मुझे एक पत्र लिख कर मुझसे मेरे पुराने उपन्यासों की सूची मंगा लें। दस पैसे खर्च करने पर आपको सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि भविष्य में प्रकाशित होने वाले अपने उपन्यासों की सूचना आपको देता रहूंगा तथा जाली उपन्यासों के बारे में भी आपको जानकारी मिलती रहेगी।
        जैसा की आपको मालूम है कि मेरे नकली उपन्यासों के प्रकाशन का केन्द्र मेरठ है। अभी-अभी मेरठ से कुछ जाली उपन्यास निकाले गये हैं। इन उपन्यासों पर मैं कानूनी कार्यवाही करने तो जा ही रहा हूँ। फिर भी आप मेरठ से निकलने वाले नकली उपन्यासों से सावधान रहें।
      मेरे नाम से निकाले गये उपन्यास एकदम जाली हैं। मन छुपी पीड़ा, दर्द के साथी, एक चुभन गुलाब की, उजले मोती काले पंख, वासना की देवी, पाप की पुतली, ढलती रात का सपना। मेरे लिखे उपन्यास नहीं है। इन जाली उपन्यासों को बेचते हुए यदि किसी बुलसेलर को पायें तो उसका पता नोट करके हमारे पास अवश्य भेजें।
       एक बार फिर मैं अपना नया उपन्यास लेकर आपके सामने आया हूँ। आप बड़े ध्यान से इस उपन्यास को पढे़ और पढ़ने के बाद दो शब्द मुझे अवश्य लिखें। आपके पत्रों से मुझे और भी अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है। मुझे यह ज्ञान मिलता है कि आपकी रूचि कैसी है। आप कैसा उपन्यास पसंद करते हैं।

आशा है सानंद होंगे
शुभ कामनाओं सहित
प्रेम वाजपेयी
एफ-1/27, कृष्णनगर, दिल्ली-51

(उपन्यास 'लटके हुए लोग' के लेखकीय से



3 टिप्‍पणियां:

  1. आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं, आज की पीढ़ी पुस्तकों से दूर होती जा रही है हो सकता है आपके ब्लॉग को पढ़कर ही कुछ लोगों में पुस्तको के प्रति रुचि हो जाये।
    आककल एक तो अच्छा साहित्य भी कम है उसपर भी पाठक संख्या बहुत कम।

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