एक नया स्तंभ है 'तब और अब', जिसमें कोशिश रहेगी लेखकगण के नये और पुराने चित्रों को दर्शाने की।
इस स्तंभ का आरम्भ आबिद जी के चित्र के साथ कर रहे हैं।
समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। समय आदमी के चेहरे को बदल देता है।
अब प्रिय आबिद जी की तस्वीरें ही देख लीजिएगा समय के साथ बहुत बदल गये, बस नहीं बदली तो उनकी मूँछें
मूँछें कल भी शान थी, आज भी शान हैं।
मूँछें आबिद जी की विशेष पहचान हैं।
इस स्तंभ का आरम्भ आबिद जी के चित्र के साथ कर रहे हैं।
समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता है। समय आदमी के चेहरे को बदल देता है।
अब प्रिय आबिद जी की तस्वीरें ही देख लीजिएगा समय के साथ बहुत बदल गये, बस नहीं बदली तो उनकी मूँछें
मूँछें कल भी शान थी, आज भी शान हैं।
मूँछें आबिद जी की विशेष पहचान हैं।
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