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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

डायमंड क्वीन- एस.सी. बेदी, हास्यरस

नमस्ते पाठक मित्रो,
   साहित्य देश ब्लॉग के स्तम्भ हास्यरस में आज आपके लिये प्रस्तुत है एक नया आनंददायक किस्सा।
  आपने बहुत से उपन्यासों में हास्य-व्यंग्य पढे होंगे, विशेषकर जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी और टाइगर (जे.के. वर्मा) के उपन्यासों में। इस शृंखला की प्रथम अंक में आपने कुशवाहा कांत जी के `उड़ते-उड़ते` हास्य संग्रह से  जनसेविका पुलिस- कुशवाहा कांतनामक हास्यरस पढा, इस शृंखला को आगे बढाते हुये हम आज यहां एस.सी. बेदी जी के उपन्यास `डायमंड क्वीन` का एक हास्य अंश प्रस्तुत कर रहे हैं।

     विमान जब उड़ कर ब्रिटेन की सीमा पार करके बाहर आ गया तो भगत ने निकट से गुजरती परिचारिका को बुलाया-
“मिस लैला।”
उसने चौंक कर भगत की तरफ देखा-“आपने मुझे पुकारा?”
“इस विमान में और लैला कौन हो सकती है?”
“लेकिन मेरा नाम लिली है।”
“लैला हो या लिली, नाम की ऐसी की तैसी, वैसे तुम हो खूबसूरत।”
“आप क्या लेना पसंद करेंगे?”
“तुम दे नहीं सकोगी।”
“आपकी हर इच्छा को पूरा करना मेरा फर्ज है।”
“तो जल्दी से एक गर्मा गर्म चुम्बन दे दो।”
“लेकिन चुम्बन जैसी कोई वस्तु विमान में मौजूद नहीं।”
“तुम्हारे पास होंठ मौजूद हैं मिस लैला।”
“ओह...अभी आती हूँ।”
थोड़ी देर बाद वह भगत के निकट आकर खड़ी हो गयी। उसके होंठों पर मुस्कान थी।
“यानि फंसी।”- भगत बुदबुदाया।
“मैं आपकी बगल में बैठ सकती हूँ।”
भगत एक तरफ को सरक गया और होंठों को जीभ फेर कर चुम्बन के लिये तैयार करने लगा।
सीट पर बैठ कर उसने नकली रबड़ के होंठ भगत को थमा दिये।
“इन्हें जब तक चाहें आप चूम सकते हैं।”- कहने के साथ ही वह हंसती हुयी उठी और आगे बढ गयी।
………………………………..
इसी उपन्यास का एक ओर दृश्य देखें
  “इंजन में खराबी आ गयी है। तुमने कई विमान दुर्घटनाओं के बारे में सुना होगा, आज देख लो विमान दुर्घटना में आदमी जब आसमान से धरती पर गिरता है तो उसके  किस प्रकार चिथड़े उड़ते हैं।”
“मिस्टर भगत।”- लिली बोली,-“आप समझदार आदमी हैं, यात्रियों को इस तरह मत डराइये”
“तो किस तरह डराऊ?”
 
उपन्यास – डायमंड क्वीन
लेखक –  एस. सी बेदी
प्रकाशक- यंग लेडी प्रकाशन, मेरठ

अन्य महत्वपूर्ण लिंक
उपन्यास समीक्षा- डायमंड क्वीन
जनसेविका पुलिस- कुशवाहा कांत


रविवार, 17 अक्तूबर 2021

साधना प्रतापी

 नाम- साधना प्रतापी

साधना प्रतापी के उपन्यास
1. खोटा सिक्का
2. देवताओं की धरती
3. एक थी देवी
4. अभिनेत्री
5. पुजारी
6. बदनाम फरिश्ता
7. दिल की किताब कोरी है।
अन्य लिंक
योगेश मित्तल जी के स्मृति कोष से 
साधना प्रतापी






गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी की पुण्यतिथि पर

 जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी 14.10.1998 को इस नश्वर संसार को अलविदा कह गये। उनका भौतिक अस्तित्व चाहे न रहा पर अपने उपन्यासों और यादगार पात्रों से वे साहित्य संसार में अमर हो गये।
    जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी की पुण्यतिथि पर युवा लेखक अजिंक्य शर्मा जी श्रद्धांजलि स्वरूप उन्हें इस आर्टिकल के माध्यम से याद कर रहे हैं। 
        उपन्यास जगत में जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे सर्वश्रेष्ठ उपन्यासकारों में से एक थे। उन्होंने हिंदी उपन्यास जगत में ऐसा करिश्मा कर दिखाया, जो शायद ही कोई और कर सका हो। उनकी अदभुत लेखनी के दीवानों की संख्या करोड़ों में है। लोग बुकस्टालों पर उनका नाम ले-लेकर पूछा करते थे कि शर्मा जी कि नई किताब आई क्या?
आखिर उनकी रचनाओं में ऐसा क्या था? 

बुधवार, 13 अक्तूबर 2021

वेदप्रकाश गुप्ता

 नाम- वेदप्रकाश गुप्ता

लोकप्रिय उपन्यास साहित्य (Hindi Pulp Fiction) एक ऐसा अथाह सागर जहां गहरे पानी में आप डुबकी लगाओगे तो वहां से एक नहीं अनेक मोती मिलेंगे। हां, कुछ मोती प्राकृतिक हैं तो कुछ कृत्रिम भी हैं। प्राकृतिक और कृत्रिम में पहचान करना भी सरल कार्य नहीं है।
     उपन्यास साहित्य के इस अथाह सागर में 'वेद' नामक मोती ऐसा है, जिसके नाम से मिलते -जुलते और बहुत से मोती इस सागर में मिलते हैं। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार आदरणीय वेदप्रकाश काम्बोज, वेदप्रकाश शर्मा और वेदप्रकाश वर्मा ही वह असली लेखक हैं‌ जिन्होंने वास्तविक लेखन किया और अपने नाम तथा तस्वीर के साथ प्रकाशित हुये। इसके अतिरिक्त और भी बहुत 'वेदप्रकाश' इस क्षेत्र में सक्रिय रहे, कौन वास्तविक था और कौन Ghost Writer यह कहना कुछ मुश्किल सा है।
    इसी क्रम में एक और 'वेद' का पता चला है और वह वेद हैं - वेदप्रकाश गुप्ता।
  वेदप्रकाश गुप्ता जी के विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं होती। उनके एक उपन्यास से यह जानकारी प्राप्त हुयी है, जो दिल्ली के 'पूनम पॉकेट बुक्स- दिल्ली' से प्रकाश्य है।
     वेदप्रकाश गुप्ता के उपन्यास
1. क्रांति की ज्वाला 


कुछ वेद निम्नलिखित हैं 
1. वेदप्रकाश
2. वेदप्रकाश काम्बोज
3. वेदप्रकाश शर्मा
4. वेदप्रकाश वर्मा
5. वेदप्रताप शर्मा
6. वेदप्रकाश गुप्ता

शनिवार, 9 अक्तूबर 2021

यादें वेदप्रकाश शर्मा जी की-07

यादें वेदप्रकाश शर्मा जी की-07
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लक्ष्मी पाकेट बुक्स की किताबों की कम्पोजिंग और प्रिन्टिंग करने वाले एक शख्स का मकान और कम्पोजिंग एजेन्सी और प्रिन्टिंग प्रेस बाहरी मेरठ के कंकरखेड़ा क्षेत्र में थी! 
अचानक ही एक दिन मेरे दिल में आया कि जब मैं लगातार मेरठ में ही रह रहा हूँ तो मुझे वहीं कहीं एक कमरा ले लेना चाहिए! 
लक्ष्मी पाकेट बुक्स के उन दिनों के स्वामी सतीश जैन उर्फ मामा से मैंने इस बात का जिक्र किया! उस समय वह कंकरखेड़ा वाले प्रेस वाले वहीं थे! ( उनका नाम आज याद नहीं है! सहूलियत के लिए हम 'राजनाथ जी' कहेंगे!) 

बातचीत में शामिल होते हुए उन्होंने पूछा - "शहर से थोड़ा दूर...चल जायेगा?"
"चल जायेगा!" मैंने बिना सोचे समझे कह दिया! 
उनके पास एक मोपेड थी! वह उसी समय मुझे मोपेड पर बैठा कर कंकरखेड़ा ले गये! 
उन्हीं के मकान में एक कमरा था, जिसका एक दरवाजा बाहरी गली और एक मकान के अन्दर पड़ता था! 
लेट्रीन-बाथरूम सभी किरायेदारों के लिए एक ही था और पानी के लिए एक हैण्डपम्प था, जो मकान के अन्दर मेरे कमरे के बिल्कुल निकट ही था! 
जब मैंने कमरा देखा तो खास बात मैंने यही देखी थी कि उसका एक द्वार बाहर की गली में था, जिससे मुझे 'टैम-बेटैम' घर आने में भी कोई परेशानी नहीं होनी थी! 
बाहर से ताला, फिर दरवाजा खोला और अपने घर के अन्दर! 
मैंने कमरा किराए पर ले लिया! 
उन दिनों मैं कुछ नये प्रकाशकों के लिए विक्रांत सीरीज़ के उपन्यास लिख रहा था! 
उन दिनों बहुत से ऐसे प्रकाशकों के लिए भी लिखा, जिनसे दिली जुड़ाव कभी भी कुछ ज्यादा नहीं रहा! 
उनमें से ज्यादातर ऐसे प्रकाशन थे, जो जब शुरू हुए, तभी हम जैसे सभी लेखकों को यह पता चल गया था कि यह गाड़ी ज्यादा चलने वाली नहीं है, इसके कई कारण थे! वे सिर्फ नकली ओम प्रकाश शर्मा और वेद प्रकाश काम्बोज और एच. इकबाल छापकर नोट छापना चाहते थे!
किसी अच्छे लेखक को उसके नाम से छापने में, उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। 

गुरुवार, 7 अक्तूबर 2021

यादें वेद प्रकाश शर्मा जी की-06

कुछ यादें वेद प्रकाश शर्मा जी के साथ की - 06
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उन दिनों मेरठ में ही रहवास होने के कारण फंक्शन वाले दिन मैं अकेला ही पहुँचा था।
मैं अन्य मेहमानों से कुछ ज्यादा ही जल्दी आ गया था, किन्तु यार के घर पहुँच कर भी बेकार था, क्योंकि एक तो कोई पहचाना चेहरा तो क्या कोई भी चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था।
और दूसरे जिसने बुलाया था, उसकी शक्ल भी दूर तक कहीं दिखाई नहीं दे रही थी, बल्कि उसे बुलाने - पुकारने का भी कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। मैंने दो-तीन बार 'वेद जी, वेद भाई' कहकर पुकारा भी, पर मेरी आवाज पर सिर्फ हल्की सी गुर्राहट ही सुनाई दी। 
उस समय कोई वाचमैन - दरबान भी कहीं नहीं दिख रहा था। तब कोठी में कालबेल जैसी भी कोई चीज़ नहीं थी। 
समस्या यह भी थी कि उस समय मुझे घर में प्रवेश का कोई अन्य रास्ता नहीं दिखाई पड़ रहा था। रास्ता सिर्फ दायीं ओर का वह शीशे का द्वार था, जिसके पीछे एक डार्क कलर का एक बड़ा सा कुत्ता था। वह कुत्ता मुझे उस समय शेर दिखाई पड़ रहा था।
वह मुझे देख कर भौंक तो ज्यादा नहीं रहा था, पर घूर रहा था और गुर्रा रहा था, पर राहत की बात यही थी कि उस समय उसके और मेरे बीच शीशे का बन्द दरवाजा था। 

शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

हिंदी साहित्य और जासूसी उपन्यास – गोविंद सिंह

 हिंदी साहित्य और जासूसी उपन्यास – गोविंद सिंह

 हिंदी में जासूसी साहित्य को वह प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं है, जो पाश्चात्य जगत में इस प्रकार के साहित्य को प्राप्त है। हिंदी में अब तक एक लाख से अधिक प्रकार के जासूसी उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं, पर इसके बावजूद हिंदी साहित्य के इतिहास में कोई उनका नाम लेवा नहीं है।....आखिर इसका कारण क्या है? 

हिंदी साहित्य और जासूसी उपन्यास – गोविंद सिंह
        संसार में ऐसा कोई मनुष्य नहीं है,  जिसने अपने बचपन में किस्से-कहानियां न सुनी हो। जन्म से ही मानव- स्वभाव कथा प्रिय है। रहस्य-रोमांच से परिपूर्ण किस्से उसे अच्छे लगते हैं। एक जमाना था, जब गाँव की चौपाल में एकत्रित जनसमूह को किस्सागो कहानियां सुनाया करते थे। वह लोगों का मनोरंजन करने के साथ अपनी जीविका का भी उपार्जन करते थे। राजाओं, महाराजाओं, नवाबों ने भी अपने दरबार में किस्सा सुनाने वालों को रख छोड़ा था। ऐसे ही किस्सागो लोगों के द्वारा  सुनाये गये किस्से आज भी  'अलिफ लैला, चहारदरवेश, हातिमताई, छबीली भटियारिन, बुलाकी नाई और गंगाराम पटेल' आदि के रूप में हमारे लोक साहित्य में उपलब्ध हैं। प्राचीन काल में मनोंरजन के साथ-साथ शिक्षाप्रद किस्से भी बनाये गये।  इनमें 'पंचतंत्र,हितोपदेश' आदि प्रमुख हैं। उन दिनों कई-कई दिनों तक चलने वाले किस्से भी सुनाये जाते थे। 'सहस्त्र रजनी चरित' एक हजार रातों के किस्सों का संग्रह है। 

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मेरठ उपन्यास यात्रा-01

 लोकप्रिय उपन्यास साहित्य को समर्पित मेरा एक ब्लॉग है 'साहित्य देश'। साहित्य देश और साहित्य हेतु लम्बे समय से एक विचार था उपन्यासकार...