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सोमवार, 28 जनवरी 2019

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार-05, 06

आइये, आपकी पुरानी किताबी दुनिया से पहचान करायें - 5
लेखक- योगेश मित्तल
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अरुण कुमार शर्मा उन दिनों कोई नौकरी पाने के लिए भी भाग-दौड़ कर रहा था ! अतः उसका मुझसे मिलना कम ही होता था !

भारती पाॅकेट बुक्स का विज्ञापन वाला अखबार मुझे थमाने के बाद अगले दिन सुबह ही सुबह वह मेरे घर आ गया ! तब मैं नहा-धोकर तैयार था ! मुझे सुबह जल्दी उठने और जल्दी नहा लेने की आदत तब भी थी, अब भी है !

"आ चल, बाहर चलते हैं !" अरुण ने कहा !
हम बाहर निकल मामचन्द चायवाले की दुकान पर बाहर पड़ी खाली बेंच पर बैठ गये !
तब चाय पन्द्रह पैसे की होती थी ! चाय का आर्डर अरुण ने दिया और मुझसे पूछा -"तो क्या सोचा है ?"
"किस बारे में ?" मैंने पूछा तो वह गर्म हो गया और बहुत भद्दी भाषा में उसने जो कुछ कहा, उसका मतलब यह था कि कभी अपने लिए भी कुछ करना है या हमेशा बिमल चटर्जी और कुमारप्रिय के लिए लिखना है !

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार- 03, 04

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार -भाग-03
लेखक- योगेश मित्तल (रजत राजवंशी)
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कलकत्ते से आने के बाद दिल्ली के गाँधीनगर में बसने पर मेरे सबसे पहले जो दो दोस्त बने, उनमें से एक था नरेश गोयल, दूसरा था अरुण कुमार शर्मा।
नरेश गोयल तो ठीक-ठाक फैमिली से था, पर अरुण कुमार शर्मा के दिन मुफ़लिसी के थे।
        रघुवर पुरा नम्बर दो या शायद शान्ति मोहल्ले में घर जरूर अपना था, पर अधबना, जिसका फर्श भी कच्चा था ! लम्बा-गोरा भूरी आँखों वाला अरुण कुमार शर्मा रोज ही सुबह शाम मुझसे मिलता था।  जब मेरी सिटिंग 'विशाल लाइब्रेरी' में होने लगी तो वह मुझसे मिलने विशाल लाइब्रेरी भी आने लगा, किन्तु एक-दो बार में ही उसे भी और मुझे भी यह एहसास हो गया कि बिमल चटर्जी ने उसे पसन्द नहीं किया है, बल्कि विशाल लाइब्रेरी में उसका आना भी बिमल को नापसन्द था।
        अरुण को अक्सर पैसों की जरूरत रहती थी ! कभी वह मुझसे माँगता तो मैं मना नहीं करता था।
           जब उसने यह जाना कि मैं बिमल चटर्जी के लिए कहानियाँ लिख रहा हूँ और बिमल मुझे हर कहानी के पाँच रुपये देते हैं तो उसके दिल में भी कहानियाँ लिखने की धुन सवार हो गी।

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार -01,02

उपन्यास साहित्य का रोचक संसार- भाग-01
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भारती पाॅकेट बुक्स    नाम पढ़ते-सुनते आप सबके मन-मस्तिष्क में एक ही बात आती होगी कि इस संस्था के मालिक तो राज भारती ही रहे होंगे।
      बात सही है, पर पूरी तरह ऐसा भी नहीं था,  लेकिन भारती पाॅकेट बुक्स में अपने प्रवेश और पहचान के बारे में बताने से पहले आपकी किताबी दुनिया से कुछ और भी पहचान करा दूँ।

तब दरीबाँ कला दो बातों के लिए मशहूर था।
1. एक तो वहाँ ज्वैलरी की बहुत दुकानें थीं। 
2. दूसरे पुस्तकों के थोक विक्रेताओं का यही एक गढ़ था।

इसके अलावा दो और खाशियत थीं दरीबे की।
         एक तो हीरा टी स्टाल, जिसकी चाय का स्वाद घर की चाय से भी बेहतर होता था। चाय की सतह पर दूध की मलाई का स्वाद भी हीरा टी स्टाल की चाय में उठाया जा सकता था।
          दूसरी खासियत थी दरीबे में प्रवेश के नुक्कड़ पर स्थित हलवाई की दुकान, जिसका नाम अब याद नहीं।
   देशी घी की जलेबी और समोसे के लिए वह दुकान काफी मशहूर थी। मुझे नहीं पता कि अब भी ये हैं या नहीं।
         तो हमारी दिलचस्पी तो पुस्तकों में है तो आगे की बात पुस्तकों की ही हो जाये।
        दरीबे में राज पुस्तक भंडार, नारंग पुस्तक भंडार, गर्ग एंड कम्पनी, रतन एंड कम्पनी, पंजाबी पुस्तक भंडार आदि पुस्तकों के थोक विक्रेताओं की दुकानें थीं, जहाँ से पुस्तकें खरीदने दिल्ली के नहीं दिल्ली के नजदीकी क्षेत्रों के पुस्तक बिक्रेता आया करते थे।

गुरुवार, 24 जनवरी 2019

निशांत जैन

जासूसी उपन्यास जगत के क्षेत्र में असंख्य ऐसे लेखक भी आते जो कुछ समय पश्चात गुमनाम हो गये। ऐसे ही एक लेखक का पता चला है।
निशांत जैन एक जासूसी उपन्यासकार हैं, उनके उपन्यास दुर्गा पॉकेट बुक्स- मेरठ से प्रकाश्य हैं।
निशांत जैन के उपन्यास
1. महल में कत्ल

उक्त लेखक के विषय में अगर कोई जानकारी उपलब्ध हो तो अवश्य शेयर करें।

जयपाल सिंह बजाड़

जयपाल सिंह बजाड़ के विषय में कुछ जानकारी उपलब्ध हुयी है वह आप सब पाठक मित्रों के साथ शेयर कर रहा हूँ।
जयपाल सिंह बजाड़ के उपन्यास दुर्गा पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुए हैं। हमें उनके उपन्यास की एक उपन्यास से कुछ जानकारी उपलब्ध हुयी है।
जयपाल सिंह बजाड़ के उपन्यास
1. जब लौट कर देखा


उक्त लेखक के विषय में अगर कोई जानकारी हो तो अवश्य शेयर करें।
- sahityadesh@gmail.com

राम चन्द्र

एक उपन्यासकार की हमें जानकारी प्राप्त हुयी है। जिनका नाम है 'राम चन्द्र'। ये एक सामाजिक उपन्यासकार हैं। हालांकि इ‌नके विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी।
रामचन्द्र के उपन्यास दुर्गा पॉकेट बुक्स मेरठ से प्रकाशित होते रहे हैं।
रामचन्द्र के उपन्यास
1. मेरी सूरत तेरी आँखे।

इनके विषय में अगर किसी को कोई भी जानकारी उपलब्ध हो तो अवश्य शेयर करें

बृजेश्वर चौधरी 'नेपाली राइटर'

आपने उपन्यास जगत के बहुत से लेखकों को पढा है। भारतीय भी पढे हैं और विदेश के लेखक भी पढे हैं। अच्छा, क्या आपने किसी नेपाली लेखक को पढा है?
           चलो, आज आपका परिचय एक नेपाली लेखक से करवाते हैं। 
        बृजेश्वर चौधरी एक नेपाली उपन्यासकार हैं। जी हां, वे नेपाली राइटर हैं लेकिन वे लिखते हिन्दी में हैं। बृजेश्वर चौधरी के उपन्यास भी उपन्यासों के गढ मेरठ से ही प्रकाशित होते रहे हैं।
         हमें प्राप्त जानकारी के अनुसार बृजेश्वर चौधरी 'नेपाली राइटर' के उपन्यास दुर्गा पॉकेट बुक्स- मेरठ से प्रकाशित होते रहे हैं।
संपर्क-
बृजेश्वर चौधरी
ग्राम- सुहपुर
गा. बि. स.- जगरनाथपुर
क्षेत्र संख्या- 4
थाना- सेछवा
जिला- पसी (नेपाल)

बृजेश्वर चौधरी 'नेपाली राइटर' के उपन्यास
1. चंबल की रानी (प्रथम उपन्यास)
2. मोहरा

अगर आपके पास उक्त लेखक/ या किसी भी लेखक की कोई भी जानकारी हो तो हमसे अवश्य शेयर करें।
sahityadesh@gmail.com

रविवार, 13 जनवरी 2019

कर्नल रंजीत

‘मख़मूर’ जालंधरी / MAKHMOOR JALANDHARI
‘मख़मूर’ जालंधरी
वास्तविक नाम: गुरबक्श सिंह
जन्म: 1915
मृत्यु: 1 जनवरी 1979

प्रसिद्ध उपन्यासकार कर्नल रंजीत साहब का वास्तविक नाम मख़मूर जालंधरी था। उन्होंने कर्नल रंजीत के नाम से हिंद पॉकेट बुक्स के लिए उपन्यास लेखन किया और 'मेजर बलवंत' नामक जासूस को स्थापित किया। 


‘मखमूर’ जालंधरी साहब का जन्म सन 1915 में पंजाब राज्य के जालंधर शहर के लालकुर्ती इलाके में हुआ था. उनके पिता का नाम केसर सिंह था. बचपन से ही उनको साहित्य से लगाव रहा. उन्होंने पढ़ाई के साथ साथ शायरी करना भी शुरू कर दिया था. 1938 में उनकी शादी दमयंती देवी से हुई. पढ़ाई समाप्त करने के बाद रोजगार की तलाश करने के दौरान उन्होंने आल इंडिया रेडियो जालंधर के लिये ड्रामे लिखने शुरू कर दिये. यह सिलसिला कई बरस तक चलता रहा. उनके लिखे ड्रामे श्रोताओं में खासे मकबूल होते थे. उन्होंने रेडियो के लिये लगभग 250 ड्रामा लिखे. उन्हीं दिनों वह प्रगतिशील लेखक संघ और कम्युनिस्ट पार्टी से भी जुड़ गये.

शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

विश्व पुस्तक मेला-2019

नयी दिल्ली विश्व पुस्तक मेला-2019


    विश्व पुस्तक मेले में पहुंचने का यह मेरा पहला अवसर है। ख्वाहिश एक लंबे समय से थी, जिसे पुस्तकों से प्रेम है, वह हर पाठक इस मेले में आना चाहता है। मेरा भी यह स्वप्न था। जो आज 06.01.2019 को पूरा हो गया।
        जब यह सूचना मिली की आदरणीय वेदप्रकाश कंबोज जी के उपन्यास 'दांव खेल, पासे पलट गये'  का विमोचन है तभी यह तय कर लिया था की इस बार पुस्तक मेले में अवश्य जाना है। मेशु भाई के आमंत्रण और हरियाणा के मित्र राममेहर और बबलू जाखड़ के निवेदन को कहां तक टाला जा सकता था।

             विश्व पुस्तक मेले का आयोजन प्रगति मैदान में किया जाता है। यह अफ्रो-एशिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। इसमें 25 देशों के प्रकाशक शामिल हैं।  छोटे से छोटे प्रकाशक से लेकर बड़े से बड़ा प्रकाशक विश्व पुस्तक मेले में अपनी उपस्थित दर्ज करवा ही देता है।
            वेदप्रकाश कंबोज जी के उपन्यास 'दाव-खेल','पासे पलग गये' नामक दो उपन्यासों के  संयुक्त संस्करण का विमोचन गुल्ली बाबा पब्लिकेशन के स्टाल (हाॅल 11, स्टाल-336) पर दो बजे था।
             मैं और बबलू जाखड़ दरियागंज के रविवार को लगने वाले पुस्तक बाजार से होकर ही प्रगति मैदान पहुंचे थे।  अगर कम मूल्य पर किताबें चाहिए तो दरियागंज जैसा विकल्प बहुत अच्छा है। यहाँ से साहित्यिक और जासूसी उपन्यास काफी मात्र में मिल गये थे।

दरियागंज का पुस्तक बाजार

               हम जब विमोचन समारोह में पहुंचे तब कार्यक्रम आरम्भ था।‌ काफी मित्र और परिचित गुल्ली बाबा की स्टाॅल पर उपस्थित थे।  वेदप्रकाश कंबोज जी के उपन्यास का विमोचन गुल्ली बाबा पब्लिकेशन के CEO दिनेश जी ने किया।

वेदप्रकाश कंबोज जी के उपन्यास का विमोचन

      

वेदप्रकाश कंबोज जी के साथ


बुधवार, 9 जनवरी 2019

कैप्टन विक्रांत

 कैप्टन विक्रांत मेरे लिए नया नाम है। इससे पहले इंस्पेक्टर गिरीश, मेजर बलवंत, कर्नल सुरेश, कर्नल बलवीर जैसे क ई नाम सुने थे, लेकिन कैप्टन विक्रांत नाम का उपन्यासकार का नाम पहली बार सुना।

यह किस प्रकाशन से थे। यह असली या Ghost writer थे यह भी कन्फर्म नहीं। इनके एक उपन्यास का कवर पृष्ठ मिला है।

कैप्टन विक्रांत के उपन्यास

1. मौत का पिंजरा


मंगलवार, 1 जनवरी 2019

कर्नल बलवीर

उपन्यास जगत में एक वह भी दौर आया था जब इंस्पेक्टर और कर्नल जैसे Ghost नाम से कई लेखक मैदान में आये।

इन छद्म नामों के पीछे कौन था यह भी एक रहस्य ही रखा। ऐसे ही एक लेखक थे 'कर्नल बलवीर'। कर्नल बलवीर का कोई परिचय तो कहीं से कुछ भी नहीं मिलता, उनके कुछ उपन्यास उपलब्ध होते हैं।

कर्नल बलवीर के उपन्यास

1. नकली बीवी

2. वैज्ञानिक की मौत

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अरुण कुमार

लेखक अरुण कुमार के विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं होती। कुछ मित्रों के पास इनके उपन्यास उपलब्ध हैं।

  अरुण कुमार के उपन्यास

1. खून के पुजारी

2. नागा यमदूत. (विनोद हमीद सीरिज)

3. आपरेशन ईगल (विनोद हमीद सीरिज)

4. लाटरी का टिकट

5. आकाश में मौतें

6. एटमी कठपुतलियां

7. रबिका का कैदी (विनोद हमीद सीरीज)

8. तूफानी आँख  (विनोद हमीद सीरीज)

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एन. सफी

उपन्यासकार एन. सफी एक जासूसी लेखक थे। इनके विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं, इ‌नके कुछ उपन्यास और उपन्यास लिस्ट उपलब्ध होती है।

एन. सफी के उपन्यास

1. रेड पाइप
2. मैं जल्लाद हूँ।
3. मौत पुकार उठी
4. स्पूतिन का अपहरण (प्रथम भाग)
5.
6. ओ.एम. वन. की तबाही (तृतीय भाग)-1970
7. जहरीला इंजेक्शन- मार्च- 1977




इस विषय पर किसी भी पाठक को कोई भी जानकारी हो स्वागत है।

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