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शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

परशुराम शर्मा

लेखक परशुराम शर्मा जी 

लेखनी के जादूगर आदरणीय सुप्रसिद्ध लेखनकार श्री परशुराम शर्मा जी...
इनका लेखन आरम्भ हुआ सन 1962 में, इनकी प्रेरणा एक ऐसी किशोरी जिसने इन पर एक घटिया इल्ज़ाम लगा अपमानित करने का सफल प्रयास किया। क्यों के अपनी बेगुनाही को लेकर कोई दलील पास न थी लिहाज़ा इल्ज़ाम सर ले वह पीड़ित हुए। नतीजा, यहीं से आरंभ हुआ उनका लेखन सफर।
                      पहली रचना "चीखों का संसार" जिसको जासूसी शक्ल के रूप में प्रकाशित किया गया 'कमल जासूस' मैगज़ीन मेरठ से। यह उस समय की बात है जब लेखनी के जादूगर परशुराम शर्मा जी महज़ 17 वर्षीय थे। उनका यह नावेल पाठको के बीच खासा चर्चित हुआ। लेखन जगत के इस चर्चित दौर के अंतर्गत उनका एक उपन्यास आया "ज़ीरो लैंड" यह वो समय था जब पुस्तको की कीमत केवल दो या चार रुपये हुआ करती थी, लेकिन ज़ीरो लैंड का मूल्य 10 रुपये रखा गया और जब यह उपन्यास प्रकाशित हुआ तो पाठकवर्ग के बीच इसे लेकर इतनी होड़ मची के नावेल सुप्रसिद्ध हो ब्लैक में बिका। पच्चीसवां उपन्यास "आग और शोले" प्रकाशित हुआ सन 1970 में, सीक्रेट सर्विस कार्यलय मेरठ से...यह वो उपन्यास था जिसने लेखन के जादूगर परशुराम शर्मा जी को अपनी एक विशेष पहचान स्थगित करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया। पचासवीं रचना "पृथ्वी के चोर" जासूसी उपन्यास अजय प्रकाशन से प्रकाशित हो सदा की तरह इस बार भी खूब पाठकों के बीच प्रंशसा का पात्र बना। 
                यहां यह भी कहा जा सकता है कि लेखक परशुराम शर्मा जी पाठको के दिल अज़ीज़ व रचनाकार के रूप में अपना एक शानदार मुकाम लेखन जगत में हासिल कर चुके थे।
                         सौंवा उपन्यास..."नर्क की छाया" कंचन पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुआ जिसने खूब प्रशंसाएं बटोरी।  यह वो समय था जब समस्त लेखक अपनी लेखन दुनिया को लेकर अपनी अपनी उन बहुचर्चित सीरीज़ में बंध कर ही रचना लिखा करते थे जिन्हें पाठक सराहा करते थे, शायद विवश थे सीरीज़ में बंध कर लेखन कार्य के साथ । इस प्रकार की समस्त विवशताओं व नियमो को खंडित कर लेखनी के जादूगर परशुराम शर्मा जी ने इसका उलंघन कर पाठको को एक नया आहार परोसा जिसे दिल की गहराईयों से सराहा गया। लेखन जगत के इस बादशाह ने यकीनन अपनी जादूभरी लेखनी का शानदार प्रदर्शन दिया। "हलाकू" नामक रचना टेलीपैथीक एक विशेष आहार पाठको के लिए खासा हाज़मी साबित हुआ , न केवल इतना ही, सुप्रसिद्ध भी रहा। इसके अलावा उन्होंने सामाजिक भी लिखा "ठोकर" नाम से जो के सन 1985 में कंचन पॉकेट बुक्स से प्रकाशित हुआ। इसके अलावा कॉमिक्स में इन्होंने तमाम हिंदुस्तान में खूब धूम मचाई...मेघदूत, नागराज, अंगारा, जम्बू, मिस्टर इत्यादि नाम के किरदारो से सम्पूर्ण भारत मे वो मुकाम पाया के इनके मुकाबले दूसरा कोई अभी तक न आया। इनको कॉमिक्स में हिंदुस्तान का बादशाह होने का अनोखा स्थान हासिल हुआ। इनकी रचनाओं का सिलसिला हॉरर रचनाओं तक भी पहुँचा, जिसको समस्त रचनाओं समान सराहा गया। 
       
                             लेखक परशुराम शर्मा जी अपने आप मे एक ज्ञान व प्रेम सागर हैं। ह्रदय से विशाल हर एक के लिए सदा सहयोग हेतु आगे बढ़ते हैं। भारतीय बहुचर्चित टॉप वन सीरीज़ में आने वाले स्वर्गीय वेद प्रकाश शर्मा जी को भी इनका सहयोग व सहानुभूति प्राप्त हैं। ऐसा स्वंम वेद प्रकाश शर्मा जी ने मेरे यानी लेखिका गज़ाला करीम, के सामने ही स्वीकारा, यह उस समय की बात है जब मैं वेद प्रकाश शर्मा जी की शिष्या रूपी उनके सम्पर्क में थी। ताज्जुब की बात तो तब हुई जब समस्त भारत मे प्रकाशमय लेखक होने का गर्व प्राप्त करने वाले लेखक ने परशुराम शर्मा जी से प्राप्त सहयोग व सहानुभूतियों के रहते उनके साथ एक बड़ा धोखा किया तब आदरणीय विशाल ह्रदय परशुराम शर्मा जी गहरी पीड़ा में लीन हुए। मगर लेखन हेतु साहस बनाये रखा और सक्रिय भी रहे। 27 मई 2018 को जब मैं (लेखिका गज़ाला करीम) परशुराम शर्मा जी से बोली की मेरी पुस्तक प्रकाशित होने जा रही है तो सदाबहार स्वभाव के मालिक परशुराम अंकल बोले मेरा आशीर्वाद पहले भी तुम्हे प्राप्त था बेटे और आगे भी रहेगा। उनसे भेंट कर जाना वो आज भी जिंदा दिल हैं। हर के लिए मन मे प्रेम स्नेह सदा रखना उनका स्वभाव है। उनकी अद्भुत रचनाओं का कारवां केवल यही तक सीमित नही बल्कि "प्रलय" व "लाफ्टर चैलेंज" भी पाठको के बीच सरहनीय सिद्ध हुआ है, जो के रवि पॉकेट बुक्स मेरठ से प्रकाशित हुआ। हार्दिक नमन ऐसे विशाल ह्रदय और लेखनी के जादूगर सम्मानजनक लेखक परशुराम शर्मा जी को। इनकी अब तक कि लिखित रचनाओं की संख्या लगभग 300 है।

@गजाला करीम‌ की कलम से


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