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मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

धन्यवाद - गजाला

साहित्य देश ब्लॉग के संचालक के लिए दो शब्द ....

मैं सुनती रही औरों की कही
मेरी बात मेरे मन ही में रही.

आज बात करते हैं एक सबसे विशेष मुद्दे पर
वो समय जब मैंने अपनी पहचान बना कर भी कुछ व्यक्तियों  के रहते खो दी थी मुझे उस पहचान को वापस दिलाने में विशेष महत्वपूर्ण योगदान है आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी का। यही वो मसीहा है जिन्होंने मेरे जैसे गुमनाम कलमकारों को उनकी पहचान दिलाने में सहायता की। मैं गुरप्रीत जी को हार्दिक धन्यवाद करती हूँ और गर्व है मुझे ऐसे लोगो पर जो निस्वार्थ लोगों की सहायता करते हैं। अब जबकि मैं वापस एक लेखिका के रूप में अपनी पहचान हासिल कर चुकी हूँ तो इसका पूरा श्रेय सम्मानजनक व आदरणीय गुरप्रीत जी को देती हूँ। आप लोगो के समक्ष अपना कोई भी नया लेख लाने से पूर्व मैं चाहूंगी कि "बाग़बान" रूपी श्री गुरप्रीत जी को मुझ सहित आप लोग भी सम्मान से नवाज़े। 
              मैं खुश हूँ यह जान कर के इंसानियत आज भी जिंदा है। कोई पूछे मुझसे इंसानियत कैसी होती है तो मैं आदरणीय गुरप्रीत जी का नाम लेकर उनकी तस्वीर सभी को दिखाना चाहूंगी।   खासतौर पर चाहूंगी मुझसे ज़्यादा सम्मानित श्री गुरप्रीत जी को किया जाये, साथ ही आदरणीय मनीष जैन।  मेरे आने वाले उपन्यासों के लिए भी बधाई गुरप्रीत जी को ही दी जाए। क्योंकि आज के समय मे मेरे लेखन को लेकर जन्म कर्ता श्री गुरप्रीत जी ही हैं जो मुझे एक बार फिर कलम तक लेकर आये साहित्य देश की ओर संकेत देते कहा
"आ चल के तुझे मैं लेके चलू एक ऐसे गगन के तले, जहां गम भी न हो आंसू भी न हो बस प्यार ही प्यार पले।"
    वो समय था जब मेरी पहचान को छीनते समय मुझे कुछ बोलने की इजाज़त भी मुझसे छीन ली गयी थी। फिर गुरप्रीत जी की सहायता प्राप्त हुई तो सबके बीच अपने मन की बात कह सकी। हार्दिक आभार और धन्यवाद गुरप्रीत जी को।
Please one salute to Mr. Gurpreet Singh👏👏👏

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उपन्यासकार गजाला जी की कलम से...

गजाला जी की फेसबुक वाॅल से..

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