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गुरुवार, 11 मई 2017

राज

 उपन्यासकार राज का वास्तविक नाम क्या था, या राज ही

ही उनका वास्तविक नाम था, यह कहना मुश्किल है।  राज के उपन्यास राजा पॉकेट बुक्स-दिल्ली से प्रकाशित होते थे। राज एक जासूसी उपन्यासकार थे। इनके उपन्यासों का जासूस राज नामक एक प्राइवेट डिटेक्टिव हुआ करता था।

     राज के उपन्यासों में हल्की अश्लिलता पायी जाती थी। इनके संवाद द्विअर्थी होते थे।


1.  कत्ल की रात

2. बङी बहू का हत्यारा

3. इंसाफ की जंग
4. सबसे बङा शैतान
5. सजा मैं दूंगा
6. क्राइम किंग
7. मौत के हाथ
8. इंसानियत के दुश्मन
9. मौत का उपहार
10. अमावस की रात
11. सुहाग का कातिल
11. डाक बंगला
12. दस दिन का कर्फ्यू
13. हत्यारा
14. सिरकटी दुल्हन
15. खून का बदला खून
16. ग्यारह बजे
17. मैडम मौत
18. खूनी खेल
19. लाशों की बारात
20. चालाक अपराधी
21. कानून मेरी ठोकर में
22. वर्दी मांगे खून
23. तबाही का वारंट
24. खूनी फरिश्ते
25. धमाकों का शहर
26. दौ सौ साल की सुहागिन
27. गोली चलेगी सीने पर
28. चिराग बुझा दूंगा
29. जलजला
30. हिंसा को मिटा दूंगा
31. बदले का बारूद
32. कब मिटेगी हिंसा
33. दंगा
34. आगजनी
35. ब्लैक वारंट
36. जंग का ऐलान
37. दहशत का तूफान
38. काला हीरा
39. डरपोक शिकारी
40. जुर्म का रखवाला
41. हक की लङाई
42. खून- खराबा
44. गिरफ्तारी
45. ईमानदार कातिल
46. चोर-सिपाही
47. मिस इण्डिया हत्याकांड
48. अनाङी कातिल
49. खेल खेल में कत्ल
50. मर्डर प्लान
51. मोनिका मर्डर केस
52. हथियारों के साए में
53. लाश बोल उठी
54. डकैत नंबर एक
55. चैम्पियन
56. लावारिश लाश
57. होटल मर्डर

2 टिप्‍पणियां:

  1. "राज" किसी ओरिजनल लेखक का नाम नही है। यह राजा पाकेट बुक्स का ही एक रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क है..जिसने मूल लेखकों का बेतहाशा शोषड़ किया और 2003 का दौर आते-आते जो अपने अंजाम को पहुच गया। जो नही जानते उनके लिए लिख रहा हूं कि राज के अलावा टाइगर..भारत..सूरज और धीरज भी राजा पाकेट बुक्स के ही रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क थे। जिन्हें रीडर ओरिजनल लेखक समझकर खरीदते और पढ़ते थे। टाइगर के लिए जे के वर्मा साहब से पहले 1990 में यशपाल वालिया लिखते थे। इंस्पेक्टर विजय यादव और सरदार करतार सिंह सीरीज मरहूम यशपाल वालिया की ही स्थापित की हुई है। बाद में वालिया ने सुसाइड कर लिया था।

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